[gtranslate]
Uttarakhand

स्वास्थ्य विभाग को संभालने में फिर सामने आई मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की नाकामी

प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर से सवालों के घेरे में है। कोरोना संकट में अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाने के बजाय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर तमाम तरह के आरोप लग रहे हैं। यह स्थिति तब है जबकि स्वयं मुख्यमंत्री स्वास्थ्य विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं। आज मुख्यमंत्री के विभाग के हालात इस कदर हो चुके हैं कि एक डॉक्टर को अपने ही विभाग के उच्चाधिकारियों के खिलाफ सत्याग्रह करना पड़ रहा है। हैरत की बात यह है कि धरने पर बैठने वाला चिकित्सक मुख्यमंत्री का सरकारी फिजिशियन भी है। बावजूद चिकित्सकों को अपनी मांगां के लिए धरने पर बैठना पड़ा।

देहरादून के पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय जिला चिकित्सालय कोरोनेशन के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ नंदन सिंह बिष्ट ने सीएमओ बीसी रमोला पर उत्पीड़न के साथ ही कई गंभीर आरोप लगाए हैं। गांधी शताब्दी अस्पताल में मौन व्रत रखकर सत्याग्रह आंदोलन आरंभ कर दिया है। डॉ बिष्ट ने तीन पृष्ठों में अपनी बात को सार्वजनिक करते हुए आरोप लगाया कि मार्च से ही डॉ बीसी रमोला उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। अनाधिकृत तौर पर हस्तक्षेप कर मनमानी कर रहे हैं।

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ नंदन सिंह बिष्ट

डॉ बिष्ट की मानें तो प्रदेश में कोरोना संकट के दौरान उनके साथ गैर पेशेवराना व्यवहार किया गया जबकि वे कोविड 19 फिजिशियन के तौर पर काम कर रहे हैं। न सिर्फ उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, बल्कि उनको मीटिंग में भी सार्वजनिक तौर पर डॉ बीसी रमोला द्वारा अपमानित किया गया। इसके अलावा उनकी वार्षिक चरित्र पंजिका में भी प्रतिकूल टिप्पणी दी गई, जबकि विगत वर्ष उनकी वार्षिक चरित्र पंजिका में उत्कृष्ट सेवा का उल्लेख किया गया था।

डॉ बिष्ट द्वारा जारी पत्र में सीएमओ बीसी रमोला पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं जिनमें डायलिसिस सेंटर में हैपेटाईसिस फैलाने का आरोप लगाया गया है जिसके कारण डॉ एनएस बिष्ट को मानवाधिकार आयोग में उपस्थित होना पड़ा था। कोरोनेशन अस्पताल के भवन में पीपीपी मोड में संचालित होने वाले फोर्टिस अस्पताल में अवैध कैंटीन के संचालन करने और गांधी अस्पताल की महिला चिकित्सकों, नयूरो सर्जन के खिलाफ मीडिया में खेल रचने का भी आरोप लगाया गया है।

डॉ बिष्ट के मौन सत्याग्रह की सूचना मिलते ही शासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। और डॉ बिष्ट को सत्याग्रह समाप्त करने के लिए मनाने का प्रयास किया जाने लगा, परंतु डॉ बिष्ट ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगों पर कार्यवाही नहीं की जाती तब तक वे अपना सत्याग्रह समाप्त नहीं करने वाले। आखिरकार स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा इस मामले का हल करने के लिए स्वास्थ्य निदेशक डॉ एसके गुप्ता, पीएमएस सचिव डॉ नरेश नपलच्याल और चिकित्सा अधीक्षक डॉ मनोज उप्रेती को वार्ता के लिए भेजा गया। तीनों के साथ डॉ बिष्ट की वार्ता हुई और डॉ बिष्ट की मांगें माने जाने और सीएमओ रमोला पर लगाए गए आरोपों की जांच करने के आदेश जारी करने पर ही यह मामला समाप्त हुआ।

चिकित्सा अधीक्षक द्वारा जारी किए गए पत्र में डॉ बिष्ट द्वारा की गई मांगों में सहमति जताई गई जिसमें समस्त स्टाफ और नर्सों की रोटेशन के हिसाब से ड्यूटी लगाने ओैर जिला चिकित्सा देहरादून में कार्यरत समस्त स्वास्थ्य कर्मियों की वर्ष 2019-20 की एसीआर में बहुत विशेष अपरिहार्य कारणों को छोड़कर किसी की भी एसीआर में प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की जाएगी। इसके साथ ही महात्मा गांधी नेत्र चिकित्सालय में मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून का अनाधिकृत हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाएगा। इसके अलावा डॉ बीसी रमोला द्वारा किए गए सभी कार्यों की समीक्षा और उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए पत्र प्रेषित किया जाएगा।

डॉ बिष्ट द्वारा किया गया सत्याग्रह आखिरकार विभाग के उच्चाधिकारियों ने समाप्त तो कर दिया। लेकिन इस सत्याग्रह में कई बातें ऐसी भी सामने आई हैं जिससे साफ पता चलता है कि स्वास्थ्य विभाग में कुछ नहीं, बल्कि बहुत कुछ ऐसा हो रहा हे जिसे जान बूझकर अनदेखा किया जाता रहा है। चाहे वह गंभीर आरोपां की बात हो या विभागीय स्तर पर लिए जा रहे निर्णयों की बात हो। डॉ बिष्ट की मांगों को मानने के लिए जारी किए गए पत्र से यह साफ हो गया है कि डॉ बीसी रमोला आज भी कोरोनेशन और गांधी नेत्र चिकित्सालय में हस्तक्षेप कर रहे हैं। स्वयं विभाग ने इस बात को एक तरह से लिखा है कि उनको हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाएगा। हैरत की बात यह है कि अब डॉ रमोला दून अस्पताल के सीएमओ हैं, लेकिन आज भी वे अपना दखल अपने पुराने अस्पतालों में रखते रहे हैं।

कोरोनेशन अस्पताल के अधीक्षक डॉ बीसी रमोला

कोरोनेशन अस्पताल के अधीक्षक पूर्व में डॉ बीसी रमोला रहे हैं। वर्तमान में उनको तरक्की देकर दून अस्पताल का सीएमओ बनाया गया है जबकि उन पर कोरोनेशन अस्तपाल में योन उत्पीड़न के आरोप भी लग चुके हैं। यह मामला काफी सुर्खियों में रहा। लेकिन जांच का अभी तक कोई अता-पता नहीं है। डॉ बिष्ट द्वारा डॉ बीसी रमोला पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं जिनकी जांच करने का आश्वासन दिया गया है तो स्पष्ट हे कि स्वयं विभाग भी अपने उच्चाधिकारियों के मामलों से अनभिज्ञ नहीं है। लेकिन राजनीतिक रसूख और शासन में गहरी पैठ रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच या कार्यवाही सामने नहीं आ पाती है। डॉ एलएस बिष्ट को आखिरकार मजबूरी में मौन सत्याग्रह करना पड़ा उन्होंने चिकित्सकों द्वारा पहने जाने वाले एप्रिन को उल्टा करके पहना और अपना स्टेथिस्कोप को उल्टा पीठ पर लटकाकर अपना सत्याग्रह आरंभ किया।

डॉ बिष्ट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकारी फिजीशियन है जिसके चलते शासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री सचिवालय में भी इस मामले को लेकर खासी हलचल हुई और एक मुख्यमंत्री के सरकारी चिकित्सक को अपने ही विभाग के उच्चाधिकारी के खिलाफ सत्याग्रह करने पर हंगामा हुआ और कुछ ही घंटों में मामले को न सिर्फ सुलझाया गया यहां तक कि डॉ बिष्ट की तकरीबन सभी मांगें मान ली गई।

स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के पास होने के बावजूद इसकी कार्यशैली हमेशा विवादों में ही रही। पिछले वर्ष प्रदेश में डेंगू महामारी का रौद्र रूप देखने को मिला और पहली बार राजधानी देहरादून में भी हजारों की तादात में डेंगू मरीजों का आंकड़ा पहुंच गया। तब भी स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही बरतने के आरोप लगे थे। हालांकि तब भी मुख्यमंत्री अपने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का ही बचाव करते रहे लेकिन वर्तमान में कोरोना संकट के दौरान जिस तरह से विभाग के हालात समाने आ रहे हैं उससे विवादों का जन्म होना कोई बड़ी बात नहीं है।

कोरोना संकट से निपटने के लिए आयुष चिकित्सकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करने और उनको एलोपैथिक चिकित्सकों जैसी सुविधा, यहां तक कि रोटेशन के हिसाब से ड्यूटी न लगाने तथा दो सप्ताह के बाद भी होम क्वारंटीन न करने का आरोप स्वास्थ विभाग के अधिकारियों पर लग चुका है। अब अपने ही विभाग के अधिकारी के खिलाफ सत्याग्रह के मामले से यह साफ हो चुका है कि मुख्यमंत्री विभाग के अधिकारियों पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। हालांकि जिस तरह से मामले को महज कुछ ही घ्ांटों में निपटाया गया है वह अपने आप ही एक मिशाल कही जा सकती है। लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि जिन मांगों पर सत्याग्रह आरंभ किया गया था उन पर सरकार, शासन ओैर स्वास्थ्य विभाग क्या कार्यवाही अमल में लाता है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD