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भाजपा ने उत्तराखण्ड में पीढ़ीगत बदलाव की दिशा में जो पहला कदम पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाकर बढ़ाया था, अब महेंद्र भट्ट के नेतृत्व में गठित नई कार्यकारिणी उसी दिशा की ओर अगला कदम है। एक तरह से देखा जाए तो युवा नेतृत्व से पार्टी को ज्यादा आशा और उम्मीद है। उसी उम्मीद को आगे बढ़ाते हुए पार्टी के पुराने दिग्गजों को नई कार्यकारिणी से दूर ही रखा है। कहें तो युवाओं के संतुलन को साधने में कई बड़े नेता महेंद्र भट्ट की टीम में जगह पाने से वंचित रह गए। ऐसे में नई कार्यकारिणी से दिशा और आशा के साथ ही पुराने दिग्गजों के मन में आशंका के बीज भी प्रस्फुटित होते दिखाई दे रहे हैं। इससे कई नेताओं को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है

उत्तराखण्ड भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की सहमति के बाद अपनी नई टीम की घोषणा कर दी है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जिस युवा और नए चेहरों को अवसर और पीढ़ीगत बदलाव की नीति बनाई है उसकी झलक कई कार्यकारिणी में दिखाई देती है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की नई कार्यकारिणी पर गौर करें तो भारतीय जनता पार्टी ने संगठन के जरिए भी क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन को साधने की कोशिश के साथ कई पुराने दिग्गजों को नई टीम से बाहर कर दिया है। भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी को देखने से पता चलता है कि सरकार के साथ संगठन पर भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रहे हैं और संगठन में उनकी पसंद को तवज्जो दी गई है। जिस प्रकार महेंद्र भट्ट के प्रदेश अध्यक्ष बनने के एक माह के अंदर भाजपा ने अपनी प्रदेश कार्यकारिणी का गठन कर लिया है उससे कांग्रेस और भाजपा के बीच अंतर स्पष्ट दिख जाता है। कांग्रेस के युवा प्रदेश अध्यक्ष अब तक अपनी कार्यकारिणी गठित नहीं कर पाए हैं।

भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष और नई कार्यकारिणी के गठन के पश्चात् संगठन और सरकार के बीच ऊहापोह की स्थिति खत्म हो गई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार कुछ खास लोगों के विरुद्ध जो भीतरघात के आरोप लगे थे उसने नई सरकार के गठन के पश्चात् सरकार और संगठन की दूरियों को बढ़ा दिया था। विशेषकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनके करीबी स्वामी यतीश्वरानंद, संजय गुप्ता की विधानसभा चुनावों में हार ने संगठन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए थे। स्वामी यतीश्वरानंद और संजय गुप्ता ने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर भितरघात के आरोप लगाए थे। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र खटीमा में भी उनके ही दो कद्दावर नेताओं पर चुनाव में मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ काम करने के आरोप लगे थे। इनमें से एक धामी मंत्रिमंडल में एक वरिष्ठ मंत्री के करीबी बताए जाते हैं। विधानसभा चुनाव में भितरघात के आरोपों के बीच भितरघातियों की पहचान करने हेतु समीक्षाएं की गई थीं जिसमें आरोपियों की पहचान कर कार्रवाई का दावा किया गया था। लेकिन छह माह पूरे होने पर भी भितरघातियों के मामले में संगठन ने कोई हरकत नहीं दिखाई। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इससे काफी क्षुब्ध थे। उनके करीबी सूत्रों का कहना था कि नई सरकार के गठन के बाद सरकार को संगठन से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा था। शायद अध्यक्ष बदलने की चर्चा के बीच मदन कौशिक की भितरघात का आरोप झेल रहे लोगों पर कार्रवाई करने में कोई दिलचस्पी नहीं रही हो। ऐसे आरोपों का सामना उन्हें स्वयं करना पड़ा था। फिलहाल इतना तय था कि नई सरकार के गठन के बाद सरकार और संगठन के मध्य संबंध सहज नहीं थे।

उत्तराखण्ड में भाजपा के पदाधिकारियों की घोषणा के साथ युवा महिलाओं और अनुभव का समन्वय देखने को मिला। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की छाप साफ नजर आती है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की टीम में 34 सदस्यीय टीम में उपाध्यक्ष के तौर पर कैलाश शर्मा को दोबारा जगह मिली है। हालांकि वे विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से हार गए थे लेकिन मुख्यमंत्री धामी के चंपावत उपचुनाव में प्रभारी के तौर पर जिस प्रकार उन्होंने जीत को एकतरफा कर दिया था उसका इनाम उन्हें मिला है। अन्य उपाध्यक्षों में बलवंत सिंह भौर्याल, डॉ कल्पना सैनी, नीरू देवी, पूर्व विधायक मुकेश कोली, देशराज कर्णवाल और शैलेंद्र बिष्ट और पूर्व में महामंत्री रहे कुलदीप कुमार शामिल हैं। पिछली टीम के दो अन्य महामंत्री राजेंद्र भंडारी और सुरेश भट्ट इस बार नई टीम से बाहर हैं। राजेंद्र भंडारी को शायद खटीमा से पुष्कर सिंह धामी की हार का खामियाजा भुगतना पड़ा है, वहीं सुरेश भट्ट को सरकार में समायोजित किए जाने की चर्चा है। नए महामंत्री के रूप में राजेंद्र सिंह बिष्ट, खिलेंद्र चौधरी और आदित्य कोठारी को जगह मिली है वहीं प्रदेश मंत्री के रूप में मीना गगोला, आदित्य चौहान, मीरा रतूडी, हेमा जोशी, डॉ लीलावती राणा, राकेश नैनवाल, विकास शर्मा, गुरविंदर चण्डोक को नई टीम में जगह मिली है। पुनीत मित्तल पुनः कोषाध्यक्ष बने हैं वहीं साकेत अग्रवाल को केंद्रीय अजय भट्ट की नजदीकी का लाभ मिला है उन्हें सह कोषाध्यक्ष बनाया गया है। प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान बनाए गए हैं। प्रदेश की मुख्य कार्यकारिणी के साथ विभिन्न मोर्चों के अध्यक्षों को भी कमान सौंप दी गई है। युवा मोर्चा की कमान पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री रहे स्व ़ बची सिंह रावत के पुत्र शशांक रावत को सौंपी गई। पूर्व विधायक आशा नौटियाल को महिला मोर्चा, जोगेंद्र पुण्डीर किसान मोर्चा, राकेश गिरी ओबीसी मोर्चा, समीर आर्य अनुसूचित जाति मोर्चा और राकेश राणा को अनुसूचित जनजाति मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत में महिलाओं के योगदान को देखते हुए प्रदेश कार्यकारिणी में पहली बार छह महिलाओं को जगह दी गई है।

उत्तराखण्ड भारतीय जनता पार्टी की नई प्रदेश कार्यकारिणी और विभिन्न मोर्चा के मुखियाओं की सूची पर नजर डालें तो इसमें आगामी वर्षों में भाजपा की रणनीति क्या होगी इसका एक साफ खाका नजर आता है। युवा पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले जो दांव खेला था वह सफल रहा था। हालांकि अभी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ताओं को नियुक्ति दिया जाना शेष है। लेकिन कई नेताओं को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। हालांकि दायित्वों के बनने तक उनकी आशाएं बनी हुई हैं। क्षेत्रीय संतुलन के साथ जातिगत संतुलन में भी इस टीम में कहीं अनियमितता की कमी नहीं दिखती। जिलों के लिहाज से देखें तो हर जिले को प्रतिनिधित्व मिला है। कुल मिलाकर महेंद्र भट्ट की टीम भारतीय जनता पार्टी के लिए आगामी वर्षों में आने वाली चुनौतियों को देखते हुए तैयार की गई है। आगे आने वाले समय में हरिद्वार जिले के पंचायत व नगर निकाय चुनाव फिर प्रदेश के अन्य 12 जिलों में पंचायत व नगर निकाय चुनावों या फिर 2024 में लोकसभा चुनावों की चुनौतियों का सामना करना है।

पिता की विरासत को आगे बढ़ाएंगे शशांक


भारतीय जनता पार्टी ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद पर शशांक रावत को दायित्व सौंपा है। शशांक रावत उत्तराखण्ड भाजपा के पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे, बची सिंह रावत के पुत्र हैं। बची सिंह रावत ‘बचदा’ उत्तराखण्ड में सादगी और विनम्रता के लिए जाने जाते थे। उसी सादगी और विनम्रता की विरासत का सम्मान करते हुए भाजपा ने उनके पुत्र शशांक रावत को भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। भाजपा के विधि प्रकोष्ठ के संयोजक रहे शशांक रावत 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से रानीखेत विधानसभा के सशक्त दावेदार थे। अपने पिता बची सिंह रावत के अनुरूप विनम्र स्वभाव के शशांक रावत संघ के काफी करीबी माने जाते हैं। बचपन से राजनीतिक परिवार में पले-बढ़े शशांक रावत भाजपा की राजनीति में रचे-बसे हैं। भाजपा के राजनीतिक कार्यक्रम हों या फिर चुनावों में जिम्मेदारी, हर जिम्मेदारी को उन्होंने चुनौती के रूप में स्वीकार किया है। अब जब पार्टी ने उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी है तो उनके सामने चुनौती भी है। पार्टी की अपेक्षाओं पर खरे उतरने की और अपने पिता की सानद
विरासत को संजोकर रखने, आगे बढ़ाने की।

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