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Uttarakhand

भ्रष्टाचार के पौधे पर कोर्ट की कुदाल

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के चौबटिया स्थित निदेशालय में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार की जांच को लेकर संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती को उम्मीद थी कि राज्य सरकार द्वारा विभाग के निदेशक डॉ. हरमिंदर सिंह बवेजा के खिलाफ बैठाई गई जांच उपरांत बवेजा को दंडित किया जाएगा। यह जांच पूरे हुए महीनों बीत गए हैं लेकिन न तो जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है और न ही डॉ. बवेजा के विरुद्ध कोई कार्यवाही। ऐसे में थक-हारकर करगेती ने नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की पीठ ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉ. बवेजा को आगामी 8 मई के दिन न्यायालय में पेश होने को कहा है। सरकार की लचर कार्यशैली से हताश करगेती को अब और उम्मीद जगी है कि अंतोगत्वा उनके द्वारा उठाए गए भ्रष्टाचार के मामले पर हाईकोर्ट अवश्य कार्रवाई करेगा और आरोपियों को उनके किए की सजा मिलेगी

उत्तराखण्ड के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के वर्तमान निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा के भ्रष्टाचार को लेकर देहरादून में 13 दिन तक आमरण-अनशन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती को सरकार की तरफ से अंधेरा नजर आने के बाद अब उजाले की किरण दिखने लगी है। करगेती को उजाले की यह किरण दिखाई है हाईकोर्ट नैनीताल ने। जहां से उद्यान विभाग के भ्रष्टाचार पर चाबुक चलाया जा चुका है।
पिछले 9 महीने से एक के बाद एक उद्यान विभाग के घोटाले का पर्दाफाश करने वाले करगेती को ‘जीरो टॉलरेंस’ का दावा करने वाली प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार नियंत्रण की पूरी आस थी। उनकी यह आस उम्मीद में उस समय परिवर्तित होती दिखी जब प्रदेश के उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने 14 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री का हवाला देते हुए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के इस घोटाले की बाबत जांच बिठाई। साथ ही उद्यान सचिव वीवीआरसी पुरुषोत्तम को पूरे मामले की 15 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने को कहा था।

लेकिन साढ़े छह माह बीत जाने के बाद भी बवेजा के भ्रष्टाचार की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक न करने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे। इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने न्यायालय की चौखट पर दस्तक दी। जहां हाईकोर्ट ने उद्यान विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप पर उद्यान निदेशक डॉ हरविंदर बवेजा को दूसरी बार तलब कर भ्रष्टाचार के पौधे पर कुदाल चलाने की शुरुआत कर दी है। हाईकोर्ट ने बवेजा को पहले 28 मार्च को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। साथ ही सरकार से भी स्थलीय रिपोर्ट तलब देने के आदेश दे दिए थे। इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायाधीश आलोक वर्मा की पीठ ने एक बार फिर 8 मई को बावेजा को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं। माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का जो काम उद्यान मंत्री गणेश जोशी साढ़े छह माह में नहीं कर पाए कोर्ट उसका फैसला अगले माह की 8 तारीख को कर सकता है।

निदेशक बवेजा ने 27 जनवरी 2021 को उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग का निदेशक बनने के बाद से ही विभाग में भ्रष्टाचार रूपी पौधा उगाना शुरू कर दिया था। बवेजा पर आरोप है कि उन्होंने प्रदेश में एक नहीं, बल्कि चार बार अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल आयोजित कर ढाई करोड़ से अधिक का घोटाला किया। 77 हजार कीवी पौधों को बाजार दर से कई गुना अधिक कीमत पर खरीदकर सरकार को नुकसान पहुंचाया, जिसमें से 20 प्रतिशत पौधे भी जिंदा नहीं बचे। अदरक व हल्दी का बीज भी दुगने से अधिक दाम पर खरीदा और जबकि काश्तकारों को बाजार में वहीं बीज सस्ता बीज मिला। इसके साथ ही निदेशक बवेजा द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम देने के इरादे से फर्जी अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला को माध्यम बनाकर राज्य के लगभग सभी जिलों में चोरी छिपे कश्मीर से औने-पौने दामों पर पौधे पहुंचा दिए। जिसमें निदेशक द्वारा न तो पौधों को क्वारेंटाइन किया गया और न ही इनके पास मृत वृक्ष के सापेक्ष पौधों की उपलब्धता है। यही नहीं कश्मीर के पौधों में बीमारी होने की बात की पुष्टि भी हिमाचल और अन्य राज्यों द्वारा की जा चुकी थी। उसके बाद भी कश्मीर से चोरी छिपे पौधे मंगवाकर किसानों के साथ विश्वासघात किया गया।

गौरतलब है कि ‘दि संडे पोस्ट’ इस मुद्दे पर लगातार समाचार कवरेज कर उद्यान विभाग और विभाग के डायरेक्टर बवेजा के भ्रष्टाचार को उजागर करता रहा है। समाचार पत्र में ‘चौबटिया गार्डन में भ्रष्टाचार का पौधा’ के नाम से समाचार शृंखला शुरू की गई। जिसके तीन समाचार प्रकाशित किए गए थे। पहला समाचार 17 जुलाई 2022 को ‘चौबटिया गार्डन में भ्रष्टाचार का पौधा’ नाम से प्रकाशित किया गया। इसके बाद 30 जुलाई 2022 को ‘कागजों में उगी कीवी’ तथा 3 सितंबर 2022 को ‘उद्यान विभाग का एक और कारनामा’ नामक समाचार प्रकाशित किया गया था। आइए देखते हैं क्या है वे मामले जिनके चलते प्रदेश के उद्यान मंत्री गणेश जोशी संदेहों और सवालों के घेरे में हैं।

पहला मामला है कीवी घोटाले का। उद्यान विभाग उत्तराखण्ड द्वारा कीवी की टहनियों से तैयार पौधे कटिंग की दर वर्ष 2018 में 35 रुपए निर्धारित की गई थी और कीवी के सीड से उत्पादित सीडलिंग पर ग्राफ्टेड पौधे की दर रुपए 75 निर्धारित की गई थी। लेकिन वर्तमान उद्यान निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा द्वारा 15 मई 2021 को कीवी पौंध की कीमतों को बेतहाशा बढ़ाकर कटिंग की दर रुपया 35 से 75 रुपए कर दी गई। जबकि ग्राफ्टेड की कीमत बढ़ाकर रुपए 75 से 175 कर दी गई है जो कि 2018 की दर के लगभग 3 गुना अधिक है। इस बढ़ी हुई दर के साथ भी निदेशक को जब संतुष्टि नहीं हुई तो उन्होंने पुनः 14 दिसंबर 2021 को दरों को बढ़ाते हुए एक नई सूची जारी कर दी। जिसमें कटिंग वाले पौधों की दर 75 रुपए से बढ़ाकर सीधे 225 रुपए और ग्राफ्टेड कीवी पौध की दर को 175 से 275 रुपए कर दिया गया। इस भ्रष्टाचार को अंजाम देते हुए 80 हजार से भी अधिक पौधों की खरीद बाहरी राज्यों की नर्सरियों से बिना निविदा आमंत्रित किए ही कराई गई। करीब 3 करोड़ से भी अधिक की इस खरीद-फरोख्त में जमकर लूट की गई यही नहीं, बल्कि जब इन दरों को उद्यान विभाग हिमाचल की दरों से मिलाया गया तो पाया कि वहां पर मौजूदा दर इन दरों से 3 से 4 गुना कम है। सवाल है कि आखिर ऐसी स्थिति में कैसे उत्तराखण्ड हिमाचल की तर्ज पर आगे बढ़ेगा। दूसरा घोटाला चार बार के अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों के नाम पर हुआ है।

निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा पर आरोप है कि उन्होंने 3 करोड़ से भी अधिक धनराशि को विभिन्न मदों बागवानी मिशन प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) एवं प्रधानमंत्री सूक्ष्म उद्यम उन्नयन योजना से मनमाने तरीके से सभी नियमों को ताक पर रखते हुए तत्कालीन अपर सचिव रामविलास यादव से सांठ-गांठ कर निकाल लिया गया। इस धनराशि को चार विभिन्न विषयों पर अंतरराष्ट्रीय नाम देकर सेमिनार एवं प्रदर्शनी के नाम पर खर्च दिखाया गया। जिन्हें अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव देहरादून, अंतरराष्ट्रीय मशरूम महोत्सव हरिद्वार, अंतरराष्ट्रीय मसाला एवं सब्जी महोत्सव टिहरी और अंतरराष्ट्रीय मौन पालन महोत्सव ज्योलीकोट नैनीताल के नाम पर खर्च दिखाया गया। आरोप है कि यह सब कुछ इसी विभाग के जेल में कैद रामविलास यादव और निदेशक बवेजा द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए किया गया। नियम है कि इन सभी सेमिनार में केंद्र पोषित योजना मिशन बागवानी के निर्देशानुसार 4 दिन तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के लिए अधिकतम 7.50 लाख रुपए की धनराशि का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन निदेशक बवेजा और पूर्व अपर सचिव रामविलास की सांठ-गांठ से सभी नियमों को ताक पर रखते हुए भारत सरकार के मानक से 9 गुना अधिक धनराशि का उपयोग इस मद से महज 3 दिवसीय सेमिनार में कर दिया गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि बागवानी मिशन योजना को छोड़कर अन्य योजनाओं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं प्रधानमंत्री सूक्ष्म उद्यम उन्नयन योजना में व्यय की गई धनराशि को अंतरराष्ट्रीय महोत्सवों में व्यय करने की स्वीकृति भी सरकार द्वारा नहीं ली गई। जिसके साक्ष्य भी सरकार और विजिलेंस में उपस्थित करवाए जा चुके हैं। इन तीनों योजनाओं के अतिरिक्त भी बवेजा के द्वारा तथ्यों को छुपाते हुए परम्परागत कृषि विकास योजनाएं उत्तराखण्ड हॉर्टिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड और कंपनियों द्वारा प्रायोजित धनराशि का दुरुपयोग भी इन अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों के नाम से किया गया। इस मामले में विभाग के अनुसचिव विकास कुमार श्रीवास्तव ने बवेजा का न केवल गैर जिम्मेदार व्यवहार माना है, बल्कि उनको अनियमितता का नोटिस भी थमा दिया है। श्रीवास्तव के नोटिस में स्पष्ट है कि बवेजा ने अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में तय समय सीमा से अधिक धनराशि खर्च की है।

तीसरा घोटाला हल्दी एवं अदरक के बीज खरीद का है। आरोप है कि निदेशक के पद का दुरुपयोग करते हुए डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा द्वारा मनमाने तरीके से उत्तराखण्ड में अदरक बीज एवं हल्दी बीज की दरों को बढ़ा दिया गया। जबकि बवेजा द्वारा इन बीजों को बेचने के लिए उनके क्रय का माध्यम एनएससी (नेशनल सीड कॉरपोरेशन) को बना दिया गया और यह भ्रम फैलाया गया कि एनएससी द्वारा सर्टिफाइड बीज काश्तकारों को उपलब्ध कराया जा रहा है। जबकि अदरक एवं हल्दी के बीज का सर्टिफिकेशन ही नहीं किया जाता है। क्योंकि ये ट्रूथफुल बीज हैं। आरोप है कि इनके द्वारा यह कार्य केवल धनराशि अर्जित करने के उद्देश्य से किया गया। याद रहे कि एनएससी केवल उन्हीं उत्पादों को क्रय कर सकता है जिसका वह उत्पादन करता है और हल्दी तथा अदरक के बीज का उसके द्वारा किसी भी प्रकार से उत्पादन नहीं किया जाता।

बवेजा पर आरोप है कि एनएससी के माध्यम से जनता के टैक्स के रुपयों की लूट मचाने के लिए उनके द्वारा निर्धारित दरें प्राइवेट फर्म से भी ढाई से तीन गुना अधिक (अदरक बीज) 90.80 प्रति किलो एवं हल्दी बीज रु 39.80 प्रति किलो कर दी गई। आरोप है कि प्रदेश के 7 जिलों में दबाव बनाकर यह क्रय भी करवाई गई। जबकि प्राइवेट फर्म द्वारा कृषकों में प्रचलित विज्ञापित दरें (अदरक बीज) 44.75 प्रति किलो एवं हल्दी बीज रु 19.10 प्रति किलो पर उत्तराखण्ड के 6 जनपदों में कृषकों को आपूर्ति की गई। उत्तराखण्ड के उन 7 जनपदों में जहां एनएससी से बवेजा द्वारा दबाव में अदरक और हल्दी बीज क्रय कराए गए वहां के काश्तकारों द्वारा लगातार घटिया बीज एवं कम मात्रा में होने की शिकायतें आती रहीं। लेकिन काश्तकारों की पीड़ा की ओर किसी का ध्यान तक नहीं गया। यहां तक कि कुछ काश्तकारों द्वारा अपने जिले के डीएम से एनएससी से प्राप्त बीज की शिकायत करते हुए खरीद धनराशि को वापस दिलवाने की मांग भी की गई थी। लेकिन उनकी मांग पर गौर करना तक उचित नहीं समझा गया।

 

 

बात अपनी-अपनी
कौन कहता है कि जांच पूरी नहीं हुई। हमने जांच पूरी कर ली है। जांच पूरी करके हमने विभागीय मंत्री जी को प्रेषित कर दी है।
वीवीआरसी पुरुषोत्तम, सचिव उद्यान

अन्य पर्वतीय राज्यों की तरह ही उत्तराखंड में भी उद्यान एक ऐसा विभाग है जिससे राज्य को समृद्ध बनाया जा सकता है, आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है, लेकिन उद्यान विभाग में निदेशक द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार इसे खोखला करता जा रहा है। अब हमें न्यायालय पर पूरा विश्वास है कि उत्तराखण्ड की बागवानी को बचाने के लिए भ्रष्टाचारी पर कठोर कार्यवाही करेगा।
दीपक करगेती, सामाजिक कार्यकर्ता

(उद्यान मंत्री गणेश जोशी का पक्ष जानने के लिए उनके फोन पर फोन किया गया। फोन उनके कोई पीआरएस शंकर ने उठाया। उन्होंने बताया कि माननीय मंत्री जी का स्वास्थ्य खराब है। उनसे बात नहीं हो सकती है।)

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