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  •       संजय कुंवर

जोशीमठ उर्गमघाटी के देवग्राम, गीरा एवं बांसा गांव में भूस्खलन से सैकड़ों नाली जमीन के साथ ही कई मकानों में दरारें पड़ गई हैं। इन घरों में रहना अब खतरे से खाली नहीं है। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार शासन- प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है जिसके चलते लोग मौत के साए में जीने को मजबूर हैं।

जोशीमठ ब्लॉक के दूरस्थ गांव उर्गमघाटी के देवग्राम, गीरा एवं बांसा गांव में 2013 की आपदा के बाद से गांव के नीचे लगातार भूस्खलन हो रहा है जिससे गांव के लोगों की सैकड़ों काश्तकारी भूमि बर्बाद हो गई है। इतना ही नहीं अब भूस्खलन का दायरा बढ़ने लगा है और धीरे-धीरे कई लोगों के घरों में दरारें पड़ गई हैं। जिससे इन घरों में रहना अब खतरे से खाली नहीं है। कभी भी यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीण लंबे समय से प्रशासन से मांग करते रहें कि गांव का पुनर्वास किया जाए, किंतु अभी तक कार्यवाही नहीं हो पाई है। लोग दहशत के साए में जीवन-यापन कर रहे हैं, कई लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

देवग्राम के अलावा भल्ला खोला, मलखोला, मल्यामहल, गीरा व बांसा की स्थिति काफी खराब है। इसके चलते कई लोगों ने अपने मकान छोड़ दिए हैं। लगातार भू-धंसाव से इनके घरों में दरारें बढ़ रही हैं। यहां तक कि देवग्राम के पंचायत भवन पर भी दरारें आ चुकी हैं। देवग्राम के कुलदीप सिंह के मकान पर दरार लगातार बढ़ रही है। जबकि देवग्राम पंचायत भवन के पास किशन सिंह पुत्र कृपाल सिंह का मकान नीचे गिरने वाली स्थिति में है। इसी तरह गीरा बांसा में कुंदन सिंह सजवान, इंदर सिंह सजवान, हीरा सिंह, राजेंद्र सिंह रावत, गजेंद्र सिंह रावत, केदार सिंह, देवेंद्र सिंह सहित कई लोगों की मकानों पर दरारें पड़ी हैं। इन्होंने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए।

देवग्राम के प्रधान देवेंद्र रावत कहते हैं कि हमने कई बार जिला प्रशासन, मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष को मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर इस संबंध में शिकायत दर्ज की है। आज तक सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो पाई है। 2013 की आपदा के बाद लगातार मकानें टूट रहे हैं। लगातार हम इन मुद्दों को उठाते रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है लोग बेघर होने की स्थिति में हैं। कल्पक्षेत्र विकास आन्दोलन उर्गमघाटी के सचिव लक्ष्मण सिंह नेगी के अनुसार देवग्राम में कल्प क्षेत्र विकास आंदोलन के माध्यम से भी इन मुद्दों को उठाते रहे परंतु कोई सुनने वाला नहीं है। विगत वर्ष भी चमोली जिले के प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत जी को हम ज्ञापन दे चुके हैं किंतु कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है। गोपेश्वर में जिलाधिकारी को भी इस प्रकरण में लोगों के द्वारा ज्ञापन दिया गया है।

नगर पंचायत पीपलकोटी के गडोरा वार्ड के देवस्थान में लगातार हो रहे भू-धंसाव से पुष्कर लाल का मकान खतरे की जद में आ गया है। तीन-चार सालों से लगातार हो रहे भू-धंसाव से अब पुष्कर लाल के मकान में दरारें अधिक चौड़ी हो गई हैं। जिसमें रहना अब खतरे से खाली नहीं है। कभी भी मकान जमींदोज हो सकता है। जिससे इसमें रहने वाले पांच लोगों की जिंदगी संकट में बनी है। पुष्कर लाल की मां शतेश्वरी देवी कहती हैं गरीबों का सुनने वाला कोई नहीं है। दरारें इतनी चौड़ी हैं कि इनमें पुराने कपड़े डालकर बंद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मेरा लड़का, बहू और दो नाती इसी घर में रहते हैं। उनका बेटा पुष्कर लाल ध्याड़ी मजदूरी करके अपना और बच्चों का पेट पाल रहा है। रोजगार के कोई साधन नहीं हैं। बुजुर्ग शतेश्वरी देवी अपने नातियों के भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं।

उन्होंने बताया कि यह भू-धंसाव नेशनल हाईवे निर्माण कंपनी द्वारा हाईवे चौड़ीकरण के चलते हुआ है। इसके लिए उन्होंने एनएच के अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया। लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की। जबकि जनता दरबार में भी जिलाधिकारी के समक्ष वह तीन बार अपनी समस्याओं को रख चुकी हैं। लेकिन शासन-प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। शतेश्वरी देवी के अनुसार लोगों को प्रधानमंत्री आवास से घर मिला है। लेकिन पीएम आवास सुविधा का भी उन्हें अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है।

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