देश में हिंदुत्व का चेहरा बन उभर रहे उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विजय रथ लगातार आगे बढ़ रहा है। 2022 का विधानसभा चुनाव हो या 2024 के लोकसभा चुनाव या फिर 2025 के निकाय चुनाव सभी में धामी ने विजय पताका फहराकर अपने कद में खासा इजाफा कर लिया है। धामी के नेतृत्व में आए निकाय चुनाव नतीजे सूबे में भाजपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। 11 सीटों में से 10 पर भाजपा के मेयर बने हैं जबकि कांग्रेस को करारी हार मिली है। इन नतीजों ने जहां एक तरफ कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरियों और उसके शीर्ष नेताओं के मध्य चल रही आंतरिक कलह को सामने ला दिया है, वहीं भाजपा भीतर धामी विरोधी लॉबी को भी पस्त करने का काम कर दिखाया है। हालांकि कांग्रेस का प्रदर्शन नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में दमदार रहा है। इस दृष्टि से यह कहा जा सकता है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को वॉकओवर नहीं मिलने वाला है और यदि कांग्रेस आलाकमान अपने प्रदेश संगठन को दुरुस्त कर पाता है तो 2027 का रण जीतना भाजपा के लिए खासी मशक्कत वाला साबित होगा
‘‘निकाय चुनाव में विजयी सभी प्रत्याशियों को हार्दिक शुभकामनाएं। जनता जनार्दन ने अपने आशीष से सुयोग्य जनप्रतिनिधियों का चयन कर प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभाई है। अब यह सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्य है कि वे अपने- अपने क्षेत्र में विकास को गति दें और व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। हमारा लक्ष्य नगर निकायों के माध्यम से ‘क्लीन’ (स्वच्छ) और ‘ग्रीन’ (हरित) शहर की अवधारणा को धरातल पर उतारना है, ताकि देश-विदेश से आने वाले पर्यटक अपने साथ सकारात्मक और प्रेरणादायक अनुभव लेकर जाएं।’’
नगर निकाय चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उक्त संदेश देकर सभी प्रदेशवासियों का आभार व्यक्त किया है। धामी के नेतृत्व में 11 में से 10 नगर निगमों पर कब्जा कर भाजपा ने अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। धामी के नेतृत्व में भाजपा को उत्तराखण्ड में अब तक हुए तीन चुनावों में लगातार बढ़त मिली है। सबसे पहले 2022 के विधानसभा चुनाव हुए जिसमें पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ। उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव हुए। जिनमें लगातार तीसरी बार पांचों सीट जीतकर हैट्रिक लगाई गई। फिलहाल नगर निकाय चुनाव में एक बार फिर धामी का विजय रथ आगे बढ़ा और शहर की सरकार में भी अपनी पताका फहराई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये जीत न सिर्फ भाजपा की जीत है, बल्कि धामी की
राजनीतिक कुशलता, कार्यकर्ताओं के उत्साह और जनता की धामी पर बरकरार विश्वास का भी संकेत है। जबकि दूसरी तरफ प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस एक के बाद एक चुनावों में अपनी साख खोती जा रही है। निकाय चुनाव में भी कांग्रेस अपना जनाधार खोती हुई नजर आई।
उत्तराखण्ड के नगर निकाय की 100 सीटों में से 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका और 46 नगर पंचायत के अध्यक्ष और पार्षद के चुनाव हुए हैं। नगर निगम की 11 में से 10 पर भाजपा अपने मेयर बनाने में सफल रही और एक मेयर निर्दलीय का चुना गया है। जबकि कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला। भाजपा हल्द्वानी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, कोटद्वार, रुद्रपुर, हल्द्वानी, काशीपुर, ऋषिकेश, रुड़की और हरिद्वार नगर निगम में अपना मेयर बनाने में कामयाब रही जबकि श्रीनगर में निर्दलीय आरती भंडारी मेयर बनी हैं। कांग्रेस एक भी मेयर नहीं बना सकी, जबकि 2018 में उसके दो मेयर थे।
देहरादून में सौरभ थपलियाल, ऋषिकेश में शम्भू पासवान, काशीपुर में दीपक बाली, हरिद्वार में किरन जायसवाल, रूड़की में अनीता देवी, कोटद्वार में शैलेंद्र रावत, रुद्रपुर में विकास शर्मा, अल्मोड़ा में अजय वर्मा, पिथौरागढ़ में कल्पना देवलाल और हल्द्वानी में गजराज बिष्ट ने भाजपा के टिकट पर मेयर पद पर जीत का परचम लहराया है। जबकि श्रीनगर में मेयर पद पर निर्दलीय प्रत्याशी आरती भंडारी विजयी रहीं।
इस तरह प्रदेश के बड़े शहरों में भी भाजपा का एक तरफा दबदबा रहा। लेकिन नगर पंचायत और नगर पालिका में कांग्रेस और निर्दलीयों से भाजपा को कड़ी टक्कर मिली। उत्तराखण्ड के 43 नगर पालिका अध्यक्षों के चुनावी नतीजे देखें तो 16 नगर पालिका सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है तो कांग्रेस ने 12 नगर पालिका क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखा। 13 नगर पालिका सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी चुने गए हैं तो दो नगर पालिका सीटें बसपा के खाते में गई हैं। वहीं, 46 नगर पंचायत के अध्यक्ष के नतीजे देखें तो भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीयों के बीच कांटे की टक्कर रही। भाजपा ने 15, कांग्रेस ने 15 और निर्दलीय उम्मीदवार भी 15 नगर पंचायत के अध्यक्ष चुने गए हैं। पार्षद के चुनाव में निर्दलीयों का पलड़ा जरूर भारी रहा। इस तरह तीनों ही नगर निकाय में 1282 पार्षद वार्ड पर चुनाव हुए हैं। जिसमें 648 वार्ड में निर्दलीय पार्षद चुने गए हैं तो 441 वार्ड में भाजपा जीती है और 164 वार्ड में कांग्रेस के पार्षद चुने गए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चुनाव में ‘ट्रिपल इंजन’ के नारे को अपना चुनावी हथियार बनाया। उन्होंने लोगों से अपील की कि भाजपा को जिताकर नगर निकायों में विकास के ट्रिपल इंजन को जोड़ें। उन्होंने पहला इंजन केंद्र की मोदी सरकार को तो दूसरा इंजन राज्य सरकार तथा तीसरा इंजन नगर निकायों में भाजपा के बोर्ड को बताया। यह नारा लोगों के दिलों में घर कर गया। जिसने भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाई। कहा जा रहा है कि पहले विधानसभा फिर लोकसभा और अब निकाय चुनाव में मिली सफलता के बाद ‘घर-घर धामी’ का नारा शुरू हो चुका है। निकाय चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री धामी की सक्रियता से विपक्षी दल भी बौने नजर आए। नगर निकाय चुनावों से पहले किसी ने नहीं सोचा था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी महज 12 दिनों में ही 52 से अधिक चुनावी रैलियों के जरिए चुनावी बयार का रुख पूरी तरह से बदल देंगे। धामी ने इन 12 दिनों में गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक प्रदेश के हर कोने में जनता से सीधे संवाद किया और पार्टी की नीतियों को सामने रखा।
राजनीतिक रणनीतिकारों का कहना है कि इन चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री धामी का नेतृत्व और उनकी कार्ययोजनाएं उत्तराखण्ड के नागरिकों के दिलों में घर कर गईं। जहां एक ओर कांग्रेस आपसी कलह और एक दूसरे को नीचा दिखाने में उलझी हुई थी, वहीं मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश के विकास और जनकल्याण के लिए किए गए कार्यों का पूरा ब्योरा जनता के सामने रखा। साथ ही धामी ने भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण की राजनीति और विकास कार्यों में कांग्रेस की नाकामी को भी प्रभावी तरीके से जनता के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसका जनता पर सीधा असर देखने को मिला।
अल्मोड़ा होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस नेता राजेश बिष्ट ने सोशल मीडिया में कांग्रेस की आपसी राजनीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘इसको निकालो, इसको भी जाने दो, ये आपका विरोध करता है भाव मत दो। ऐसा बोलते-बोलते पार्टी के कुछ कर्मठ नेता लोगों ने जो बड़े नेताओं के करीबी थे उन्होंने धीरे-धीरे पार्टी से सालों से जुड़े पुराने नेताओं को पार्टी में ही अलग-थलग कर डाला। स्वाभिमान किसको प्यारा नहीं होता है। एक समय अल्मोड़ा नगर की 70 प्रतिशत वोटों में राज करने वाली सौ वर्षो से पुरानी पार्टी आज 40 प्रतिशत वोट लाने को तरस गई। पार्टी मंे कोई कमी नहीं थी मगर कुछ स्वार्थी तत्वों ने कुछ सालों मे पार्टी को प्राईवेट लिमिटेड पार्टी बना डाला और पार्टी को अपने खून से सीचने वाले लोगों को अपमानित करके उनको पार्टी से दूर कर दिया। देश की आजादी से आज तक ये दूसरा मौका है जब भाजपा को नगर की सरकार बनाने का मौका मिला। इसका पूरा श्रेय भाजपा के संगठन के तालमेल और अपने कार्यकर्ता का सम्मान करना है। कांग्रेस के लिए ये बड़ा सबक है और आत्मविश्लेषण का विषय भी है। उनके शीर्ष नेतृत्व के लिए कि वो अपने जमीनी कार्यकर्ताओं का सम्मान करना सीखे। नहीं तो एक कहावत है ‘दास्तां नही रहेगी दास्तानों में।’
मंत्री नहीं बचा पाए लाज
उत्तराखण्ड निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का जलवा कायम रहा। उनके नेतृत्व का हर किसी ने लोहा माना। जिस चलते वे अपने चुनावी रथ को लगातार बढ़ा रहे हैं। दूसरी तरफ उनकी कैबिनेट के मंत्रियों तक की प्रतिष्ठा भी दांव लगी थी। लेकिन चुनाव नतीजों ने कई मंत्रियों को असहज कर दिया है। धामी सरकार के दिग्गज मंत्री माने जाने वाले डॉ. धन सिंह रावत के गढ़ माने जाने वाले श्रीनगर नगर निगम में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा है। उनके कभी खास सहयोगी रहे लखपत भंडारी ने पार्टी से बगावत कर अपनी पत्नी आरती भंडारी को चुनाव जिताकर अपना दम दिखा दिया। लखपत भंडारी के बारे में बताया जाता है कि यह वही नेता हैं जिन्होंने धन सिंह रावत को विधायक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसके अलावा धन सिंह रावत के प्रभाव वाले थलीसैंण नगर पंचायत सीट पर भी भाजपा का कमल नहीं खिल सका। धन सिंह रावत श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और थलीसैंण उनका गृह क्षेत्र है इसके बावजूद पार्टी प्रत्याशियों को वह जीत दिलाने में नाकामयाब रहे।
इसके अलावा धामी कैबिनेट के मंत्री सतपाल महाराज के क्षेत्र में आने वाली सतपुली नगर पंचायत सीट पर भी भाजपा को हार का स्वाद चखना पड़ा। इस हार ने सतपाल महाराज को बैकफुट में लाने का काम किया है। नगर पंचायत सतपुली में कांग्रेस पार्टी का परचम लहराया। यहां कांग्रेस पार्टी के चुनाव मैदान में उतरे अध्यक्ष और चारों सभासद प्रत्याशियों ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। अध्यक्ष पद के सीधे मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी जितेंद्र चौहान ने 1205 वोट प्राप्त किए। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी और निवर्तमान अध्यक्ष अंजना वर्मा को 471 वोटों के बड़े अंतर से हराया। इसी तरह कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के प्रभाव वाले मुनि की रेती नगर पालिका क्षेत्र में भाजपा को करारी हार मिली है जबकि इस सीट पर उन्होंने डेरा जमा रखा था। मुनि की रेती पालिका में पहली महिला अध्यक्ष बनने का गौरव निर्दलीय प्रत्याशी नीलम बिजल्वाण को प्राप्त हुआ। निर्दलीय प्रत्याशी नीलम बिजल्वाण ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की बीना जोशी को 6051 वोटों से हरा दिया। बीना जोशी की करारी हार को उनियाल की हार बताया जा रहा है। इसी तरह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के क्षेत्र जोशीमठ नगर पालिका में पार्टी को बड़ा झटका लगा है। देखा जाए तो निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री धामी के चुनावी रथ के सारथी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ही थे। लेकिन जोशीमठ नगर पालिका में सत्तारूढ़ दल की पराजय से महेंद्र भट्ट सवालों में हैं। भट्ट बदरीनाथ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं। जोशीमठ इसी विधानसभा का हिस्सा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के क्षेत्र चम्पावत की अगर बात की जाए तो इस विधानसभा के अंतर्गत आने वाली चारों नगर निकाय सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।