देश में लंबी व बड़ी सड़कों का काम तो जोर-शोर पर है, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि गावों की सड़कें वर्षों से जनता के लिए सपना बनी हुई हैं। जनता की मांग पर ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य शुरु होता भी है तो समय से पूरा नहीं हो पाता। फिर भ्रष्टाचार का साया इस पर लग जाता है। ऐसी ही एक सड़क उत्तराखंड के अल्मोडा जिला में रानीखेत के करीब है मंगचौड़ा के ग्रामवासियों ने इस सड़क के निर्माण में हो रही देरी को लेकर संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत को एक पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि एनएच-87ई जो कि मंगचौड़ा से गगास तक पीएमजीएसवाई से बनना था, जिसका कार्य 2018 में पूरा हो जाना था, उस पर कभी ना सोलईग हो पाई न कलमट बन पाए।
पत्र में ग्रामीणों ने लिखा कि मैसर्स नैनीवैली कंस्ट्रक्शन को पीएमजीएसवाई का काम मिला, पर काम सही तरीके का नहीं किया गया। सड़क के इस्करप तथा कलमट टूटने को हैं। ग्राम सभा द्दारा ठेकेदार को कई बार सूचित किया गया, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अधिशासी अभियन्ता द्दारा बताया गया कि दिसंबर तक समयवृद्धि आवेदित की है, पर आज तक काम नहीं हो पाया। ठेकेदार द्दारा जितना समय मांगा गया था, वो भी खत्म होने को है, पर काम अभी तक नहीं हो पाया है। गांववासियों ने सख्त नराजगी व्यक्त कि अगर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो हम सभी ग्रामवासी उग्र आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे।
आक्रोश वक्त करते हुए कुछ ग्रामवासी बताते हैं कि सड़क का काम वर्ष 2016-18 के मध्य पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन जिस नैनी वैली कंस्ट्रक्शन कंपनी को ठेका दिया गया उसके कर्ताधर्ताओं में से एक प्रमुख प्रमोद नैनवाल नेता है। ऊंची राजनीतिक पहुंच होने के चलते उन्हें ग्रामीणों की समस्या की कोई परवाह नहीं है। ग्रामीणों ने सड़क के काम में देरी और अनियमिताओं को लेकर प्रशासन से शिकायत की भी तो प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब नाराज ग्रामीण आंदोलन को मजबूर हैं।