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Uttarakhand

देवभूमि में देवत्व हुआ तार-तार

उत्तराखण्ड में पांचवीं विधानसभा के लिए हुए चुनावों में धन और बाहुबल का बोलबाला रहा। मतदाता को प्रभावित करने के लिए भारी मात्रा में नशीली दवाएं, शराब और नकदी का इस्तेमाल भविष्य के अंधकारमय होने का खुला संकेत दे रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार इस चुनाव में तीन करोड़ की शराब, पौने पांच करोड़ की ड्रग्स और साढ़े तीन करोड़ नकदी जब्त किया गया है। ये सरकारी आंकड़े इशारा करते हैं कि असल में हालात क्या रहे होंगे

उत्तराखण्ड में लोकतंत्र का पर्व 14 फरवरी को मतदान दिवस के रूप में संपन्न हो गया। इस दौरान लाखों लोगों ने अपने मतदान का प्रयोग किया। राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों सहित निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवारों ने मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनावों में साम-दाम-दंड-भेद का भरपूर प्रयोग किया गया। कई जगह चर्चा जोरों पर थी कि ‘नोट पर बिक रहा वोट।’ हालांकि जिस तरह अवैध शराब चुनाव में बांटने के लिए ले जाई जा रही थी वह पकड़ी भी गई। इसी तरह मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ले जाई जा रही करोड़ों रूपए की नकदी भी पकड़ी गई। लेकिन नोट बांटते हुए सरेआम कोई पकड़ा नहीं गया।

चौंकाने वाली बात यह रही कि 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार दुगना कैश और शराब पकड़ी गई। प्रदेश का चुनाव आयोग पहले ही कई विधानसभाओं को चिन्हित कर चुका था कि इन जगहों पर धन-बल और शराब का दुरुपयोग हो सकता है। कई जगहों से ऐसी खबरें आई। यहां तक की वीडियो भी वायरल हुई। कांग्रेस के एक प्रत्याशी ने तो भाजपा के प्रत्याशी पर पैसे बांटने का आरोप लगा कर धरना-प्रदर्शन तक किया। जबकि रामनगर में एक निर्दलीय प्रत्याशी ने शराब बांटे जाने के खिलाफ अपना चुनाव केंद्रित कर मुख्य राजनीतिक दलों की जमकर पोल खोली। अति तो उस समय हो गई जब निर्दलीय उम्मीदवार श्वेता माशीवाल की शराब बांटने की शिकायत पर पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध शराबघरों पर छापे डालने की बजाए शिकायतकर्ता प्रत्याशी के घर पर ही दबिश दे दी गई।

साल 2017 में निर्वाचन आयोग ने छह करोड़ 85 रुपये कीमत की शराब एवं नकदी जब्त की थी, जबकि 2019 में सात करोड़ 31 लाख रुपये की नकदी शराब और ड्रग्स पकड़े गए थे। इस बार पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए। इस बार अब तक 12 करोड़ 27 लाख रुपये कीमत की शराब व कैश बरामद किया जा चुका है। इसमें तीन करोड़ दस लाख रुपये कीमत की शराब, चार करोड़ 70 लाख रुपये कीमत की ड्रग्स के साथ ही साढ़े तीन करोड़ कैश भी पकड़ा गया। प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने पहले ही इस बाबत प्रेस कॉन्फ्रेंस में संदेह प्रकट कर दिया था। उन्होंने बताया था कि आयोग ने अपने सर्वे के बाद ऐसी सात विधानसभा सीटों को चिन्हित किया है जहां धनबल के इस्तेमाल की संभावना है। इनमें कुमाऊं की सितारगंज, काशीपुर, बाजपुर, हल्द्वानी और लालकुआं सीट शामिल हैं, जबकि गढ़वाल मंडल की चकराता एवं हरिद्वार सीट शामिल हैं। राज्य में आचार संहिता लगने के बाद 8 जनवरी 2022 से लेकर चुनाव होने तक अवैध शराब तस्करी के 1101 मुकदमे दर्ज किए गए और 1151 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। यही नहीं बल्कि राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू होने से लेकर 14 फरवरी तक अवैध मादक पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। इस कार्रवाई में 191 मुकदमे एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज कर 209 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही गिरफ्तार किए गए लोगों के कब्जे से 298 किलो से अधिक मात्रा में नशीली सामग्री पकड़ी गई। बरामद मादक पदार्थों की कीमत 5 करोड़ 8 लाख 72 हजार रुपए से अधिक आंकी गई है।

रामनगर थाना में धरने पर बैठी श्वेता माशीवाल

रामनगर विधानसभा क्षेत्र में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक व्यक्ति गाड़ी के बाहर हाथ में पैसे दिखा रहा है और कह रहा है कि गाडी के इस नंबर को देखिए। इस नंबर की गाड़ी में उन्हें पैसे बांटते हुए लोगों को पकड़ा है। हालांकि किन लोगों को पकड़ा यह स्पष्ट नहीं हो पाया। लेकिन गाड़ी पर जो नंबर अंकित है उससे कहा जा रहा है कि यह भाजपा प्रत्याशी के बेटे की गाड़ी है। इस मामले से जुड़ता हुआ एक दूसरा वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें प्रकाश थापा नामक युवक गाड़ी के पास से भागते हुए दिख रहा है। प्रकाश थापा नामक यह युवक भाजपा प्रत्याशी दीवान सिंह बिष्ट का पीआरओ बताया जा रहा है। चुनाव वाली रात रामनगर के सावल्दे इलाके में भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी संजय नेगी के समर्थकों की आपसी झड़प भी हुई। जिसमें काफी हंगामा मचा। संजय नेगी के समर्थक भाजपा प्रत्याशी पर पैसे बांटने के आरोप लगा रहे थे। रामनगर में ही निर्दलीय प्रत्याशी श्वेता माशीवाल ने 13 फरवरी की रात में कई वीडियो जारी किए। जिसमें वह एक वीडियो में पुलिस के पीछे अपनी गाड़ी में जाती हुई दिखाई दे रही हैं। इस दौरान माशीवाल यह कहती नजर आ रही हैं कि उनकी शिकायत पर पुलिस-प्रशासन शराब बांटने वालों को पकड़ने जा रहे हैं। लेकिन कुछ देर बाद ही पुलिस-प्रशासन उल्टा श्वेता माशीवाल के घर जा पहुंचे। इतना ही नहीं रामनगर के पुलिस क्षेत्राधिकारी बीएस भाकुनी ने श्वेता के साथ अभद्र व्यवहार तक कर डाला। श्वेता ने रात में ही रामनगर के पुलिस क्षेत्राधिकारी की गाड़ी के सामने धरना दे दिया। इस दौरान पुलिस के साथ महिला पुलिसकर्मी भी मौजूद नहीं थे। यही नहीं बल्कि इसी रात श्वेता माशीवाल जब भाजपा प्रत्याशी दीवान सिंह बिष्ट के घर के सामने से गुजर रही थी तभी दो लोगों ने उनकी गाड़ी पर हमला करने की भी कोशिश की।

16 फरवरी को स्वेता एक शिष्टमंडल के साथ नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिली और अपने साथ हुए अनुचित व्यवहार का पूरा मामला रखा है। इस शिष्टमंडल में श्वेता के साथ हाई कोर्ट नैनीताल के सीनियर एडवोकेट दुष्यंत मैनाली, संजय मेहता, गगन शर्मा और रजत शर्मा भी थे । इस पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने एसपी क्राइम डॉक्टर जगदीश चंद्र को रामनगर में कैंप करने के आदेश दिए। साथ ही उन्हें इस मामले की विवेचना भी सौंपी गई। यही नहीं नशे पर नियंत्रण के लिए पुलिस कप्तान द्वारा एक एसओजी गठित करने के भी आदेश दिए। साथ ही उन्होंने चुनाव आचार संहिता हटने के बाद रामनगर के पुलिस क्षेत्राधिकारी और कोतवाल पर कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया।

गौरतलब है कि अपने चुनावी अभियान में श्वेता माशीवाल ने मतदाताओं को अवैध रूप से शराब बांटने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है। वह पहले से ही इसकी शिकायत पुलिस प्रशासन से करती आ रही थीं कि प्रत्याशी मतदाताओं को शराब बांट कर चुनाव प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं। लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत पर गंभीरता से काम करने की बजाए उन पर ही शिकंजा कसने की कोशिश की थी। हालांकि इस मामले में प्रशासन बैकफुट पर आ गया। रामनगर के उप जिलाधिकारी गौरव चटवाल द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी श्वेता माशीवाल से माफी भी मांगी गई है।

जसपुर में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच जमकर संघर्ष हुआ। वीडियो तक वायरल की गई। यही नहीं बल्कि दोनों तरफ से कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि 13 फरवरी की रात भाजपा प्रत्याशी शैलेंद्र मोहन सिंघल के बेटे सिद्धार्थ सिंघल के पास एक मैसेज आया। जिसमें बताया गया कि रामनगर गांव में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थकों द्वारा पैसे बांटे जा रहें है। इसके बाद जब सिद्धार्थ सिंगल अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे तो कांग्रेस समर्थकों के साथ उनकी कहासुनी हुई। इसी दौरान कांग्रेस प्रत्याशी आदेश चौहान भी वहां पहुंच गए। आदेश चौहान को वीडियो में गाली गलौज करते हुए दिखाया गया है। वीडियों में गाड़ी के टूटे हुए शीशे भी दिखाए गए। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी आदेश चौहान पर गुंडई करने और जान से हमला करने के आरोप लगाए हैं।

धरना-प्रदर्शन करते कांग्रेस प्रत्याशी सुमित हृदयेश

हल्द्वानी में कांग्रेस प्रत्याशी सुमित हृदयेश तो पैसे बांटने के मामले पर धरने पर ही बैठ गए। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जोगेंद्र रौतेला पर मतदाताओं को पैसे बांटने और चुनाव को प्रभावित करने के आरोप लगाए। कांग्रेस के समर्थकों ने इस दौरान एक वीडियो भी वायरल की जिसमें एक घर के सामने काफी भीड़ मौजूद है। भीड़ को भाजपा प्रत्याशी जोगेंद्र रौतेला के घर के सामने बताया गया और कहा गया कि जब वह पैसे बांट रहे थे तब लोग उनके घर के सामने इकट्ठा हो गए थे। किच्छा विधानसभा क्षेत्र में एक ऑडियो जबरदस्त वायरल हुआ। बताया जा रहा है कि यह ऑडियो पूर्व नियोजित था। ऑडियो में दो अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की बातचीत है। जिसमें एक व्यक्ति कह रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी तिलकराज बेहड़ को मजबूती से चुनाव लड़ाना है और भाजपा का सूपड़ा साफ करना है। इसी के साथ ही दूसरा व्यक्ति यह कहते सुना जा रहा है कि उन्हें अगर नमाज पढ़ने को रोका गया तो वह लोगों के घरों में घुस-घुस कर नमाज अदा करेंगे। बताया जा रहा है कि इस ऑडियो से एक वर्ग विशेष के मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की गई। हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि चुनाव आयोग ने इस ऑडियो को संज्ञान में ले लिया है और इसकी जांच कराई जा रही है कि आखिर यह ऑडियो किस मकसद से बनाया और फैलाया गया।

13 फरवरी की शाम जब चुनाव प्रचार खत्म हो चुका था तब रानीखेत विधानसभा क्षेत्र के सोनी डांट पर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में खूब गहमा-गहमी हुई। इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ। जिसमें भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल और उनके साथ महिलाएं वीडियो में दिख रही हैं। वीडियो में वह कांग्रेस नेताओं के साथ भिडते नजर आ रहे हैं। इस मामले पर रानीखेत कोतवाली में भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल के खिलाफ उमेश बिष्ट द्वारा तहरीर दी गई। उमेश बिष्ट ने भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल पर आरोप लगाए हैं कि वह गाड़ियों से सोनी डॉट पर आए और उनके साथ गाली गलौज करने लगे। प्रमोद नैनवाल द्वारा उन्हें कहा गया कि तुम मेरे खिलाफ प्रचार क्यों कर रहे हो और कहने लगे कि तुम मेरा प्रचार क्यों नहीं कर रहे हो। इसी के साथ ही उन्हें इसके भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने की भी चेतावनी दी गई। उमेश विष्ट द्वारा तहरीर में कहा गया है कि उन्हें महिलाओं द्वारा गाड़ी से उतारकर थप्पड़ मारे गए और गाली गलौज की गई। प्रमोद नैनवाल के साथ अन्य वाहनों में आए लोग उन्हें जान से मारने की धमकी देते रहे और खुद भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि वह उन्हें झूठे मुकदमों में फंसा देंगे। जबकि दूसरी तरफ रानीखेत से भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल ने अपनी तहरीर में कांग्रेसी नेताओं द्वारा मारने पीटने और गाली-गलौज करने के आरोप लगाए हैं। नैनवाल ने तहरीर में कहा है कि उनके साथ मौजूद महिला कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी की गई। साथ ही गाड़ियों को तोड़ने की कोशिश की गई। उन्हें पिस्तौल दिखाते हुए आइंदा प्रचार न करने की और जान से मारने की भी धमकी दी गई।

खटीमा में तो चुनाव प्रचार की समाप्ति के बाद भी मतदाताओं से संपर्क करते और उन्हें साड़ियां वितरित करते स्वयं मुख्यमंत्री का वीडियो वायरल हो गया। इस वीडियो में आप प्रत्याशी एसएस कलेर सीएम धामी संग तर्क करते सुने जा रहे हैं। राज्य की सोमेश्वर सीट से भाजपा प्रत्याशी और धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या पर भी मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रेशर कुकर, साड़ियां, कंबल आदि बांटने के आरोप खुलकर लगे। कुल मिलाकर यह चुनाव तमाम नैतिक और कानूनी मर्यादाओं को तार-तार करने वाला साबित हुआ है।

जनता बेहाल, नेता मालामाल

  •   भारती पाण्डे
    एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में एडीआर ने उत्तराखण्ड विधानसभा चुनावों में उन 51 नेताओं के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया जो एक बार पुनः विधानसभा चुनाव लड़े हैं। इस रिपोर्ट में टॉप 10 में भाजपा के 9 विधायक और कांग्रेस से 1 विधायक हैं। संपत्ति में बढ़त के मामले में महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या 97 प्रतिशत के साथ पहले नंबर में हैं। रेखा आर्या की संपत्ति इन पांच वर्षों में दोगुनी बढ़ी है। 2017 में उनकी संपत्ति 12 .78 करोड़ थी जो इन पांच वर्षों में 25 .20 करोड़ हो गई अर्थात् 12 .42 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। एडीआर ने उन 51 नेताओं की संपत्ति का विश्लेषण किया जो इससे पूर्व 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में विधायक चुने गए थे और इस बार पुनः विभिन्न दलों व निर्दलीय चुनाव लड़े हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार सभी विधायकों की संपत्ति औसत 3 से 740 प्रतिशत तक बढ़ी है। भाजपा से इस बार पुनः चुनाव लड़ने वाले 40 विधायकों की संपत्ति में 49 .18 प्रतिशत की वृद्धि, कांग्रेस के 10 विधायकों की संपत्ति में 47 .47 प्रतिशत की वृद्धि और इस बार 1 निर्दलीय लड़ रहे पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की सम्पत्ति में 258 .28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन 51 नेताओं में सर्वाधिक संपत्ति विस्तार मंत्री रेखा आर्या का हुआ है। कांग्रेस के काजी मोहम्मद निजामुद्दीन दूसरे नंबर पर हैं। उनकी संपत्ति इन पांच वर्षों में 21 .30 करोड़ से बढ़कर 32 .10 करोड़ हो गई है। उत्तराखण्ड के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जो खटीमा में चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को रुपए बांटते हुए वीडियो में वायरल होकर आजकल चर्चाओं में हैं उनकी संपत्ति में 2 करोड़ का इजाफा हुआ है। 2017 में उनकी संपत्ति 8 .10 करोड़ थी जो अब बढ़कर 10 .10 करोड़ हो गई है। संपत्ति में बढ़ोतरी के मामले में मुख्यमंत्री 12वें नंबर पर हैं। संपत्तियों में यह भारी इजाफा दर्शाता है कि उत्तराखण्ड में भ्रमित करने के तमाम तरीकों पर टिकी राजनीति ने नेताओं को ही मालामाल किया है। जबकि दूसरी तरफ आम जनता गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी से बेहाल है।

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