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Uttarakhand

झूठे वादों से त्रस्त शहीदों का क्षेत्र

उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान हुए खटीमा गोलीकांड के शहीदों को चुनावों के समय स्थानीय नेता बड़े भावपूर्ण तरीके से याद करते हैं। इन शहीदों की स्मृति में स्मारक और विश्व स्तरीय सड़कों के निर्माण का वादा पिछले 27 वर्षों से करते आ रहे हैं। शहीद स्मारक का लेकिन कोई अता-पता नहीं है, तो उनके नामों की सड़कों पर कीचड़ से भरे गड्ढ़े जनप्रतिनिधियों की संवेदनशीलता का नायाब नमूना बन खटीमा और नानकमत्ता विधानसभा क्षेत्र का सच सामने ला देते हैं। शहीद गोपीचंद के पौत्र अंकित इन गड्ढ़ों की मेहरबानी के चलते अपना हाथ तुड़वा चुके हैं

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा। क्रांतिकारी कवि असफाक उल्लाह की यह लाईन आज 27 साल बाद भी खटीमा गोलीकांड के शहीदों के मामले में सटीक नहीं बैठती है। हर साल 1 सितंबर को खटीमा में सातों पृथक राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। वीर रस से भरी कविताएं गाई जाती हैं। नेताओं के भाषण होते हैं जिनमें पिछले 27 साल से वही बात दोहराई जाती है कि जल्द ही खटीमा में शहीद स्मारक बनाया जाएगा, लेकिन आज तक शहीद स्मारक नहीं बन सका है। हालांकि खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए 50 लाख रुपया स्वीकृत किया है। याद रहे कि खटीमा गोलीकांड से एक दिन बाद यानी 2 सितंबर 1994 को मसूरी गोलीकांड हुआ था। यह गोलीकांड उस समय हुआ था जब खटीमा में पुलिस ने गोलियां चलाकर सात आंदोलनकारियों की जान ले ली थी। इसके विरोध में 2 सितंबर 1994 को मसूरी में जुलूस निकाला जा रहा था। जहां पुलिस ने आंदोलनकारियों की झड़प हो गई थी। इसके बाद चली पुलिस की गोलियों ने 6 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। मसूरी गोलीकांड में मारे गए लोगों की याद में वहां शहीद स्मारक स्थल बना दिया गया है।

खटीमा गोलीकांड में शहीद हुए गोपीचंद नानकमत्ता विधानसभा सीट के मूड गांव के निवासी थे। 2012 में यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े डॉ प्रेम सिंह राणा ने वादा किया था कि वे शहीद गोपीचंद की यादव में सड़कों को विश्व स्तरीय बनाएंगे एवं इन सड़कों का नाम शहीद के नाम पर किया जाएगा। 2017 में एक बार फिर से डॉ राणा को यहां की जनता ने अपना विधायक चुना, लेकिन साढ़े नौ साल बीत जाने के बाद भी विधायक अपना वादा पूरा नहीं कर सके हैं। हालात इतने खराब हैं कि टूटी-फूटी सड़कों पर पानी भरा रहता है। पिछले दिनों शहीद गोपीचंद के पौत्र अंकित इन्हीं रास्तों में फिसल कर अपना हाथ तुड़वा बैठे हैं।

स्थानीय लोग यह भी कहते हैं कि विधायक डॉ ़ प्रेम सिंह राणा ही नहीं बल्कि पिछले 27 सालों में यहां के जितने भी विधायक बने सभी ने शहीदों के नाम पर राजनीति की, वह चाहे भाजपा का रहा हो या कांग्रेस का। 1 सितंबर 1994 को उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के इतिहास में काला दिवस कहा जाता है। इस दिन पृथक राज्य के लिए आंदोलनकारियों द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से खटीमा के रामलीला मैदान में सभा आयोजित की गई। यह सभा कैप्टन शेर सिंह डिगारी की अध्यक्षता में की गई थी। सभा करने के बाद आंदोलनकारी जुलूस निकाल रहे थे। जैसे ही वह खटीमा चौराहे पर पहुंचे इसी दौरान पुलिसकर्मियों ने निहत्थे आंदोलनकारियों की आवाज को दबाने के लिए बर्बरता का परिचय दिया। तत्कालीन उत्तर प्रदेश पुलिस ने आंदोलनकारियों पर खुलेआम गोलियां चलवा दी। पुलिस ने गोलियां चलाने के पीछे कारण महिलाओं के हाथों में दरांती होना बताया था। बकौल पुलिस प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बल पर पथराव किया। प्रतिरक्षा में पुलिस ने गोली चलाई जिसमें सात आंदोलनकारी मारे गए और 165 आंदोलनकारी घायल हो गए। मृतकों में से चार के ही शव बरामद हुए थे। पुलिस पर आरोप लगे कि बाकी तीन लोगों की मौत हो जाने के बाद उनके शवों को शारदा नदी में फेंक दिया गया था। पुलिस बाद तक चार लोगों की मौत की बात कहती रही। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सात लोग मारे गए थे।

बात अपनी-अपनी
आप उनसे बोलिए कि मुझसे मिल लें। मैं शहीद गोपीचंद जी के नाम पर सड़क और द्वार बनवा दूंगा। मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र में सभी शहीदों की गांवों की सड़क और उनके नाम पर द्वार बनवा दिए हैं।
डॉ. प्रेम सिंह राणा, विधायक नानकमत्ता

शहादत के नाम पर राजनीति करने वाले विधायकों का बहिष्कार करना होगा। इसकी शिकायत भाजपा हाईकामन से करेंगे और कहेंगे कि आगे से डॉ ़ प्रेम सिंह राणा को कोई टिकट न दिया जाए। उन्होंने शहीद के नाम पर सम्मान देने की बजाय उनका तिरस्कार किया है। दूसरा मामला शहीद स्मारक स्थल में एक पूर्व विधायक की चेयरमैन पुत्री ने शहीद स्थल को टंचिंग ग्राउंड घोषित कर दिया था। इसके विरोध में हमने 10 दिन धरना-प्रदर्शन किया था। इसके बाद शहीद स्थल को स्थानांतरित करने की बात कही गई। लेकिन राज्य आंदोलनकारी संगठन ने इसका विरोध किया और कहा कि जहां खटीमा के सातों लोग शहीद हुए वहीं पर शहीद स्मारक बनना चाहिए। फिलहाल विधायक पुष्कर सिंह धामी ने शहीद स्मारक के लिए 36 लाख रुपया स्वीकृत किया हैं। आगामी 1 सितंबर को शायद सीएम धामी इसका उद्घाटन भी कर सकते है।
भगवान जोशी, राज्य आंदोलनकारी

हम भूड़ एरिया में पिछले 13 साल से रह रहे है। हमसे दो बार स्थानीय विधायक डॉ ़ प्रेम सिंह राणा ने वादा किया कि वह हमारे बाबूजी शहीद गोपीचंद जी से नाम पर सड़क और द्वार निर्माण करायेंगे और सड़क का नाम भी उनके नाम पर ही रखेंगे। लेकिन आज तक भी विधायक ने अपना वादा पूरा नहीं किया है। जिस रास्ते को उन्होंने बनवाना था उसमें पानी भरा और कीचड़ जमा होने के चलते हमारे पुत्र अंकित फिसल गए और उनके हाथ में फ्रेक्चर हो गया है। इस रास्ते को आने-जाने लायक बनाने के लिए स्थानीय लोगों ने मिट्टी भरान कराया है।
गोदावरी देवी, शहीद गोपीचंद की बहू

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