- बबीता भाटिया
धर्म नगरी हरिद्वार में इन दिनों अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी है जिसका मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है। कुछ जगहों पर लोगों ने स्वेच्छा से अपने कच्चे तथा पक्के अतिक्रमण हटाने शुरू कर दिए हैं। लेकिन कुछ स्थानों पर रसूखदार और सफेदपोश नेताओ ने अपनी हठधर्मिता के चलते अभी भी अपने अतिक्रमण नहीं हटाए हैं। कई निर्माण तो पिछले 20 वर्षों में इतने पक्के हो चुके हैं कि उनको तोड़ना अब प्रशासन के बस से बाहर है। जिन जगहों पर अतिक्रमण किए गए हैं वे राजनीतिक दलों के वोट बैंक भी कहे जाते हैं। जब जिला प्रशासन की टीम ऐसे अतिक्रमण को तोड़ने जाती है तो कहीं न कहीं राजनीति आड़े आ जाती है। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। जिसका असर यह हुआ कि प्रशासन को अपना अभियान बंद कर बैरंग लौटना पड़ा। इसके साथ ही यूपी सिंचाई विभाग की जमीन पर भी सैकड़ों की संख्या में अतिक्रमणकारियों ने कब्जे कर लिए हैं।
अतिक्रमण के कारण शहर में अक्सर जाम की स्थिति देखने को मिलती है। इन दिनों धर्मनगरी में यात्री बहुत कम आ रहे हैं उसके बावजूद भी कनखल चौक बाजार, ज्वालापुर बाजार, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड के पास और और शिवमूर्ति चौक से लेकर हर की पौड़ी, भीमगोडा तक अक्सर ही जाम देखने को मिलता है। यात्रा सीजन चरम पर होता है तब स्थिति बहुत ही चिंतनीय हो जाती है। इसके मद्देनजर वर्तमान जिला अधिकारी विनय शंकर पांडे ने करीब छह माह पूर्व एक सराहनीय पहल की थी। उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों को बुलाकर अपने- अपने क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने को कहा था। जिसका कुछ असर भी दिखा लेकिन इस बीच विधानसभा चुनाव आ गए और अतिक्रमण हटाओ अभियान ठंडे बस्ते में चला गया। आने वाले 3 या 4 वर्षों में हरिद्वार में मास्टर प्लान लागू करने की बात अब प्रशासन द्वारा कही जा रही है जिसको लेकर प्रशासन अतिक्रमण पर सख्त रुख अपना रहा है। शहर में सबसे ज्यादा अतिक्रमण बैरागी कैंप में उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग की जमीन पर हुआ है। यहां 600 से अधिक कच्चे और पक्के निर्माण सफेदपोशों के सहयोग से हो चुके हैं जिनको हटाने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे निर्माण सिर्फ 10 रुपए के स्टाम्प पर लाखों की जमीनें बेचकर किए गए हैं। इसका साक्षात उदाहरण तब सामने आया जब जिला प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने बैरागी कैंप पहुंची। उस समय शहर के विधायक मदन कौशिक और उनके समर्थकों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। इस बाबत जब ‘दि संडे पोस्ट’ ने उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता विजय कुमार मौर्य से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया। ऐसा ही उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अभियंता शिवकुमार कौशिक द्वारा किया गया। हालांकि एसडीएम पूरन सिंह राणा और सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश सिंह के आग्रह करने पर कुछ लोगों ने पक्के निर्माण स्वयं ही तोड़ डाले। कनखल में बाबा रामदेव की पुलिया के पास पिछले 20 वर्षों से पक्का निर्माण हो चुका था जिसे अतिक्रमण करने वाले व्यक्ति ने स्वयं ही तोड़ दिया। सवाल यह है कि क्या इस तरह के अतिक्रमण पर रसूखदार संत जो बड़े अखाड़ों, आश्रमों से जुड़े हैं वह भी इस पर कुछ पहल कर प्रशासन का सहयोग करेंगे या हठधर्मिता दिखाते हुए प्रशासन को ठेंगा दिखाते रहेंगे?
कनखल के व्यस्तम झंडा चौक और उसके आस-पास स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आचार्य किशोरी दास वाजपेई की प्रतिमा स्थापित है। लेकिन मौके पर निरीक्षण करने पर पाया गया कि प्रतिमा के सामने चारों तरफ ऑटो खड़े किए जा रहे हैं। इसके चलते प्रतिमा दिखाई नहीं देती। इसको लेकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की ओर से शिकायत की गई है। प्रतिमा के सामने दूरसंचार विभाग के बहुत पुराने बॉक्स स्थापित हैं जिनकी वर्तमान में कोई उपयोगिता नहीं है। इनसे कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है।
मैं अभी पिछले एक सप्ताह से ही तबादला होकर हरिद्वार आया हूं और इस पर सरकार तथा जिला प्रशासन का जो भी निर्णय होगा उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संजय सचदेवा, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के जिला राजस्व अधिकारी