[gtranslate]
Uttarakhand

कांग्रेस में गहराती गुटबाजी

कभी-कभी अमिताभ बच्चन एवं आमिर खान जैसे सितारों से सजी फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान’ कमजोर पटकथा के कारण राजकुमार राव जैसे कम नामी सितारे की मजबूत पटकथा वाली फिल्म ‘स्त्री’ के सामने धराशायी हो जाती है। यही हाल शायद उत्तराखण्ड कांग्रेस का है जिसके पास हरीश रावत, इंदिरा हृदेयश, प्रीतम सिंह, किशोर उपाध्याय, गोविंद सिंह कुंजवाल, करण माहरा जैसे नामी सितारे तो हैं लेकिन जीत की पटकथा ये मिलकर लिखना नहीं चाहते या फ्लॉप होने के लिए ही हैं। किसी भी राजनीतिक दल के लिए मजबूत पटकथा उसके शीर्ष नेताओं में एकता एवं सांगठनिक मजबूती है और वर्तमान में इसका कांग्रेस में सर्वथा अभाव है। सत्ता से हटने के बाद देखा जाए तो विधानसभा एवं सड़कों पर सरकार की नीतियों के विरुद्ध कांग्रेस कहीं संघर्ष करती नजर नहीं आई, जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें पार्टी नेताओं के लंबे संघर्ष का ही परिणाम हैं

अगर आप रसातल में पहुंच जाएं और पलटकर वापसी का प्रयास करने के बजाय दूसरों को भी इसी रसातल में पहुंचाने का प्रयास करते रहें, तो यह सूझबूझ भरे राजनीतिज्ञों की निशानी कतई नहीं है। उत्तराखण्ड में रसातल में पहुंच चुकी कांग्रेस के नेता अब भी सबक लेने को तैयार नहीं हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी का संगठन मिशन 2019 को दृष्टिगत रखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव के लिए निचले स्तर तक अपनी तैयार शुरू कर चुका है, वहीं उत्तराखण्ड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अभी तक अपनी कार्यकारिणी की घोषणा नहीं कर पाए हैं। उत्तराखण्ड में पहले निकाय चुनावों के चलते प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा टली तो अब निकाय चुनावों को निपटे लगभग एक माह हो चुका है, फिर भी कार्यकारिणी घोषित नहीं हुई। कांग्रेस अभी तक निकाय चुनावों की पराजय के बाद उपजी रार से ही नहीं निपट पाई है। इस रार ने कांग्रेस के मिशन 2019 की तैयारियों को लगभग भुला ही दिया है। ऐसे में वो भाजपा का मुकाबला कैसे करेगी, ये यक्ष प्रश्न जनता के सामने तो है ही, कांग्रेस का आम कार्यकर्ता भी असमंजस में है।

राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ की जीत ने उत्तराखण्ड कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जो जोश उत्पन्न किया था उसे उत्तराखण्ड कांग्रेस के बड़े नेताओं की रार ने ठंडा कर दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की पांचों सीटें जीतने के कांग्रेस के दावे अभी तक तो हवाई ही नजर आ रहे हैं। पार्टी के अधिकांश नेताओं में अभी तक ऐसी कोई आम सहमति नजर नहीं आ रही जो 2019 में भाजपा के लिए चुनौती पेश कर सके। कैडर आधारित भारतीय जनता पार्टी के सामने कांग्रेस अभी तक ऐसा रोडमैप प्रस्तुत नहीं कर पाई है कि वो भाजपा की चुनौती का मुकाबला करेगी तो कैसे? निकाय चुनावों में मेयर की सीटों पर पराजय खासकर हल्द्वानी में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश की पराजय ने नेताओं के बीच अविश्वास की खाई बढ़ाने का ही काम किया है। लंबे समय से कांग्रेस के प्रदेश स्तर के पदाधिकारी रहे व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के निकटस्थ प्रदेश महामंत्री खजान चंद्र पांडे के पार्टी से निष्कासन ने इसमें आग में घी का काम किया। इससे पार्टी के अंदर के अंतर्विरोध जहां सामने आए वहीं गुटबाजी में फंसी कांग्रेस नेताओं को आमने-सामने खड़ा कर दिया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने जहां इस निष्काशन को उचित ठहराया, वहीं पार्टी के उपनेता व रानीखेत के विधायक करन माहरा इस निष्कासन के विरोध में खड़े हो गए।


उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद से ही अगर देखा जाय तो कांग्रेस के बड़े नेताओं ने पार्टी संगठन को समग्र रूप से सांगठनिक तौर पर मजबूत करने का सामूहिक प्रयास किया ही नहीं। इसके अंदर क्षत्रप तो मजबूत होते गये एवं शक्ति संतुलन भी इन बड़े क्षत्रपों के इर्द-गिर्द ही सिमट गया, लेकिन समग्र रूप से पार्टी का संगठन कमजोर होता चला गया। संगठन में ब्लॉक स्तर से लेकर जिलास्तर पर हर बड़े नेता ने संगठन में अपनी ताकत के अनुरूप जेबी पदाधिकारी ही बिठाए जो इन बड़े नेताओं का हित पोषण करते रहे। यही वजह रही कि हरक सिंह रावत, यशपाल आर्या, विजय बहुगुणा एवं अन्यों के पार्टी से जाते समय कई पार्टी पदाधिकारी भी इनके साथ चले गए क्योंकि इनकी निष्ठा पार्टी के प्रति न होकर नेताओं के प्रति थी। नेताओं ने या तो इलाके बांट लिए या फिर गुट बना लिए जिसने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। अंततोगत्वा इसका परिणाम मेयर चुनावों में परिलक्षित हुआ। जिसमें कांग्रेस कई ऐसी सीटें हार गई जहां पार्टी की एकता एवं थोड़ी और मेहनत कांग्रेस को जीत दिला सकती थी। मेयर चुनावों से बढ़ी ये कड़वाहट आगे आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व जिस प्रकार बंटा है उसी प्रकार कार्यकर्ताओं का ध्रुवीकरण संगठन में निचले स्तर तक नेताओं के प्रति व्यक्तिगत निष्ठा के आधार पर हो गया है। उत्तराखण्ड के शीर्ष नेता मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान विधानसभा चुनावों के नतीजों से भी सबक लेने का तैयार नहीं हैं जहां बड़े नेताओं की आपसी समझ एवं एकता कांग्रेस की जीत का आधार बनी।

कभी-कभी अमिताभ बच्चन एवं आमिर खान जैसे सितारों से सजी फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ कमजोर पटकथा के कारण, राजकुमार राव जैसे कम नामी सितारे की मजबूत पटकथा वाली फिल्म ‘स्त्री’ के सामने धाराशायी हो जाती है। यही हाल शायद उत्तराखण्ड कांग्रेस का है जिसके पास हरीश रावत, इंदिरा हृदेयश, प्रीतम सिंह, किशोर उपाध्याय, गोविंद सिंह कुंजवाल, करण माहरा जैसे नामी सितारे तो हैं लेकिन जीत की पटकथा ये मिलकर लिखना नहीं चाहते या फ्लॉप होने के लिए ही हैं। किसी भी राजनीतिक दल के लिए मजबूत पटकथा उसके शीर्ष नेताओं में एकता एवं सांगठनिक मजबूती है और वर्तमान में इसका कांग्रेस में सर्वथा अभाव है। सत्ता से हटने के बाद देखा जाय तो विधानसभा एवं सड़कों पर सरकार की नीतियों के विरुद्ध कांग्रेस कहीं संघर्ष करती नजर नहीं आई जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें कांग्रेस नेताओं के लंबे संघर्ष का ही परिणाम हैं। कांग्रेसी भले ही लाख दावे कर ले संघर्ष का वो जज्बा कांग्रेस नेताओं के अंदर दिखा ही नहीं जो भाजपा ने विपक्ष में रहते अजय भट्ट के समय दिखाया था। कांग्रेस का जो संघर्ष दिखा भी तो वो पार्टी के भीतर अपने प्रतिद्वंदियों के प्रति ज्यादा था। आज कांग्रेस नेताओं के अंदर वास्तविक सोच पार्टी को मजबूत करने की कम पार्टी में अपने प्रतिद्वंदियों की संभावनाओं को चोट पहुंचाने की ज्यादा है जिसमें वो भूल गए कि इससे कुल जमा नुकसान कांग्रेस को ही हुआ है। इस अनबन के बीच प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का यह कहना कि परिवार में अनबन चलती रहती है, यह उनकी मजबूरी को दर्शाता है। वे राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रतिद्वंदी भी प्रतीत होते हैं और पार्टी की दुहाई देकर सहयोग की अपेक्षा भी करते हैं। हां, इतना जरूर है कि वे अभी अपना मजबूत गुट खड़ा नहीं कर पाये हैं जो हरीश रावत के समक्ष चुनौती पेश कर सके।

हरीश रावत के राष्ट्रीय महासचिव एवं असम के प्रभारी बनने के बाद उनके प्रतिद्वंदियों को लगा था कि रावत की भूमिका उत्तराखण्ड की राजनीति में सीमित हो गई है। इससे शायद ये संदेश गया कि जो वरिष्ठ नेता पार्टी में परेशानी खड़ी कर सकते हैं उन्हें खाली न बैठाकर कोई पद देकर प्रदेश से दूर कर दिया जाए जिससे प्रदेश संगठन स्वतंत्र को रूप से कार्य करने दिया जाए। लेकिन हरीश रावत की राजनीतिक जड़ें उत्तराखण्ड में इतनी गहरी हैं कि वे खुद को उत्तराखण्ड से दूर नहीं रख पा रहे हैं अपनी सक्रियता को लेकर हरीश रावत का ‘दि संडे पोस्ट’ से कहना था कि मेरी इस सक्रियता को मेरे चुनाव लड़ने या न लड़ने की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। मैं तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनावों की हार की कुंठा से निकलवाकर उत्साहपूर्वक 2019 के चुनावों की तैयारियों में जुट जाने का आहवान करने निकला हूं। हरीश रावत का कुमाऊं दौरा कई दृष्टियों से भविष्य के संकेत दे गया। उनका तराई का दौरा और साथ ही कुमाऊं केसरी खुशीराम टम्टा की जयंती पर उनके पैतृक निवास हल्द्वानी में हुए कार्यक्रम में उपस्थिति तथा कई लोगों से संवाद मुलाकात आगामी लोकसभा चुनावों की सरगर्मियों की आहट है। जो कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति को तय करेगी। वो भी जब हल्द्वानी मेयर चुनाव में सहयेग न करने का आरोप हरीश रावत पर लगा है।

2019 के लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही साथ उत्तराखण्ड खासकर कांग्रेस की राजनीति में हलचल होनी तय है जिस प्रकार कांग्रेस का चरमराया राजनीतिक ढांचा एवं कमजोर संगठन है, नेताओं के अंतिर्विरोध आने वाले समय में और उजागर होंगे। सवाल है कि क्या राहुल गांधी हाल में जीते गए तीन राज्यों में अपनायी गई रणनीति उत्तराखण्ड में भी अपनाकर नेताओं के मनोमालिन्य दूर करेंगे। ताकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार किया जा सके।

You may also like

MERA DDDD DDD DD
bacan4d toto
bacan4d
bacan4d
bacan4d toto
bacan4d toto
slot gacor
Toto Slot
Bacan4d Login
bacan4drtp
bacan4drtp
situs bacan4d
Bacan4d
slot dana
slot bacan4d
bacan4d togel
bacan4d game
bacan4d login
bacan4d login
bacantoto 4d
slot gacor
slot toto
bacan4d
bacansport
bacansport
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot77 gacor
JAVHD
Bacan4d Login
Bacan4d toto
Bacan4d
Bacansports
bacansports
Slot Dana
situs toto
bacansports
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
bacan4d
bacan4d
bacansport
bacansport
gacor slot
slot gacor777
slot gacor bacan4d
toto gacor
bacan4d
toto slot
bacansports login
Slot Gacor
slot gacor
slot maxwin
toto togel
slot dana
toto gacor
slot gacor
slot777
slot dana
slot gacor
bacansports
bacansport
slot gacor
100 pasaran slot
bacansport
bacansport
bawan4d
bacansports
bacansport
slot gacor
slot gacor
toto slot
bacan4d slot toto casino slot slot gacor