केदारनाथ उपचुनाव जीतकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सियासी शतरंज की चाल में प्यादों को मात देने में कामयाब हुए हैं। इस चुनाव में धामी के लिए कांग्रेस के आक्रामक तेवरों के साथ-साथ घर के उन जयचंदों से निपटना बड़ी चुनौती थी जिन्होंने चुनाव पूर्व ऐसा चक्रव्यूह रचा जिससे पार्टी आलाकमान को लगे कि प्रदेश में मुख्यमंत्री का विरोध चल रहा है। पूर्व में कुमाऊं से चारधाम यात्रा की शुरुआत करने का भ्रामक प्रचार कर धामी को कुुमाऊं-गढ़वाल वाद के दुष्चक्र में फंसाने का षड्यंत्र और मर्चूला बस हादसे के बाद रामनगर में पैदा किया गया मुख्यमंत्री विरोध इसी रणनीति का एक हिस्सा था जिसे एक बड़े नेता का वरदहस्त बताया जा रहा है
एक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल में भाजपा को मंगलौर और बद्रीनाथ के उपचुनाव में हार मिली। हालांकि बागेश्वर उपचुनाव उनके मुख्यमंत्रितत्व काल में भाजपा जीती भी और उनके सीएम रहते चौथा उपचुनाव केदारनाथ का था जिस पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। पूर्व में अयोध्या और बद्रीनाथ चुनाव हारने के बाद भाजपा के लिए केदारनाथ सीट को जीतना जनता के बीच हिंदुत्व के मुद्दे को बरकरार रखने चलते बेहद जरूरी था। प्रदेश के मुखिया का पूरा फोकस इस उपचुनाव पर था। धामी ने चुनाव की कमान अपने हाथों में ले रखी थी।
दो
चार नवंबर को अचानक अल्मोड़ा जिले के सल्ट में मर्चूला बस हादसा हो गया। इस हादसे में 37 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। प्रदेश का यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य रहा है कि यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सड़क हादसे देवभूमि में नासूर बनकर सामने आते रहे हैं। पिछले 24 सालों की ही बात करें तो करीब 20 हजार लोग ऐसे हादसों का शिकार हो चुके हैं। इन्हीं हादसों की सूची में शामिल हुए मर्चूला बस हादसे की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी घटना स्थल पहुंचे थे। घटना के समय सीएम धामी दिल्ली में थे वहां से अपने सभी कार्यक्रम और बैठक रद्द कर वे रामनगर स्थित उस सरकारी अस्पताल में भी गए जहां इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों का इलाज चल रहा था।
तीन
रामनगर का सरकारी अस्पताल पिछले कई सालों से पीपीपी मोड़ (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) पर चल रहा है। जहां सरकार द्वारा करीब ढ़ाई करोड़ रूपया प्रति माह देने के बावजूद चिकित्सा व्यवस्था न केवल चरमराई हुई है, बल्कि यहां स्थानीय लोगों का संतोषजनक इलाज भी नहीं होता है। जिस चलते इस अस्पताल को पीपीपी मोड़ से हटाने के लिए आंदोलन चलते रहते हैं। एक बार फिर से इस मुद्दे पर लोग उस समय आक्रोशित हो गए जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मर्चूला सड़क हादसे के पीड़ितों से मिलने अस्पताल पहुंचे। मुख्यमंत्री के सामने ही अस्पताल से घायलांे को रेफर किए जाने का सिलसिला चल रहा था। पीड़ितों को हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल और ऋषिकेश स्थित एम्स में ले जाया जा रहा था। पीड़ितों के परिजनों को अस्पताल के इस सिस्टम ने इतना आहत किया कि वे मुख्यमंत्री के समक्ष ही रोष प्रकट करने लगे। इसके अलावा कांग्रेसी नेताओं ने भी मुख्यमंत्री से अस्पताल को पीपीपी मोड़ से हटाने की मांग की। इनमें पुष्कर दुर्गापाल, जीत खोरिया, हरिप्रिया सती और संजय नेगी सहित कई लोग शामिल थे। मुख्यमंत्री धामी ने सभी की बात को ध्यानपूर्वक सुना और अस्पताल को पीपीपी मोड़ से हटाने का आश्वासन दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री अपने काफिले के साथ वहां से चले गए। बाद में कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के विरोध में नारे लगाए।
मीडिया की नकारात्मक भूमिका
इस पूरे प्रकरण के अगले दिन कुछ यूटयूबर्स द्वारा अचानक से प्रसारित किया जाने लगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विरोध उन्हीं की पार्टी के नेताओं द्वारा किया गया। इस बाबत एक वीडियो भी वायरल की गई जिसमें भाजपा के एक स्थानीय नेता को खलनायक के तौर पर प्रस्तुत किया गया। भाजपा के उस नेता द्वारा किए गए हाथ के इशारे को यह कहकर प्रसारित किया गया कि वह नेता विरोधियों को मुख्यमंत्री के सामने जाने का इशारा कर रहे थे। साथ ही दावा किया गया कि भाजपा के यही नेता मुख्यमंत्री का विरोध कराने के लिए विपक्षी नेताओं को आगे बुला रहे थे। भाजपा के उस नेता का नाम संजय डॉर्वी बताया गया।
कौन है संजय डोर्वी
संजय डोर्वी मूलतः एक ठेकेदार हैं साथ ही वे भाजपा के नेता भी हैं। डोर्वी पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के खास लोगों में गिने जाते हैं। लोग उन्हें कोश्यारी का शिष्य भी कहते हैं। इस नाते उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ‘गुरू भाई’ भी कह पुकारा जाता है। संजय डोर्वी ऐसे व्यक्ति हैं जो आज भी अपने गुरू भगत सिंह कोश्यारी का सम्मान पूर्व की भांति बरकरार रखे हुए हैं। लोग इसकी उपमा देते हुए बताते हैं कि उनकी गाड़ी पर से ‘भगत सिंह कोश्यारी’ का नाम कभी नहीं हटा। भले ही सत्ता बदली लेकिन डोर्वी अपने गुरू प्रेम से बिल्कुल नहीं डगमगाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और संजय डोर्वी गुरू भाई हैं तो स्वाभाविक है कि उनके मध्य रिश्ते भी मधुर ही होंगे। यह सच भी है जब से पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने हैं तब से संजय डोर्वी का कद रामनगर की भाजपा राजनीति में अचानक उभरा है। उन्हें मुख्यमंत्री धामी के करीबी नेताओं में भी गिना जाने लगा है। यहां तक कि आगामी निकाय चुनाव में डोर्वी को रामनगर से भाजपा का नगर पालिका के चेयरमैन पद का सशक्त उम्मीदवार भी माना जाने लगा है। यही वजह है कि रामनगर में भाजपा के एक गुट को डोर्वी अब अपने रास्ते में रोड़ा बनते दिखाई दे रहे हैं। यह गुट आगामी नगर पालिका चुनाव में अपनी दावेदारी मजबूत मानकर चल रहा है। लोगों का कहना है कि डोर्वी को इसी गुट द्वारा राजनीतिक साजिश का शिकार बनाने की कोशिश की गई।
विधायक की प्रेस कॉन्फ्रेंस
रामनगर से तीसरी बार भाजपा के विधायक बने दीवान सिंह बिष्ट को अपनी सौम्यता और सरलता के लिए जाना जाता है। उनकी पहचान यही है कि वे किसी भी मुद्दे पर मुखर नहीं होते हैं। विरोधियों के व्यंगवाणों को वे अक्सर मौन रहकर काट दिया करते हैं। मीडिया से भी वे साल भर में एक या दो बार मुखातिब होते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के रामनगर दौरे के बाद अचानक उनका मीडिया प्रेम जाग उठा।
विधायक बिष्ट ने अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने 6 नवंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विरोध के मुद्दे को उठाते हुए मीडिया से कहा कि 4 नवंबर को मर्चूला बस हादसे के घायलों से मिलने रामनगर अस्पताल पहुंचे मुख्यमंत्री धामी का विरोध करने वालों की वह निंदा करते हैं। विरोध करने वालांे को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। विधायक बिष्ट ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री का विरोध कर माहौल खराब करने का प्रयास किया गया था। यह मौका विरोध करने का नहीं था। विरोध यदि था तो कभी भी किया जा सकता था। हालांकि विधायक दीवान सिंह बिष्ट की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का उल्टा असर पड़ा और मुख्यमंत्री के विरोध का मुद्दा खासा गर्मा गया। लोगों का कहना है कि प्रदेश में यह पहला मामला नहीं है जब मुख्यमंत्री धामी को लोगों के रोष का सामना करना पड़ा हो, बल्कि इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आए है। लेकिन भाजपा के किसी भी विधायक के द्वारा इस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री के विरोध की बात कह प्रसारित नहीं किया गया। पार्टी के ही नेता सवाल करतेे हैं कि विधायक द्वारा इस मुद्दे पर पत्रकारों से वार्ता का क्या नतीजा निकला? क्या वह मुख्यमंत्री विरोध की बात करके पूरे प्रदेश में यह संदेश देना चाहते थे कि रामनगर में उनके खिलाफ माहौल है?
तहरीर पर तकरार
यह मामला स्थानीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट की प्रेस कांन्फ्रेंस तक ही नहीं सिमटा, बल्कि इसके अगले दिन भाजपा के नगर अध्यक्ष मदन जोशी के द्वारा रामनगर कोतवाली में एक तहरीर दी गई। जिसमें कहा गया कि रामनगर आने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ विरोध कर रहे लोगों पर एफआईआर की जाए। जोशी द्वारा मुकदमा दर्ज कराने के लिए जिन लोगों के नाम दिए गए उनमें सिर्फ तीन नाम हैं और तीनांे ही अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। ये हैं चांद खान, जावेद खान और फरमान। ऐसे में नगर अध्यक्ष के इस कदम पर सवाल उठ रहे हैं। लोग कह रहे हैं मुख्यमंत्री के सामने काफी संख्या में लोग मौजूद थे जिन्होंने उनके समक्ष अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। खासकर पीपीपी मोड़ से सम्बंधित बात की गई। ऐसे में इस मामले को मुख्यमंत्री का विरोध करार देकर कोतवाली में तहरीर देना उचित नहीं था क्योंकि हर किसी को मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात कहने का हक है। इससे भी ज्यादा हैरानी इस बात पर की जा रही है कि सरकारी अस्पताल के सामने ऐसे सैकड़ों लोग थे जो मुख्यमंत्री धामी से अस्पताल की व्यवस्था के प्रति अपना आक्रोश प्रकट कर रहे थे तो क्या ऐसे में सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के तीन लोगों के खिलाफ तहरीर देना उचित माना जाएगा। कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि पार्टी के नगर अध्यक्ष मदन बिष्ट नगर पालिका में चेयरमैन का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं वे इस मुद्दे पर मुस्लिम सम्प्रदाय के लोगों के खिलाफ तहरीर देकर हिंदू मतों का धु्रवीकरण करने की राजनीति कर रहे हैं। चर्चा यह भी है कि एक स्थानीय यूटयूबर को साजिशन मुख्यमंत्री से मिलवाया गया ताकि रामनगर में सीएम के खिलाफ कथित विरोध को हवा दी जा सके।
रामनगर से ही शुरू हुआ था चारधाम यात्रा विवाद
इस वर्ष गढ़वाल से चल रही चारधाम यात्रा को जाम से निजात दिलाने के लिए रामनगर से वैकल्पिक रास्ता बनाने की बात उठी थी जिसने बाद में विवाद का रूप ले लिया। इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ एक राजनीतिक हाथियार की तरह इस्तेमाल किया गया। कहा गया कि मुख्यमंत्री धामी गढ़वाल के लिए आर्थिक रीढ़ बनी चारधाम यात्रा को कुमाऊं से शुरू कराकर गढ़वाल के लोगों के रोजगार पर डाका डालने की तैयारी कर रहे हैं। बताया तो यहां तक जाता है कि पूर्व में बद्रीनाथ उपचुनाव में हार का एक कारण चारधाम यात्रा पर यह भ्रामक प्रचार भी रहा। केदारनाथ उपचुनाव में भी विरोधी इसी हथियार का दुष्प्रचार कर इस सीट को हराने की पूरी तैयारी में जुटे थे। लेकिन ऐन वक्त पर मुख्यमंत्री धामी ने यात्रा को गढ़वाल से ही सूचारु रखने की बात कहकर इस मुद्दे की हवा निकाल दी। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह मुद्दा शुरू किसने और कहां से किया? इसके जवाब में लोगों का इशारा रामनगर के नेताओं की तरफ है जिन्हें केंद्र के एक नेता का वरदहस्त है। सूत्रों की मानें तो भाजपा आलाकमान के अति निकट इस नेता के करीबी भाजपाई ही मुख्यमंत्री के खिलाफ रामनगर में माहौल खराब करने का काम कर रहे हैं।
चारधाम यात्रा पर है मुख्यमंत्री का पूरा फोकस
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से चारधाम यात्रा ने कई रिकॉर्ड कायम किए हैं। 2013 की आपदा के बाद 2014 में केदारधाम पहुंचने वालों की संख्या मात्र 40 हजार रह गई थी, उससे पहले भी 2 से 3 लाख लोग ही केदार धाम पहुंचते थे। 2023 आते-आते भक्तों की इस संख्या ने 20 लाख का आकड़ा पार कर रिकॉर्ड बना डाला। इसी साल चारधाम में 50 लाख तक यात्री यहां पहुंचे और नया इतिहास बना। 2024 में भी 56 दिन की यात्रा कम होने और 15 दिन देर से शुरू होने के अतिरिक्त आपदा से 19 सड़कों के क्षतिग्रस्त होने के बावजूद 16.5 लाख तीर्थ यात्री केदार के दरबार में पहुंचे। फिलहाल सीएम धामी चारधाम यात्रा की अव्यवस्थाओं को लेकर गम्भीर है। इस बाबत उन्होंने चारधाम यात्रा प्राधिकरण बनाने की पूरी तैयारी कर ली है। जिसे 2025 में मूर्त रूप में सामने लाकर इस यात्रा को सरल बनाया जाएगा।
बात अपनी-अपनी
इस सम्बंध में मेरी मुख्यमंत्री जी से बात हुई थी। उन्होंने मुझसे कहा है कि मैं इस मामले की जांच कराता हूं और मालूम कराता हूं कि माजरा क्या था और कौन वो लोग थे?
दीवान सिंह बिष्ट, विधायक, रामनगर
हम तो पिछले कई साल से सरकारी अस्पताल को पीपीपी मोड़ पर किए जाने के विरोध में हैं। यह अस्पताल जब से पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप में गया है तब से यहां मरीजों के साथ इलाज के नाम पर मजाक हो रहा है। यह अस्पताल सिर्फ रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। इसी बात को कहने के लिए हम सीएम साहब से मिले थे। मैंने उनसे कुमाऊंनी में बात की और कहा कि मैं भी पुष्कर तुम भी पुष्कर फिर क्यों नहीं जनता के हितकर। इस पर सीएम साहब ने अस्पताल को पीपीपी मोड़ से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
पुष्कर दुर्गापाल, पूर्व राज्य दर्जा मंत्री
अस्पताल के सामने हमारी पार्टी के साथ ही कांग्रेस के नेता भी थे, पत्रकार और पीड़ितों के परिजन भी थे। कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री जी से मिला दो मैंने सिर्फ इतना काम किया कि उन्हें सीएम साहब से मिलवाने को हाथ का इशारा किया था। जिसे एक यूटयूबर द्वारा साजिश करार दे दिया गया। असली साजिश तो कहीं और से हो रही थी और जो हो रही थी उसका सबको पता है। मुख्यमंत्री जी मेरे गुरू भाई हैं मैं उनके खिलाफ विरोध करना कराना तो छोड़िए सोच भी नहीं सकता। मुझे यह भी विश्वास है कि मेरे खिलाफ कितना ही दुष्प्रचार कर लो इससे सीएम को मेरी विश्वसनीयता पर कोई भ्रम पैदा नहीं हो सकता है।
संजय डोर्वी, भाजपा नेता
उस दिन जो भी हुआ वह गलत हुआ। भाजपा का ही एक गैंग संजय डोर्वी भाई के बहाने मुख्यमंत्री धामी की छवि को बट्टा लगाने की कोशिश कर रहा था जो सफल नहीं हुई। मुझसे और पुष्कर दा से संजय डोर्वी जी ने सीएम साहब से मिलवाने का वादा किया था जिसे उन्होंने पूरा भी किया। कुछ लोगों को संजय भाई का सीएम का करीबी होना सहन नहीं हो रहा है। उन्हें लगता है कि संजय उन सबमें नगर पालिका चेयरमैन पद के मजबूत दावेदार हैं।
संजय नेगी, पूर्व ब्लॉक प्रमुख
हमने मुख्यमंत्री जी का कोई विरोध नहीं किया। हमने सिर्फ अस्पताल को पीपीपी मोड़ से हटाने की मांग की थी। हमारे खिलाफ थाने में तहरीर दे दी गई। वहां तो सैकड़ों लोग मौजूद थे जो मुख्यमंत्री जी के सामने अपनी बात रख रहे थे लेकिन भाजपा नेताओं के द्वारा हमें ही निशाना बनाया गया। यह सिर्फ और सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति के तहत किया गया है।
चांद खान, निवासी रामनगर
बात अपनी-अपनी
सभी जानते हैं कि वहां हमारी सरकार के खिलाफ लोगों में अस्पताल के पीपीपी मोड़ के खिलाफ रोष था। इस रोष की वजह से ही लोग आक्रोशित हुए थे। यह भी सब जानते हैं कि पीपीपी मोड़ से अस्पताल जल्द ही हटने वाला है। फिर इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री के सामने इतना विरोध क्यों किया गया? इसकी जांच होनी चाहिए। हालांकि इस सम्बंध में मुख्यमंत्री जी ने एलआईयू जांच बैठाई है जिसमें सच सामने आ जाएगा, अगर बात करें तीन मुस्लिमों की तो मैं आपको उनकी वीडियो भेज सकता हूं जिसमें वे मुख्यमंत्री का विरोध कर रहे थे, अभद्र नारे लगा रहे थे और उनकी गाड़ी तक को पीट रहे थे। इस सम्बंध में मुझ पर लोग साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं, यह सच है लेकिन यह भी देखना चाहिए कि इन लोगों ने पुछड़ी का अतिक्रमण किया हुआ है। यह अतिक्रमण हटाया जाना जरूरी है। जिन तीन मुस्लिमों के नाम मैंने तहरीर सौपी है उनमें एक नाम ऐसा भी है जिस पर पहले से ही केस चल रहा है। मैंने देखा था कि कुछ लोग केदारनाथ उपचुनाव को लेकर भी राजनीति कर रहे थे जिनमें अधिकतर कांग्रेसी थे। कुल मिलाकर उस दिन जो कुछ हुआ वह नहीं होना चाहिए था।
मदन जोशी, भाजपा नगर अध्यक्ष, रामनगर
भाजपा के नगर अध्यक्ष द्वारा तहरीर दी गई थी। जिसमें तीन नाम थे और बाकी अज्ञात हैं। हम इसकी अभी जांच कर रहे हैं। जांच करने के बाद ही अगला निर्णय लिया जाएगा।
अरूण सैनी, कोतवाली इंचार्ज, रामनगर