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Uttarakhand

एक तरफ कोरोना… दूसरी तरफ मौसम की मार

एक तरफ कोरोना… दूसरी तरफ मौसम की मार, इस दौर में बेजुबानों पर भी भूख प्यास का संकट मँडराने लगा है, जिस कदर साल के शुरुआत से ही मौसम करवट बदलता रहा है उस हिसाब से किसान चौतरफ़ा चित्त हो गया, लगातार हो रही बारिश से गेहूं की फसल तबाह हो गई, जो बची हुई फसल थी लॉक डाउन की वजह से मजदूर ना मिलने से समय पर नही कट पाई उस पर भी मौसम ने कहर बरपाकर सब कुछ खत्म सा कर दिया, मौसम की मार का सबसे बड़ा असर हल्द्वानी के किसानों को हुआ है। गेहूँ की मड़ाई करने के बाद निकलने वाला भूसे की किल्लत हो गयी, भूसा स्टोर नही हो पाया, जो भूसा निकला वह भी कई जगह बारिश की भेंट चढ़ गया, तराई के इलाकों से पहाड़ी इलाको में लोग भूसा खरीदकर जानवरो को खिलाते हैं,

लेकिन कोरोना काल की मार बेजुबान जानवरों तक पर पड़ने लगी है, कुछ जगह भूसा है लेकिन कई गुना महँगा, ऊपर से मजदूर नही मिल रहे है, जो भूसा 400 से 500 रुपये प्रति कुंतल की कीमत में आता था आजकल करीब 700 रुपये प्रति कुंतल तक बिक रहा है। वही कोरोना के इस दौर में चारा भी महँगा हुआ है, कई जगह तो किल्लत भी है, इसका असर या तो गौशालाओं पर बहुत बुरी तरह पड़ा है या उन ग्रामीणों पर जो भूसे के साथ हरे चारे को मिला कर जानवरों को खिलाते थे, बेजुबानों के लिए चारा जहाँ से आता है उनको भी एडवांस पैसे चाहिए, लॉक डाउन है फिलहाल जिसके चलते दूसरे जिले से भूसा नही ला सकते हैं लिहाज़ा संकट बरकरार हैं, सवाल यह हैं की बेजुबानों की भूख कैसे मिटेगी।

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