पौड़ी गढ़वाल (बीरोंखाल)। राज्य में आरटीआई कार्यकर्ता विभागों से सूचना मांगते हैं, तो कई बार विभाग अपनी खामियों को छिपाए रखने के लिए सूचना का अधिकार कानून के तहत निर्धारित तिथि तक सूचना ही नहीं देते। उन्हें इस बात का भी डर नहीं रहता कि सूचना मांगने वाला अपीलीय अधिकारी और सूचना आयोग में भी जा सकता है। ऐसा ही एक मामला पौड़ी जिले में सामने आया है।
विगत 2 माह पूर्व आरटीआई कार्यकर्ता शैलेंद्र रावत ने खण्ड विकास अधिकारी बीरोंखाल से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना मांगी थी, पर विभाग ने सूचना अधिकार का जवाब देना जरूरी नहीं समझा। समझा जा रहा है कि खंड विकास अधिकारी और विभागीय कर्मचारी ने अपने विभाग की करतूत छिपाने के लिए आरटीआई कार्यकता को सूचना देने से कतरा रहे हैं। लगता है कि ब्लॉक के भ्रष्ट अधिकारियों को डर सताने लगा है, कहीं उनके भ्रष्टाचार की पोल न खुल जाए।
आरटीआई कार्यकर्ता शैलेंद्र रावत ने बताया मैंने 2 माह पूर्व में खण्ड विकास अधिकारी बीरोंखाल से पिछले पांच वर्ष में हुए विकास कार्यों का विवरण सूचना अधिकार से मांगा था। मगर विभाग ने मुझे आज तक इसकी सूचना तक नहीं दी। मैंने सम्बंधित अधिकारियों से बात भी की, परन्तु तब भी अधिकारियों की नींद नहीं जगी, और विभाग ने अभी तक पुझे कोई सूचना उपलब्ध कराई। अब मुझे न्याय की शरण में जाना पड़ रहा है, ताकि इनकी भ्रष्टाचार की पोल खुल सके।
लोक सूचना अधिकारी/खंड विकास अधिकारी सूचना अधिकारी का जवाब देना जरूरी नहीं समझे भले ही सूचना आयोग में जुर्माना देना उनके लिए ये आम बात है। इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता की विभागीय अपीलीय अधिकारी/जिला विकास अधिकारी से फोन पर भी बात हुई जिस पर उन्होंने अपीलीय अधिकारी को भी पत्र लिखकर देने की बात कही।
अब सवाल यह उठता है क्या जीरो टॉलरेंस की सरकार में अधिकारियों को जरा भी डर नहीं है। क्या ये अधिकारियों अपना पद का दुरुपयोग कर के बड़े घोटालों को अंजाम दे रहे हैं। अब सोसल मीडिया के माध्यम से आवेदनकर्ता ने प्रधानमंत्री से निवेदन किया है कि पहाड़ के हर ग्राम सभाओं के विकास कार्यों की जांच हो आवेदनकर्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जो निवेदन किया है वो निम्न है।