देहरादून। उत्तराखड की नवम्बर में खाली हो रही एक राज्यसभा की सीट पर 9 नवंबर को चुनाव होंगे और इसी दिन शाम को परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। केंद्रीय निर्वाचन आयोग 20 अक्टूबर को इन सीटों पर चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा। नामांकन 27 अक्टूबर को होंगे। नाम वापसी के लिए 2 नवंबर की तिथि रखी गई है। चुनाव 9 नवंबर को होगा और इसी दिन शाम को रिजल्ट घोषित कर दिया जाएगा।
मालूम हो कि उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य राजबब्बर का कार्यकाल 25 नवंबर को समाप्त हो रहा है। वो बात अलग है कि राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के बाद राजब्बर ने फिर उत्तराखंड का रुख किया ही नहीं। विधानसभा में प्रचंड बहुमत वाली भाजपा को इस बार अपना प्रत्याशी राज्यसभा में भेजने पर कोई परेशानी नहीं होगी।
भाजपा में राज्यसभा सीट के लिए दावेदारों की एक लंबी लिस्ट है जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, उत्तराखंड प्रभारी श्याम जाजू, नरेश बंसल प्रमुख हैं। 2016 में कोंग्रेस में बड़ी टूट कराने वाले विजय बहुगुणा 2016 से ही भाजपा से इसके एवज में पारितोषिक के इंतज़ार में हैं। 2016 में बहुगुणा के नेतृत्व में कोंग्रेस के 9 विधायक टूट कर कोंग्रेस में चले गए थे जिनमें से कुछ विधायकों को छोड़कर अधिकांश फिर से चुनकर आये थे। बहुगुणा को उम्मीद थी कि पूर्व में खाली हुई राज्यसभा सीट पर भाजपा उनके नाम पर विचार करेगी लेकिन उस वक्त भाजपा आलाकमान ने अनिल बलूनी पर विश्वास जताया था और उन्हें राज्यसभा भेज दिया था। इस बार बहुगुणा फिर से सशक्त दावेदार हैं। भाजपा के उत्तराखण्ड प्रभारी श्याम जाजू भी इस दौड़ में हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की टीम से इस बार उनका पत्ता कट गया है लेकिन उत्तराखंड प्रभारी का दायित्व अभी भी है। केंद्रीय नेतृत्व पर उनकी पकड़ को देखते हुवे श्याम जाजू की की दावेदारी कम करके नहीं आंकी जा रही है। नरेश बंसल भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और वैश्य समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के नैनीताल उधमसिंह नगर से लोकसभा का चुनाव लड़ते समय नरेश बंसल को कुछ वक़्त के लिए प्रदेश अध्यक्ष का प्रभार दिया गया था। नरेश बंसल भी इस बार उच्च सदन की आस लगाए बैठे हैं। आर एस एस से आने वाले कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र निवासी सुरेश भट्ट जो हरियाणा में भाजपा के संगठन महामंत्री हैं के नाम की चर्चा भी सियासी हलकों में है। पिछले दिनों उनके उत्तराखंड भाजपा के संगठन में आने की चर्चा थी। लेकिन भाजपा के अंदर ही कुछ लोगो के विरोध के चलते वो उत्तराखंड नहीं आ पाए थे। उत्तराखंड में संगठन महामंत्री का पद अभी भी खाली है। देखना है कि भाजपा संगठन उन्हें उत्तराखंड किस रूप में भेजता है। अनिल गोयल को पूर्व में भाजपा दो बार राज्यसभा के लिये प्रत्याशी बना चुकी है लेकिन उस वक़्त दोनों ही बार भाजपा के लिए संख्या के लिहाज़ से परिस्थितियां अनुकूल नहीं थी। इस बार देखना दिलचस्प होगा कि अनुकूल परिस्थितियों में भाजपा उनको अवसर देती है नहीं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के पुत्र शौर्य डोभाल का नाम भी चर्चाओं में है। उन्हें नवसृजित उत्तराखंड भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राष्ट्रीय राजनैतिक दल कोंग्रेस और भाजपा ने राज्य के व्यक्ति के अतिरिक्त राज्य से बाहर के व्यक्ति को भी राज्यसभा भेजा है जिससे कई स्थानीय नेताओं की महत्वाकांक्षाएं धरी की धरी रह गईं। जहां भाजपा ने सुषमा स्वराज, संघप्रिय गौतम, तरुण विजय जैसे बाहरी व्यक्ति को प्रमुखता दी वहीं कोंग्रेस से सतीश शर्मा, सत्यव्रत चतुर्वेदी और राजब्बर जैसों को उत्तराखंड से राज्यसभा भेजा लेकिन ये चुने जाने के बाद उत्तराखंड लौट कर ही नहीं आये। राज्यसभा की खाली हो रही सीट पर भाजपा का प्रत्याशी चुना जाना तय है ऐसे में भाजपा के अंदर से भी आवाज़ें उठ रही हैं कि प्रत्याशी स्थानीय ही हो तो बेहतर होगा। लेकिन भाजपा और कोंग्रेस दोनों ही दलों में अंत में बात आलाकमान पर जाके ही टिक जाती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि प्रत्याशी का फैसला संसदीय बोर्ड में होगा वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बंशीधर भगत का कहना है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जिसके लिये कहेगा उसका नाम भेजा जाएगा। कुल मिलाकर क्योंकि कोंग्रेस इस लड़ाई में कहीं नहीं है1इसलिये लड़ाई दिलचस्प नहीं है सिर्फ ये देखना है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व किसे राज्यसभा में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने के लिये चुनता है।
संजय स्वार