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Uttarakhand

कांग्रेस भीतर फिर से उभरी गुटबाजी

उत्तराखण्ड में हालिया संपन्न मतदान बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भीतर आत्मविश्वास तेजी से बढ़ रहा है। इस आत्मविश्वास के चलते चुनाव नतीजों से पूर्व ही पार्टी भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर घमासान शुरू हो चला है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपनी दावेदारी यह कहते हुए पेश कर दी हैं कि ‘या तो सीएम बनूंगा या घर बैठूंगा।’ इस बयान के बाद उनके विरोधी भी सक्रिय हो उठे हैं

उत्तराखण्ड सहित पांच महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में यूं तो 14 फरवरी को मतदान हो चुका है। नतीजे 10 मार्च को आएंगे जिसके बाद ही तय होगा कि आखिर इस बार राज्य में किसकी सरकार सत्ता पर काबिज होगी, लेकिन कांग्रेस में नतीजे आने से पहले ही सीएम पद को लेकर एक बार फिर घमासान शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस बयान पर कि पार्टी के सत्ता में आने पर या तो वह सीएम बनेंगे या घर बैठेंगे, को लेकर अब नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि सीएम कौन बनेगा, यह राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा। प्रीतम सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने तय किया था कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। चुनाव परिणाम के बाद जब सरकार बनेगी तो कांग्रेस विधानमंडल दल और राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि किसे जिम्मेदारी सौंपी जानी है। हर व्यक्ति की अपनी इच्छा हो सकती है, लेकिन जब हम राजनीतिक दल में होते हैं तो दल ही निर्णय लेता है। उनके इस बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के तेवर कुछ हद तक नरम पड़ गए हैं। हरीश रावत ने कहा है कि मुख्यमंत्री का चयन पार्टी हाईकमान करेगा।

प्रदेश उपाध्यक्ष और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार ने रावत के बयान की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रदेश की जनता रावत को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। इस चुनाव में ही नहीं बल्कि अब तक हुए हर चुनाव में रावत के नाम पर वोट पड़ते आए हैं। रावत को तो साल 2002 में ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था। रावत ने अभी कुछ दिन पहले भी खुद को सीएम बनाने की बात कही है, और अब एक बार फिर उन्होंने जनता की भावना को ही सामने रखा है।

दूसरी तरफ राज्य में 14 फरवरी को मतदान के बाद जहां कांग्रेस बहुमत के साथ सत्ता में आने के दावे कर रही है। वहीं चुनाव के बाद देहरादून पहुंचे पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्रेज होने की बात को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार और प्रत्याशियों को लोगों ने व्यक्तिगत रूप से पसंद नहीं किया, लेकिन खास तौर पर पहाड़ों में मोदी का क्रेज दिखाई दिया है। हरक सिंह रावत इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन कई सीटों पर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया है।

मतदान के बाद देहरादून पहुंच कर हरक सिंह ने कार्यकर्ताओं के साथ ही अपने अनुभवों को साझा किया है। हरक सिंह रावत ने कहा कि ‘कांग्रेस 40 से अधिक सीटों के साथ सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में किसी नेता को किसी भी तरह के बयान देने से बचना चाहिए। चुनाव प्रचार के दौरान मैंने देखा कि भाजपा सरकार और प्रत्याशियों को लोग व्यक्तिगत रूप से पसंद नहीं कर रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्रेज बरकरार है। पहाड़ों में लोगों ने मोदी के नाम पर ही वोट डाले हैं।’

गौरतलब है कि कांग्रेस ने उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया। हालांकि रावत गुट शुरू से रावत को मुख्यमंत्री चेहरा बनाने की पैरवी करता रहा है। अब रावत की मीडिया से
बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। रावत इस बातचीत में कहते सुने जा रहे हैं कि ‘मैं यदि हूं तो अपनी सोच के उत्तराखण्ड का विकास करूंगा। यह जरूर है कि सभी की सोच को समावेशित करूंगा। अब वक्त नहीं है कि केवल पद के लिए मैं अपनी सोच के साथ समझौता कर लूं। अब मेरी उम्र यह नहीं रही है कि मैं मैं मैं कहूं कुछ करूं। यह साफ सी बात है कि हरीश रावत या तो मुख्यमंत्री बने या फिर घर बैठे। मैं पद के लिए सोच के साथ समझौता नहीं कर सकता।’ वोटिंग के दिन भी रावत ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया पेज पर वीडियो जारी करते हुए जनता से मतदान की अपील की थी। इसमें उन्होंने कहा कि आप मुझे सीएम के रूप में देखना चाहते हैं तो फिर घर से निकलिए, वोट डालिए और कांग्रेस को बहुमत से विजयी बनाइए।

निर्दलियों पर कांग्रेस की नजर
कांग्रेस पार्टी राज्य में लड़ रहे निर्दलियों पर भी नजर रखे हुए है। अगर पिछले चार चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। राज्य में 2002, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में चार-चार निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे। जबकि 2017 में दो निर्दलीय जीतने में कामयाब रहे। लिहाजा कांग्रेस को लग रहा है कि उसे अगर बहुमत के लिए कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल जाए तो वह राज्य में सरकार आसानी से बना सकती है। फिलहाल चुनाव में यमुनोत्री से संजय डोभाल, केदारनाथ से कुलदीप रावत, रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल, देवप्रयाग से यूकेडी दिवाकर भट्ट और खानपुर से उमेश कुमार सहित कई सीटों पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

किला दुरुस्त करने में जुटे हरीश
असल में चुनाव के बाद हल्द्वानी में डेरा जमाए हरीश रावत अपना किला मजबूत कर रहे हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि 10 मार्च के बाद अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो वह सीएम के दावेदार हो सकते हैं। वहीं प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल भी हरीश रावत के लिए चुनौती बन सकते हैं। लिहाजा वह वहां बैठकर सियासी रणनीति बना रहे हैं। पिछले दिनों ही कांग्रेस के कई बड़े नेता, विधायक-पूर्व विधायक रावत से मिलने हल्द्वानी पहुंचे। इन नेताओं में पूर्व मंत्री यशपाल आर्या, विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, हरीश सिंह धामी और महेश शर्मा, सुमित हृदयेश शामिल रहे।

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