वर्ष 2014 के बाद भारतीय जनता पार्टी की कार्यशैली में भारी परिवर्तन देखने को मिला है। मोदी-शाह द्वय ने पुरानी पीढ़ी की बनिस्पत युवा नेताओं को आगे बढ़ाने का काम बीते नौ वर्षों के दौरान किया है। उत्तराखण्ड में पुष्कर सिंह ट्टामी की ताजपोशी इसी नीति का हिस्सा है। अब ट्टामी को हिंदुत्व का नया चेहरा बनाने की कवायद होती नजर आ रही है। समान नागरिक आचार संहिता, लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे मुद्दों पर प्रोएक्टिव एप्रोच और सरकारी जमीनों का अतिक्रमण कर बनाई गई मजारों का ट्टवस्तीकरण कर ट्टामी ने अपनी नई छवि को तराशने का काम शुरू कर दिया है। वर्तमान में प्रट्टानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, योगी लेकिन न तो खांटी भाजपाई हैं और न ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से वे आते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके मतभेद हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। ऐसे में पार्टी आलाकमान नई पीढ़ी के जिन खांटी भाजपाई नेताओं को हिंदुत्व का चेहरा बनाने का प्रयास कर रहा है, ट्टामी उनमें सबसे आगे हैं। खबर है कि उन्हें खुलकर बैटिंग करने देने का मन बना चुके पार्टी नेतृत्व ने मुख्यमंत्री को राज्य मंत्रिमंडल में मनमाफिक फेरबदल करने और पार्टी नेताओं को दायित्व बांटने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया है। पहले ट्टामी 35 से 40 दायित्वट्टारियों की नियुक्ति करने जा रहे हैं। उसके बाद राज्य मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल होना तय हो चुका है
उत्तराखण्ड में राजनीतिक तापमान इन दिनों खासा गर्माया हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली बदली-बदली-सी नजर आ रही है। एक तरफ समान नागरिक आचार संहिता, लैंड जिहाद और लव जिहाद जैसे मुद्दों को आगे कर धामी खुद को हिंदुत्व का युवा चेहरा बनाने की तरफ बढ़ते नजर आ रहे हैं तो दूसरी तरफ राज्य भर में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाने की मुहिम छेड़ वे कठोर प्रशासक बतौर भी अपने को स्थापित करने में जुट गए हैं। इन दिनों हर सार्वजनिक मंच से उनका सम्बोधन स्थानीय देवी-देवताओं के जयकारे से शुरू होता है। वे अपने साथ-साथ उपस्थित जनता से भी ऐसे जयकारे लगवाते हैं। धर्म को पर्यटन के साथ जोड़ने की बड़ी कवायद शुरू करते हुए मानसखंड मंदिर माला योजना को शुरू कर धामी हिंदुत्ववादी राजनीति का नया चेहरा बनने की इनिंग खुलकर खेलते नजर आ रहे हैं। बीते कुछ अर्से के दौरान उनके सोशल मीडिया में मंदिर महोत्सव कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति, राम जन्मभूमि से जुड़े वीडियो, समान नागरिक आचार संहिता को लागू करने संबंधी बयान और ‘उत्तराखण्ड में नहीं होगा धर्मांतरण रूपी महापाप’ जैसे पोस्टरों की भरमार देखने को मिल रही है।
जानकारों का दावा है कि मुख्यमंत्री द्वारा सरकारी जमीनों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर बनाई गई मजारों को ध्वस्त करने, राज्य में धर्मांतरण पर रोक लगाए जाने और समान नागरिक आचार संहिता को हर कीमत पर लागू करने की कवायद को पार्टी नेतृत्व द्वारा खासा सराहा गया है। इन मुद्दों पर धामी की प्रोएक्टिव एप्रोच ने उनका कद राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष बढ़ा दिया है। जी-20 समूह की दो बैठकों और चारधाम यात्रा का सफल आयोजन भी मुख्यमंत्री की छवि चमकाने में सहायक रहा है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक पदाधिकारी की मानें तो पुष्कर सिंह धामी को हिंदुत्व के युवा चेहरे बतौर आगे बढ़ाने की रणनीति पर इन दिनों काम किया जा रहा है। यह रणनीति यदि कामयाब रही तो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बरअक्स एक खांटी भाजपा चेहरा हिंदुत्व का नया ब्रांड एम्बेसडर बन सकता है। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ मूल रूप से न तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और न ही भाजपा से तालुल्क रखते हैं। उनके और भाजपा नेतृत्व के मध्य तनातनी की खबरें लगातार मीडिया में छाई रहती हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संग योगी आदित्यनाथ की तल्खी चलते ही उत्तर प्रदेश में नियमित पुलिस महानिदेशक की तैनाती न हो पाना और योगी के करीबी रहे कई अधिकारियों को सेवा विस्तार न मिलने की बात आमतौर पर कही-सुनी जाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ अकेले ऐसे दूसरे नेता हैं जो अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश से बाहर भी खासी पैठ बना पाने में सफल रहे हैं। यह निर्विवाद सत्य है कि पीएम मोदी के बाद हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा वर्तमान में योगी आदित्यनाथ ही हैं। ऐसे में एक सुनियोजित रणनीति के तहत भाजपा जिन युवा चेहरों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनमें से एक हैं।
प्रदेश का राजनीतिक पारा गर्माने के पीछे मुख्यमंत्री की आक्रमक कार्यशैली के साथ-साथ राज्य मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट भी शामिल है। दिल्ली से लेकर देहरादून तक, सत्ता गलियारों में इस संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर नाना प्रकार की कयासबाजियों का दौर अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री को अपने मंत्रिमंडल में आमूलचूल परिवर्तन करने का इशारा पार्टी आलाकमान ने कुछ अर्सा पहले ही कर दिया था। कर्नाटक में पार्टी की करारी हार के बाद अब भाजपा शासित राज्यों में बड़ा उलट-फेर किया जाना तय है। उत्तराखण्ड ऐसे राज्यों में शामिल है जहां 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी संगठन और सरकार की छवि चमकाने का काम किया जाएगा। जानकारों का दावा है कि उत्तराखण्ड में इसकी शुरुआत पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकारी दायित्व दिए जाने से की जाएगी। बताया जा रहा है कि धामी शीघ्र ही 35 से 40 दायित्वधारियों के नाम की घोषणा करने जा रहे हैं जिन्हें राज्य के विभिन्न सरकारी निगमों, उपक्रमों आदि में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य बतौर नियुक्त किया जाएगा। इन पदों में नियुक्ति को लेकर पार्टी भीतर लंबे समय से कवायद चल रही है। कई स्तरों पर विचार-विमर्श बाद लगभग 40 नामों को अब फाइनल किए जाने की बात कही जा रही है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इन नामों की घोषणा शीघ्र किए जाने की बात गत वर्ष 28 दिसंबर को मीडिया संग बातचीत के दौरान कही थी। तब उन्होंने कहा था कि इस विषय पर दो दौर की बातचीत हो चुकी है और अब जल्द ही इसको अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस प्रेस वार्ता के बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि मकर संक्रांति पर्व, 14 जनवरी के दिन भाजपा दायित्वधारियों के नाम का एलान कर सकती है, ऐसा लेकिन हुआ नहीं। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश भाजपा नेताओं के मध्य सामंजस्य के अभाव चलते एक राय बना पाने में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट सफल नहीं हो पाए थे। अब लेकिन पुख्ता खबर है कि पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सलाह- मशविरा कर उनके द्वारा तैयार सूची को अपनी सहमति दे दी है। इन नामों की घोषणा संभवत इसी माह कर दी जाएगी और इसके बाद राज्य मंत्रिमंडल पुनर्गठन को सिरे चढ़ाया जाएगा।
गौरतलब है कि धामी मंत्रिमंडल में इस समय चार पद रिक्त चल रहे हैं। संवैधानिक बाध्यता चलते राज्य में मुख्यमंत्री समेत कुल 12 मंत्री हो सकते हैं। सरकार गठन के समय मुख्यमंत्री समेत नौ मंत्रियों ने शपथ ली थी। तीन पदों को भविष्य में भरे जाने की बात तब कही गई थी। वर्तमान में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास की मृत्यु पश्चात् चार पद रिक्त पड़े है। ‘दि संडे पोस्ट’ को उपलब्ध जानकारी अनुसार भाजपा आलाकमान न केवल इन चार रिक्त पदों को शीघ्र भरने जा रहा है, बल्कि धामी मंत्रिमंडल में शामिल कुछ मंत्रियों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जाना तय किया जा चुका है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री धामी ने बीतें दिनों पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपनी बातें खुलकर रखीं। अपने मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगियों की कार्यशैली से नाखुश मुख्यमंत्री ने पार्टी आलाकमान को अपनी चिंताओं से अवगत कराते हुए ऐसे मंत्रियों को संगठन का काम दिए जाने और इनके स्थान पर नए चेहरों को मंत्री बनाए जाने का सुझाव भी दिया। मुख्यमंत्री धामी को पार्टी नेतृत्व ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही इस बाबत फैसला ले लिया जाएगा।
पार्टी सूत्रों की मानें तो राज्य में दायित्वधारियों के नामों का एलान जून माह में ही कर दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि दायित्वधारियों के नाम तय किए जा चुके हैं और इनमें युवा भाजपा नेताओं को तरजीह दी गई है। यह भी चर्चा है कि इस सूची का एलान होने के तुरंत बाद धामी अपने मंत्रिमंडल को पुनर्गठित करने की भी तैयारी कर चुके हैं।
गिर सकता है इन मंत्रियों का विकेट
प्रेमचंद अग्रवाल धन सिंह रावत रेखा आर्य सतपाल महाराज गणेश जोशी
दिल्ली के सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा है कि पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल में भारी फेरबदल किए जाने का मन पार्टी आलाकमान बना चुका है। बताया जा रहा है कि चार रिक्त पड़े पदों के साथ-साथ तीन से चार मंत्रियों को हटाया जा सकता है। हटाए जाने वाले मंत्रियों में वित्त एवं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल का नाम सबसे आगे है। बीते दिनों विवादों में आए अग्रवाल का हटना लगभग तय है। धामी मंत्रिमंडल में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सरीखे भारी-भरकम विभागों के मंत्री धन सिंह रावत को भी सरकार से हटा संगठन में एडजस्ट किए जाने की चर्चा जोरों पर है। उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके बाद तीरथ सिंह रावत को हटाए जाने बाद जिस नेता के मुख्यमंत्री बनने की बात सबसे ज्यादा चर्चा में रही थी, वे धन सिंह रावत ही थे। रावत लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन सकें और अब उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की बात उठने लगी है। नाना प्रकार के विवादों से धन सिंह रावत का रिश्ता पुराना रहा है। मुख्यमंत्री धामी संग उनके रिश्ते सहज नहीं बताए जाते हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि धन सिंह रावत का पत्ता साफ हो सकता है। धामी सरकार में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य को भी हटाए जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपनी एक मात्र महिला मंत्री की कार्यशैली से खासे नाखुश हैं। खबर वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज को भी हटाए जाने की है। उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाए जाने अथवा राज्य विधानसभा का अध्यक्ष बनाने की संभावना बताई जा रही है। यदि रेखा आर्य को हटाया जाता है तो पूरी संभावना है कि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रितू खण्डूड़ी को धामी मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए। धामी कैबिनेट के एक अन्य मंत्री गणेश जोशी को भी हटाए जाने की बात सत्ता गलियारों में चल रही है।
इन विधायकों की खुल सकती है लॉटरी
चार खाली पड़े मंत्री पदों के लिए जिन विधायकों का नाम चल रहा है उनमें गांगोलीहाट से विधायक फकीर राम टम्टा, कपकोट से विधायक सुरेश गड़िया, राजपुर से विधायक खजान दास और कर्णप्रयाग से विधायक अनिल नौटियाल शामिल हैं। कुमाऊं क्षेत्र से एक ब्राह्मण विधायक को मंत्री बनाए जाने की बात भी उठ रही है। ऐसे में वरिष्ठ भाजपा नेता और कालाढूंगी से विधायक बंशीधर भगत एक बार फिर से मंत्री बन सकते हैं।
फकीर राम टम्टा सुरेश गड़िया खजान दास अनिल नौटियाल बंशीधर भगत रितु खण्डूड़ी