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  •  स्लाइडिंग जोन से अक्सर पत्थर व मलबा गिरने का सिलसिला जारी
    मलबा गिरने से घटों रहता है जाम, फंस जाते हैं सैकड़ों वाहन
    दुर्घटना की भी आशंका, अब तक दो दर्जन वाहन हो चुके हैं क्षतिग्रस्त
    बारिश में भूस्खलन से और बढ़ जाती है समस्या
    यात्रा सीजन में मार्ग अवरुद्ध होने पर स्थिति हो जाएगी गंभीर, हजारों की संख्या में मार्ग पर प्रतिदिन गुजरते हैं वाहन

बारिश को लेकर मौसम विभाग का पूर्वानुमान एक बार फिर सही साबित हुआ है। प्रदेश के पहाड़ी जिलों में रुक-रुककर बारिश हो रही है। ऐसे में कई इलाकों में सड़कें बंद हो चुकी हैं। उत्तराखण्ड के पौड़ी में आफत की बारिश जारी है। इससे जहां आम जन जीवन प्रभावित हो गया है, वहीं अब भू-स्खलन का दौर भी शुरू हो गया है। हाल ही में ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे रुद्रप्रयाग और श्रीनगर के बीच फरासु, सिरोहबगड़ और नगरकोट में सड़क मार्ग अवरुद्ध हुआ। बद्रीनाथ हाईवे रुद्रप्रयाग और श्रीनगर के बीच नगरकोट, सिरोबगड़ और फरासु में बार-बार बंद होता आ रहा है। यहां पर पहाड़ी से लगातार मलबा और बोल्डर गिर रहे हैं, जिनसे दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। हालांकि यहां पर हाईवे को साफ करने के लिए दो-दो मशीनें लगाई गई हैं, लेकिन बार बार पहाड़ी टूटने से आवाजाही बाधित हो रही है। हाईवे के किनारे कई टूरिस्ट और स्थानीय लोग फंसे रहे हैं।

पिछले छह महीने से सिरोबगड़ स्लाइडिंग जोन रुद्रप्रयाग एवं चमोली के लोगों के साथ ही यहां से गुजरने वाले मुसाफिरों के लिए भी मुसीबत का सबब बना गया है। यहां पर ठीक ऊपर पहाड़ी से मलबा व पत्थर गिरने से मार्ग तो अवरुद्ध होता ही है, साथ ही दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। लेकिन अब तो फराशु और नगरकोट में भी भारी बोल्डर आने से मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में श्रीनगर-रुद्रप्रयाग के बीच स्थित सिरोबगड़ स्लाइडिंग जोन की समस्या कोई नई नहीं है। चालीस वर्ष पूर्व सत्तर के दशक से लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है। स्लाइडिंग जोन समय-समय पर सक्रिय हो जाता है। सत्तर के दशक की बात करें तो उस समय लगभग तीन महीने तक यह मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध रहा था, जबकि अस्सी के दशक में भी यहां पर आवाजाही में खासी दिक्कतें पैदा हुई, जो कि नब्बे के दशक तक जारी रही। वहीं पिछले दस वर्षों से सीमा सड़क संगठन की ओर से यहां पर भूस्खलन रोकने के लिए किए गए उपायों के चलते स्लाइडिंग रुक गई थी, लेकिन गत वर्ष सितंबर में यह फिर सक्रिय हो गया और पिछले छह महीने से यह मुसीबत का सबब बना हुआ है। यहां पर जीरो डिग्री के कोण पर रुक-रुककर मलबा सीधे सड़क पर आ रहा है। इससे मोटर मार्ग के अवरुद्ध होने के साथ- साथ दुर्घटना की भी संभावना बनी रहती है। बताया जाता है कि यह चट्टान चूना पत्थर से बनी है, इसलिए काफी कमजोर पहाड़ी है। यहां की पहाड़ियों से हट कर यह पहाड़ी अलग तरह की कच्ची पहाड़ी है। केंद्रीय सड़क रिसर्च इंस्टीट्यूट भी यहां पर कई बार सर्वे कर चुकी है।

सिरोबगड़ समस्या कोई नई समस्या नहीं है, पूर्व में भी इस पहाड़ी के संवेदनशीलता की रिपोर्ट केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजा चुकी है। यहां पर पिछले चालीस वर्षो से मलबा गिरने का सिलसिला थमा नहीं है। भूस्खल के रुकने की भी कोई संभावना नहीं है, क्योंकि ऊपरी पहाड़ी पूरी तरह स्लाइडिंग जोन है।

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