- अली खान
नलकूप खंड रुड़की में पूर्व अधिशासी अभियंता शिशिर गुप्ता के समय में हुए सप्लाई ऑर्डर पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनकी शिकायतें उच्चाधिकारियों तक जा पहुंची है। शिशिर गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में खरीदे गए सामानों का अधिक भुगतान कर राजकीय क्षति पहुंचाई जिसमें लैपटॉप खरीद प्रकरण सामने आ रहा है। इस प्रकरण की जांच भी की गई। जिसमें सामने आया कि डेल लैपटॉप आपूर्ति आदेश संख्या सी-97 58 हजार 400 रुपए का है। लेकिन माप पुस्तिका में लैपटॉप की कीमत 92 हजार अंकित कर भुगतान कर दिया गया है। यही नहीं बल्कि जो डेल लैपटॉप दिखाया गया, उसका सर्विस टेग नंबर जेसी66663 है। उसकी कंपनी द्वारा वेबसाइट पर 6 दिसंबर 2020 से गारंटी दर्शाई गई है। मतलब साफ है कि लैपटॉप 6 दिसंबर 2020 को कम्पनी द्वारा विक्रय किया गया था, जबकि नलकूप खंड में इसे 4 सितंबर 2021 को खरीदना दर्शाया गया है। जिससे स्पष्ट होता है कि यह लैपटॉप पहले किसी और को बेचा गया।
इसके अलावा शिशिर गुप्ता का एक बड़ा कारनामा भी चर्चा का विषय बना हुआ है। आपूर्ति आदेश संख्या सी-70 3 अप्रैल 2021 को धनराशि 2 लाख 93 हजार 891 रुपए भुगतान के तौर पर दिखाई गई है। जबकि अधिशासी अभियंता द्वारा सिर्फ ढाई लाख रुपए का सप्लाई ऑर्डर मय जीएसटी किया गया है। 6 अप्रैल 2021 और 30 अप्रैल 2021 को दर्ज कराए उक्त आपूर्ति आदेश में कोई भी सामान भंडार गृह में नहीं आया। इस तरह पुख्ता प्रमाण के आधार पर साबित होता है कि अपने कार्यकाल में अधिशासी अभियंता शिशिर गुप्ता ने भारी हेराफेरी कर राजकीय धन का दुरुपयोग किया है।
नलकूप सर्किल के अधीक्षण अभियंता संजय कुशवाहा हैं। जिन्हें सभी भ्रष्टाचार मामलों की जानकारी भेजी जा चुकी है, परंतु भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में कुशवाहा ने कभी कोई रुचि नहीं दिखाई। आरोप है कि उल्टे भ्रष्टाचारियों को पूरा संरक्षण उनके द्वारा दिया गया। लैपटॉप प्रकरण में कुशवाहा द्वारा एक जांच कमेटी भी बनाई गई थी, उसमें नलकूप खंड के अधिशासी अभियंता सुरेश पाल, सहायक अभियंता रुचि, लेखाकार पिंकी राणा शामिल थे। इस कमेटी के अध्यक्ष स्वयं संजय कुशवाहा थे।
लैपटॉप प्रकरण में अधिशासी अभियंता शिशिर गुप्ता व अपर सहायक अभियंता विनय कुमार सैनी को जांच अधिकारी संजय कुशवाहा द्वारा क्लीन चिट दी गई। इस लैपटॉप प्रकरण में जो लैपटॉप जांच कमेटी द्वारा दिखाया गया, वह डेल कम्पनी की वेबसाइट के आधार पर 2020 में बेच दिया गया था, इसी तारीख से लैपटॉप का गारंटी पीरियड शुरू हुआ था। कंपनी की वेबसाइट पर इस तारीख में खरीदे गए लैपटॉप से संबंधी प्रमाण भी मौजूद है। सवाल है कि जब उक्त लैपटॉप 2020 में बिक चुका है तो फिर लैपटॉप का सप्लाई ऑर्डर 2021 में कैसे हो गया। लैपटॉप का गारंटी कार्ड भी अपर सहायक अभियंता मांगने पर नहीं दिखा पाए। लोगों का कहना है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बड़ी-बड़ी घोषणाएं भ्रष्टाचार के खिलाफ करते हैं। लेकिन नलकूप खंड में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की है।