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  •    भारतय पाण्डेय

‘जयश्री’ कॉलेज के फर्जीवाड़े पर कॉलेज के चेयरमैन पर अल्मोड़ा कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। बावजूद इसके कॉलेज प्रशासन छात्रों को डिग्री देने की बजाय उन पर मीडिया और सोशल मीडिया में कुछ भी न लिखने और आंदोलन खत्म करने का दवाब डालकर अपनी दबंगई दिखा रहा है। जबकि डिग्री देने के नाम पर तारीख पर तारीख दी जा रही है

छात्र 1 : कॉलेज ने तमाम यूनिवर्सिटीज में अपने छात्रों को स्थानांतरित किया। ‘जयश्री’ की स्थापना 2010 में एक सोसायटी के तहत की गई थी और तब यह कॉलेज हिमालयन यूनिवर्सिटी ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) का हिस्सा था लेकिन बाद में इसे तमाम अन्य यूनिवर्सिटीज में स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन उनका डीएमएलटी का कोर्स हिमालयन यूनिवर्सिटी ईटानगर के तहत पूरा हुआ था लेकिन उसकी डिग्री भी अभी इतने वर्षों बाद प्राप्त नहीं हो पाई है और न ही अब तक पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड में पंजीकरण हो पाया है।

छात्र 2 : मैंने वर्ष 2017 में इस कॉलेज में प्रवेश लिया। तब यह कॉलेज उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय से संबद्ध था। परन्तु फिर 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से यूओयू ने अपने सभी ऑफ कैंपस बंद कर दिए तब ‘जयश्री कॉलेज’  प्रशासन द्वारा सिंघानिया यूनिवर्सिटी (राजस्थान) में संबद्ध कर दिए जाने की बात की गई। लेकिन इस दौरान ही सिंघानिया यूनिवर्सिटी फर्जीवाड़े के विवादों से घिर गई। जिस कारण एक बार फिर ‘जयश्री कॉलेज’ ने यूनिवर्सिटी बदली और फिर इसे हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी से संबद्ध कर दिया गया। जिस कारण उनकी फीस रसीद पर इन अलग-अलग यूनिवर्सिटी का नाम तो है परन्तु उन्हें मार्कशीट हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी की प्रदान की गई। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर मार्कशीट तो दिखाई देती है परन्तु डिग्री कहीं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। वर्ष 2016 में आए हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखण्ड में पैरामेडिकल के किसी भी डिप्लोमा कोर्स का पंजीकरण नहीं किया जाता लेकिन इसके बावजूद भी यूनिवर्सिटी और कॉलेज राज्य में इन डिप्लोमा कोर्सेज को संचालित कर रहे हैं जो छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। पंजीकरण न होने के कारण हम अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

छात्र 3 : मैंने वर्ष 2018 में ‘जयश्री कॉलेज’ में बीएमएलटी (बैचलर ऑफ मेडिकल लैब टेक्नीशियन) के कोर्स में प्रवेश लिया। इस तीन वर्षों के कोर्स अर्थात 6 सेमेस्टर के अन्तर्गत 25 हजार रुपए प्रति सेमेस्टर फीस जमा की गई। परन्तु कोर्स पूरा हो जाने के बाद लंबे समय तक डिग्री नहीं दी गई। एफआईआर दर्ज होने के बाद कॉलेज प्रशासन ने 24 अप्रैल को एसडीएम के समक्ष डिग्री देकर 10 मई तक पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड में पंजीकरण की बात कही थी। लेकिन इस समयावधि को बढ़ाकर 19 मई कर दिया गया। 18 मई को पुनः एक बार फिर समयावधि बढ़ाकर 23 मई कर दी गई। अभी तक भी रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है। पूर्व की भांति लगातार समय सीमा बढ़ाकर गुमराह किया जा रहा है।

छात्र 4 : कॉलेज ने डिग्री और रजिस्ट्रेशन को लेकर पिछले दो सालों से लगातार गुमराह किया है। अब जब डिग्री की बात करते हैं तो कॉलेज प्रशासन कभी माइग्रेशन प्रमाण पत्र (जो कि एडमिशन के समय ही अनिवार्य रूप से जमा किया जाता है) की मांग करता है। इसके साथ ही एक अन्य डिमांड ड्राफ्ट जो पहले 1500 रुपए का था और जमा कर दिया गया था उसे रद्द हो चुका बताकर पुनः 4000 रुपए के डिमांड ड्राफ्ट की मांग की जा रही है। 27 मई को हुए धरने के दौरान कॉलेज के चेयरमैन द्वारा उनको जून माह के अंत तक पंजीकरण करवाने का आश्वासन दिया है। यही नहीं बल्कि हम सभी छात्रों से तब तक प्रदर्शन न करने और सोशल मीडिया पर कॉलेज के खिलाफ कुछ भी न लिखने के पक्ष में लिखित रूप से हस्ताक्षर करा दिए गए हैं।

अपनी आपबीती बता रहे उक्त सभी छात्र अल्मोड़ा स्थित ‘जयश्री कॉलेज’ के है। जो या तो यहां से पढ़ाई कर चुके हैं या कर रहे है। बीते कई महीनो से यह कॉलेज विवादों में है। मामला फर्जीवाड़े का है। जिसकी परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। ‘दि संडे पोस्ट’ ने इस पूरे मामले पर पूर्व में ‘पैरामेडिकल कोर्स के नाम पर ठगी’ नामक शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें कॉलेज द्वारा कई छात्रों को डिग्री न देने और मात्र कुछ छात्रों को अवैध डिग्री वितरण का खुलासा किया था। ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ में रजिस्ट्रेशन करवाने, कॉलेज प्रशासन और विश्वविद्यालय के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांगों को लेकर छात्रों द्वारा इस कॉलेज के बाहर कई बार धरना प्रदर्शन किया गया। छात्रों का आरोप है कि पिछले दो वर्षों से उन्हें डिग्री के नाम पर छला जा रहा है। कभी दीक्षांत समारोह न होने का हवाला तो कभी कोविड महामारी का बहाना बनाकर उन्हें लगातार टाला जा रहा है। इस मामले पर जब आरटीआई के माध्यम से सूचनाएं मांगी गई तो कॉलेज और यूनिवर्सिटी का रजिस्ट्रेशन न होने और यूनिवर्सिटी को ऑफ कैंपस या स्टडी सेंटर खोलने की अनुमति न होने की बात पता चली है। जिसके बाद ‘जयश्री’ के 37 छात्रों ने अल्मोड़ा कोतवाली में कॉलेज के चेयरमैन ‘भानु प्रकाश जोशी’ के खिलाफ धारा 420, 406 आदि के तहत 16 अप्रैल को मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद 24 अप्रैल को जब एसडीएम को ‘जयश्री’ कॉलेज में जांच हेतु भेजा गया तब उनके समक्ष कॉलेज के चेयरमैन ‘भानु प्रकाश जोशी’ ने कुछ छात्रों को डिग्री बांट दी। लेकिन यह डिग्री संदेहों से घिरी हुई है। छात्रों का कहना है कि हमने ‘जयश्री’ कॉलेज से कोर्स किया लेकिन डिग्री में कॉलेज का कहीं भी नाम न होकर मात्र यूनिवर्सिटी का ही नाम है। छात्रों की नजर में यह डिग्री वैध नहीं है क्योंकि यह ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ में पंजीकृत नहीं है। ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ में पंजीकृत न होने के कारण यहां से डिग्री प्राप्त करने के बावजूद भी छात्र किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में कार्य करने के लिए वैध नहीं हैं। उधर दूसरी तरफ इस बाबत आंदोलन कर रहे छात्रों को लेकर कॉलेज प्रशासन द्वारा एक फरमान जारी कर दिया गया है। जिसमें समयावधि निर्धारित करते हुए कहा गया है कि इस दौरान कोई भी मीडिया या सोशल मीडिया पर कॉलेज संबंधित कोई बात नहीं करेगा।

कॉलेज की एक पूर्व छात्रा ने ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ के देहरादून स्थित कार्यालय में जाकर जब ‘जयश्री कॉलेज’ प्रशासन द्वारा छात्रों को पंजीकरण को लेकर दिए गए आश्वासन का जिक्र किया तो काउंसिल ने स्पष्ट रूप से जवाब दिया कि जब तक कॉलेज और यूनिवर्सिटी उत्तराखण्ड सरकार से एनओसी नहीं प्राप्त कर लेते और पंजीकरण के आवेदन नहीं कर लेते तब तक छात्रों का पंजीकरण असंभव है। ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ द्वारा कही इन बातों से स्पष्ट होता है कि 2016 से अब तक ‘महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी’ द्वारा उत्तराखण्ड सरकार से एनओसी लेने और पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड में पंजीकरण कराने हेतु कोई आवेदन ही नहीं किया गया है। जिस कारण हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी पर संदेह गहरा रहा है। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर जाने पर अन्य विश्वविद्यालयों की तर्ज पर ही हर तरह के कॉलम तो बने हुए हैं परन्तु स्पष्ट डिटेल वहां नहीं है। यहां तक कि वेबसाइट पर लाख ढूंढने पर भी फाउंडर का नाम नहीं ज्ञात हो पाया। यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर (संजय) से फोन कॉल पर पूछने पर इतना ही ज्ञात हुआ कि यूनिवर्सिटी की स्थापना ‘जन कल्याण एजुकेशन ट्रस्ट’ द्वारा की गई है। परन्तु ट्रस्ट में कौन- कौन लोग शामिल हैं ये भी रहस्य ही बना हुआ है और इस ट्रस्ट का जिक्र न ही यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर है और न गूगल पर ही कहीं इसकी कोई जानकारी उपलब्ध है।

हालांकि सूचना के अधिकार 2005 के माध्यम से यूनिवर्सिटी की दलील यह है कि ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ में रजिस्ट्रेशन न होने के कारण यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2017 के बाद पैरामेडिकल के सारे कोर्स बंद कर दिए थे। परन्तु जिन छात्रों ने 2016 और 2017 में इस यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत पैरामेडिकल कोर्स किए उनका काउंसिल रजिस्ट्रेशन करवाने हेतु भी यूनिवर्सिटी द्वारा उत्तराखण्ड पैरामेडिकल परिषद् अधिनियम 2009 एवं विनियम 2014 के प्रावधान के अंतर्गत परिषद् से मान्यता लेने के लिए आवेदन नहीं किया। जिस कारण ‘हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी’ द्वारा बांटी गई कोई भी डिग्री उत्तराखण्ड पैरामेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए वैध नहीं है। यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार ‘महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी’ ऑफ कैंपस या स्टडी सेंटर कहीं भी नहीं खोल सकती है। लेकिन इसके बावजूद यूजीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी ने ‘जयश्री कॉलेज’ को शिक्षण सत्र 2018-19 के लिए अपना प्राधिकृत
अकादमिक प्रशिक्षण केंद्र और प्लेसमेंट पार्टनर बनाते हुए 21 अगस्त 2018 को लेटर भेजा। लेटर में यह स्पष्ट किया गया कि ‘जयश्री कॉलेज’ विश्वविद्यालय के लिए प्रवेश ले सकता है। इस लेटर में यह भी स्पष्ट है कि ‘जयश्री कॉलेज’ यूनिवर्सिटी के पक्ष में डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से छात्रों से फीस लेगा और कॉलेज में चलाए जा रहे कोर्स, फीस स्ट्रक्चर, प्लेसमेंट और कैंपस में उपलब्ध अन्य सुविधाओं की जानकारी यूनिवर्सिटी को देगा।
‘जयश्री कॉलेज’ ने अपनी वेबसाइट पर ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’ का प्रमाणपत्र लगाया हुआ है। जिसके विषय में जानकारी लेने हेतु जब पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के रजिस्ट्रार ‘दिनेश कुमार शर्मा’ से फोन के माध्यम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह परिषद् एक संस्था है जो वर्तमान में किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी को संबद्ध नहीं करती। उन्होंने आगे बताया कि किसी भी यूजीसी से संबद्ध यूनिवर्सिटी को और यूजीसी से संबद्ध यूनिवर्सिटी के कैंपस को पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से संबद्ध होने की कोई आवश्यकता नहीं होती क्योंकि यूजीसी एक मान्यता प्राप्त अथॉरिटी है। ‘जयश्री कॉलेज’ के संबध में बात करते हुए उन्होंने बताया कि 3 अप्रैल 2017 को काउंसिल ने इस कॉलेज से संबद्ध किया था। परन्तु यह सिर्फ एक साल के लिए ही मान्य था। क्योंकि काउंसिल की सदस्यता को प्रति वर्ष रिन्यू करवाना होता है लेकिन जयश्री ने ऐसा नहीं किया। जिसके कारण अवधि पूर्ण हो जाने के बाद 2018 से यह कॉलेज काउंसिल में संबद्ध नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी कभी काउंसिल से संबद्ध नहीं रही तो इस कारण जयश्री के संबंध होने या ना होने का कोई औचित्य नहीं रहता। हालांकि वर्ष 2017 से 2018 तक संबद्ध होने के दौरान काउंसिल ने लेटर के माध्यम से स्पष्ट किया था कि परिषद इस कॉलेज के सभी पैरामेडिकल कोर्स के छात्रों की परीक्षा के प्रश्न पत्र, उत्तर पुस्तिका, अंकपत्र, प्रमाणपत्र निर्गत करेगी। परन्तु एक वर्ष की समय सीमा पूर्ण होने के बाद काउंसिल और कॉलेज का कोई संबंध नहीं है।

इस विषय पर ‘जयश्री कॉलेज’ के चेयरमैन भानु प्रकाश जोशी से बात की गई। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड पैरामेडिकल परिषद् में पंजीकृत यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी है, प्रशासन इस विषय पर कार्य कर रहा है और छात्रों से जून के अंत तक का समय हमने मांगा है। उन्होंने आगे बताया कि 2017 से पूर्व ‘जयश्री कॉलेज’ उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय से संबद्ध था परन्तु 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ‘उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय’ ने सभी ऑफ कैंपस बंद कर दिए। जिसके बाद कॉलेज को 2017-18 तक सिंघानिया कॉलेज से संबद्ध किया गया और साथ ही वर्ष 2017 में कॉलेज को हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी से संबद्ध किया गया। वर्तमान में यह कॉलेज हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी से ही संबद्ध है और यूनिवर्सिटी के ही अंतर्गत सारे कोर्स चलाए जाते हैं, फीस, परीक्षाएं आदि सब यूनिवर्सिटी ही संचालित करती है। उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि शीघ्र ही छात्रों का पंजीकरण काउंसिल में हो जाएगा।

पास आउट हो चुके छात्रों के एक बैच ने जब एफआईआर कराई तब सीएमओ और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने कॉलेज में जांच की थी परन्तु उन्हें संस्थान का कोई भी प्रमाणित डॉक्यूमेंट नहीं मिला जिसके बाद
महानिदेशालय, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को सूचना दी। जिसके बाद 06 जून 2022 को एक पत्र के माध्यम से महानिदेशालय, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखंड ने इस संस्थान को बंद कराने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देशानुसार प्रशासन कार्यवाही कर रहा है और एसएसपी अल्मोड़ा को कॉलेज बंद करने निर्देश दे दिए हैं।
वंदना सिंह, जिलाधिकारी, अल्मोड़ा

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