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Uttarakhand Country

मिथक तोड़ने वाले मुख्यमंत्री बनेंगे धामी ! 

10 मार्च का दिन था। पांच राज्यों के चुनावी परिणाम सामने आ रहे थे। उत्तराखंड में एक के बाद एक विधानसभा सीट के रिजल्ट बताए जा रहे थे। हर विधानसभा सीट के परिणाम के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर चमक बढ़ती जा रही थी। लेकिन जैसे ही उनकी विधानसभा खटीमा का परिणाम सामने आया तो एकबारगी विश्वास ही नहीं हुआ। प्रदेश में हार के कगार पर पहुंच चुकी भाजपा के अधिकतर विधायक जिस मुख्यमंत्री धामी के सीएम रहते चुनाव जीत गए। जब उनकी विधानसभा का चुनाव परिणाम सामने आया तो वह चुनाव हार चुके थे।
एक तरफ प्रदेश में बढ़ रही पार्टी की सीटों की खुशी थी तो दूसरी तरफ उनकी सीट के हारने का गम था। खुशी और गम का यह संगम उनके चेहरे पर सभी ने देखा। हालांकि जब से यह कयास लगाए जाने लगे कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रिपीट होंगे तब से उनके चेहरे पर कॉन्फिडेंस पहले से ज्यादा बढ़ गया है ।
आज तक का यह इतिहास रहा है कि उत्तराखंड में जब एक कार्यकाल में कोई नेता सीएम बना तो वह दूसरे कार्यकाल में रिपीट नहीं हो सका । प्रदेश में बीसी खंडूरी दूसरी बार मुख्यमंत्री जरूर बने, लेकिन वह एक ही कार्यकाल में रिपिट हुए थे।
 प्रदेश में ऐसे चार मिथक चलते आ रहे हैं, जिनमें दो मिथक टूट चुके हैं । दो मिथक अभी बाकी है। जिनमें एक पर सभी की निगाहें हैं । वह मिथक है प्रदेश में दूसरी बार मुख्यमंत्री का कार्यकाल शुरू होना। सियासी गलियारों में यह चर्चा आम है कि इस बार यह मिथक टूटने जा रहा है । जिसमें पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में दोबारा मुख्यमंत्री बनाए जा रहे हैं। दिल्ली से छन छन कर आ रही खबरों के अनुसार होली के बाद धामी के सर पर मुख्यमंत्री का ताज पहना दिया जाएगा। इसके लिए पूरी रणनीति अख्तियार हो चुकी है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री चयन का जिम्मा देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कानून मंत्री मीनाक्षी लेखी को सौंपा गया है। राजनीतिक पंडित इसे पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में बता रहे हैं। याद रहे कि विधानसभा चुनाव में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के कई दौरों किए थे। चुनावी रैलियों में उन्होंने पुष्कर को फ्लावर बताया था । साथ ही कहा था कि यह फूल ( पुष्कर सिंह धामी )  फिर से उत्तराखंड में खिलेगा।
प्रदेश में हर पांच साल बाद सरकार बदलने के मिथक को तोड़ने के लिए  प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक विशेष रणनीति बनाई थी और चुनावी नतीजे इसकी सफलता की तसदीक भी करते हैं। ज्ञात हो कि हाल में संपन्न उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 70 में से 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
 इस जीत का श्रेय प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जा रहा है। जिन्होंने महज 6 माह के अल्पकाल में ही रसातल में आ चुकी पार्टी को उभारने का काम किया। परिणामस्वरूप प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब उत्तराखंड में भाजपा को के लगातार दूसरी बार भारी बहुमत हासिल हुआ।
इसके चलते ही अब तक प्रदेश में चले आ रहे चार मिथक में से दो मिथक टूट चुके हैं। जिनमें एक मिथक यह था कि प्रदेश में एक बार भाजपा तो दूसरी बार कांग्रेस की ही सरकार बनती आई है। पिछले दो दशक के दौरान एक पार्टी ने दूसरी बार कभी बहुमत हासिल नहीं किया। लेकिन प्रदेश में यह मिथक टूटा और भाजपा ने रिकॉर्ड तोड़ सफलता हासिल की।
उत्तराखंड में भाजपा के लिए जिस तरह की चुनौती थी और हर पांच साल में सरकार बदलने का जो क्रम था, उसे तोड़ने के लिए रणनीतिक तौर पुष्कर सिंह धामी द्वारा बेहतरीन परफॉर्मेंस दी गई। इसका नतीजा यह हुआ कि प्रदेश की जनता ने लगातार दूसरी बार भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई।
दूसरा मिथक यह था कि प्रदेश में अब तक जितने भी शिक्षा मंत्री बने वह दोबारा जीतकर नहीं आए। लेकिन इस बार भाजपा के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे यह मिथक तोडकर गदरपुर से जीत हासिल की।
खटीमा से अपना विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद पार्टी के ही एक गुट द्वारा पुष्कर सिंह धामी को दवाब में लिए जाने की तैयारी की जा रही है। उन्हें मुख्यमंत्री न बनाए जाने की सियासी चाल चली जाने लगी है । विरोधी खेमा सक्रिय भी हो गया है। यह खेमा दिल्ली से देहरादून तक गोटियां फिट करने में जुट गया हैं ।
 लेकिन दूसरी तरफ प्रदेश में जीत कर आए आधा दर्जन ऐसे नवनियुक्त विधायक भी है जो पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव हराने वाले लाल कुआं के विधायक डॉ मोहन सिंह बिष्ट, चंपावत से विधायक बने कैलाश गहतौडी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल को जागेश्वर से चुनाव हरने वाले मोहन सिंह मेहरा , रुड़की से प्रदीप बत्रा और खानपुर से विधानसभा का निर्दलीय चुनाव जीते पत्रकार उमेश कुमार शामिल है।
 फिलहाल, देशभर के लोगों की निगाहें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तरफ लगी हुई है । देखना यह होगा कि भाजपा यह केंद्रीय नेतृत्व उत्तराखंड में लोकप्रियता के मामले में नंबर वन रहे सीएम पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मौका देती है या नहीं?

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