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Uttarakhand

भाजपामय हुआ समूचा गढ़वाल

प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखण्ड प्रेम और उत्तराखण्ड भीतर गढ़वाल के प्रति उनके अतिशय प्रेम ने इस पूरे क्षेत्र में कमल की सुनामी लाने का काम किया है। यहां की तीस विधानसभा सीटों में से सत्ताइस पर भाजपा की जीत ने जबरदस्त एन्टी इन्कमबेंसी फैक्टर को दरकिनार कर यह स्थापित कर डाला है कि प्रधानमंत्री पर देवभूमि की जनता का विश्वास बना हुआ है

गढ़वाल मंडल के देहरादून समेत सभी पांच पहाड़ी जिलां की 30 सीटों में से 26 सीटां पर 90 प्रतिशत जीत का आंकड़ा यह साबित करता है कि समूचा गढ़वाल मंडल भाजपामय हो चला है। भाजपा की जीत का आलम यहां तक रहा है कि जहां पौड़ी और रूद्रप्रयाग जिलों की सभी आठां सीटों पर भाजपा ने जीत हसिल की है तो देहरादून जिले की दस सीटां में से केवल चकराता सीट को छोड़कर सभी में भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिली है। यही हाल टिहरी और उत्तरकाशी जिलों का भी रहा है। जहां टिहरी की 6 में से 5 सीटां पर भाजपा ने अपना कब्जा किया तो वहीं उत्तरकाशी की 3 में से 2 सीटें पुरोला और गंगोत्री सीट पर भाजपा का परचम लहराया। दिलचस्प बात यह है कि श्रीनगर सीट पर भाजपा को सबसे कम 587 मतों से जीत हासिल हुई है तो रायपुर सीट से 30 हजार से ज्यादा मतां से जीत हासिल हुई है जबकि शेष सभी 27 सीटों पर जीत का अंतर तीन हजार से लेकर 20 हजार तक का रहा है।

गढ़वाल की सीटां पर भाजपा और कांग्रेस को अनेक सीटों पर बागियों से जूझना पड़ा। जहां भाजपा के मजबूत संगठन और चुनावी रणनीति के चलते कोई फर्क नहीं पड़ा वहीं कांग्रेस को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा। कांग्रेस के एक बागी को कामयाबी हासिल हुईं है। आम आदमी पार्टी का सबसे बुरा हाल हुआ है। अनेक सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हजार वोटां से आगे नहीं बढ़ पाये केवल मुख्यमंत्री के चेहरे अजय कोठियाल ही गढ़वाल क्षेत्र में 6 हजार वोट लाने में कामयाब तो हुए लेकिन अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये। देहरादून जिले में 10 सीटां में से 9 सीटों पर भाजपा की बड़े भारी अंतर से मिली जीत ने कांग्रेस की हकीकत सामने रख दी। हैरानी की बात यह है कि तमाम सर्वेक्षणां और मीडिया रिपोर्ट में कांग्रेस की 6 सीटों पर जीत हासिल होने की संभावनाएं जताई जा रही थी। लेकिन परिणाम इसके उलट आए। जिन सीटां पर कांग्रेस मजबूत बताई जा रही थी उन्हीं सीटां पर भाजपा ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है।

रायपुर, डोईवाला, केंट, ऋषिकेश मसूरी, राजपुर और धर्मपुर सीट पर भाजपा के उम्मीदवारों की जीत का अंतर 10 हजार से लेकर 30 हजार तक रहा। रायपुर से उमेश शर्मा काऊ लगातार तीसरी बार अपनी जीत को बरकरार रखने में कामयाब हुए हैं। उन्होने कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और दिग्गज नेता हीरा सिंह बिष्ट को 30 हजार 37 मतां के सबसे बड़े अंतर से चुनाव में पटखनी दी। डोईवाला सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के चुनाव न लड़ने के निर्णय के बाद भाजपा ने इस सीट पर पुराने भाजपा नेता बृज भूषण गैरोला को मैदान में उतरा जबकि कांग्रेस ने तमाम बड़े चेहरां को दरकिनार कर गौरव चौधरी को टिकट दिया। त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ डोईवला में जबर्दस्त एंटी इन्कमबेंसी के चलते माना जा रहा था कि डोईवाला सीट पर भाजपा की जीत के आसार कम हैं लेकिन भाजपा ने 29 हजार 21 मतों के अंतर से इस सीट पर दोबारा जीत हासिल की। कैंट सीट पर भाजपा की 8 बार के विधायक रहे हरवंश कपूर के निधन के बाद उनकी धर्मपत्नी सविता कपूर को अपना उम्मीदवार बनाया। इसके चलते भाजपा के स्थानीय दावेदारां में भारी नाराजगी थी और कैंट सीट पर भितरघात होने की आशंकायें जताई जा रही थी। कांग्रेस ने लगातार चार चुनाव हार चुके सूर्यकांत धस्माना को ही इस सीट से दोबारा उम्मीदवार बनाया लेकिन धस्माना की हार का सिलसिला सविता कपूर ने भी बरकरार रखा।

ऋषिकेश से लगातार चौथी बार प्रेमचंद अग्रवाल ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है। अग्रवाल ने कांग्रेस के जयेन्द्र रमोला को 19 हजार 57 मतां के बड़े अंतर से चुनाव में हराया। धर्मपुर सीट पर विनोद चमोली फिर से चुनाव जीत कर कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल को लगातार दो बार सीधे चुनाव में पटखनी दे चुके हैं। इस बार 10 हजार 90 मतों के अंतर से जीत रिहसल करने वाले चमोली के खिलाफ क्षेत्र में जबर्दस्त एंटी इन्कमबेंसी थी। भाजपा के मंडल स्तर के पदाधिकारियों ने चमोली के खिलाफ धरना और उनका घेराव भी किया था लेकिन तमाम आशंकाओं को धता बताते हुए चमोली चुनाव जीत गए। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम सहसपुर सीट का रहा है। भाजपा के सहदेव पुंडीर और कांग्रेस के आर्येन्द्र शर्मा के बीच जबर्दस्त कांटे का मुकाबला माना जा रहा था। लेकिन 8355 मतों के बड़े अंतर से सहदेव पुंडीर चुनाव जीतने में सफल रहे।
विकासनगर, मसूरी और राजपुर सीट पर भी भाजपा ने अपनी जीत को बरकरार रखा जहां मसूरी से गणेश जोशी लगातार चौथी बार चुनाव जीतने में सफल रहे तो विकास नगर से मुन्ना सिंह चौहान और राजपुर से खजानदास दूसरी बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

पहाड़ी जिलां की बात करें तो उत्तरकाशी, टिहरी, रूद्रप्रयाग और चमोली तथा पोड़ी जिलां में भी भाजपा ने जबर्दस्त जीत हासिल की है। उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री और पुरोला सीट पर भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए बड़ी जीत हासिल की है। गंगोत्री सीट पर वर्षों से चले आ रहे मिथक जिसकी ‘‘गंगोत्री उसकी सरकार’’ के चलते सबकी निगाहें लगी हुई थी। आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर चुनाव में उतरे रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया था। पूर्व विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद भाजपा ने इस सीट पर नये चेहरे सुरेश सिंह चौहान को मैदान में उतरा और 8 हजार 29 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। तमाम तरह के वादे और घोषणाओं के बावजूद आम आदमी पार्टी के अजय कोठियाल तीसरे स्थान पर ही सिमट गये। यहां तक कि वह अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। कोठियाल को महज 6161 ही मत मिले। पुरोला सीट पर बड़ा ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। भाजपा ने दुर्गेश लाल को टिकट दिया तो कांग्रेस ने मालचंद को चुनाव में उतारा। लेकिन मतदाताओं ने भाजपा पर ही अपना भरोसा बनाते हुए दुर्गेश लाल को 6296 से मतां से विजयी बनाया।

सिर्फ यमुनोत्री सीट ही एक ऐसी सीट रही जिसमें भाजपा के उम्मीदवार को करारी हार नसीब हुई है। दावेदारां के नाम का चयन होने के बाद से ही भाजपा मुख्य मुकाबले से ही बाहर मानी जा रही थी, और हुआ भी यही, मुकाबला कांग्रेस के दीपक बिजल्वांण और कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार संजय डोभाल के ही बीच रहा जिसमें संजय डोभाल 6629 मतां के बड़े अंतर से चुनाव जीत गये। भाजपा के भाजपा के केदार सिंह रावत 10620 मत पाकर तीसरे स्थान पर खिसक गए। टिहरी जिले में भाजपा ने 2017 की ही तरह 6 सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखा। 2017 में जहां धनौल्टी सीट को छोड़ कर अन्य सभी पांचों सीट भाजपा के पास थी तो 2022 में प्रताप नगर सीट भाजपा के पाले से खिसक कर कांग्रेस के पाले में आ गईं। धनौल्टी सीट पर भाजपा ने पूर्व कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे पीडीएफ कोटे के निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार को भाजपा में शामिल करा चुनाव में उतरा तो कांग्रेस की ओर से कांगेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट चुनावी मैदान में थे जबकि भाजपा से बगावत कर के पूर्व विधायक महाबीर सिंह रांगड़ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। मतदाताओं ने फिर से प्रीतम सिंह पंवार को इस सीट पर विजयी बनाया।

टिहरी सीट पर बड़ा ही दिलचस्प चुनावी खेल देखने को मिला। भाजपा ने अपने सिटिंग विधायक धन सिंह नेगी का टिकट काट कर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को अपना उम्मीदवार बनाया तो धन सिंह नेगी भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मेदान में उतरे। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा था और तमाम सर्वे और चर्चाओं में उत्तराखण्ड जन एकता पार्टी के दिनेश धनै को सबसे मजबूत उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था। चुनावी परिणाम आने के बाद मुख्य मुकाबला भाजपा के किशोर उपाध्याय और दिनेश धनै के बीच ही रहा। कांटें के मुकाबले में किशोर उपाध्याय महज 951 मतां से विजयी हुये। घनशाली सीट पर भाजपा के शक्ति लाल शाह ने कांग्रेस के धनीलाल शाह को 10685 मतां के बड़े अंतर से हरा कर फिर से इस सीट को भाजपा के खाते में किया। भाजपा के लिये नरेन्द्र नगर सीट पर सबसे चौंकाने वाला मुकाबला देखा गया। धामी सरकार में कृषि एवं उद्यान मंत्री रहे सुबोध उनियाल और भाजपा से बगावत कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरे पूर्व विधायक ओम गोपाल सिंह रावत के बीच मुकाबला इस कदर कड़ा रहा कि सुबोध उनियाल महज 1798 मतों के अंतर से चुनाव जीत पाए। जबकि 2017 में उनियाल को 4972 मतों से जीत हासिल हुई थी।

रूद्रप्रयाग जिले की दोनों सीटां पर भाजपा ने जीत हासिल की है। केदारनाथ सीट पर मुख्य मुकबला भाजपा की शैला रानी रावत और निर्दलीय कुलदीप रावत के ही बीच रहा। शैला रानी ने 8463 मतां से जीत दर्ज की जबकि कांग्रेस के विधायक मनोज रावत तीसरे स्थान पर खिसक गए। रूद्रप्रयाग सीट पर भाजपा के भरत सिंह चौधरी ने कांग्रेस के प्रदीप थपलियाल को 9802 मतां के बड़े अंतर से हराया। चमोली जिले की तीनों सीटां पर जहां भाजपा ने थराली और कर्णप्रयाग सीट पर अपनी जीत बरकरार रखी है तो वहीं बदरीनाथ सीट भाजपा से कांग्रेस ने छीन ली है। बदरीनाथ सीट पर भाजपा के विधायक महेन्द्र प्रसाद भट्ट और कांग्रेस के राजेन्द्र सिंह भंडारी के बीच कड़े मुकाबले में कांग्रेस ने बाजी मार ली। थराली सीट पर भाजपा ने तीसरी बार फिर से कब्जा किया है। इस चुनाव में भाजपा ने अपनी सिटिंग विधायक मुन्नी देवी शाह का टिकट काट गोपाल राम टम्टा को चुनाव में उतरा जिन्होंने कांग्रेस ने पूर्व विधायक रहे डॉ ़ जीत राम आर्या को 8302 मतां के बड़े अंतर से हराया। कर्णप्रयाग सीट को भाजपा ने फिर से अपने कब्जे में किया है। यहां भाजपा के पूर्व विधायक रहे अनिल नौटियाल ने 28911 मत हासिल करके कांग्रेस के मुकेश नेगी को 6742 मतों के अंतर से मात दी है।

पौड़ी जिले की सभी 6 सीटां पर भाजपा ने 5 पर एकतरफा जीत हासिल की है। भाजपा का सिर्फ श्रीनगर सीट पर कांटे मुकाबला रहा। श्रीनगर में भाजपा के धन सिंह रावत और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। चुनाव परिणाम के अंतिम दौर में महज 587 मतों के अंतर से भाजपा ने इस सीट पर अपनी दूसरी बार जीत दर्ज की। कांग्रेस के गणेश गोदियाल को 29031 वोट मिले जबकि धन सिंह रावत को 29618 मत मिले। सुरक्षित सीट पौड़ी से भाजपा के राजकुमार पोरी ने कांग्रेस के नवल किशोर को 5738 मतां के अंतर से हराया। चौबटाखाल सीट पर सबसे कम मतदान सामने आया बावजूद इसके भाजपा के मंत्री सतपाल महाराज दूसरी बार अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। महाराज ने कांग्रेस के केसर सिंह को 11430 मतों के बड़े अंतर से पटखनी दी। यमकेश्वर में भाजपा ने सिटिंग विधायक ऋतु खण्डूडी को टिकट काट कर कांग्रेस से भाजपा में आई रेणु बिष्ट पर दांव खेला और इस सीट को लगातार चौथी बार अपने कब्जे में किया।

सबसे दिलचस्प मुकाबला लैंसडाउन और कोटद्वार सीट का देखने में आया है। तमाम कयासों और चर्चाओं के विपरीत इन दोनां सीटां पर भाजपा ने जीत हासिल की है। लैंसडाउन में हरक सिंह रावत की पुत्र वधु अनकृति गुसांई को भाजपा के सिटिंग विधायक दिलीप सिंह रावत ने 9868 मतों के भारी अंतर से हराया। कोटद्वार सीट में भाजपा ने ऋतु खण्ड़ूड़ी को चुनाव में उतरा जबकि कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह नेगी चुनावी मैदान में थे। भाजपा से बगावत कर के निर्दलीय चुनाव में उतरे धीरेन्द्र चौहान ने चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बावजूद इसके ऋतु खण्डूडी ने 32103 मत पाकर सुरेन्द्र सिंह नेगी को 3687 मतों के अंतर से सीट पर कब्जा किया।

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