खटीमा से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शिकस्त देने वाले युवा और जनहित के मुद्दां पर मुखर रहे कांग्रेस पार्टी के सदन में उपनेता भुवन कापड़ी प्रदेश में चर्चित अधीनस्थ चयन आयोग भर्ती घोटाले को विधानसभा में उठाने वाले पहले नेता हैं। इसके बाद मजबूरन सरकार को एसआईटी जांच के आदेश देने पड़े। फिलहाल वे भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट में अपील कर सुर्खियों में हैं। ‘दि संडे पोस्ट’ के विशेष संवाददाता कृष्ण कुमार ने उनसे बातचीत की
कांग्रेस पार्टी में युवा पीढ़ी के नेताओं को जिस तरह से मौका मिला है, लेकिन उस तरह से नई लीडरशिप तैयार नही हो पा रही है। कांग्रेस ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जो युवा नेतृत्व को ही आगे लाती है। एनएसयूआई हमारा पहला रास्ता रहा है जिस पर चल कर हमारे नेता प्रदेश की राजनीति में आए है। युवा कांग्रेस के बाद उनमें निखार आया है और वे नेतृत्व करने में आगे रहे हैं। आज जो भी नेतृत्व आप देख रहे हैं वह सभी युवा अवस्था से ही राजनीति में आए हैं उनको पार्टी ने चुनाव में टिकट दिया है। हरीश रावत जी, मनोज तिवारी जी हो या प्रीतम सिंह जी, करण माहरा जी हो या अन्य कोई भी नेता, वे सभी युवा अवस्था से ही सक्रिय राजनीति में आए हैं और उन्होंने अपने आप को बेहतर ढंग से स्थापित किया है। मैं स्वयं छात्र राजनीति से कांग्रेस में रहा हूं युवा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष रहा हूं और पार्टी ने मुझे विधानसभा में टिकट दिया। आज मुझे पार्टी ने उप नेता सदन बनाया है।
कांग्रेस में नई लीडरशिप का अभाव दिखाई दे रहा है आज भी कांग्रेस अपने पुराने और वयोवृद्ध नेताओं के ही आसरे काम करती दिखाई दे रही है। जबकि युवा नेतृत्व उनकी छाया से बाहर नहीं निकल पा रहा है।
कांग्रेस युवाओं और बुजुर्गों को समावेश के साथ आगे बढ़ाती है। कांग्रेस के लिए जितना महत्वपूर्ण युवा है उतना ही महत्वपूर्ण वह बुर्जुग है जिसने कांग्रेस के लिए अपना जीवन लगाया है। युवाओं का जोश और बुजुर्गों का अनुभव दोनो का साथ ही कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत है।
करण माहरा ने पूर्व मुख्यमंत्री के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सदन के भीतर और बाहर विरोध किया, लेकिन तब कांग्रेस का साथ उनको नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था?
नहीं, आप समझिए अगर करण भाई ने कोई बात कही होगी उसका पूरा साथ कांग्रेस पार्टी ने दिया है। जैसे मैं कोई बात कहता हूं तो पूरी पार्टी सदन में और सदन से बाहर भी मेरा साथ दे रही है। हम उसे चरणबद्ध तरीके से कैसे आगे ले जाए इस पर सभी का पूरा सपोर्ट रहा है और मिल रहा है। करण माहरा जी को पार्टी ने उप नेता सदन बनाया और आज प्रदेश अध्यक्ष है।
अगर सब कुछ सही है तो नेता पार्टी से बाहर क्यों जा रहे हैं?
कभी-कभी परिस्थतियां कभी राजनीतिक समीकरण तो कभी राजनीतिक महत्वाकांक्षा होती है। यह हर दल में देखने को मिला है। ऐसा नही है कि कांग्रेस में ही यह सब होता है। भाजपा में भी लोग छोड़ रहे हैं। हर पार्टी में यह होता रहता है। यह एक राजनीतिक पहलू है। दस-बीस प्रतिशत लोगों का हर दल से परिवर्तन होता ही है।
कांग्रेस में जो व्यक्ति अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव में खड़ा होकर पार्टी नुकसान पहुंचाता है वही व्यक्ति बड़ा पद भी पा जाता है। इससे समर्पित कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल कमजोर नहीं होता?
इस चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ जो चुनाव लड़े हैं उनको पार्टी ने बाहर किया है अभी तक किसी को पार्टी में नहीं लिया है। अगर वह पार्टी में वापसी कर रहा हो तो यह अधिकृत प्रत्याशी की सहमति से ही पार्टी में लिया जाता है।
ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ है जब आपके ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को पार्टी ने बड़ा पद दिया पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के साथ अन्य लोग भी विरोध कर रहे थे?
देखिए, कुछ ऐसे मामले हैं जिन पर मुझे लगता है कि पार्टी को सोचना चाहिए और इस तरह के मामले न हो तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार हुई है। दिग्गज नेता तक चुनाव हार गए। 2017 से लगातार कांग्रेस हर चुनावी मोर्चे पर हार रही है। ऐसा क्यों?
सभी मान रहे थे कि इस बार कांग्रेस की बड़ी जीत होगी और वह सरकार बनाएगी। बीजेपी ही नही एलआईयू, आईबी, और मीडिया के साथ-साथ आम जनता भी कांग्रेस के पक्ष में थी। हमारे प्रत्याशी इस माहौल के चलते ज्यादा ही ओवर कॉन्फिडेंस में आ गए कि एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बनती रही है तो इस बार कांग्रेस की सरकार बनेगी। इसके चलते आखिरी के तीन दिनां में जो मेहनत और ताकत चुनाव प्रचार में झोंकनी थी वह नही कर पाए। हम माहौल को सही तरीके से नहीं भांप पाए और उसके हिसाब से काम नहीं कर पाए। क्योंकि बहुत-सी सीटों पर हम बहुत ही कम अंतराल से हारे हैं। कहीं पर ढाई सौ तीन सौ के अंतराल से हारे हैं कहीं पर हजार मतों से हारे हैं।
चुनाव के दौरान हरीश रावत पर मुस्लिम तुष्टीकरण करने और मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने के आरोप लगे। क्या इन अरोपों का प्रभाव कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर पड़ा है?
यह सब भाजपा के झूठे आरोप थे। भाजपा किसी भी झूठ को पूरी रणनीति के साथ बढ़ा-चढ़ा कर प्रचार करती है उसका अपना एक तंत्र है जो इस तरह से झूठा प्रोपेगेंडा चलाता है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने यह आरोप लगाए। अगर प्रधानमंत्री चुनावी मंच से आरोप लगा देते है तो आप देखिए कि गोदी मीडिया ने इस की सच्चाई को बिना जाने और भाजपा के आरोपो को बढ़ावा दिया। जनता में इसका प्रचार किया गया। इसका कुछ न कुछ प्रभाव चुनाव में पड़ा है।
भाजपा और संघ कुमायूं के पहाड़ी जिलों में जनसंख्या में बड़े बदलाव की बात कर रही है। इसके लिए एक समिति भी बनाई जा चुकी है। आपको लगता है कि राज्य में डेमोग्राफी चेंज हो रही है?
भारतीय जनता पार्टी विकास की बात नही करती। वह यह नही कहती कि करोड़ों युवाओं को रोजगार देना चाहिए। आज भी प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा व्यवस्था क्यों बदहाल होती जा रही है। पहाड़ से पलायन क्यों हो रहा है उसे रोकना चाहिए। वह यह नहीं कहती कि पहाड़ों में खेती बरबाद हो रही है, जानवर खेती को खत्म कर रहे हैं उसकी व्यवस्था कैसी हो उसे केैसे सुधारा जाए। भाजपा सिर्फ और सिर्फ लोगां को धर्म ओैर जाति में बांटने का काम करती है। भाजपा ग्रीष्मकालीन सत्र को देहरादून में चलाकर अपनी पहाड़ विरोधी मानसिकता को बता चुकी है। प्रदेश में कहीं कोई डेमोग्राफी चेंज नही हो रही है यह सिर्फ भाजपा का एक झूठा और धर्म के आधार पर बांटने का एजेंडा है।
पिछली सरकार ने भू-अध्यादेश में परिवर्तन कर दिया जिस से जमीन की खरीद के नियमां को बदल दिया गया। अब भू अध्यादेश के लिए बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट में इसी बात को माना है कि इससे राज्य में बाहरी लोगों का जमीन खरीदना बहुत आसान हो गया। इस मुद्दे पर कांग्रेस सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रही। ऐसा क्यों?
भू-अध्यादेश कांग्रेस और खण्डूड़ी जी के समय में आया। कौन व्यक्ति जमीन को किस उद्देश्य से ले रहा है यह महत्वपूर्ण है। वह रोजगार के लिए, उद्योग के लिए, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जमीन ले रहा है या वह राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जमीन ले रहा है तो उसको कुछ न कुछ छूट मिलनी ही चाहिए। लेकिन इसके लिए कठोर नियम होने चाहिए। अगर वह उस तय सीमा तक अपना काम नहीं कर पाता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। साथ ही भूमि के प्रयोजन को परिवर्तित नहीं किया जा सकता, यह नियम बनना चाहिए। ऐसा नहीं है कि उद्योग के लिए, स्कूल के लिए जमीन खरीदी और कुछ समय के बाद उसको बेच दिया। अगर प्रदेश का अहित होगा तो कांग्रेस चुप नहीं बैठने वाली।
आपने सबसे पहले विधानसभा में विरोध किया जिसका असर रहा कि सरकार को भर्ती घोटाले की एसटीएफ जांच के आदेश देने पड़े। लेकिन कांग्रेस प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के मामले में उतना उग्र नही दिखाई दी जितना राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में आंदोलन में दिखाई दी?
ट्रिपल एससी और विधानसभा भर्ती घोटाले में कांग्रेस ने आंदोलन किया है। सबसे पहले हमने सदन में इस बात को उठाया फिर मैंने सभी जिलों में जाकर इसकी तहकीकत की। फिर हमने इसके लिए सचिवालय का घेराव भी किया। हमारे ही आंदोलन का दबाव रहा कि सरकार को मजबूर हो कर जांच के आदेश देने पड़े और दर्जनों लोग गिरफ्तार किए गए हैं। सीबीआई जांच की मांग हम पहले से ही करते आ रहे हैं और आज भी कर रहे हैं। विधानसभा भर्ती घोटाले में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक सभी की संलिप्तता सामने आ रही है। देवभूमि में मोदी जी के नवरत्नों का भ्रष्टाचार सामने आ चुका है। मोदी जी से उम्मीद की जाती है कि अब वह सभी भर्तियों के घोटालां की जांच कराए। अब सीबीआई जांच ही एक मात्र विकल्प है जिससे इस पूरे घोटाले के गुनहगारों को जेल भेजा जा सके। रही बात कि राहुल गांधी जी पर ईडी की जांच के मामले में कांग्रेस के विरोध की तो राहुल गांधी जी मोदी सरकार से वही सवाल पूछते रहे हैं जो सीधे जनता से जुड़े हैं। राहुल गांधी मोदी सरकार से पूछते हैं कि बेरोजगार को रोजगार क्यों नहीं दिया जा रहा है, महंगाई चरम पर क्यों पहुंच गई है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2022 तक हर गरीब को घर देंगे तो कहां है वह घर। क्यों अरबपतियों का कर्जा माफ किया गया और किसानों का कर्जा माफ क्यों नहीं किया जा रहा है। यह सवाल सरकार से पूछने का काम राहुल गांधी कर रहे हैं। राहुल गांधी जनता के मुद्दों की ही बात करते है जिससे सरकार उनको डराना चाहती है और उनको ईडी के नाम पर झूठे फंसा रही है। राहुल गांधी देश की जनता की आवाज उठाने का काम कर रहे हैं इसलिए उनको दबाने का काम हो रहा है। हम आगे इसी तरह से विरोध करते रहेंगे और पहले से ज्यादा करेंगे।
कांग्रेस में गुटबाजी है इसके कारण कांग्रेस में आंतरिक अनुशासन भी खत्म हो रहा है। आपसी मारपीट की घटनाएं कांग्रेस भवन में हो चुकी है?
कांग्रेस में एक स्वतंत्र लोकतंत्र है जो हिंदुस्तान की नींव है। हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है, अपना पक्ष रखने की आजादी है। उसे मीडिया अलग तरीके से दिखाता है जो गलत बात है। रही बात अनुशासनहीनता की तो मैं इसके खिलाफ हूं।
आने वाले समय में आप कांग्रेस के लिए क्या चुनौती देखते हैं और कांग्रेस का फोकस किस पर रहने वाला है?
भाजपा जनता को हमेशा से ही ठगती रही है। कभी क्षेत्रवाद के नाम पर, कभी जाति के नाम पर, कभी धर्म के नाम पर और अब राष्ट्रवाद के नाम पर बांटने और छलने का काम कर रही है। 70 सालो से जिन्होंने अपने घरों में, कार्यालयों में राष्ट्र ध्वज तिरंगा नहीं लगाया वे लोग आज हर घर तिरंगा की बात कर रहे हैं। आने वाले समय में उनको यह भी मानना होगा कि यह देश गांधी और नेहरू की विचारधारा से ही चलेगा। लेकिन यह छदम राष्ट्रवादी है इनके मन में राष्ट्रवाद नहीं है। ऐसे छदम राष्ट्रवादियों से संघर्ष करना हमारे लिए बड़ी चुनौती है।
हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं, कांग्रेस इन चुनावों को किस तरह देख रही है?
हरिद्वार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावां को पंचायत चुनाव की तरह करने की मंशा इस सरकार की ही नही है। पहले तो सरकार चुनाव टालती रही है और फिर आरक्षण को अपनी मनमर्जी से बदल दिया। कांग्रेस पूरी ताकत और एकजुटता के साथ पंचायत चुनाव में उतरेगी और भारी जीत के साथ अपना परचम लहराएगी।