मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर ‘जीरो टॉलरेंस’ के वायदे को निभाते हुए हिमाचल प्रदेश से प्रतिनियुक्ति पर आए एक अधिकारी को भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड कर दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने अपनी ही सरकार के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के उद्यान विभाग में निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा पर कार्रवाई के जरिए बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक कर डाली। धामी ने जांच रिपोर्ट सामने आते ही विभागीय औपचारिकताओं में न फंसते हुए सीधे एक्शन ले लिया। इस कार्रवाई ने बाकी विभागों में भी भविष्य में ऐसी ही कार्रवाई को लेकर संभावनाओं को बढ़ा दिया है। उद्यान निदेशक के खिलाफ की गई कार्रवाई एक या दो आरोपों के आधार पर नहीं हुई है बल्कि उन पर 11 पन्नों में दर्ज 18 आरोपों के सिद्ध होने के बाद यह संभव हो सका है। याद रहे कि यह वही पावरफुल अधिकारी हैं जिनके खिलाफ कई बार शिकायतें भी आईं। जांच भी हुई, लेकिन रहस्यमय तरीके से जांच की फाइलें ठंडे बस्ते में जाती रही हैं। उद्यान विभाग के स्तर पर किसी कार्रवाई को अमल में नहीं लाया गया। यहां तक कि मामला न्यायालय तक भी पहुंचा। कई बार सवाल उठे कि इतने आरोपों के बीच भी निदेशक उद्यान पर कार्रवाई न होना किसी बड़े राजनेता का संरक्षण तो नहीं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने जो एक्शन लिया, वह बाकी विभागों और मंत्रियों के लिए भी एक बड़ा सबक बनकर सामने आ सकता है। खास बात यह है कि विभागीय मंत्री गणेश जोशी ने कृषि निदेशक गौरीशंकर के नाम की इस पद के लिए सिफारिश की थी। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गौरीशंकर की बजाय रणवीर सिंह को उद्यान निदेशक बनाने में प्राथमिकता दी।
गौरतलब है कि ‘दि संडे पोस्ट’ इस मुद्दे पर लगातार समाचार कवरेज कर उद्यान विभाग और विभाग के डायरेक्टर बवेजा के भ्रष्टाचार को उजागर करता रहा है। समाचार पत्र में ‘चौबटिया गार्डन में भ्रष्टाचार का पौधा’ के नाम से समाचार शृंखला शुरू की गई। जिसके तीन समाचार प्रकाशित किए गए थे। पहला समाचार 17 जुलाई 2022 को ‘चौबटिया गार्डन में ‘भ्रष्टाचार का पौधा’ नाम से प्रकाशित किया गया। इसके बाद 30 जुलाई 2022 को ‘कागजों में उगी कीवी’ तथा 3 सितंबर 2022 को ‘उद्यान विभाग का एक और कारनामा’ 8 अप्रेल 2023 को ‘भ्रष्टाचार के पौधे पर कोर्ट की कुदाल’ नामक समाचार प्रकाशित किए गए थे।
इस पूरे प्रकरण में रानीखेत के सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने बबेजा के खिलाफ लंबा आंदोलन किया। साथ ही वह इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय तक भी पहुंचे। रानीखेत विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके दीपक करगेती ने अपने चुनाव दौरान में ही संकल्प ले लिया था कि वे उद्यान निदेशालय के मुख्यालय रानीखेत में ही निदेशक को बिठाकर दम लेंगे। क्योंकि निदेशक ने अपना मुख्य कार्यालय रानीखेत नहीं, बल्कि देहरादून को ही बना लिया था। दीपक करगेती ने 16 अप्रैल 2022 को वर्ष में पहली बार निदेशालय पहुंचे विभाग के डायरेक्टर हरजिंदर सिंह बवेजा को निदेशालय चौबटिया में ही ४ घंटे तालाबंद कर बंद कर दिया था। उसके बाद दीपक करगेती को समूचे उत्तराखण्ड में बवेजा द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचारों की जानकारी मिली। इसके बाद करगेती ने ठान लिया कि पहले वे सबूत इकट्ठा करेंगे और उसके बाद भ्रष्टाचारी को प्रदेश से उखाड़कर ही दम लेंगे। दीपक ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत पहले अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के अलावा हल्दी, अदरक बीज घोटाले के सबूत इकट्ठे किए। सभी सबूतों को लेकर करगेती ने किसानों के साथ 5 जून 2022 से ‘भ्रष्टाचार मिटाओ उद्यान बचाओ’ यात्रा रानीखेत से शुरू की। जिसमें दीपक द्वारा 7 ब्लॉक से संपर्क यात्रा निकालकर सरकार को ज्ञापन भेजने का कार्य किया। 6 जून को उन्होंने गैरसैंण पहुंचकर बवेजा के भ्रष्टाचारों की जांच और निदेशक को निदेशालय में बैठाने की मांग की।
महीनों बाद भी जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो दीपक करगेती को बवेजा के हिमाचल में चार्जशीट होने की खबर लगी। उसके बाद दीपक ने हिमाचल जाकर 19 दिन वहीं डेरा जमा लिया। जहां उन्होंने बवेजा की विजिलेंस जांच और भ्रष्टाचार के समस्त सबूत जुटाए। इसके बाद 30 जून को मुख्यमंत्री धामी और विजिलेंस में सभी सबूत जमा कर जांच का निवेदन किया। जुलाई व अगस्त दो माह बीत जाने के बाद भी जांच तो शुरू नहीं हो सकी लेकिन इसके साईड इफेक्ट सामने आने लगे। आरोप है कि बवेजा ने एक अपील की सुनवाई में दीपक को बुलवाकर 31 अगस्त 2022 को महिला उत्पीड़न में फंसा दिया। फलस्वरूप दीपक पर 354,332 के मुकदमे लगा दिए गए।
उत्तराखण्ड में उद्यान को पुनर्जीवित करने का संकल्प लेकर चले दीपक ने 01 सितंबर 2022 को देहरादून में ही गांधी पार्क के बाहर भ्रष्टाचार की लड़ाई के विरुद्ध आमरण-अनशन करने का प्रण ले लिया। 13 दिन तक चले आमरण अनशन के बाद आखिरकार सत्य की राह पर चल रहे दीपक की बात सरकार को सुननी पड़ी। सरकार ने 14 सितंबर 2022 को जांच के आदेश कर दिए। इसके बाद उन्होंने अपना आमरण अनशन भी तोड़ दिया। महीनां बीत जाने के बाद भी जब न ही बवेजा के भ्रष्टाचार कम हुए और न ही जांच का कोई परिणाम निकल कर आया तो दीपक ने उच्च न्यायालय की शरण में जाना ही उचित समझा। दीपक की एक के बाद एक दो जनहित याचिकाओं को उच्च न्यायालय ने स्वीकार करते हुए बवेजा को प्रथम दृष्टया दोषी पाया और सरकार को जांच के आदेश कर दिए। कोर्ट में जांच रिपोर्ट लाने हेतु आदेशित कर दिया गया। इस मामले में 14 जून 2023 को कोर्ट का फैसला आता इससे पहले ही धामी सरकार ने बवेजा को सस्पेंड कर दिया। दीपक करगेती की जीत पर अल्मोड़ा के जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र रावत कहते हैं कि उत्तराखण्ड को बचाने निकले दीपक करगेती जिन्हें कुछ सफेद पोशों और भ्रष्ट बवेजा ने पागल तक घोषित कर दिया, महिला उत्पीड़न में फंसा दिया। वह आज उत्तराखण्ड के लिए एक नई उम्मीद की किरण बने हैं। दीपक के साथ समूचा उत्तराखण्ड है। राज्य को दीपक जैसे ईमानदार युवा की आवश्यकता है।