कांग्रेस के दिग्गज नेता यशपाल आर्या दो बार उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद लगातार पांचवी बार विधायक हैं। वे 2016 में कांगेेस का हाथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में बाजपुर से जीत दर्ज कर वे भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। उन्होंने 2022 में एक बार फिर कांग्रेस का हाथ थामा और चुनाव जीत वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष एवं विधानसभा सदस्य हैं। प्रदेश के अहम मुद्दों पर उनसे ‘दि संडे पोस्ट’ के रोविंग एडिटर आकाश नागर की विशेष बातचीत
जाति और धर्म की राजनीति कांग्रेस नहीं करती है। सर्वधर्म स्वभाव कांग्रेस की विचारधारा है। सब धर्म जाति मिलकर कांग्रेस का पर्याय बन जाते हैं। ये भी मैं स्मरण कराना चाहता हूं कि 2007 में मुझे प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। अगर कांग्रेस जातिवाद की बात करती तो मुझे प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाता। कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी मेरी दूसरी पारी सोनिया गांधी जी के आशीर्वाद से शुरू की गई। अगर हाईकमान में इस तरह की बात होती तो मुझे आज विपक्ष का नेता नहीं बनाया जाता। मैं इसको नहीं मानूंगा कि कांग्रेस में हमारे समाज की अनदेखी की गई है
प्रदेश में तीसरी बार लगातार लोकसभा की पांचों सीटें हारने के क्या कारण रहे?
महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी समेत कई मुद्दों को लेकर हम जनता की अदालत में गए लेकिन सफलता नहीं मिली। पिछले दो साल में हम जब से नेता प्रतिपक्ष बने हमने सरकार की जनविरोधी नीति के खिलाफ हर मुद्दे पर मोर्चा खोला। आज बेरोजगार नौजवान पलायन करने को मजबूर हैं। हजारों घरों में ताले लग चुके हैं। पलायन आयोग ने भी अपने सर्वे में इसे माना। अग्निवीर योजना नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उत्तराखण्ड सैनिक प्रदेश के तौर पर जाना जाता है। यहां का नौजवान सेना में जाना चाहता है। लेकिन अग्निवीर योजना ने उनके सपनों पर पानी फेरने का काम किया है। किसानों एवं कृषि से जुड़े तीन काले कानूनों की वापसी में किसानों ने दबाव बनाया तो सरकार को झुकना पड़ा। न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए आज भी लड़ाई जारी है। उत्तराखण्ड के जल, जंगल और जमीन को बेचने का काम यहां की सरकार करती आ रही है। अतिक्रमण के नाम पर हजारों परिवारों को बेघर कर दिया गया है। अंकिता भंडारी हत्याकांड में कौन लोग शामिल हैं यह जगजाहिर है। इसमें और पेपर लीक मामले में पर्दाफाश नहीं हुआ है। इसमें भाजपा के बड़े लोग संलिप्त थे। लोक सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्था होते हुए भी पूरा पेपर लीक हो जाता है। ऐसे तमाम मुद्दों को लेकर हम जनता के बीच में गए। आज भी हमारा संघर्ष भाजपा के खिलाफ है। बुनियादी सवाल आज भी अनसुलझे हैं। आपदा से पूरा प्रदेश भयभीत है। कई गांव खाली हो गए। जोशीमठ के पुनर्निर्माण को लेकर एक हजार करोड़ के पैकेज की बात इस सरकार द्वारा कही गई थी। लेकिन वहां आज तक भी विस्थापन नहीं हुआ है। उन्हें मुआवजा नहीं मिला है। इसी तरह बेतालघाट, रामगढ़ भी है, ट्टाारचूला, मुनस्यारी, उत्तरकाशी का क्षेत्र भी खतरे की जद में है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। आज ये सभी मुद्दे उत्तराखण्ड में गौण से हो गए हैं। प्रतिशोट्टा की भावना से चिन्हीकरण कर उनके घरों, दुकानों को तोड़ा जा रहा है। हमारे ये मुद्दे तब भी थे, आज भी हैं।
आप कई बड़े मुद्दे गिना रहे हैं लेकिन शायद विपक्ष इन्हें उठाने में विफल रहा तभी तो आप लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाए?
अंकिता भंडारी के मुद्दे को हमने जोर-शोर से उठाया। सल्ट के एक नौजवान जगदीश की हत्या, चंपावत में एक अनुसूचित जाति की युवती के साथ बलात्कार और हत्या कर दी जाती है रुड़की में एक अनुसूचित जाति की युवती के साथ भी ऐसा ही हुआ। इसमें कौन लोग शामिल हैं? कहीं पर भाजपा का मंडल अध्यक्ष है, कहीं भाजपा के पदाधिकारी हैं। इससे स्पष्ट है कि अनुसूचित जाति के लोगों पर अन्याय हो रहा है। हमने चाहे सड़क हो या सदन सभी जगह इन मुद्दों को उठाया लेकिन सरकार लोकतांत्रिक मुद्दों का हनन कर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। सरकार सुनना ही नहीं चाहती है। हम नियमों के तहत प्रश्न उठाते हैं लेकिन सरकार के पास जवाब नहीं होता है स्वतंत्र शब्दावली सीमित कर दी गई है। सत्ता पक्ष की मंशा साफ है कि अगर विपक्ष सदन में कोई कठोर सवालों को जन मुद्दों को उठाएगा तो हमारा चेहरा बेनकाब हो जाएगा। उद्यान घोटाला कितना बड़ा घोटाला है। इस घोटाले में कौन शामिल हैं। हमने इस मामले को सदन में उठाया आखिर मानवीय उच्च न्यायालय ने इसका संज्ञान लिया और सीबीआई की संस्तुति की। आज सरकार कठघरे में खड़ी है। दलितों का, शोषितों का उत्पीड़न सहित तमाम मुद्दे हैं, जिन्हें हम उठाते रहते हैं। हम उत्तराखण्ड में पराजित हुए हैं लेकिन देश में माहौल हमारे पक्ष में बना है। राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भाईचारे का संदेश दिया। चाहे अंकिता भंडारी हो या आपदा के मामले इन्हें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भी शामिल किया गया। जिस तरह से आज देश की जनता ने लोकसभा चुनाव में अपना मत दिया है उससे निश्चित ही केंद्र की सरकार कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है। मेरा मानना है कि बदलाव जरूर होगा। हमारी आगे की लड़ाई भी जारी रहेगी।
सबसे पहले हमें कांग्रेस कमेटी को सक्रिय करना होगा। अपने कार्यकर्ताओं को जगाना होगा। जो लोकसभा चुनाव में हो चुका है उसे भुलाकर जिम्मेदारी के साथ काम किया जाए। सबको एक मंच पर मिल बैठकर काम करना चाहिए। हमंे सफलता जरूर मिलेगी। मैंने लोकसभा चुनाव में देखा कि कार्यकर्ता बड़ी मजबूती से चुनाव में उतरा था। 2022 में भी हम चुनाव जीत रहे थे लेकिन भाजपा के द्वारा एक झूठ को प्रसारित कराकर चुनाव प्रभावित कर दिया गया। उम्मीदवारों का चयन करने में सावधानी बरतेंगे तो परिणाम हमारे अनुकूल होगा
मुद्दा कांग्रेस भीतर से यह भी सामने आ रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता गण चुनाव में सक्रिय नहीं थे, इसलिए हार हुई? गणेश गोदियाल ने तो इसे स्पष्ट कह दिया है?
मैं व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं कहना चाहता हूं कि हमने क्या किया, क्या नहीं किया। चाहे वह हरिद्वार हो चाहे नैनीताल, अल्मोड़ा या पौड़ी हो सभी जगह हमारे वरिष्ठ नेतागण गए। मेरा मानना है कि जो भी बात पार्टी नेता कहें, वह सार्वजनिक न हो। हमारा एक मंच है, एक फोरम है। वहीं ऐसी बातें रखी जाए तो बेहतर होगा।
चर्चा यह भी थी कि कुमाऊं में दो सीटों में से एक सीट पर तो यशपाल आर्या लड़ेंगे ही और आर्या जी की जीत निश्चित होगी। लेकिन अंतिम समय पर आपने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया, ऐसा क्यों?
मैंने आखिरी समय तक चुनाव लड़ने से मना नहीं किया। मैं पार्टी का एक सिपाही भी हूं। मेरे अतीत को देखिए मैंने गलती भी की है। हालांकि गलती की वजह मैं नहीं हूं इसको मैं साबित नहीं करना चाहता हूं लेकिन जो भी आदेश पार्टी का रहा है मैंने उसका सम्मान किया है। अल्मोड़ा में जो परिस्थितियां थी, हालत थे वहां पर प्रदीप टम्टा जी काम भी कर रहे थे वो पहले भी वहां से सांसद रह चुके हैं। माननीय हरीश रावत जी भी वहां से पूर्व में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। इस स्थिति मैं मैंने कहा कि वहां पर प्रदीप जी बहुत मेहनत कर रहे हैं। इसलिए मैंने वहां से इंकार किया। मैं स्वयं चाहता हूं कि पार्टी हाईकमान के आदेश से मैं पूरे प्रदेश में यात्रा करूं। गांव-गांव जाऊं और कांग्रेस का इतिहास और पार्टी के बलिदान को लोगों तक पहुंचाऊं। ऐसे समय में जब यह बात आ रही है कि कांग्रेस ने किसको क्या दिया है ऐसे में इतिहास को सामने रखना जरूरी है। पंडित जवाहर लाल नेहरू और पंडित मोती लाल नेहरू की परंपरा को आगे बढ़ाने में राजीव गांधी की बहुत बड़ी भूमिका रही है। उनका भी बलिदान इस देश के लिए हुआ। उसको भी जब कुछ लोग स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं तो उनकी मानसिकता क्या है? कौन महात्मा गांधी कहा जा रहा है, देश को आजादी 2014 में मिली तक कहा जा रहा है। इस तरह इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है। ये देश किसी एक जाति-धर्म का नहीं है हम सबका है। यहां पर जाति और धर्म के नाम पर देश को बांटा जा रहा है। इसलिए आज देश की मूल्यों को परंपराओं को सहेजना जरूरी हो गया है। यह हम सब की जिम्मेदारी है।
उत्तराखण्ड एक छोटा-सा प्रदेश है। अगर हम यहां कुमाऊं-गढ़वाल की बात करें तो उचित नहीं होगा। मैंने पहले भी कहा है कि सरकार अपना नजरिया साफ करे। सरकार की मंशा क्या है? नीयत क्या है? इस मामले को कुमाऊं-गढ़वाल में बांटकर अधर में रखना गलत है। अगर एनजीटी के द्वारा पेड़ कटने की बात कहकर रोक लगाने की बात कही जाए तो देहरादून में क्यों कुछ नहीं हो रहा है? जहां हजारों पेड़ काटने पर लोग आंदोलन कर रहे हैं। राजपुर रोड से आगे हरे-भरे पेड़ काट दिए गए। लोग सड़कों पर उतर चुके हैं
आर्या जी आपने कहा कि अल्मोड़ा से प्रदीप टम्टा जी तैयारी कर रहे थे लेकिन नैनीताल से भी आपके चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर थी। यहां कई विधानसभा ऐसी हैं जिनका आप नेतृत्व कर चुके हैं। फिर भी हाईकमान ने आपको नैनीताल से चुनाव नहीं लड़ाया, ऐसा क्यों?
पार्टी हाईकमान का मैं विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं। मुझसे चुनाव लड़ने के लिए कहा भी गया था। कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री ने मुझसे कहा भी था कि नैनीताल से चुनाव लड़िए। लेकिन क्योंकि रिजर्व सीट अल्मोड़ा है जबकि नैनीताल सामान्य है, यहां से महेंद्र पाल जी दावेदार थे, प्रकाश जोशी जी जिनका टिकट हुआ वह भी दावेदार थे इसके अलावा बहुत सारे नाम थे। जिस तरह पार्टी ने प्रकाश जोशी को उम्मीदवार बनाया वह हाईकमान का सही फैसला था। सभी लोगों ने ईमानदारी से काम किया। पहली बार मैंने महसूस किया कि पार्टी पूरी मेहनत से चुनाव लड़ रही है। लेकिन आवाम का जो निर्णय था वह कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहा। जो हमारे मुद्दे थे खूब उठाने और जनता के द्वार जाने के बाद भी हमें दरकिनार क्यों किया गया, यह चिंतन का विषय है।
आपकी पार्टी आज तक आपको रिजर्व कोटे से बाहर ही नहीं निकाल पाई है। बावजूद इसके कि आपकी छवि ऐसी है कि आप अब सर्व समाज के सर्वमान्य नेता बन चुके हैं लेकिन कांग्रेस ने आपको एक सामान्य सीट से लड़ाने की हिम्मत नहीं दिखाई। पार्टी में आज भी आप जातिवाद के जंजाल में है?
जाति और धर्म की राजनीति कांग्रेस नहीं करती है। सर्वधर्म स्वभाव कांग्रेस की विचारधारा है। सब धर्म जाति मिलकर कांग्रेस का पर्याय बन जाते हैं। ये भी मैं स्मरण कराना चाहता हूं कि 2007 में मुझे प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। अगर कांग्रेस जातिवाद की बात करती तो मुझे प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाता। कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी मेरी दूसरी पारी सोनिया गांधी जी के आशीर्वाद से शुरू की गई। अगर हाईकमान में इस तरह की बात होती तो मुझे आज विपक्ष का नेता नहीं बनाया जाता। मैं इसको नहीं मानूंगा कि कांग्रेस में हमारे समाज की अनदेखी की गई है।
एक चर्चा यह भी है कि भाजपा ने आपको ईडी का डर दिखाया। आप पर लोकसभा चुनाव न लड़ने का दबाव बनाया और आप चुनाव नहीं लड़ सके?
मैं स्पष्ट और खुलेमन से कह रहा हूं किसी ने भी मुझ पर कोई दबाव नहीं बनाया न मुझे किसी ईडी का डर है। सबसे बड़ी बात यह है कि मैं दबाव में क्यों आऊं? मैंने ऐसा क्या गुनाह किया है? मुझे ईडी या अन्य जो जांच एजेंसी है उनसे क्यों डर लगेगा? मैंने कौन-सा अपराध किया है? ऐसा कोई दबाव या डर नहीं है यही सच है।
एनएच-74 घोटाला बड़ा चर्चाओं में रहता है, यह घोटाला तब हुआ था जब आप राजस्व मंत्री थे। उस घोटाले के छीटे कहीं न कहीं आप पर भी पड़े।
हां यह सच है कि एनएच-74 घोटाला बार-बार चर्चाओं में रहता है। उस समय मैं मंत्री रहा हूं। लेकिन यदि कहीं पर भी लेशमात्र भी मेरी संलिप्ता होगी मैं स्वतः ही राजनीति से संन्यास ले लूंगा। रेडिसन होटल तक को कहा जाता है कि यह भी मेरा ही है। आरोप लगाना तो आसान है। इससे मैं व्यथित भी होता हूं।
पिछले पांच सालों में प्रदेश में 373 लड़कियां रहस्यमय तरीके से गायब हो चुकी हैं आखिर क्या वजह है इतनी लड़कियों के गायब होने की? पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस मुद्दे को सोशल मीडिया के जरिए उठाया है।
सरकार को इस पर कड़ी कार्यवाई करनी चाहिए। पिछले 5 सालों में इतनी बच्चियों का गायब हो जाने को मैं सरकार की विफलता कहूंगा। इसके लिए सरकार को एक अलग से जांच टीम गठित कर जांच करानी चाहिए। ये तो बहुत बड़ा मुद्दा है। इस मुद्दे को हम आगामी विधानसभा सत्र में भी उठाएंगे।
आपकी विधानसभा बाजपुर का एक बड़ा मुद्दा है जिसमें स्थानीय लोग जमीनों पर भूमिधरी अधिकार पाने के लिए कई वर्षों से लड़ रहे हैं। आपके द्वारा इस मुद्दे को हल कराने का आश्वासन भी दिया गया है।
मैंने इस मामले को विधानसभा में भी उठाया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल में मेरे नेतृत्व में डेलीगेशन मिला। माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मुद्दे पर हम दो बार मिल चुके हैं। यह जमीन किसानों के नाम पर दाखिल खारिज हो चुकी है। किसान आज भी धरने पर बैठे हैं। सरकार नहीं चाहती कि इसका समाधान निकले। सरकार ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया। आज भी हालात बदतर हैं और किसान धरना देने को मजबूर हैं।
इस प्रकरण में बाजपुर के लोगों का कहना है कि जब जमीन की लीज खत्म हो गई तो हाईकोर्ट ने लीज धारकों को भूमिधरी अधिकार देने के आदेश दिए हैं। अगर ऐसा है तो मामला कहां रूका है?
हाईकोर्ट ऐसा करने को कह चुका है लेकिन सरकार इस मामले को उलझाना चाहती है। सुलझाने के लिए रास्ते कई हैं। इस मामले में उधमसिंघ नगर के जिलाधिकारी द्वारा भी सरकार के समक्ष रिपोर्ट रखी जा चुकी है। ये लोकसभा चुनाव से पहले की बात है। लोकसभा चुनाव समाप्त हो चुके हैं आचार संहिता भी समाप्त हो चुकी है। लेकिन सरकार इस तरफ कोई कदम नहीं उठा रही है।
हाईकोर्ट के कुमाऊं से गढ़वाल में शिफ्ट होने की भी चर्चा बीते दिनों खूब हुई। जिसके लिए सर्वे भी चलाया गया है। ऋषिकेश की आईडीपीएल कंपनी की जमीन पर हाईकोर्ट स्थापित करने का समर्थन कुछ लोग कर रहे हैं। इस पर आपका क्या कहना है?
उत्तराखण्ड एक छोटा-सा प्रदेश है। अगर हम यहां कुमाऊं-गढ़वाल की बात करें तो उचित नहीं होगा। मैंने पहले भी कहा है कि सरकार अपना नजरिया साफ करे। सरकार की मंशा क्या है? नीयत क्या है? इस मामले को कुमाऊं-गढ़वाल में बांटकर अधर में रखना गलत है। अगर एनजीटी के द्वारा पेड़ कटने की बात कहकर रोक लगाने की बात कही जाए तो देहरादून में क्यों कुछ नहीं हो रहा है? जहां हजारों पेड़ काटने पर लोग आंदोलन कर रहे हैं। राजपुर रोड से आगे हरे-भरे पेड़ काट दिए गए। लोग सड़कों पर उतर चुके हैं।
धामी सरकार के पिछले तीन साल के कार्यकाल को आप किस तरह देखते हैं?
धामी सरकार का पहला कार्यकाल तो संक्षिप्त था। दूसरे कार्यकाल में क्या चल रहा है यह समझ पाना कठिन है। इनका कोई एजेंड़ा ही स्पष्ट नहीं है। मैंने कई मुद्दे सरकार के समक्ष उठाए हैं। विकास सरकार के एजेंडे में है ही नहीं। भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। जल, जंगल और जमीन सब बेच दिए गए हैं। नौजवान हताश हैं उनके हाथों में काम नहीं है। दलित शोषितों का उत्पीड़न हो रहा है। कानून व्यवस्था बेलगाम है, कहें तो ध्वस्त हो रही है। निरंकुश अफसरशाही है। सरकार हर क्षेत्र में विफल रही है। आपदा से पूरा प्रदेश प्रभावित है। स्पेशल पैकेज की बात होती है। लेकिन कहां है? पेयजल नहीं, बिजली की अघोषित कटौती हो रही है। अतिक्रमण के नाम पर उत्पीड़न हो रहा है। आखिर कब तक चलेगा ऐसा? किसानों के गन्नों का भुगतान नहीं हो रहा है।
उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना से लेकर अब तक आखिर राज्य के विकास में ऐसा क्या छूट गया है जिसको आप महसूस करते हैं। प्रदेश का क्या विजन होना चाहिए?
2002 में जब तिवारी जी की सरकार आई तो रोजगार प्राथमिकता रही। राज्य आंदोलन में नारे होते थे कि ‘अपनी सरकार हो, अपना राज हो’, ‘हमारी सरकार हमारे द्वार’। राज्य गठन के बाद जो सिडकुल की स्थापना तिवारी जी के कार्यकाल में हुई बाद की सरकारें उसे आगे नहीं बढ़ा सकी। सरकार बताए कि कितनी इंडस्ट्री लगी? कितना रोजगार मिला? सरकार ग्लोबल समिट कराकर रोजगार के दावे करती रही है। लाखों-करोड़ के निवेश के दावे किए जा रहे हैं लेकिन क्या कहीं कोई निवेश दिख रहा है? क्या धरातल पर कुछ दिखाई दे रहा है? यह सब हवाई बातें हैं। प्रदेश की मातृशक्ति मेहनत करना जानती है। पहाड़ की आर्थिक व्यवस्था में महिलाओं की आज भी बड़ी भूमिका है। रिवर्स पलायन की बातें होती हैं। लेकिन पलायन कहां रूका है। पानी की समस्या यहां एक बड़ा मुद्दा है। ग्लोबल वार्मिंग हो रही है जिससे पहाड़ पूरे जल रहे हैं। पहाड़ में तराई में पानी का अकाल है। जब वृक्ष होंगे तो जल भी होगा। वृक्षारोपण अभियान होना चाहिए। जो वृक्षारोपण होते हैं वह बाद में कितने पनपते हैं इसका कोई मूल्यांकन नहीं है। ये भी हमारे लिए एक चुनौती है। हर साल जंगल जल रहे हैं उन्हें कैसे रोकें? हिमालय पिघल रहा है। आपदा चलते भारी नुकसान हो रहा है। उस पर ठोस कार्ययोजना बननी चाहिए। ऊर्जा प्रदेश, पर्यटन प्रदेश की हम बात करते हैं। पर्यटन को हम कितना विकसित कर पाए हैं? अगर ये हमारे लक्ष्य होंगे तो उत्तराखण्ड का कायाकल्प होगा।
केदारनाथ मंदिर के दिल्ली में शिलान्यास पर कांग्रेस सत्तासीन पार्टी भाजपा के खिलाफ हमलावर है। केदारनाथ मंदिर को मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने ‘केदारनाथ बचाओ’ यात्रा निकाली है जिसे धार्मिक यात्रा कम और सियासी यात्रा ज्यादा कहा जा रहा है?
केदारनाथ धाम आस्था का प्रतीक है। दिल्ली में धामी सरकार द्वारा केदारनाथ मंदिर की स्थापना से करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। यह धर्म का अपमान भी है। सरकार ने यह पाप किया है। भाजपा सरकार को इसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए थी। इसको लेकर ही कांग्रेस ने ‘केदारनाथ बचाओ यात्रा’ का निर्णय लिया था। यह सियासी यात्रा नहीं है, बल्कि देवभूमि में जो धर्म का निरादर हुआ है उसको लेकर ही यह यात्रा शुरू की गई।
केदारनाथ उपचुनाव के साथ ही कांग्रेस के लिए निकाय चुनाव भी चुनौती है। इस लक्ष्य को पाने के लिए आपके पास क्या योजना है?
सबसे पहले हमें कांग्रेस कमेटी को सक्रिय करना होगा। अपने कार्यकर्ताओं को जगाना होगा। जो लोकसभा चुनाव में हो चुका है उसे भुलाकर जिम्मेदारी के साथ काम किया जाए। सबको एक मंच पर मिल बैठकर काम करना चाहिए। हमें सफलता जरूर मिलेगी।
लगातार दो बार विधानसभा चुनाव और तीन बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है उससे बाहर कांग्रेस कैसे निकलेगी?
मैंने लोकसभा चुनाव में देखा कि कार्यकर्ता बड़ी मजबूती से चुनाव में उतरा था। 2022 में भी हम चुनाव जीत रहे थे लेकिन भाजपा के द्वारा एक झूठ को प्रसारित कराकर चुनाव प्रभावित कर दिया गया। उम्मीदवारों का चयन करने में सावधानी बरतेंगे तो परिणाम हमारे अनुकूल होगा।
राहुल गांधी जिस तरह लोकसभा चुनाव में उभरकर सामने आए हैं उससे पार्टी भी मजबूत हुई है साथ ही पप्पू का जो उन पर भाजपा ने लेवल लगाया था वह भी हट गया है। जनता अब राहुल को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है तो ऐसे में कैसे आप पार्टी को आगे ले जाने का काम करेंगे?
राहुल जी के नेतृत्व में जिस तरह ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू हुई और लाखों लोगों का कारवां बढ़ता गया उससे उनकी प्रसिद्धि देश में ही नहीं विदेशों में भी हुई। साढ़े चार हजार किलोमीटर की यह यात्रा इतिहास दर्ज कराने की नींव रख गई है जिसे हम भविष्य में देख सकेंगे। इस यात्रा में राहुल जी का एक नया रूप दिखाई दिया। मुझे भी इस यात्रा में शिरकत करने का मौका मिला था। इस यात्रा में राहुल जी ने भारत को देखा भारत की हर भाषा-बोली, गरीबी, बेकारी से वे वाकिफ हुए। गरीबों का डर, उन पर जाति आधारित अत्याचार भी उन्होंने नजदीक से देखा। इन मुद्दों को राहुल जी ने बेहिचक, निडर होकर बखूबी उठाया। जिस तरह से ‘इंडिया गठबंधन’ को बढ़त मिली है इसमें राहुल जी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। देश ने आज राहुल गांधी को खुद स्वीकार किया है। उनकी आवाज को बल मिला है। देश के लोकतंत्र की रक्षा करते हुए वे एक नायक के रूप में मजबूती से उभर रहे हैं। नौजवानों, किसानों, मजलूमों और मातृशक्ति ने उन्हें स्वीकार भी कर लिया है। कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक और मणिपुर से लेकर मुंबई तक उनका जो सफर रहा है वह याद किया जा रहा है।
मैंने आखिरी समय तक चुनाव लड़ने से मना नहीं किया। मैं पार्टी का एक सिपाही भी हूं। मेरे अतीत को देखिए मैंने गलती भी की है। हालांकि गलती की वजह मैं नहीं हूं इसको मैं साबित नहीं करना चाहता हूं लेकिन जो भी आदेश पार्टी का रहा है मैंने उसका सम्मान किया है। अल्मोड़ा में जो परिस्थितियां थी, हालत थे वहां पर प्रदीप टम्टा जी काम भी कर रहे थे वो पहले भी वहां से सांसद रह चुके है। माननीय हरीश रावत जी भी वहां से पूर्व में लोकसभा चुनाव जीत चुके है। इस स्थिति मैं मैंने कहा कि वहां पर प्रदीप जी बहुत मेहनत कर रहे है। इसलिए मैंने वहां से इंकार किया। मैं स्वयं चाहता हूं कि पार्टी हाईकमान के आदेश से मैं पूरे प्रदेश में यात्रा करूं। गांव-गांव जाऊं और कांग्रेस का इतिहास और पार्टी के बलिदान को लोगों तक पहुंचाऊ
यशपाल आर्या का सफर
जीवन परिचय: जन्म-8 जनवरी 1952, जन्म स्थान-त्यूनेरा बोहराकोट, रामगढ़, नैनीताल (उत्तराखण्ड)
शिक्षा: ग्रजेएट (एग्रीकल्चर)
राजनीतिक यात्रा: 1979-1983-ब्लॉक अध्यक्ष, नैनीताल युवा कांग्रेस
1983-1984: जिला महासचिव, नैनीताल युवा कांग्रेस
1984-1989: जिला अध्यक्ष, नैनीताल युवा कांग्रेस
1996-2000: अध्यक्ष, ऊधमसिंह नगर जिला कांग्रेस कमेटी
1984-1989: ग्राम प्रधान-छलायल सुयाल ग्राम पंचायत, हल्द्वानी
1989-1991: 10वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित
1993-1996: 12वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित
2002-2007: उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए एवं अध्यक्ष – उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष बने।
2007-2012: उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए निर्वाचित
2007-2014: उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सदस्य, सरकारी आश्वासन समिति (2009-12) और सदस्य, आवास समिति
2012-2017: उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए निर्वाचित
राजस्व एवं भूमि प्रबंधन, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, सहकारिता, तकनीकी शिक्षा, ग्रामीण इंजीनियरिंग सेवाएं, ग्रामीण सड़कें एवं जल निकासी, भारत-नेपाल-उत्तराखण्ड नदी परियोजनाएं कैबिनेट मंत्री।
2017-2021: उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुए एवं कैबिनेट मंत्री बने। मंत्री के तौर पर इनके पास परिवहन, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, छात्र कल्याण, ग्रामीण जलाशय विकास, दूरस्थ क्षेत्र विकास, उपमंडल विकास एवं प्रबंधन, पिछड़ा क्षेत्र विकास मंत्री रहे।
2022 में उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित। वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष।
विजन: 2002 में जब तिवारी जी की सरकार आई तो रोजगार प्राथमिकता रही। राज्य आंदोलन में नारे होते थे कि ‘अपनी सरकार हो, अपना राज हो’, ‘हमारी सरकार हमारे द्वार’। राज्य गठन के बाद जो सिडकुल की स्थापना तिवारी जी के कार्यकाल में हुई बाद की सरकारें उसे आगे नहीं बढ़ा सकी। सरकार ग्लोबल समिट कराकर रोजगार के दावे करती रही है। लाखों-करोड़ के निवेश के दावे किए जा रहे हैं लेकिन क्या कहीं कोई निवेश दिख रहा है? क्या ट्टारातल पर कुछ दिखाई दे रहा है? यह सब हवाई बाते हैं। प्रदेश की मातृ शक्ति मेहनत करना जानती है। पहाड़ की आर्थिक व्यवस्था में महिलाओं की आज भी बड़ी भूमिका है। रिवर्स पलायन की बातें होती हैं। लेकिन पलायन कहां रूका है। पानी की समस्या यहां एक बड़ा मुद्दा है। ग्लोबल वार्मिंग हो रही है जिससे पहाड़ पूरे जल रहे हैं। पहाड़ में तराई में पानी का अकाल है। जब वृक्ष होंगे तो जल भी होगा। वृक्षारोपण अभियान होना चाहिए। जो वृक्षारोपण होते हैं वह बाद में कितने पनपते है इसका कोई मुल्यांकन नहीं है। ये भी हमारे लिए एक चुनौती है। हर साल जंगल जल रहे हैं उन्हें कैसे रोकें? हिमालय पिघल रहा है। आपदा चलते भारी नुकसान हो रहा है। उस पर ठोस कार्ययोजना बननी चाहिए। ऊर्जा प्रदेश, पर्यटन प्रदेश की हम बात करते हैं। पर्यटन को हम कितना विकसित कर पाए हैं? अगर ये हमारे लक्ष्य होगें तो उत्तराखण्ड का कायाकल्प होगा। प्रदेश में जब हमारी सरकार बनेगी तो ये सारे मुद्दे हमारी पहली प्राथमिकता होगी।