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Uttarakhand

उत्तराखण्ड गंगा में बह गए करोड़ों रुपए

कुंभ तैयारियों की हकीकत/भाग-चार
जो कार्य होने चाहिए थे, वो नहीं हुए। नगर निगम को मेला संबंधी कार्यों से दूर रखा गया है। नगर निगम द्वारा जल्द से जल्द मेला कार्यों को पूर्ण करने को लेकर कुंभ मेलाधिकारी को पत्र भी दिया है। नगर निगम का प्रयास है कि मेला क्षेत्र स्वच्छ रहे। 
अनिता शर्मा, मेयर नगर निगम हरिद्वार
कुंभ मेले की अवधि घटाकर 28 दिन किए जाने संबंधी राज्य सरकार के निर्णय के बावजूद मेला प्रशासन तैयारियों में फिसड्डी साबित होता नजर आ रहा है। कार्यों को पूरा करने के संबंध में बार-बार बढ़ाई जा रही तिथियों के बावजूद समूचा मेला क्षेत्र मेला प्रशासन एवं अन्य विभागों के बीच आपसी समन्वय के अभाव में बदहाल है। हालत यह है कि कुंभ की अधिसूचना अभी तक जारी नहीं हुई है, परंतु रमता पंचों के नगर प्रवेश के साथ ही अखाड़ों द्वारा निकाली जाने वाली पेशवाई का दौर भी प्रारंभ हो चुका है। पेशवाई मार्ग अभी तक भी दुरुस्त नहीं किए जा सके हैं। यह हाल तब है जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित सोशल मीडिया फेम मेला अधिकारी दीपक रावत एवं कुंभ मेला प्रशासन में तैनात दोनों अपर मेला अधिकारी लगातार मेला क्षेत्र का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को सुधारने का दावा कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अखाड़ों में धर्म ध्वजा की स्थापना के साथ ही मेला शुरू हो गया है मेला क्षेत्र में संतों का जमावड़ा लगना भी शुरू हो गया है। लेकिन अव्यवस्थाओं का आलम देखिए कि बैरागी संतों को मेला क्षेत्र में सुविधाएं प्राप्त करने के लिए बार-बार मेला प्रशासन से गुहार लगानी पड़ रही है। बैरागी संतों के ठहरने को लेकर बैरागी कैम्प में की जाने वाली व्यवस्थाओं में मेला प्रशासन की लेट-लतीफी का ही आलम है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज सहित बैरागी संत मेले की तैयारियों को लेकर अब खुले तौर पर असंतोष जता रहे हैं। संतों की ओर से बैरागी कैम्प स्थित अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अखाड़े में जगन्नाथ धाम के अध्यक्ष महंत लोकेश दास ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को संतों से बात करके मेले का स्वरूप तय करना चाहिए, तो वहीं दूसरी ओर निर्मोही अखाड़े के सचिव मंहत रामशरण दास ने कहा कि बैरागी संतों की व्यवस्था करने में दो माह से अधिक का समय लगता है लेकिन वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि सरकार कुंभ मेले का आयोजन ही नहीं करना चाहती। बताते चलें कि 27 फरवरी से बैरागी संतों के खालसे कुंभ नगरी पहंुचने शुरू हो चुके हैं। परंतु मेला प्रशासन ने अभी तक भी संतों के ठहरने के लिए भूमि आंवटन का कार्य नहीं किया है। भूमि आवंटन न होने और खालसों के बड़ी संख्या में आगमन पर व्यवस्थाएं बिगड़ने का अंदेशा बना हुआ है।
मेला क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं को देखते हुए हरिद्वार के जिलाधिकारी सी. रविशंकर अधिकारियों के साथ पेशवाई मार्ग का स्थलीय निरीक्षण करने स्वयं मैदान में उतरे। जिलाधिकारी ने मेला क्षेत्र के पांडेवाला, तुलसी चैक, एसएमजेएन डिग्री कालेज मार्ग, कनखल बड़ा अखाड़ा, नया अखाड़ा उदासीन मार्गों के निर्माण, मरम्मत, साफ-सफाई ट्रैफिक व्यवस्था आदि के संबंध में अखाड़ों के संतों को लेकर व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए। बताते चलें कि विभिन्न अखाड़ों के रमता पंचों की जमातें अलग-अलग स्थानों पर ठहरी हुई हैं जो पेशवाई निकालकर अखाड़ों में विधिवत रूप से प्रवेश करेंगी। जिनमें जूना अखाड़े से जुड़ी नागा संन्यासियों की जमात प्राचीन गुघाल मंदिर, पाण्डेवाला में अपना डेरा जमाए हुए है। यहां से ये नागा संन्यासी पेशवाई के रूप में प्रस्थान कर अखाडे़ में प्रवेश करेंगे। परन्तु जूना अखाड़े के पेशवाई मार्ग को दुरुस्त करने में मेला प्रशासन विफल साबित हुआ है। निर्माण कार्यों पर 600 करोड़ रुपए की बड़ी धनराशि खर्च कर चुका मेला प्रशासन जूना अखाड़े के पेशवाई मार्ग में निर्माण कार्य कराना ही भूल गया। ऐसे में सवाल उठने स्वाभाविक हैं कि क्या ये करोड़ों रुपए गंगा में बह गए? अब गंगा सभा और जूना अखाड़े के संतों द्वारा बनाये गए दबाव और आक्रोश जाहिर करने पर पेशवाई मार्ग पर आनन-फानन में पेच वर्क के माध्यम से गड्ढ़े भरकर अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने का प्रयास हो रहा है। यही नहीं समूचा मेला क्षेत्र मेला प्रशासन की लापरवाही का शिकार नजर आ रहा है। जिसको लेकर दो दिन पूर्व अपर  मेलाधिकारी ललित नारायण मिश्रा द्वारा मेला तैयारियों के संबंध में ली गई बैठक में मेले की अव्यवस्थाओं का खुलासा भी हो चुका है।
इस दौरान ललित नारायण मिश्रा ने बैठक में सीसीआर के पास शौल क्षेत्र खाली न कराने, घाटों पर लटक रहे तारों और टूटी रेलिंग पर भी नाराजगी जताई थी। उन्होंने अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सभी प्रबंध ठीक कराने और हरकी पैड़ी एवं अन्य प्रमुख स्नान घाटों से भिखारियों को हटवाकर जीरो जोन बनाने, साथ ही जिन घाटों पर पेड़ों की टहनियां लटक रही हैं उनकी छंटनी कराने और घाटों के नाम का बोर्ड नए सिरे से पेंट कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। इस दौरान अपर मेलाधिकारी ललित नारायण ने मेला क्षेत्र के घाटों आदि का स्थलीय निरीक्षण भी किया था। उन्होंने निरीक्षण के दौरान शिवघाट एवं गऊघाट पुल के स्लैब को ठीक कराने, टूटी टाइल्स बदलवाने और हुक चेन  लगवाने, गऊघाट पुल के नीचे की टूटी सड़क और पुल की टूटी रेलिंग ठीक कराने और घाटों पर वाहनों की आवाजाही बंद कराने के निर्देश दिए थे। उन्होंने घाटों पर लटकते तारों, बिजली के खुले चैंबर ढकने एवं लटकते तारों को हटाने अथवा उनकी ऊंचाई बढ़ाने और पुराने पेड़, जो बाधा उत्पन्न कर रहे हैं, की छंटनी कराने, सुभाष घाट पर गंगा दर्शन धर्मशाला के सामने रखे घिसाई की मशीन दो दिन में हटवाने के निर्देश दिए।
अपर मेलाधिकारी के निरीक्षण में मिली तमाम खामियां मेला प्रशासन द्वारा मेला तैयारियों को समय से पूर्ण किए जाने के संबंध में दिए जा रहे तमाम दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं। जब ‘दि संडे पोस्ट’ ने मेला प्रशासन की कोताहियों को लेकर सिलसिलेवार सच सामने लाना प्रारम्भ किया तो मेला प्रशासन से जुड़े जिम्मेदार अधिकारी ‘दि संडे पोस्ट’ से दूरी बनाते नजर आए। यही नहीं अपर मेलाधिकारी ललित नारायण मिश्रा तमाम जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए मेलाधिकारी दीपक रावत से बात करने को कहने लगे तो वहीं दूसरे मेलाधिकारी हरवीर सिंह ने तो इस संवाददाता का फोन नम्बर ही ब्लैक लिस्ट में डाल कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

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