राज्य के महिला एवं बाल विकास पोषण विभाग के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों के वेतन/मानदेय से 18% जीएसटी काटा जा रहा है, जबकि केंद्रीय महिला और बाल विकास पोषण अभियान विभाग का स्पष्ट कहना है कि ना कर्मचारियों के वेतन/मानदेय से और न कंपनी द्वारा जीएसटी का भुगतान होगा यह भुगतान राज्य सरकार को करना होगा।
एक तरफ कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है वहीं लगभग 250 कर्मचारियों को 15 सितंबर को नौकरी से बाहर कर दिया गया है। जिन्हें जनवरी 2020 से वेतन/मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। इसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता नमन चन्दोला ने महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रेखा आर्या के इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा कि एक महिला का महिला विभाग न संभाल पाना हैरत भरा है इसलिए मानवता के आधार पर रेखा आर्या को इस्तीफा दे देना चाहिए।
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नमन ने बताया कि आउटसोर्स कर्मचारियों को दिसंबर तक मानदेय का पूरा भुगतान हुआ है लेकिन जनवरी माह के मानदेय को जीएसटी के कारण रोका गया जिसमें दिसंबर तक के मिले मानदेय से जीएसटी को कटा गया है मतलब जनवरी का पूरा मानदेय नियुक्ति से जनवरी तक जीएसटी को लागू करने के कारण समाप्त हो गया।
जनवरी के बाद सीधे अप्रैल व मई में कोरोनाकाल के कारण पूरा मानदेय दिया गया व बताया गया कि इन दो माह में जीएसटी नहीं काटा जाएगा। फ़रवरी मार्च व जून से सितंबर तक का मानदेय अभी तक नहीं मिला है व कंपनी द्वारा स्पष्ट बता दिया गया है कि कर्मचारियों की तनख्वाह से 18% जीएसटी काटा जाएगा। जबकि नियुक्ति के समय 8.12% सर्विस टैक्स देने की बात कही गई थी जिससे अब कंपनी पूरी तरह मुकर चुकी है। यहां आपको बता दें कि टीडीएस कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैकलिस्ट करने के कारण सितंबर 15 को कंपनी द्वारा नियुक्त 250 से अधिक कर्मचारियों को हटा दिया गया है।
चन्दोला ने बताया कि नवंबर के बाद से आउटसोर्स कर्मचारियों के ईपीएफ एकाउंट में जमा की जाने वाली धनराशि को कंपनी ने जमा नहीं किया है। वहीं कंपनी व सरकार की इस लड़ाई में 250 से अधिक परिवारों पर रोजी रोटी का संकट आ चुका है। इसलिए मुख्यमंत्री को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए साथ ही रेखा आर्या को इस्तीफा दे देना चाहिए।