आईपीएल की खुमारी में डूबे क्रिकेट प्रेमियों के लिए उत्तराखण्ड से सुखद खबर है। 19 साल तक क्रिकेट के खेल में विवादों के चलते बीसीसीआई की मान्यता से दूर रही देवभूमि में जल्द ही आईपीएल जैसे रोमांच का मजा यहां के लोग भी ले सकेंगे। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड (यूसीयू) की ओर से प्रदेश में आईपीएल की तर्ज पर टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन कराया जाएगा। जिसका नाम उत्तराखण्ड प्रीमियर लीग होगा। आयोजन की खास बात यह है कि इसमें सीनियर पुरुष और महिला वर्ग के खिलाड़ी हिस्सा ले सकेंगे। इस लीग में खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर बीसीसीआई की आगामी प्रतियोगिताओं के लिए टीमों का चयन किया जाएगा। इस बाबत भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड उत्तराखण्ड प्रीमीयर लीग के पहले संस्करण में ट्रायल मैच आयोजित कर चुका है
आने वाले दिनों में उत्तराखण्ड में आईपीएल की तर्ज पर यूपीएल (उत्तराखण्ड प्रीमियर लीग) के मैच आयोजित होंगे। जिसमें उत्तराखण्ड के दूरदराज क्षेत्रों की युवा क्रिकेट प्रतिभाएं अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएंगी। भारतीय किक्रेट कंट्रोल बोर्ड यूपीएल के पहले संस्करण में ट्रायल मैच आयोजित करा चुका है। अब दूसरे संस्करण में आईपीएल की तर्ज पर मैच आयोजित होंगे। जिसमें हर टीम की फ्रेंचाइजी होगी, टीमों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी और खिलाड़ियों की बोली भी लगेगी।
यूपीएल कराने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के हर जनपद से क्रिकेट प्रतिभाओं को एक बेहतर मंच प्रदान कराना है। उल्लेखनीय है कि यूपीएल बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट है। यूपीएल के जरिए यहां की प्रतिभाएं अपना हूनर दिखाने में सक्षम होंगी। वैसे भी आईपीएल में उत्तराखण्ड की कई प्रतिभाएं इस समय अलग-अलग टीमों से खेल रही हैं या खेल चुकी हैं, जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। माना जा रहा है कि अगर प्रदेश में लगातार यूपीएल टूर्नामेंट होते रहे तो कई प्रतिभाएं आने वाले समय में राष्ट्रीय टीम में अपना स्थान बना सकती हैं।
प्रदेश में युवा क्रिकेटरों की प्रतिभाओं को देखते हुए ही बीसीसीआई ने यूपीएल को प्रदेश में मान्यता प्रदान की है। इस तरह टूर्नामेंट आयोजित करने वाला उत्तराखण्ड तीसरा राज्य है। उत्तराखण्ड के अलावा तमिलनाडु व मुंबई में ही इस तरह के टूर्नामेंट आयोजित हो रहे हैं। पिछले दिनों ट्रायल के तौर पर खेला गया यूपीएल काफी शानदार रहा। राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, देहरादून में खेले गए इस ट्रायल मैच में में प्रदेश की छह टीमों, जिसमें देहरादून दबंग, पिथौरागढ़ चैंप्स, टेहरी टाइटिन, हरिद्वार हीरोज, नैनीताल निजंस एवं ऊधमसिंह नगर टाइगर्स टीमों ने हिस्सा लिया। इस पूरे आयोजन में 18 मैच खेले गए, जिसमें 9 मैचें दिन में व 9 दिन-रात्रि में खेले गए। टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में चार टीमों, पिथौरागढ़ चैंप्स, ऊधमसिंह नगर
टाइगर्स, देहरादून दबंग, टेहरी टाइटंस की टीमें पहुंची। फाइनल मैच पिथौरागढ़ चैंप्स व टेहरी टाइटंस के बीच खेला गया। टेहरी टाइटंस इस टूर्नामेंट को जीतने में सफल रही। फाइनल मुकाबले में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद गवाह बने।
चूंकि यूपीएल का पहला टूर्नामेंट ट्रायल आधारित था। लेकिन इसके सफल आयोजन के बाद दूसरे संस्करण को आईपीएल की तर्ज पर आयोजित कराने के लिए क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड ने तैयारियां शुरू कर दी है। इसके अलावा महिला क्रिकेट प्रतिभाओं को तरासने के लिए भी अब आईपीएल की तर्ज पर हंसा धनै टी-20 लीग आयोजित कराने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। क्रिकेट में भविष्य देखने वाली उत्तराखण्ड की बालाओं के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा, ऐसी आशा की जा रही है। प्रदेश में क्रिकेट के लिए माहौल बनाने व यूपीएल को मान्यता दिलाने के साथ ही प्रतिभाओं को तलाशने- तराशने में सीमांत पिथौरागढ़ के पूर्व क्रिकेटर उमेश चंद्र जोशी का काफी योगदान रहा है। जोशी बाएं हाथ के शानदार स्पिनर गेंदबाज रहे हैं। वर्तमान में वह यूजेवीएनएल में इंजीनियर पद पर कार्यरत हैं। वह क्रिकेट व बैडमिंटन में दो बार उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अभी वह उत्तराखण्ड प्रीमियर लीग के वाइस चेयरमैन हैं।
यूपीएल का द्वितीय संस्करण आईपीएल की तर्ज पर आयोजित होगा। इसमें खिलाड़ियों की नीलामी होगी। अलग-अलग टीमों के अपने फ्रेंचाइजी होंगे। टीमों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। इसके लिए क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस तरह का टूर्नामेंट आयोजित करने वाला उत्तराखण्ड देश का तीसरा प्रदेश है। यह उत्तराखण्ड क्रिकेट के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इसके अलावा हम महिलाओं के लिए भी आईपीएल की तर्ज पर टी-20 लीग आयोजित कराने जा रहे हैं। हमारा उद्देश्य प्रदेश के हर जनपद की क्रिकेट प्रतिभाओं को एक बेहतर मंच प्रदान करना है।
उमेश चन्द्र जोशी, वाइस चेयरमैन, उत्तराखण्ड प्रीमियर लीग
खेल में हुए ‘खेल’!
राज्य स्थापना के 19 साल बाद अगस्त 2019 में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड (सीएयू) को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से मान्यता मिली। जिसके बाद प्रदेश के युवाओं को उम्मीद जगी कि वे खेल जगत में अपना नाम कमा सकेंगे। लेकिन शुरुआत से ही एसोसिएशन में वर्चस्व की जंग शुरू हो गई। अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई के चुनाव में सीएयू के सचिव महिम वर्मा को बीसीसीआई उपाध्यक्ष बनाया गया। सीएयू में सचिव पद को लेकर खींचतान खुलकर सामने आने के बाद महिम वर्मा को उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था। महिम वर्मा के साथ ही सीएयू के कोषाध्यक्ष पर भी वित्तीय मामलों में हस्ताक्षर नहीं करने और वेंडरों के बिल रुकने के कारण कई तरह के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। गत वर्ष एक बार फिर सीएयू पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लग चुके हैं। जिसमें सोशल मीडिया में भी कई तरह के आरोप सामने आते रहे। जिसके बाद एसोसिएशन को मीडिया के सामने आकर सफाई तक देनी पड़ी। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड का दावा था कि कुछ लोगों द्वारा भ्रामक खबरें फैलाकर एसोसिएशन की गरिमा को धूमिल किया गया है। असत्य और भ्रामक जानकारी के साथ सीएयू को बदनाम किया जा रहा है और ऐसे लोगों के खिलाफ एसोसिएशन ने कानूनी कार्रवाई करने का दावा किया था। गौरतलब है कि यह विवाद रणजी ट्रॉफी 2021-22 सीजन के दूसरे क्वार्टर फाइनल में मुंबई से उत्तराखण्ड को मिली रिकॉर्ड 725 रनों से हार के बाद सामने आया था। जिसमें कहा गया कि उत्तराखण्ड की टीम कागजों पर करोड़ों रुपए खर्च दिखाती है, लेकिन खिलाड़ियों को दैनिक भत्ते के रूप में सिर्फ 100 रुपए देती है। उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए खिलाड़ियों के खाने-पीने के खर्चे को सामने किया। सीएयू के मुताबिक खिलाड़ियों को दैनिक भत्ते के रूप में 49 लाख 58 हजार रुपए दिए गए। जबकि खाने-पीने पर 1.74 करोड़ रुपये का खर्चा आया था।