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Uttarakhand

फिर शर्मसार हुई देवभूमि

अस्सी के दशक में दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ का अध्यक्ष बन पहाड़ी छात्र नेता के रूप में मजबूती से उभरे मदन सिंह बिष्ट जब अपने गृह क्षेत्र द्वाराहाट से उत्तराखण्ड के सियासी सफर में उतरे तो देवभूमि की जनता को एक और पहाड़ी नेता के राष्ट्रीय परिदृश्य में उभरने की संभावना नजर आई थी। आमतौर पर पहाड़ियों ने दिल्ली की राजनीति से दबंगई को अपनी विरासत में लाए मदन को स्वीकार भी किया और दो बार द्वाराहाट का विधायक भी बनाया लेकिन विधायकी के नशे में चूर हो वे यह भी भूल गए कि एक शैक्षिक संस्थान के डायरेक्टर से किस भाषा में बात की जाती है। विपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी संस्थान, पूर्व में कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक डॉ. कृष्णकांत सिंह मेर के घर पर नशे में धुत होकर गुंडागर्दी, गाली-गलौज और अभद्र भाषा का प्रयोग कर वह निंदा के पात्र बन गए हैं। उनकी ऑडियो-वीडियो वायरल होने से मामले ने तूल पकड़ लिया है। पहले से ही मदन बिष्ट, हरक सिंह रावत के एक स्टिंग प्रकरण में सीबीआई जांच के दायरे में चल रहे हैं। बिष्ट पर फिलहाल द्वाराहाट थाने में मुकदमा दर्ज हो चुका है। द्वाराहाट की जनता के साथ ही भाजपा के नेता, कार्यकर्ता और छात्रों ने न केवल उनके पुतले दहन किए, बल्कि धरना-प्रदर्शन कर उनकी गिरफ्तारी की मांग जोर-शोर से उठा दी है। बहरहाल, विवादों के विधायक बनकर उभरे मदन अब अपनी गिरफ्तारी से बचाव का रास्ता तलाश रहे हैं

‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है’ राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर की लिखी गई उक्त पंक्तियां बाते दिनों द्वाराहाट में देखने को मिली हैं। जहां के कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट की दबंगई से एक बार फिर जनप्रतिनिधि कटघरे में है। अपनी विधायकी के नशे में चूर कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट ने विपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी की संस्थान के डायरेक्टर कृष्णकांत सिंह मेर के घर गाली गलौच और गुंड़ागर्दी का ऐसा तांडव रचा कि उत्तराखण्ड के लोग उनके इस रवैये से न केवल आहत हैं, बल्कि धरना- प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों से लेकर भाजपा नेता तक सभी बिष्ट के खिलाफ सड़कों पर उतर पड़े हैं। फिलहाल मदन सिंह बिष्ट के प्रकरण से भाजपा और कांग्रेस आमने- सामने हैं। इस मामले में कॉलेज के डायरेक्टर कृष्णकांत सिंह मेर ने द्वाराहाट विधायक मदन सिंह बिष्ट के खिलाफ घर में आकर तोड़फोड़ करने, गाली-गलौज करने और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज करा दिया है। जबकि दूसरी तरफ विधायक ने भी कॉलेज निदेशक के खिलाफ प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप लगाते हुए एक तहरीर द्वाराहाट थाने में दी है। जिस पर हाल-फिलहाल तक मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सका है। मामला 16 सितंबर की रात साढ़े 9 बजे का है, जब कॉलेज के डायरेक्टर कृष्णकांत सिंह मेर के फोन पर नारायण रावत का फोन आता है। नारायण रावत विधायक प्रतिनिधि होने के नाते मेर से मदन बिष्ट की बात कराते हैं। इस दौरान विधायक मदन सिंह बिष्ट की बात करने का जो लहजा है उससे प्रतीत हो रहा है कि वे कॉलेज के डायरेक्टर के ऊपर प्रेशर बनाने के लिए उनसे अपने दबदबे की बात कर रहे थे। जिस अभद्र भाषा में विधायक ने डायरेक्टर कृष्णकांत सिंह मेर से बातें की हैं उन्हें सुनकर कोई भी कह सकता है कि वह शराब के नशे में धुत्त थे और उनके मुंह से एक के बाद एक गाली निकल रही थी। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, मंत्री संत्री विधायक के निशाने पर रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा सरकार का नाम लेकर ऐसी अभद्र गालियां दी है जिन्हें सुनने वाला ही खुद शर्म के मारे पानी-पानी हो जाए।


विधायक के खिलाफ भाजपाइयों का विरोध-प्रदर्शन

इस दौरान विधायक जो बात कर रहे थे उसका लब्बोलुआब यह था कि वे कॉलेज में मेस के कर्मचारियों की वेतन वृद्धि होने से पहले ही खुद इसका श्रेय लेना चाहते थे। जिसके लिए उनको समय पर पता चल जाता तो वे मीडिया के समक्ष यह बयान देकर इस प्रकरण पर राजनीति करते कि वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कर्मचारियों की वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं। इसके बाद जब कर्मचारियों की वेतन वृद्धि हो जाती तो उसका श्रेय लेते और कर्मचारियों से अपना सम्मान कराकर हवा-हवाई, वाह-वाही लूटते। कहा जा रहा है कि पिछले एक साल से जब से कृष्णकांत सिंह मेर कॉलेज के डायरेक्टर बनकर आए हैं तब से उन्होंने शिक्षा के केंद्र को राजनीति का अड्डा नहीं बनने दिया। छात्रों को अच्छी शिक्षा दिलाने के साथ ही वह राजनीति से दूर रहने वाले डायरेक्टर हैं। जबकि इससे पहले जितने भी कॉलेज के डायरेक्टर बनकर आए वह स्थानीय जनप्रतिनिधियों की कठपुतली बनकर काम करते रहे हैं। पूर्व में डायरेक्टर रहे डॉ ़ डीएस पुंडीर के मामले में भी ऐसा ही हुआ था। विधायक द्वारा कॉलेज डायरेक्टर के ऊपर दबाव की राजनीति करने का जो उद्देश्य बताया जाता है वह कॉलेज में मेस चलाया जाना, कॉलेज परिसर में निर्माण कार्य तथा संविदाकर्मियों की नियुक्ति होना भी एक वजह है। जिसके ही चलते स्थानीय जनप्रतिनिधि कॉलेज डायरेक्टर पर दबाव बनाते दिखे है। साथ ही विधायक बिष्ट फोन से बात करते समय कॉलेज डायरेक्टर को टेंडर आदि की तरफ भी आकृष्ट करते नजर आए है। इससे साबित होता है कि कॉलेज के विकास कार्यों में होने वाले टेंडरों पर भी उनकी नजर बरकरार है।

16 सितबंर की रात साढ़े नौ बजे विधायक द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग करके बातचीत खत्म किए जाने के बाद भी आखिर क्या बात ऐसी अधूरी रह गई थी जिसके लिए बिष्ट द्वारा डायरेक्टर को दोबारा फोन मिलवाया गया? यह चर्चा का विषय है। द्वाराहाट में चर्चा यह है कि विधायक का दाहिना हाथ समझे जाने वाले रानीखेत कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नारायण रावत अपनी पत्नी को कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज में नौकरी लगवाने की मंशा पाले हैं। 16 सितंबर की रात साढ़े नौ बजे जब विधायक द्वारा डायरेक्टर मेर को फोन किया गया तो उसके पीछे भी उनकी यही मंशा थी लेकिन विधायक द्वारा अपना रौब और दबदबा बताने के चक्कर में वह नौकरी की बात करना भूल गए। सूत्र बताते हैं कि ऐसे में एक बार फिर नारायण रावत द्वारा विधायक बिष्ट से डायरेक्टर को फोन मिलाने को उकसाया गया। लेकिन इस दौरान जब कॉलेज डायरेक्टर ने फोन नहीं उठाया तो विधायक को उनके प्रोटोकॉल के अधिकार याद दिलाते हुए बताया गया कि एक जनप्रतिनिधि का फोन नहीं उठाना प्रोटोकॉल का उल्लंघन कहलाता है। इस पर विधायक ने आव देखा न ताव और वे रात को 10 बजे ही कॉलेज परिसर में स्थित डायरेक्टर कृष्णकांत सिंह मेर के घर जा धमके। जहां उन्होंने उनके घर में जबरन घुसकर वह किया जिसकी एक जनप्रतिनिधि से उम्मीद नहीं की जा सकती है। लोगों का कहना है कि विधायक नशे में धुत थे। ऐसे में अगर डायरेक्टर अपने घर का दरवाजा बंद नहीं रखते तो उनके साथ वे हाथापाई तक उतर आते। इस प्रकरण में जो वीडियो वायरल हो रही है उसमें स्पष्ट देखा जा सकता है कि किस तरह विधायक कॉलेज डायरेक्टर के घर के दरवाजे तोड़ने का प्रयास करते हुए गुंड़ागर्दी कर रहे हैं। इसी के साथ ही वे डायरेक्टर की पत्नी के बारे में भी अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। साथ ही विधायक बिष्ट डायरेक्टर को बीजेपी का एजेंट करार दे रहे हैं।

इस तरह कॉलेज डायरेक्टर के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के बारे में टिप्पणी करने के चलते विधायक लोगों के निशाने पर आ गए हैं। भाजपा के नेताओं में द्वाराहाट से लेकर अल्मोड़ा और खटीमा तक विधायक मदन सिंह बिष्ट के खिलाफ आक्रोश इतना पनपा कि जगह-जगह उनके पुतले दहन किए गए। धरना-प्रदर्शन हुए। कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने भी विधायक के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किए हैं। भाजपा के एक नेता की मानें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट के सभी कार्य प्राथमिकता पर करते रहे हैं। भाजपा नेता का यहां तक कहना है कि अभी कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री धामी ने मासी में मदन सिंह बिष्ट के कहने पर उनका एक स्टोन क्रेशर भी स्वीकृत कराया है। बावजूद इसके विधायक बिष्ट का सरकार और पार्टी को अभद्र भाषा कहना उनकी तुच्छ सोच को प्रदर्शित करती है। भाजपा नेता यह भी कह रहे हैं कि हवालबाग के जिला पंचायत के सरकारी गेस्ट हाऊस को विधायक मदन सिंह बिष्ट का बेटा संजय बिष्ट होटल के रूप में चला रहा है जो नियम विरुद्ध है। इसी के साथ ही मदन सिंह बिष्ट पर आरोप है कि वे जिला पंचायत के विकास कार्यों में 40 प्रतिशत कमीशनबाजी कर रहे हैं। कमीशनबाजी के चक्कर में ही वह विधायक निधि की धनराशि जिला पंचायत को दे रहे हैं। जिला पंचायत अल्मोड़ा की अध्यक्ष उनकी पत्नी उमा बिष्ट है लेकिन समस्त कार्य विधायक की देख-रेख में ही होते हैं।

मैं वहां जाना नहीं चाहता था लेकिन नारायण रावत के जिद करने पर और मेर से रिश्तेदारी होने के नाते उनके घर पर मिलने गया था। क्योंकि यह ठाकुर होने के नाते मुझे अपना रिश्तेदार बताता है। जब मैं उनके घर गया और उन्होंने मुझे ‘गेट लास्ट फ्राम हेयर’ कहा तो मुझे गुस्सा आ गया। मैंने तो इस अधिकारी की नियुक्ति पर मंत्री सुबोध उनियाल को धन्यवाद किया और कहा था कि उसने एक अच्छे पहाड़ी को हमारे कॉलेज में भेजा है। इस घटना के आधा घंटे बाद ही उन्होंने भाजपा के नेताओं को घर पर बुलाया और आईटी सेल से मेरी ऑडियो-वीडियो वायरल कराई। यह मेरे खिलाफ एक राजनीतिक षड्यंत्र है। मेरी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की जा रही है।
मदन सिंह बिष्ट, विधायक द्वाराहाट

कांग्रेस का कुतर्क
कांग्रेस के द्वाराहाट विधायक मदन सिंह बिष्ट प्रकरण में पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने आपको बचाते हुए डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। कांग्रेस नेताओं ने इस प्रकरण पर भाजपा की घेराबंदी करते हुए उसके पूर्व विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन और रूद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल का नाम लेकर मदन सिंह बिष्ट का बचाव करते हुए कहा जा रहा है कि उक्त दोनों नेता गाली देते हुए भाजपा को रास आते रहे। साथ ही एक केंद्रीय मंत्री को भी कांग्रेस नेता कठघरे में ले रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर मदन सिंह बिष्ट के पक्ष में पोस्ट लिख उल्टा अधिकारियों पर ही आरोप जड़ डाले हैं जिसमें वह कह रहे हैं कि अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं। हालांकि उनके इस बयान की निंदा हो रही है। प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा इस मामले में जहां पहले कह रहे थे कि वह विधायक और कॉलेज डायरेक्टर से मिलकर सच जानेंगे, लेकिन अब वह यह कह रहे हैं कि मामला दिल्ली जा पहुंचा है, गेंद को आलाकमान के पाले में डाल रहे हैं। इसके अलावा अनुशासन समिति के अध्यक्ष नवप्रभात भी इस प्रकरण में जांच करने की बजाय मामले को टालते हुए नजर आ रहे हैं।

 

बात अपनी-अपनी
मुझसे विधायक प्रतिनिधि नारायण रावत ने विधायक जी से बात कराई थी। उनकी जो बोलने की शैली थी उसे सुनकर मुझे शक हुआ कि एक माननीय जनप्रतिनिधि की ऐसी भाषा तो हो नहीं सकती। वे वल्गर लेंग्वेज में मुझसे जो बात कर रहे थे उससे लग रहा था कि मुझ पर प्रेशर बनाना चाहते थे। उनका जब दोबारा फोन आया तो गालियां सुनने के लिए मुझे फोन किया जा रहा है यह सोच कर मैंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद जब वे रात को दस बजे मेरे घर पर आए और अपना विभत्स रूप उन्होंने दिखाया उससे हमारा पूरा परिवार अभी भी दहशत में है। उन्होंने हमारे दरवाजे तोड़े गमले तोड़े, और अगर हम दरवाजा खोल देते तो पता नहीं हमारे साथ भी क्या अनहोनी हो जाती। मैं साफ-साफ कह देना चाहता हूं कि किसी के दबाव में हम संस्थान में नौकरी नहीं लगा सकते हैं यह तो शासन का काम है। वे एक बाहुबलि विधायक हैं। हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं हमने थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करा दी है लेकिन अभी हमें अपनी और अपने परिवार की सलामती की चिंता है।
कृष्णकांत सिंह मेर, डारेक्टर कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज, द्वाराहाट

द्वाराहाट को माननीय विधायक बिष्ट बिहार जैसा बनाने पर तुले हैं। जैसा वहां के संस्थानों में गुंडागर्दी होती है ऐसी ही गुंडागर्दी करना चाहते हैं। विधायक जी ने सीएम साहब और
भाजपा की बाबत इस मामले में अभद्र भाषा का प्रयोग करके अपना चरित्र दर्शा दिया है।
विनोद भट्ट, महामंत्री भाजपा

द्वाराहाट हमेशा से संघर्षों की धरती रही है लेकिन यहां के जनप्रतिनिधि ने इस धरती को अपने कर्मों से शर्मसार किया है। वायरल वीडियो से स्पष्ट है कि विधायक अपने लोगों को ठेका दिलाने की बात कर रहे थे, न कि कॉलेज के हित की बात कर रहे थे। जिस तरह से विधायक ने नशे में धुत होकर एक संस्थान के डायरेक्टर के घर पर हमला बोला वह निंदनीय है। उन्हें दूसरे दिन थाने न जाकर डायरेक्टर के घर पर जाकर माफी मांगनी चाहिए थी। द्वाराहाट की जनता उन्हें इस कृत्य के लिए माफ नहीं करेगी।
पुष्पेश त्रिपाठी, पूर्व विधायक द्वाराहाट

जब भी हम किसी भी जनप्रतिनिधि से बात करते हैं तो एक शालीन भाषा की उम्मीद करते हैं लेकिन द्वाराहाट विधायक ने जिस भाषा शैली का प्रयोग किया है, वह भी एक गुरू के लिए, तो यह निंदनीय है। पहाड़ी सभ्यता और संस्कृति में ऐसा सुनना और देखना ही गलत समझा जाता है।
पी.सी. तिवारी, अध्यक्ष उपपा

कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर श्रीकृष्ण कांत सिंह मेर के घर वर्तमान विधायक द्वारा शराब के नशे में किए गए हंगामे के लिए मैं व्यक्तिगत तौर पर द्वाराहाट का नागरिक होने के नाते लज्जित महसूस कर रहा हूं। दरअसल पूर्व और वर्तमान विधायकों द्वारा विगत वर्षों में कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज को अपनी कमाई और राजनीति का अड्डा बनाकर छोड़ दिया गया है। कॉलेज प्रशासन में स्थानीय नेताओं की दखलंदाजी का विरोध डायरेक्टर साहब को भारी पड़ा है। मैं व्यक्तिगत तौर पर डायरेक्टर साहब की हिम्मत का मुरीद हो गया हूं कि उन्होंने इन गुंडा तत्वों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की हिम्मत दिखाई है। जमानती और गैर जमानती धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। लिहाजा उम्मीद की जानी चाहिए कि कानून और न्याय व्यवस्था अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करेगी।
हीरा सिंह अधिकारी, समाजसेवी द्वाराहाट

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