भगवा रंग त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। यही रंग जब झंडे पर चढ़ाकर फहराया जाता है तो कुछ हिंदुवादी संगठनों के लिए धर्म का प्रतीक बन जाता है। इस रंग को लेकर अगर कोई धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाए तो वही हिंदुवादी संगठन कट्टरपंथियों के रूप में प्रकट होकर बहन-बेटियों पर फतवा जारी कर देते हैं। बीते पखवाड़े उत्तराखण्ड में कुछ ऐसा ही तब हुआ जब कोटद्वार की एक यूट्यूबर लड़की ने नैनीताल के फ्लैट्स मैदान में सरकारी संपत्ति में लगे भगवा झंडे पर सवाल उठाए। इस पर न केवल उस बेटी को रखैल कहा गया, बल्कि उसे मारने और उसके साथ रेप करने की धमकी भी दी गई। अति तो तब हो गई जब धमकी देने वालों पर शिकंजा कसने की बजाय पुलिस ने सवाल उठाने वाली लड़की पर ही गैरजमानती धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। पीड़िता हाईकोर्ट की शरण में गई तो उसे न्याय मिला। कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई और जांच पर रोक लगाई। अभी भी लड़की खतरे से बाहर नहीं है। उसने आरोपियों पर रिपोर्ट दर्ज कराने तथा अपनी और अपने परिवार की जान की रक्षा करने की गुहार लगाई है
भगवा हटा के इसका धंधा स्टार्ट करवा दो यही तो चाहती है ये कोठे वाली
-हर्ष वर्धन
ऐसे में नहीं, पूरे कपड़े उतारने में ज्यादा फेमस होगी।
-अमन केसरी
मार्केट में नई रखैल आई है, यह सोशल मीडिया पर नाम कमाना चाहती है।
-जीडी सिंह
तू तो खतना भी करवाती है, पहले यह बताओ अभी तक तेरा रेप कितनों ने किया।
-पहाड़ी ब्लॉगर रोशन पवार
कितने कायर लोग हैं उत्तराखण्ड वाले अभी तक इसको नहीं पकड़ पाए दो-तीन थप्पड़ में ठीक हो जाती।
-सूरज के
हल्द्वानी जा वहां घुस तब पता चलेगा। सर तन से जुदा हो जाएगा।
-आशीष रावत

दिल दहलाने वाली उक्त बातें देवभूमि की एक बेटी के लिए सोशल मीडिया पर लिखी गई है। जिनमें सरेआम न केवल अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है, बल्कि एक बेटी को मारने की धमकी भी दी गई है। जिस प्रदेश में कुछ महीने पहले ही अंकिता भंडारी हत्याकांड हुआ है वहां की बेटी के साथ रेप करने की धमकी देना और रखैल कहना अपने आप में कानून को चुनौती देने वाली चेतावनी भी है। जिस लड़की को इस तरह की अनर्गल बातें की जा रही है और मारने तथा रेप करने की धमकी दी जा रही है उसका कसूर सिर्फ यह है कि उसने सर्व धर्म सम्भाव वाले लोकतांत्रिक देश में एक भगवा रंग के झंडे पर सवाल खड़े कर दिए थे। कोटद्वार की स्मृति नेगी स्वाति जब एक केस के सिलसिले में नैनीताल गई तो उसने मल्लीताल में फ्लैट्स मैदान में सरकारी संपत्ति पर एक भगवा रंग का झंडा लगा देखा। इससे नेगी की भावनाएं झकझोर उठी। इसके बाद उन्होंने अपने ब्लॉग पर एक वीडियो प्रसारित कर दी। जिसमें उसने सरकारी संपत्ति में एक धर्म विशेष के झंडे के लगने पर एतराज किया था। एतराज इसलिए कि 300 मीटर के दायरे में जहां मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च बने हों वहां एक ही धर्म विशेष का झंडा क्यों? अगर झंडे हो तो सब धर्म के हो अन्यथा एक ही धर्म का भी झंडा क्यों फहराया गया? क्या इससे दूसरे धर्म के लोगों की भावनाएं आहत नहीं होगी? ऐसे ही कुछ सवाल थे जिनको स्मृति नेगी ने वीडियो के माध्यम से सबके सामने रखे थे।
लेकिन धार्मिक कट्टर लोगों को एक लड़की द्वारा उनके भगवा रंग के झंडे पर उठाए गए सवाल पसंद नहीं आए। देखते ही देखते वीडियो को अपने समर्थकों के पास भेजकर स्मृति नेगी के खिलाफ माहौल बनाया गया। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद् जैसे हिंदुवादी संगठन सक्रिय हो उठे। उनके द्वारा सोशल मीडिया पर स्मृति नेगी के खिलाफ जहर उगला गया। इससे भी उनका मन नहीं भरा तो वीडियो में कही गई बातों से हिंदुओं का अपमान बताते हुए नैनीताल के मल्लीताल थाने में उक्त लड़की के खिलाफ शिकायत दे दी और कार्रवाई की मांग कर दी। थानाध्यक्ष ने भी आनन-फानन में लड़की पर गैरजमानती धाराओं में धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में मामला दर्ज कर दिया। पुलिस की इस कार्रवाई को स्मृति नेगी ने हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। जिसमें उसने अपने खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त करने की मांग की। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद पुलिस की कार्रवाई पर मौखिक रूप से कड़ी टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने इस मामले पर यू-ट्यूबर स्मृति नेगी को राहत देते हुए उल्टे पुलिस को फटकार लगाई। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पुलिस से पूछा कि इस मामले में आईपीसी की धारा 153ए और 295ए किस आधार पर लगाई। असल में भावनाएं तो स्मृति की आहत हुई है। इसके साथ ही कोर्ट ने एफआईआर की जांच पर रोक लगाते हुए पुलिस से जवाब देने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई के लिए 12 मई की तिथि नियत की गई है।
स्मृति नेगी के जेहन में जो सवाल आए वह हर उस व्यक्ति के हो सकते हैं जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को मानता है। भारत में सभी धर्मों और सम्प्रदायों के लोगों के स्थान समान हैं। इसलिए ही भारत देश को धर्मनिरपेक्ष राज्य कहा गया है। शायद यही वजह स्मृति नेगी को अपनी वीडियो बनाने को मजबूर कर गई। जिसमें किसी धर्म विशेष पर प्रहार करना शामिल नहीं था। स्मृति के मन में जो विचारों का ज्वार भाटा उमड़ा वह वीडियो के जरिए वायरल होने पर सुनामी बनेगा यह किसी ने भी नहीं सोचा था। खुद स्मृति ने भी नहीं। जिनके मन-मस्तिष्क में सवाल आए कि सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण क्यों? क्या अतिक्रमण पर किसी धर्म विशेष का अधिकार है? जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और भारत का संविधान यहां रहने वाले हर धर्म को बराबरी का अधिकार देता है। ऐसा नहीं है कि स्मृति नेगी नैनीताल में पहली बार आई थी, बल्कि वह पहले भी यहां कई बार आई। लेकिन जब उसे फ्लैट्स मैदान में पहली बार भगवा झंडा दिखाई दिया, जो पहले नहीं था तो उसके मन में सवालों का आना वाजिब था। क्योंकि स्मृति एक यू-ट्यूबर भी है, एक सचेत नागरिक होने के नाते वह ऐसे सवालों को पहले भी उठाती रही है।
वह बताती है ‘जब मैंने यहां के लोकल लोगों से पूछा कि यह झंडा कब लगा है क्योंकि पहले तो यह नहीं दिखाई देता था तो उन्होंने मुझे बताया कि ज्यादा टाइम नहीं हुआ है सिर्फ दो-तीन महीने हुए हैं।’ यह जो झंडा लगा है यह सरकारी संपत्ति पर लगा है जो कि धार्मिक अतिक्रमण को दर्शाता है। सरकारी संपत्ति पर हमारे राष्ट्र का झंडा होता या खेल जगत का झंडा होता, क्योंकि यह स्टेडियम है तो कुछ समझ भी आता। लेकिन यहां पर किसी धर्म का झंडा होना स्मृति के लिए एक बेहद चिंता का विषय था। वह आगे कहती है ‘जब मैं इस झंडे के पास आई तब मैंने देखा उसमें एक साइन बोर्ड लगा हुआ है। उसमें लिखा था मां नैना देवी मंदिर मार्ग, जबकि यहां मस्जिद भी है, चर्च और गुरुद्वारा भी। पर साइन बोर्ड और झंडा भी सिर्फ एक ही धर्म विशेष का लगा है। जिसे सब लोग हिंदू राष्ट्र, हिंदू राष्ट्र कहकर धार्मिक बवंडर की ओर धकेल रहे हैं, जैसा कि आजकल पूरे देश में चल रहा है। यह अब उत्तराखण्ड में भी दस्तक दे चुका है। किसी भी धर्म के झंडे को सरकारी संपत्ति पर लगाना न्याय संगत नहीं है।’
स्मृति से पहले राजीव लोचन साह ने उठाए सवाल
ऐसा नहीं है कि स्मृति नेगी ने भगवा झंडे पर पहली बार सवाल उठाए हों, बल्कि इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह भी इसी मुद्दे पर मुखर हो चुके हैं। उन्होंने बकायदा इस बाबत एक शिकायत गत 2 जनवरी को नगर पालिका नैनीताल के अधिशासी अभियंता से की थी। लेकिन उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। अपनी इस पीड़ा को उन्होंने अपने समाचार पत्र ‘नैनीताल समाचार’ में भी व्यक्त किया है। नए साल के अवसर पर वह लिखते हैं कि ‘फ्लैट्स स्थित बास्केटबॉल कोर्ट की ओर उतर रहा था तो नजर कैपीटल सिनेमा के सामने एक लम्बे से खम्भे पर टंगे बड़े से भगवा झंडे पर पड़ी। अरे, यह कब लगा होगा होगा यहां पर? दो दिन पहले तक तो नहीं था। कितना अटपटा लग रहा है? पहले ही बहुत कुरूप हो चुके नैनीताल पर एक और धब्बा। भगवा रंग तो हिंदुओं में श्रद्धा का प्रतीक है। भगवा चोला पहने किसी संन्यासी, भले ही वह कैसा हो, के सामने ही हाथ सम्मान के लिए उठ जाते हैं। तो क्या अब यहां से आने-जाने वाले कैपीटल सिनेमा में चल रही ‘लील-अश्लील’ फिल्मों को भी हाथ जोड़ेंगे?
जान की सुरक्षा की गुहार

हाईकोर्ट ने बेशक स्मृति नेगी के पक्ष में न्याय दिया है। उस पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने पर पुलिस को फटकार लगाई है। यही नहीं हाईकोर्ट ने पीड़िता की एफआईआर पर तुरंत रोक लगा दी है लेकिन अभी भी वह और उसका परिवार भयभीत है। इस बाबत वह गत 19 फरवरी को नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के समक्ष एक तहरीर दे चुकी है। जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक बातों और मिली धमकियों का जिक्र करते हुए रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की है। साथ ही स्मृति ने उत्तराखण्ड सरकार को भी इस मामले को संज्ञान में लेने की अपील की है। लेकिन अभी तक उसकी मांग पर पुलिस प्रशासन गंभीर नहीं हुआ है। वह कहती है कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद् के लोग उत्तराखण्ड ही नहीं पूरे देश में हैं। क्योंकि उसकी भगवे झंडे पर सवाल उठाने वाली वीडियो वायरल हो चुकी है जिसमें कोई भी उसके चेहरे को पहचान कर उस पर तथा उसके परिवार पर हमला कर सकता है। ऐसे में स्मृति नेगी ने अपनी तथा अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
बात अपनी-अपनी
वह लड़की जिसने भगवे झंडे पर ऑब्जेक्शन किया है वह बहुत समझदार लगती है। वह हर विषय के बारे में अच्छी जानकारी रखती है। लेकिन वह जय श्री राम का नाम लेकर हत्याएं और बलात्कार की बातें कह रही है, वह गलत है। हमें इस मामले में हाईकोर्ट की अगली तारीख का इंतजार है।
सरिता आर्या, विधायक नैनीताल
यह झंडा नगर पालिका परिसर में यानी सरकारी जगह पर लगा है, तो ऐसे में स्मृति नेगी का इस पर सवाल उठाना वाजिब है। सविधान और नियम के तहत इस झंडे को सही नहीं ठहराया है। उसका कहना सही है कि अगर झंडे लगे तो सभी धर्मों के लगे नहीं तो इसे हटाया जाना चाहिए। कुछ लोगों ने स्मृति नेगी की निष्पक्ष आवाज को हिंदूओं के विरोध से जोड़कर मामले को दूसरा रंग देना चाहा। हाईकोर्ट ने भी इस मुद्दे पर अपना रूख सकारात्मक रखा है। ऐसे में इस झंडे को वहां से हटाना ही उचित होगा।
संजीव आर्या, पूर्व विधायक नैनीताल
माननीय न्यायालय में मामला लंबित है। फिलहाल हम कुछ नहीं कहेंगे।
पंकज भट्ट, वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक नैनीताल
मैंने इस भगवा झंडे को नए साल के दूसरे दिन ही देखा और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखकर इसे हटवाने की मांग की थी। झंडा तो नहीं हटा और न ही कोई कार्रवाई हुई लेकिन भक्तों ने मुझे निशाने पर ले लिया। अब स्मृति नेगी को भी इन्हीं भक्तों की नाराजगी का शिकार होना पड़ रहा है।
राजीव लोचन शाह, संपादक नैनीताल समाचार
मुझे और मेरे परिवार को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोगों से खतरा है। पुलिस ने कंपलेंड नंबर दस और बारह दर्ज कर ली है लेकिन मेरी कंपलेंड जो 11 नंबर है उसे दर्ज करना तो दूर अपने पुलिस पोर्टल पर दर्शाया तक नहीं है। मेरे मामले में पुलिस का एक्शन न लेना इस तरह के अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के हौसले बढ़ा रहा है यदि मुझे इन लोगों द्वारा कुछ नुकसान पहुंचाया जाता है तो उसकी जिम्मेदारी उत्तराखण्ड पुलिस और प्रशासन की होगी।
स्मृति नेगी, यूट्यूबर