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Uttarakhand

उत्तराखण्डियों के लिए असुरक्षित होती दिल्ली

दिल्ली में उत्तराखण्ड के करीब 12 लाख प्रवासी रहते हैं। इनमें से अधिकतर ने यहां रोजी-रोटी के लिए पलायन किया है। ये लोग अक्सर अपराध का शिकार होते हैं। पिछले दो साल में ही चार उत्तराखण्डी युवकों की बेरहमी से हत्या की जा चुकी है। ताजा मामला रानीखेत के नाबालिग किशोर मनोज नेगी का है। मनोज का कसूर सिर्फ यह था कि वह उन गुंडों से अपनी बहन को बचाना चाहता था जो अक्सर उससे छेड़छाड़ करते थे। जब उसने छेड़छाड़ करने से रोका तो उन्होंने चाकुओं से गोदकर मनोज की हत्या कर दी। फिलहाल लोगों का गुस्सा दिल्ली पुलिस पर फूट रहा है। पुलिस के खिलाफ धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं

मृतक मनोज नेगी

उत्तराखण्ड के अधिकतर युवा आंखों में सपने लिए अपने घर से सैकड़ां मील दूर दिल्ली जैसे बड़े शहरों में नौकरी करने जाते हैं। कई युवाओं के सपने पूरे भी होते हैं। लेकिन कुछ दिन-रात मेहनत करने के बावजूद भी जिंदगी के संघर्ष में हार जाते हैं। दिल्ली में अपराध इतना बढ़ गया है कि कब अचानक उनकी हत्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। पिछले दो सालों की ही बात करे तो उत्तराखण्डी मूल के चार युवकों की हत्या की जा चुकी है। गत् दिनों जब भैया दूज पर बहनें अपने भाइयों से रक्षा का वचन ले रही थीं तभी दिल्ली के पटेल नगर इलाके में नाबालिग किशोर की चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी गई। हत्या का यह मामला सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया है। जिसमें हत्या करने वाले तीन आरोपी हैं। जिनमें दो आरोपी नाबालिग हैं, जबकि एक बालिग बताया जा रहा है। तीनों की हैवानियत ऐसी थी कि रोंगटे खड़े हो जाएं। वे घात लगाकर बैठे थे। मौके पर किशोर के आते ही उस पर ताबड़तोड़ 12 बार वार किए और पीठ पर इस तरह चाकू घोंपा कि उसका अगला सिरा सीने के बाहर आ गया। आखिरकार, किशोर ने तड़प- तड़पकर दम तोड़ दिया। उत्तराखण्ड मूल के लोगों ने इस मामले पर दिल्ली पुलिस की घेराबंदी की और धरना-प्रदर्शन किया।

लोगों का कहना है पुलिस एक तीसरे आरोपी को नाबालिग कहकर बचा रही है जो बालिग है। उधर, दिल्ली पुलिस ने इस हत्याकांड पर सभी पहलुओं की जांच करने की बात कही है। मूलरूप से गांव मौला रानीखेत (अल्मोड़ा) का रहने वाला नाबालिग मनोज नेगी परिवार के साथ कुमाऊं गली, बलजीत नगर में रहता था। परिवार में माता-पिता के अलावा एक 15 साल की छोटी बहन है। नाबालिग के पिता चंदन सिंह नेगी शादीपुर स्थित एक फैक्ट्री में काम करते हैं जबकि उसकी मां घर के पास ही मोबाइल फोन के चार्जर बनाने वाली फैक्टरी में काम करती है। मनोज ने इसी साल 12वीं कक्षा पास करने के बाद पूसा इंस्टीट्यूट में आईटीआई में दाखिला लिया था। इसके साथ ही वह घर के पास एक इंस्टीट्यूट में कंप्यूटर कोर्स करने के अलावा इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स भी कर रहा था। शाम को उसकी क्लास होती थी। रोजाना करीब 9ः00 बजे वह वापस लौटता था। मनोज की एक बहन है जो 10वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही है। बताया जाता है कि उसकी बहन से तीन लड़के अक्सर छेड़खानी करते थे जिसका उसने विरोध किया था।

छेड़छाड़ का विरोध करने पर बदमाश लड़कों ने उस वक्त लड़की के भाई मनोज नेगी को देख लेने की धमकी दी थी। जानकारी के मुताबिक आरोपी लड़कों ने कहा था की दीपावली के बाद देख लेंगे। तब किसी ने नहीं सोचा था कि 18 साल से कम उम्र के यह लड़के चाकू मारकर मनोज की हत्या कर देंगे। बलजीत नगर की गली में लगे एक सीसीटीवी में कैद तस्वीरें सब कुछ साफ बयां कर रही हैं। एक लड़का दूसरे को चाकू से मार रहा है, लड़का खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है, तभी सफेद शर्ट में एक दूसरा लड़का आता है उसने भी हाथ में चाकू लिया था और दोनां मिलकर लड़के को चाकू मारने लगते हैं। इसके बाद वे लड़के भाग जाते हैं। कैमरे में देखा जा सकता है कि पीठ में चाकू लगा होने पर भी मनोज खड़ा होकर अपने फोन से किसी को कॉल करने की कोशिश करता है, लेकिन दो-तीन कदम चलने के बाद ही बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ता है। गिरने के बाद वह खुद को संभाल नहीं पाता और पहले बैठ जाता है और फिर गिर जाता है। घटना के बाद लोगों की संवेदनहीनता भी सामने आई। मनोज नेगी गंभीर रूप से घायल अवस्था में गली में एक तरफ गिरा पड़ा है, लोग बगल से गुजर रहे हैं लेकिन न तो किसी ने पुलिस को फोन किया और न ही उसकी मदद की। यही नहीं बल्कि किसी ने अस्पताल ले जाने की हिम्मत नहीं दिखाई। करीब 9ः22 बजे किसी ने पुलिस को वारदात की जानकारी दी। पुलिस ने नाबालिग को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

पटेल नगर थाना पुलिस ने इस मामले में एफ आई आर दर्ज कर दो नाबालिग आरोपी को पकड़ा है। पुलिस आस-पास के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं और कोई इस मामले में शामिल तो नहीं था। गौरतलब है कि इस साल के पहले छह महीनों में दिल्ली में महिलाओं के साथ रेप के 1,100 और छेड़छाड़ के 1,400 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इससे पहले 2021 में भी दिल्ली को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर पाया गया था और यहां हर दिन दो नाबालिगों का रेप हुआ था। 2021 में शहर में महिलाओं के खिलाफ 13,892 अपराध दर्ज हुए थे। पिछले साल दिल्ली में रेप की 1699 और छेड़छाड़ की 2186 घटनाएं हुईं। दो साल, चार हत्याएं मनोज नेगी हत्याकांड से पहले भी कई मामले सामने आए हैं। 13 फरवरी 2020 की रात बग्वालीपोखर के शकुनी गांव निवासी खीमानंद अधिकारी के 18 वर्षीय पुत्र मुकुल अधिकारी की देर रात्रि चाकू से ताबड़तोड़ प्रहार कर हत्या कर दी गई थी। वारदात में उत्तराखण्ड मूल के ही इरशाद नाम के व्यक्ति का नाम सामने आया था। बताया जाता है कि इरशाद इससे पूर्व भी चाकू से प्राणघातक हमले के मामले में जेल जा चुका है। यह भी पता लगा है कि वह मुकुल से रंजिश रखता था।

आए दिन उसे धमकाता था, कई बार उसने हाथापाई भी की थी। आरोप है कि 13 फरवरी की रात उसने मुकुल का कत्ल कर दिया। शकुनी गांव के प्रधान पति एवं पूर्व सैनिक लीग बग्वालीपोखर के ब्लॉक प्रतिनिधि देवेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि खीमानंद मय परिवार दिल्ली के खानपुर में रहते हैं। वे काफी सालों से दिल्ली में ही मोबाइल रिपेयरिंग का काम कर परिवार की गुजर-बसर करते हैं। उनकी दो बेटियां हैं और मुकुल इकलौता पुत्र था। बेटे की हत्या से उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मृतक मुकुल के चाचा जय बल्लभ अधिकारी हल्द्वानी में रहते हैं।

29 फरवरी 2020 को मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के रहने वाले विनोद ममगाईं की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई । विनोद मयूर विहार फेस-3 के ए-3 पॉकेट में रहते थे। वह द्वारका सेक्टर 19बी में एक पावर कंपनी में काम करते थे। 29 फरवरी को वह नौकरी पर गए थे लेकिन घर नहीं लौटे। अगले दिन 1 मार्च को उनका शव वेस्ट दिल्ली के मोतीनगर थाना क्षेत्र में पुलिस को मिला था। उनके शरीर पर कई जगह चाकू से वार किए गए थे। उनके दोनों हाथ भी काटे गए थे। पुलिस को जांच में आज तक यह पता नहीं चला कि विनोद की हत्या लूटपाट के इरादे से की गई या फिर इसकी वजह कुछ और थी। मृतक विनोद के भाई खुशहाल ममगाईं ने बताया कि 29 फरवरी को विनोद ने अपनी पत्नी को फोन पर कहा था कि मेरी जान बचा लो नहीं तो मेरी कंपनी के लोग मुझे जान से मार देंगे। इसके बाद उसका फोन बंद हो गया। ममगाईं के अनुसार इसकी सूचना पुलिस को दी गई थी। मृतक के भाई खुशहाल का कहना है कि उसके भाई विनोद की चाकू से गोदकर हत्या की गई है। उसके शव पर चाकुओं के कई निशान मिले हैं। उसके हाथ भी काटे गए थे।

इसी तरह दिलबर नेगी अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालने का सपना लिए उत्तराखण्ड से दिल्ली आया था। महज 20 साल की उम्र में ही वह बदमाशों के हाथों बेरहमी से मारा गया। दलवीर नेगी जिस दुकान में काम करता था उसमें ही उसके हाथ-पैर बांधकर दुकान की शटर बंद करके आग लगाकर उसे जिंदा जला दिया गया था। 6 मार्च 2020 को उसकी मौत हो गई थी। इस दिन पूरा उत्तराखण्ड दहल गया था। हत्या से 6 महीने पहले ही वह दिल्ली आया था। दिलबर नेगी के मरने के साथ ही उसका अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकलने का सपना भी राख हो गया। परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे दिलबर के शव को उत्तराखण्ड ले जाते। इसके चलते उसके परिवार को अंतिम संस्कार दिल्ली में ही करने का फैसला लेना पड़ा था।

बात अपनी-अपनी
सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं। जांच निष्पक्ष की जाएगी। दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा। दो आरोपी पकडे़ जा चुके हैं, बाकियों के लिए दबिश दी जा रही है।
दीपक चंद्र . सहायक पुलिस आयुक्त दिल्ली पुलिस

मनोज नेगी के परिवार को न्याय दिलवाने के लिए पर्वतीय समाज धरना-प्रदर्शन कर रहा है। समाज के लोग इस मामले पर पटेल नगर थाने पहुंचे हैं। उसके पश्चात् आदेश गुप्ता अध्यक्ष भाजपा दिल्ली प्रदेश भी पहुंचे हैं। उन्होंने थाना प्रभारी श्री लोधी को इस क्षेत्र में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर लताड़ा है। उसके बाद हमें एसीपी दीपक चंद्र जी ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा, दो आरोपी पकडे़ जा चुके हैं।
भरत रावत, समाजसेवी दिल्ली

जिस इलाके में मनोज नेगी की हत्या हुई है वहीं दो महीने में 5 मर्डर हो चुके हैं। दिल्ली का पटेल नगर क्षेत्र अपराधियों का गढ़ बन गया है। बदमाशों के कई गैंग बन गए हैं जो दिल्ली पुलिस की ढील कही जा सकती है। मनोज की हत्या से चार दिन पहले लड़की की छेड़छाड़ को लेकर आपस में झगड़ा हुआ था। पुलिस सक्रिय होती तो तभी आरोपियों पर लगाम लगा सकती थी, लेकिन पुलिस की लापरवाही रही और यह घटना घटी।
बृजमोहन उप्रेती, अध्यक्ष उत्तराखण्ड प्रकोष्ठ आम आदमी पार्टी

हम इस मामले पर पुलिस से बराबर संपर्क में हैं। अभी एक और आरोपी गिरफ्तार किया जाना है। पुलिस की ढील से ही यह हत्याकांड हुआ है। सभी पहाड़ी मूल के लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
डॉ. विनोद बछेती, जिला अध्यक्ष पूर्वी दिल्ली भाजपा

हमारी मांग है कि पटेल नगर थाने के एसएचओ और बीट अधिकारी को हटाया जाए। इनके संरक्षण में ही अपराध और अपराधियों को बढ़ावा मिल रहा है जिन्होंने मनोज नेगी की हत्या की है। वह बच्चे नहीं बल्कि किसी गैंग के सदस्य हैं। इनका मुखिया अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। दिल्ली में अब महिलाएं और खासकर पहाड़ी बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।
अनिल पंत, कोषाध्यक्ष गढ़वाल हितेषणी सभा

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