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Uttarakhand

चारधाम की चरमराई व्यवस्था

उत्तराखण्ड के खूबसूरत पहाड़ों पर हर साल गर्मियों के महीनों में चारधाम यात्रा का आयोजन होता है। इस यात्रा का हिंदुओं में काफी महत्व है। माना जाता है कि यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के समस्त पाप धुल जाते हैं और आत्मा को जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसके चलते हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं को यात्रा में किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए राज्य सरकार हर संभव स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रही है। लेकिन केदारनाथ की भाजपा विधायक शैला रानी रावत ने प्रदेश के मुख्य सचिव के समक्ष यात्रा से संबंधित समस्याओं का समाधान करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने यह भी धमकी दे डाली है कि अगर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वह धरना देने पर मजबूर होंगी

 

वर्ष 2022, जब चारधाम यात्रा पर प्रशासन की लचर शैली सामने आई थी और इसके चलते 200 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। तब भाजपा के एक प्रवक्ता शादाब शम्स जो वर्तमान में वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, की एक वीडियो वायरल हुई थी। जिसमें उनको यह कहते हुए सुना गया कि ‘चारधाम यात्रा के तीर्थयात्री स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को छिपा रहे हैं और इस विश्वास में कठिन यात्रा कर रहे हैं कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो वे ‘मोक्ष’ प्राप्त कर लेंगे।’ इस वीडियो ने विवाद का रूप धारण कर लिया था। उत्तराखण्ड के कांग्रेस नेताओं ने शम्स से माफी की मांग की थी और उन पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस नेताओं का दावा था उनकी यह टिप्पणी सरकार के कुप्रबंधन को छिपाने का एक प्रयास था।

 

चारधाम की अव्यवस्था को लेकर मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र

अब गत 22 अप्रैल को शुरू हुई चारधाम यात्रा को खुले अभी डेढ़ माह ही हुए हैं। चारधाम यात्रा में दर्शनार्थियों को कोई समस्या न हो इसलिए जिला प्रशासन अपनी पूरी कोशिश में लगा हुआ है। दूसरी ओर जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अब तक कुल 58 दर्शनार्थियों की मौत हो चुकी है। यह तब है जब जगह-जगह पैदल मार्ग से लेकर सड़क मार्ग पर 5 किलोमीटर के अंतराल पर बड़े अस्पताल से लेकर छोटे स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं। ताकि यात्रियों का चैकअप वक्त पर हो सके और उन्हें जल्द इलाज मिल सके। लेकिन इसके बावजूद दर्जनों लोगों की जान जाना प्रशासन के इंतजामों पर सवाल खड़े करता है। हालांकि अधिकतर मौतों का कारण हार्ट अटैक बताकर प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से मुकरना चाहता है। ऐसे में यह प्रश्न खड़ा होता है कि स्वास्थ्य विभाग जब इतने दावे कर रहा है तो भी इतनी मौतें क्यों हो रही हैं? कहीं यह प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा तो नहीं?

स्वास्थ्य विभाग अपने बचाव में जो आंकड़े पेश कर रहा है उनके अनुसार लगभग 2 हजार 400 लोगों को उनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति के कारण यात्रा पर जाने से पहले चेतावनी दी गई थी। उन लोगों से एक कागज पर हस्ताक्षर कराए गए, जिस पर लिखा था कि तीर्थ यात्रा के दौरान अगर उनके साथ कोई अनहोनी होती है तो उसके जिम्मेदार वे स्वयं होंगे। यही नहीं चारधाम यात्रा पर गए श्रद्धालुओं के लिए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा एक एडवाइजरी भी जारी की गई है जिसमें सरकार ने कहा है कि यात्रा शुरू करने से पहले वहां के माहौल और मौसम के अनुसार अपने आपको ढालना चाहिए। चारधाम यात्रा से संबंधित मंदिर हिमालय पर 2 हजार 700 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है। सभी तीर्थयात्रियों को चढ़ाई शुरू करने से पहले चिकित्सा और ट्रैक संबंधी सारी तैयारी कर लेनी चाहिए। अधिक ऊंचाई के कारण यात्री अत्यधिक ठंड, सांस लेने में समस्या, हार्ट की समस्या से जूझ सकते हैं।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि यात्रियों को यात्रा के दौरान कोई दिक्कत न हो इसी के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ ़ मनसुख मांडविया ने दावा किया था कि चार धाम यात्रा पर जाने वाले तीर्थ यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने तीन स्तरीय स्वास्थ्य सेवा का ढांचा तैयार किया है। यात्रियों को कभी-कभी अचानक यात्रा के दौरान स्ट्रोक आ जाते हैं। जिससे निपटने के लिए अग्रिम एंबुलेंस और स्ट्रोक वैन के एक मजबूत नेटवर्क की योजना सुनिश्चित की गई है। यह इस तरह से बनाई गई है कि स्ट्रोक और उपचार स्वास्थ्य सुविधा के रास्ते में शुरू हो सके। ये एंबुलेंस यात्रा मार्ग के विभिन्न बिंदुओं पर तैनात रहेंगी। यात्रा की अवधि के दौरान स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए देश भर के मेडिकल कॉलेजों के पीजी छात्रों को मजबूत हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर के हिस्से के रूप में तैनात किया गया है। यही नहीं बल्कि केंद्र सरकार ने चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा करते हुए राज्य को 28.13 करोड़ के अतिरिक्त बजट की स्वीकृति दी थी। इसके अलावा चारधाम यात्रा यात्रियों को विशेष स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिये 100 स्वास्थ्य मित्रों की तैनाती के साथ ही यात्रा में तैनात चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन भत्ता भी स्वीकृत किया गया है।

केदारनाथ धाम की बात करें तो यहां तीर्थ यात्रियों के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाआें एवं व्यवस्थाओं को जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के नेतृत्व एवं निर्देशन में किया जा रहा है ताकि केदारनाथ धाम में दर्शन करने आ रहे तीर्थ यात्रियों को कोई असुविधा न हो। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशन में यात्रा मार्ग के संवेदनशील स्थानों पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए विशेष योजना बनाई गई है। जबकि अतिसंवेदनशील स्थानों कुवेर ग्लेशियर एवं भैरव ग्लेशियर प्वॉइंट पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, एनडीआरएफ, वाईएमएफ व पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं जो यात्रियों को ग्लेशियर से आर-पार कराने में उनकी मदद करते हैं ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना घटित न होने पाएं। श्रद्धालुओं की परेशानी को देखते हुए कुवेर ग्लेशियर से यात्रा मार्ग को घोड़े- खच्चरां के लिए सुचारू कर दिया गया है।

शैलारानी की समस्याएं
केदारनाथ की भाजपा विधायक ने प्रदेश के मुख्य सचिव एसएस संधु को केदारनाथ यात्रा व्यवस्थाओं को मजबूत एवं सुगम बनाने के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें उन्होंने कहा कि श्री केदारनाथ यात्रा अपने चरम पर है। सरकार एवं शासन-प्रशासन द्वारा यात्रा को सुगम एवं सरल बनाने हेतु बहुत प्रयास किए गए हैं। किंतु कुछ यात्रा व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने की अभी भी आवश्यकता है। यह यात्रा कुंभ से भी बड़ी यात्रा है जिसमें अतिरिक्त वित्तीय व्यवस्था एवं अतिरिक्त जनशक्ति की आवश्यकता है। जिससे श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। इसलिए रात्रि के समय श्री केदारनाथ धाम से श्रद्धालओं एवं तीर्थ यात्रियों के आवगमन पर रोक लगाई जाए। क्योंकि पुरानी परंपरानुसार रात्रि के समय यात्रा संचालित नहीं होती एवं रात्रि के समय पैदल मार्ग पर जंगली जानवरों एवं पत्थर गिरने का भय बना रहता है। इसके अलावा गढ़वाल मंडल विकास निगम लि ़ द्वारा केदारनाथ में लगाए गए टेंटों की संख्या को सीमित किया जाए। जिससे स्थानीय बेरोजगार अपनी छोटी-छोटी दुकानें एवं टेंट लगाकर स्वरोजगार कर सकें। क्योंकि यह स्थानीय गरीब एवं बेरोजगारों का रोजगार का एकमात्र साधन है। केदारनाथ विधायक के अनुसार श्री केदारनाथ यात्रा के शेरसी से सोनप्रयाग के मध्य आये दिन लगने वाले वाहनों के जाम से निजात दिलाने की समुचित टै्रफिक व्यवस्था किये जाने की नितांत आवश्यकता है। साथ ही केदारनाथ यात्रा के सफल संचालन एवं निगरानी हेतु अलग से मैजिस्ट्रेट की नियुक्ति की जाय ताकि वे यात्रा व्यवस्था में लगे सभी विभागीय कर्मचारियों से समन्वय स्थापित कर सकें। यही नहीं बल्कि श्री केदारनाथ यात्रा के उचित संचालन हेतु अतिरिक्त मैन पावर बढ़ाई जाय। जिसमें अतिरिक्त पुलिस बल, एसडीआरएफ, वाईएमएफ, आर्मी एवं अतिरिक्त पीआरडी जवानों की नियुक्ति की जाय। रावत ने कहा कि श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के कर्मचारियों के द्वारा श्रद्धालुओं एवं तीर्थ यात्रियों को दर्शन कराने के अतिरिक्त यात्रा व्यवस्था का कार्य भी दिया जाय। जिससे यात्रा व्यवस्था और मजबूत हो सके तथा केदारनाथ यात्रा में संचालित घोड़े-खच्चरों को जरूरत के अनुसार लाइसेंस एवं रजिट्रेशन किए जाए एवं संचालन की उचित व्यवस्था की जाय जिससे यात्रा सुचारू रूप से संचालित हो सके।

गौरीकुंड स्थित घोड़ा पड़ाव में आपदा में बहे पुल का पुननिर्माण किए जाने की नितांत आवश्यकता है। इस पुल के निर्माण से घोड़ा पड़ाव/पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की अनावश्यक भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि श्री केदरारनाथ यात्रा से संबंधित उपरोक्त बिंदुओं का समाधान गंभीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई करने का कष्ट करें। अन्यथा मुझे धरना देने हेतु बाध्य होना पड़ेगा।

भारी भीड़, लगानी पड़ी रजिस्ट्रेशन पर रोक
चारधाम यात्रा में पहुंची श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ ने सरकार और प्रशासन की नींद उड़ा दी है। क्षमता से ज्यादा लोगों के आने पर पैदा हो रही अव्यवस्थाओं को देखते हुए सरकार ने तीन दिन तक के लिए केदारनाथ के ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगानी थी।। इससे पहले मौसम को देखते हुए ही रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को रोका जाता था।

हेल्थ एटीएम का प्रयोग
उत्तराखण्ड सरकार ने चारधाम यात्रा पर स्वास्थ्य के मामले में इस बार हेल्थ एटीम का नया प्रयोग किया है। इसके तहत हेवलेट पैकर्ड एंटरप्राइज ने 50 क्लाउड सक्षम हेल्थ कियोस्क (हैल्थ एटीएम) स्थापित किए हैं। यह हैल्थ एटीएम राज्य में तीर्थयात्रियों को उनकी चारधाम यात्रा के दौरान टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान करने के लिए वन-स्टॉप डिजिटल टच प्वॉइंट एकीकृत मशीनें लगाई गई हैं। ये एटीएम ऐसे स्थानों पर स्थापित किए गए हैं जहां तीर्थयात्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की तीर्थ यात्रा के दौरान आमतौर पर विश्राम लेते हैं। इन स्वास्थ्य कियोस्क का मुख्य उद्देश्य दूर-दराज के क्षेत्रों में तीर्थयात्रियों की यात्रा के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा तक उनकी पहुंच को आसान बनाना है। हेल्थ कियोस्क एक टच स्क्रीन मशीन है। यह मशीन पंद्रह मिनट के भीतर रोगी की ऊंचाई, वजन, शरीर का तापमान, रक्त ग्लूकोज, रक्तचाप और गैर-आक्रामक रक्त परीक्षण, हृदय जांच और ऑक्सीजन का स्तर सहित 70 से अधिक मेडिकल टेस्ट की तुरंत रिपोर्ट देती है। यह अपनी टेलीमेडिसिन परामर्श सुविधा के माध्यम से रोगियों को स्पेशलिस्ट और प्रमाणिक डॉक्टरों और अस्पतालों से सर्वोत्तम उपचार के लिए परामर्श देने में भी मदद करता है।

20 जून तक पहुंचे तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा
केदारनाथ – 10 लाख 12 हजार 124
बदरीनाथ – 8 लाख 84 हजार
गंगोत्री – 5 लाख 35 हजार 325
यमनोत्री – 4 लाख 65 हजार
हेमकुंड साहिब – 84 हजार 223

 

20 जून तक चार धाम यात्रा में हुई मौत
केदारनाथ – 69
यमुनोत्री – 28
बदरीनाथ – 20
गंगोत्री – 16
हेमकुंड साहिब – 15
केदारनाथ में घोड़े खच्चर – 85

बात अपनी-अपनी
केदारनाथ यात्रा में सबसे बड़ी असुविधा गौरी पुल के न बनने की वजह से हो रही थी यह पुल 2013 की आपदा में टूट गया था जो अभी तक नहीं बना है। हालांकि अब इस पुल को बनाने की सरकार ने सहमति दे दी हैं इसी के साथ सुलभ शौचालय ट्रैफिक व्यवस्था और मेन पॉवर की भी कमी थ जिसे पूरा करने का आश्वासन दिया गया है। मेरा सबसे ज्यादा विरोध रात की यात्रा को लेकर था। क्योंकि यात्री रात को भी यात्रा पर रहे थे जो खतरनाक है। 18 किलोमीटर रास्ते में जंगली जानवरों को भी खतरा रहता है। इस कारण यात्रियों के रात में भी निरंतर चलने से मौतें अधिक होने का खतरा बना रहता है। पहले जब यात्रा होती थी तो तीर्थयात्री रात में रूक जाते थे और अगले दिन ही यात्रा शुरू करते थे इससे उनका शरीर अधिक ठंड को मौसम के अनुरूप ढालने में सक्ष्म होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। अब यात्रा के रात में रूकने पर यात्रियों का शरीर मौसम के अनुरूप झेलने में मददगार होगा तथा मौतें कम होंगी। हमने रात में यात्रियों की रोक की मांग की थी जबकि सामान ढोने वालों पर कोई रोक नहीं लगाने की बात कही थी जिसे सरकार ने मान लिया है।
शैलारानी रावत, विधायक, केदारनाथ

भाजपा सरकार के सारे दावे फेल हो रहे हैं और चारधाम मार्गों पर यात्रा व्यवस्था के कुप्रबंधन के कारण लोगों की मौत हो रही है। दर्जनों तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। मैंने कहा था कि यात्रा मार्गों पर ऑक्सीजन पार्लर स्थापित किए जाएं। हमारे राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज दुबई में हैं, जबकि तीर्थयात्री यहां मर रहे हैं। जब प्रदेश सरकार असफल रही है तो यात्रा को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए केंद्र को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (एनडीआरएफ) और आईटीबीपी टीमों को भेजने का निर्णय लेना पड़ा। सीएम धामी और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को स्वास्थ्य सेवाओं में नाकामी पर तीर्थयात्रियों से माफी मांगनी चाहिए।
करण माहरा, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

शैला रानी के पत्र ने असमंजस से उबार दिया : रावत
श्रीमती रुशैलारानी रावत जी के पत्र ने मुझको एक बड़े असमंजस से उबार दिया! रुचारधाम यात्रा के प्रबंधन को लेकर बहुत सारी शिकायतें मुझ तक आ रही हैं। मगर चुनौती भी है यात्रा का संचालन! मैं संकोच में था, मगर इतना आग्रह मैंने मुख्यमंत्री जी से जरूर किया था कि वे हर तीसरे दिन यात्रा की परिस्थितियों को मॉनिटर करें और उनके पूर्व आदेशों का पालन हुआ है या नहीं हुआ है, इसको देखें! आज शैलारानी जी के पत्र ने उस असमंजस को समाप्त कर दिया है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री जी इस पत्र को अत्यधिक महत्व देंगे।
हरीश रावत की फेसबुक से

 

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