वैश्विक महामारी के इस दौर तथा कोरोना के बढ़ते खौफ के बीच लोगों को राहत मुहैया कराने में हरिद्वार के जिला प्रशासन का मैनेजमेंट लचर साबित हो रहा है, हरिद्वार के डीएम पूरे दिन जनपद की सड़कों पर दिखाई देते हैं तो हरिद्वार में तैनात दोनों एडीएम एसी कमरों में बैठकर नौकरी बजा रहे हैं
वह तो भला हो अपर मेलाधिकारी #हरवीर सिंह और ललित नारायण मिश्रा का, दोनों अधिकारियों ने व्यवस्था न संभाली होती तो इस समय जनपद में खाद्यान को लेकर त्राहि त्राहि मची होती लेकिन इस सबके बीच सवाल उठ रहा है कि ?क्या कोरोना संकट से निपटने को जिला प्रशासन की कोई तैयारी नहीं थी बात करें हरिद्वार की तो दो अपर जिलाधिकारी तैनात होने के बावजूद पुरे दौर में दोनों की भूमिका नगण्य है



एक एडीएम केके मिश्रा पिछले दिनों छुट्टी लेकर घर बैठ गए थे तो दूसरे एडीएम भगवत किशोर मिश्राकी तबियत नासाज बताई जाती हैं मतलब साफ कि त्रासदी के इस दौर में डीएम सी रविशंकर अकेले मोर्चो पर जूझ रहे हैं हाँ जिला प्रशासन से एक नाम# एसडीएम सदर कुश्म चौहान का लिया जा सकता है महिला होते हुए भी कुश्म की सक्रियता देखते ही बनती है,कोरोना संकट के दौरान जहां भारत सरकार लापरवाह अफसरों के विरुद्ध कार्यवाही कर सबक सिखाने में लगी हैं तो वहीं उत्तराखण्ड सरकार ऐसे लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं कोरोना संकट के दौरान ऑफिस में बैठकर काम देख रहे अपर जिलाधिकारी कृष्ण कुमार मिश्रा को सचिव मुख्यमंत्री नितेश झा का खास बताया जाता हैं
जिस कारण डीएम भी कार्यवाही करने में असहाय नज़र आ रहे हैं वीआईपी जिला होने के साथ साथ कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच अधिकारियों की लापरवाही जनता पर भारी पड़ रही है, कन्ट्रोल न होने के चलते लॉक डाउन उल्लंघन को भी नहीं रोका जा सका है इस संबन्ध में जिलाधिकारी सी रविशंकर से उनका पक्ष जानने हेतु फोन किया गया तो डीएम का फोन बन्द होने के चलते बात नहीं हो पाई, कमिश्नर गढ़वाल रविनाथ रमन से बात करनी चाही तो उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया जिससे पता चलता है कि कोरोना से संघर्ष में उत्तराखण्ड के अधिकारि कितने गंभीर हैं