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Uttarakhand

क्रशर में पिसता कानून

उत्तराखण्ड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने भ्रष्टाचारियों को लेकर सख्त रूप अपनाया हुआ है। भ्रष्टाचार में लिप्त हर आरोपी के खिलाफ तुरंत एक्शन और उन पर सख्त से सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने यूके ट्रिपल एससी पेपर लीक प्रकरण में पकड़े गए आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाने के निर्देश दिए थे। ऐसे आरोपी जिन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए अकूत संपत्तियां एकत्र की हैं उन पर बुल्डोजर कार्रवाई की जा रही है। इस कड़ी में सबसे पहले आरोपी उत्तरकाशी के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह के रिजॉर्ट पर बुल्डोजर चलाया गया। लेकिन वहीं दूसरे आरोपी चंदन मनराल पर सरकार मेहरबानी दिखा रही है। एसटीएफ की जांच के बाद मनराल की अवैध अकूत संपत्ति को देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट कुर्क करने के आदेश दे चुकी है। दो माह पूर्व नैनीताल के जिलाधिकारी को स्टोन क्रशर सीज करने, प्रबंधन और रिसीवर तैनाती के लिए भी कहा गया है। बावजूद इसके अभी तक जिलाधिकारी कार्यालय से रामनगर तहसीलदर के पास ऐसा कोई आदेश न आना मामले को संदेहास्पद बना रहा है। कानूनों को क्रश करते हुए मनराल का स्टोन क्रशर अभी भी धड़ल्ले से चल रहा है

यूके ट्रिपल एससी के पेपर लीक हो जाने के बाद उत्तराखण्ड में एक के बाद एक तीन बार परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ीं। परीक्षाओं में नकल माफियाओं का कब्जा इस कदर हो गया कि सरकार पर ही निष्पक्ष परीक्षा न कराने के आरोप लगने लगे थे। जब एसटीएफ को जांच सौंपी गई तो कई चौंकाने वाले रहस्य उजागर हुए। नकल माफिया का सरगना भाजपा का एक जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह ही निकला। हाकम सिंह की गिरफ्तारी के बाद पेपर लीक प्रकरण में परत-दर-परत रहस्य उजागर हुए। साथ ही हाकम सिंह के करीबी चंदन मनराल नामक एक आरोपी की भी गिरफ्तारी हुई। हाकम सिंह की तरह चंदन भी नेताओं का चहेता निकला। कांग्रेस से लेकर भाजपा तक के कई नेताओं की शह पर धंधों को अंजाम देने वाला चंदन कभी मेटाडोर चलाता था। लेकिन जैसे ही वह परीक्षाओं के गोरखधंधे में शामिल हुआ तो देखते ही देखते करोड़ों का मालिक बन बैठा। देहरादून एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल की मानें तो पेपर लीक मामले में आरोपी चंदन मनराल वर्ष 2015 से ही तमाम परीक्षाओं की दलाली के धंधे में शामिल रहा। इस दौरान उसने अवैध अकूत संपत्ति हासिल की। नकल माफिया मनराल ने 2015 से लेकर अब तक परीक्षाओं की धांधलेबाजी में करीब 10 करोड़ 27 लाख 16 हजार 508 रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित कर ली है। यही नहीं बल्कि इसी अवैध आय से मनराल ने अपने और अपने परिजनों के नाम पर रामनगर में 10 बीघा जमीन, पीरूमदारा में 15 एकड़ जमीन और 21 वाहन खरीदे। इसके साथ ही कई जगह आलीशान मकान बनाए। इसी के साथ रामनगर के पास सुक्खनपुर में एक स्टोर क्रशर भी परीक्षा की दलाली के धंधे से खरीदा। हालांकि मनराल के 6 बैंक खातों में 3 दिसंबर 2022 तक जमा करोड़ों की धनराशि को होल्ड करा देने के पिछले साल ही आदेश हो गए थे जब से मनराल को आरोपी माना गया। आयुष अग्रवाल के मुताबिक एसटीएफ ने पेपर लीक गिरोह के दो दर्जन मुख्य आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में विवेचना की है। किसी की जांच पूरी हो चुकी है तो कुछ अभी भी जांच प्रक्रिया में है। गैंगस्टर अधिनियम 14(1) के अंतर्गत सभी मुख्य अभियुक्तों की चल-अचल संपत्ति को भी गैंगस्टर एक्ट के तहत सीज किया जा चुका है।

इस मामले के मुख्य आरोपी हाकम सिंह की दो सप्ताह पहले ही न केवल सभी संपत्तियां सीज हो चुकी हैं, बल्कि कई को तो बुल्डोजर चलाकर ध्वस्त भी किया जा चुका है। लेकिन चंदन मनराल के मामले में अभी भी यह प्रक्रिया आधी-अधूरी है।
देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट सोनिका के आदेशों पर मनराल की जिन तीन श्रेणियों ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ में चल-अचल संपत्ति पर कार्रवाई होनी थी उनमें ‘ए’ श्रेणी की सूची को छोड़कर ‘बी’ और ‘सी’ दोनों की श्रेणी की सूची में शामिल संपत्तियों पर
कार्रवाई हो चुकी है। इनमें उसके वाहनों को जब्त किया जा चुका है जबकि बैंक में जमा धनराशि को फ्रीज किया गया है। लेकिन आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि मनराल के स्टोन क्रशर को सीज नहीं किया गया है। देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट सोनिका द्वारा तीनों श्रेणियों की सूची पर विशेष तौर पर कुर्की करने की कार्रवाई करने के आदेश देने के बाद भी आखिर प्रशासन किसके दबाव में है यह जांच का विषय है। नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल पर इस मामले को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैं कि आखिर क्या वजह रही कि मनराल स्टोन क्रशर को जिलाधिकारी अभी तक कुर्क नहीं कर सके हैं। देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट के आदेश होने के बाद भी नैनीताल जिलाधिकारी द्वारा न कोई प्रबंधक और न ही कोई रिसीवर नियुक्त किया गया। दोनों का काम स्टोन क्रशर को सीज करने के साथ ही कब्जा करके रखना था। अगर नियमों के तहत देखें तो नैनीताल के जिलाधिकारी द्वारा रामनगर के तहसीलदार को स्टोन क्रशर सील करने के आदेश दिए जाने थे। लेकिन अभी तक जिलाधिकारी कार्यालय से तहसीलदार के पास ऐसा कोई आदेश न आना मामले को संदेहास्पद बना रहा है।

गौरतलब है कि गत वर्ष सरकार के आदेश पर चंदन मनराल पर एसटीएफ जांच के आदेश किए गए थे। क्योंकि मनराल पर देहरादून में मामला दर्ज हुआ है। इसके चलते एसीटीएफ देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने निरीक्षक कुंदन सिंह राणा को जांच अधिकारी नियुक्त किया। राणा ने यह जांच 29 सितंबर 2022 को पूरी कर ली है। एसीटीएफ ने अपनी जांच रिपोर्ट में चंदन को वर्ष 2015 में हुई दारोगा भर्ती मामला सहित वर्ष 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भर्ती तथा यूके ट्रिपल एससी स्नातक स्तरीय परीक्षा वर्ष 2021 में आरोपी माना है। उसकी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा जिला मजिस्ट्रेट देहरादून के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसमें चंदन की चल-अचल संपत्तियों की तीन श्रेणियां बनाई गईं जिनको ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ में निर्धारित किया गया। सूची ‘ए’ में चंदन तथा उसके परिजनों द्वारा खरीदी गई जमीनों का विवरण दिया गया है। इसी सूची में चंदन का रामनगर के सक्खनपुर स्थित मनराल स्टोन क्रशर का भी उल्लेख किया गया है। एसटीएफ ने इसकी कीमत चार करोड़ बताई है। इसके अलावा सूची ‘बी’ में चंदन के वाहनों का विवरण दिया गया है। जबकि सूची ‘सी’ में आधा दर्जन बैंकों में चंदन और उसके परिजनों के लेन-देन का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है।

एसटीएफ की जांच में ‘ए’ सूची में शामिल मनराल का स्टोन क्रशर

देहरादून एसटीएफ द्वारा मनराल की संपत्ति की जो सूची दी गई है उसमें 30 मार्च 2019 से लेकर अब तक विभिन्न बैंकों में 6,13,89,472 रुपए कीमत के 17 विभिन्न वाहनों का वर्णन है। इनमें 7 डंफर, 2 जेसीबी, 2 पोकलैंड, स्ट्रोन क्रशर कार्य के लिए 1 लोडर, 2 बोलेरो, 3 बस हैं जिनको बैंक से 5,06,36,155 रुपए ऋण एवं 1,08,16,559 रुपए डाउन पेमेंट (नगद) में खरीदे गए। जिनमें से अभी तक मनराल द्वारा उक्त लोन प्राप्त कर वाहनों से कुल 2,21,62,858 रुपए बैंक को वापस किए जा चुके हैं। इस प्रकार चंदन द्वारा अभी तक वाहनों की खरीद-फरोख्त में कुल 3,29,79,417 रुपए खर्च किए जा चुके हैं। चंदन द्वारा बैंकों से कुल 1,94,31000 रुपए लोन लिया गया। जिसकी किस्त के रूप में 6,4,62,451 रुपए संबंधित बैंकों को वापस किए जा चुके हैं।

इसी तरह एसटीएफ के जांच अधिकारी ने मनराल तथा उसके परिजनों के नाम से खरीदी गई जमीन का विवरण दिया है। जिसमें चंदन मनराल ने सुरेंद्र सिंह रावत पुत्र जोत सिंह रावत निवासी लखनपुर रामनगर से 92.90 वर्गमीटर की जमीन कुल 9,66,000 में खरीदी। जबकि मनराल ने अपने पुत्र दीपक मनराल के नाम से रणवीर सिंह रावत पुत्र प्रताप सिंह निवासी ग्राम चंदपुर, रामनगर से 62,600 रुपए में 109.29 वर्गमीटर जमीन खरीद। दीपक के नाम से ही एक और जमीन जिसका भूभाग-3.55 हेक्टेयर है, को मलकीत सिंह पुत्र प्रकाश सिंह निवासी ग्राम मोतीपुर बेलजुड़ी रामनगर से 1,75,28,000 रुपए में खरीदा गया। दीपक मनराल के नाम पर ही 0.222 हेक्टेयर जमीन जगीद्र कौर पत्नी गुरमीत कौर निवासी पीरूमदारा रामनगर से 1,8,32,000 रुपए में खरीदी गई। इसके अलावा एक नजूल भूमि का 97.55 वर्गमीटर भूखंड तहसीलदार सुंदर सिंह निवासी रामनगर से चंदन मनराल की पत्नी शांति मनराल के नाम पर कुल 2,92,650 रुपए में खरीदा गया। चंदन मनराल ने वाहन खरीद में 4,5,54,328 रुपया खर्च किया है। मनराल की प्रमुख संपत्तियों में तहसील रामनगर के ग्राम सक्खनपुर में मनराल एसोसिएट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से स्टोन क्रशर भी है जिसकी कुल कीमत चार करोड़ रुपए है।
देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट सोनिका द्वारा चंदन मनराल की उक्त सभी संपत्तियां जो तीन भागों में ए, बी और सी में विभाजित हैं, को कुर्क करने के आदेश दिए गए हैं। इसी के साथ ही जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूची ‘बी’ में वाहनों को कुर्क कर उनका प्रबंधन करने के लिए रिसीवर जनपद नैनीताल के कर एवं पंजीयन अधिकारी को अधिकृत किया गया है।

मनराल की संपत्ति कुर्क करने के जिला मजिस्ट्रेट देहरादून के आदेश

 

जबकि सूची ‘ए’ में अचल संपत्ति के संदर्भ में उत्तर प्रदेश (उत्तराखण्ड) गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप अधिनियम, 1986 की धारा 14(3) के अंतर्गत शक्तियों का प्रयोग कर उक्त संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए नैनीताल के जिलाधिकारी को संपत्ति कुर्क करने के साथ ही रिसीवर भी नियुक्त किया गया है। इसके अलावा सूची ‘सी’ में मनराल तथा उसके परिजनों के नाम बैंकों में जमा धनराशि को उक्त खातों से कुर्क किए जाने के आदेश संबंधित बैंक प्रबंधन को दिए गए हैं। देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट सोनिका द्वारा यह आदेश सरकार बनाम चंदन मनराल मामले के तहत 4 मार्च 2023 को दिए हैं। आज दो माह बीत जाने के बाद भी स्थिति यह है कि एक संपत्ति को छोड़कर अन्य सभी सूची की चल और अचल संपत्ति को कुर्क कर लिया गया है। जिस एक संपत्ति पर प्रशासन ने कुर्की करना मुनासिब नहीं समझा है वह मनराल स्टोन क्रशर है। यह स्टोन क्रशर अभी भी पूर्व की भांति संचालित हो रहा है।

 


चंदन मनराल (फाइल फोटो)

रामनगर के सक्खनपुर के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी नैनीताल को पत्र लिखकर मनराल स्टोन क्रशर पर कार्रवाई करने की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्टोन क्रशर पर कुर्की के आदेश हो जाने के बाद भी चंदन मनराल के गैंग द्वारा आज भी स्टोन क्रशर का संचालन किया जा रहा है। जिससे रात और दिन उत्पादन किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि उक्त स्टोन क्रशर का संचालन एवं इसके द्वारा किए जा रहे प्रदूषण से वे पीड़ित हैं। सक्खनपुर के बाशिंदों ने जिलाधिकारी से मनराल स्टोन क्रशर को सीज करने और इसका संचालन बंद करने की मांग की है।

कौन संचालित करा रहा क्रशर
चंदन मनराल की भाजपा के साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं के साथ गलबहियां रही है। इसको लेकर चर्चाओं का दौर जारी है कि मनराल के स्टोन क्रशर में कौन-कौन नेता साझेदार है। चर्चा है कि पेपर लीक प्रकरण में जेल जाने से पहले चंदन मनराल के साथ स्टोन क्रशर में भाजपा के एक ब्लॉक प्रमुख पति ने साझेदारी की थी जिसकी एवज में मनराल को डेढ़ से दो करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। जब चंदन मनराल पेपर लीक प्रकरण में जेल गया तो उक्त भाजपा नेता ने यह बात कई नेताओं के समक्ष व्यक्त की। हालांकि फिलहाल वह भाजपा नेता अपने आप को मनराल से अलग बता रहा है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि स्टोन क्रशर को सीज हो जाने के आदेश के बावजूद भी भाजपा नेता ही उसे संचालित करा रहा है। जबकि इस मामले में एक कांग्रेस नेता का नाम भी आ रहा है जो पूर्व मुख्यमंत्री का करीबी रहा है।

 

पहले से ही विवादों में रहा स्टोन क्रशर
मनराल स्टोन क्रशर का मामला हाईकोर्ट में भी जा चुका है। जहां से न्यायालय द्वारा इसकी सुनवाई देहरादून के पर्यावरण अपीलीय प्राधिकरण में करने के आदेश दिए गए हैं। स्टोन क्रशर पर आरोप है इसके संचालन होने से पहले जो पर्यावरण का अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना चाहिए था वह नहीं लिया गया। बिना पर्यावरण की मंजूरी के ही स्टोन क्रशर के मालिक चंदन मनराल ने इसका संचालन शुरू कर दिया था। इस मामले की हाईकोर्ट में याचिका दर्ज करने वाले आनंद नेगी हैं। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना था कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों को नहीं माना गया।

 

बात अपनी-अपनी
यह स्टोन क्रशर कहां स्थित है और अब किस स्थिति में है इसकी जानकारी मुझे नहीं है। मैं इसका पता लगाता हूं। अगर यह नियम विरुद्ध चल रहा है तो इस पर कार्रवाई की जाएगी।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड

मेरे पास मनराल स्टोन क्रशर से संबंधित कोई कागज अभी तक नहीं आए हैं। जब तक कागज नहीं आएंगे तब तक मैं कुछ नहीं बोल पाऊंगा।
गौरव चटवाल, उपजिलाधिकारी, रामनगर

हमारे पास डीएम कार्यालय से मनराल स्टोन क्रशर से संबंधित कोई आदेश नहीं आया है। इस स्टोन क्रशर को सीज या कुर्क करने की प्रक्रिया के तहत डीएम कार्यालय से पत्र आने के बाद ही कार्रवाई हो सकती है। हमने अभी कुछ दिनों पहले ही मालधन में कुर्की के आदेशों की तामील की है। हमें तो आदेश आने का इंतजार है उसके बाद कार्रवाई तय है।
विपिन चंद्र पंत, तहसीलदार रामनगर

नोट : नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल से जब बात की गई तो उन्होंने मनराल स्टोन क्रशर का नाम सुनते ही फोन काट दिया।

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