उत्तराखण्ड के चमोली जिलें में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की में लियोंटो पोडियम एल्पिंनम, निवाले (एडलवाइस) फूल इन दिनों अपने आकर्षण से पर्यटकों और फूल- प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यह फूल अपने दुर्लभ जैव विविधता के लिए मशहूर लोकपाल भ्यूंडार घाटी में मौजूद विश्व धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान में यूरोपीय देश रोमानिया, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, स्लोवेनिया, स्विट्जरलैंड जैसे देशों का राष्ट्रीय पुष्प और दुर्लभ प्रजाति के सफेद स्टारनुमा यूरोपीय आल्पस पहाड़ी फूल है। घाटी में पर्यटक इस पुष्प को मेरी की कब्र के आस-पास ओर स्यूचंद कम्पार्टमेंट में इसका दीदार कर रहे हैं।
ये फूल एडलवाइस पुष्प यूरोपीय देशों में विशेषतया गहरे प्रेम ओर समर्पण, देशभक्ति, साहस और बलिदान का प्रतीक माने जाते हैं। घाटी के जानकार और पेशे से प्रकृति छायाकार चंद्रशेखर चौहान बताते हैं कि आजकल यह यूरोपीय एडलवाइस फूलों की घाटी में अपनी रंगत बिखेरे हुए है, जो अब हिमालय में कहीं -कहीं ही मौजूद है। एडलवाइस पुष्प जिसका वानस्पतिक नाम लियोन्टोपोडियम निवाले, एल्पिनम, जिसे आमतौर पर जर्मन भाषा में एल्पेन-एडेलवेई कहते हैं ये सूरजमुखी परिवार एस्टरेसी कुल से संबंधित एक यूरोपपियन आल्पस का पहाड़ी पुष्प है।
दरअसल यह एक राष्ट्रीय प्रतीक है, विशेष रूप से रोमानिया, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, स्लोवेनिया, स्विट्जरलैंड और इटली जैसे
यूरोपीय देशों का यह पुष्प नेशनल फ्लावर के रूप में जाना जाता है, फूलों की घाटी में तीन दशक से पुष्प विशेषज्ञ के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले स्थानीय पुलना गांव के निवासी रघुवीर सिंह चौहान बताते हैं कि यह एक नॉन टॉक्सिक प्लांट है जो पारंपरिक चिकित्सा में पेट और श्वसन रोगों के ईलाज की औषधि है।
ऐसे कई औषधीय उपयोग हैं जिनके लिए एडलवाइस पुष्प बेशकीमती है। यह पुष्प स्विट्जरलैंड में इतना प्रसिद्ध है कि यहां की एयर लाइन्स से लेकर स्पोर्ट्स कम्पनियों सेना सहित अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में एडलवाइज पुष्प समृद्धि के प्रतीक के रूप में जाना जाता है और यह पुष्प नोबल लोगो के रूप में प्रयोग किया जाता है।
आल्पस की लोक परंपरा के अनुसार, इस फूल को किसी प्रियजन को देना समर्पण का वायदा माना जाता है। फूलों की घाटी में आने वाले पुष्प प्रेमी और जानकार पर्यटक सबसे अधिक इसी पुष्प के आकर्षण में खोए हुए हैं।