- संतोष सिंह
चमोली जिला पंचपायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को पद से हटाए जाने के मामले में सियासी जंग जारी है। भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने हैं। दोनों के अपने-अपने दावे हैं
गत् 25 जनवरी को पंचायती राज अनुभाग के अपर सचिव ओमकार सिंह ने राज्यपाल की संस्तुति पर चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को दायित्व से हटा दिया है। इसके बाद इस मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस इसे सत्तापक्ष का विपक्ष के खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र करार दे रही है तो वहीं दूसरी तरफ सत्तापक्ष ने इसे भ्रष्टाचार पर वार करार दिया है। यह प्रकरण 2012-13 की नंदा राजजात यात्रा से जुड़ा है। इस यात्रा को सुगम बनाने के लिए चमोली की तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने 64 विकास कार्य कराए थे। तब भंडारी पर आरोप लगे थे कि उन्होंने इन विकास कार्यों को कराने में अनियमितताओं का खेल खेला। होना यह चाहिए था कि विकास कार्यों की बाबत हुई निविदाओं में जो सबसे न्यूनतम यानी कम दर वाली निर्माण कंपनी थी उसे कार्य करने का अधिकार मिलना चाहिए था। लेकिन यहां हुआ उल्टा। भंडारी ने न्यूनतम निविदा स्वीकार किए जाने की बजाय जिस कंपनी ने सबसे अधिक निविदा दर दी उसे कार्य करने के अधिकार दे दिए। इसे उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली-2008 का सीधा उल्लंघन करार दिया गया। जांच में भी नियमावली का उल्लंघन माना गया था। तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी का कार्यकाल खत्म होने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने निर्माण कंपनी को ऊंची दरों पर भुगतान करने की बजाय न्यूनतम दरों में भुगतान कर दिया। इस तरह देखा जाए तो विकास कार्य हुए और उनका भुगतान भी कंपनी को कर दिया गया। आरोप है कि इसके बाद भाजपा ने बद्रीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी को घेरने के लिए एक दशक बाद इस प्रकरण को सामने लाकर उनकी पत्नी रजनी भंडारी का दायित्व खत्म कर दिया। फिलहाल इस मामले में सत्तापक्ष और विपक्ष अपने-अपने दावे सिद्ध कर रहे हैं। सत्तापक्ष जहां भुगतान से पूर्व हुई ऊंची दरों की निविदाओं को अनियमितता के दायरे में मान रही है तो विपक्ष इसे भुगतान के बाद की स्थिति में उपयुक्त ठहरा रही है। साथ ही विपक्ष तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी और जिलाधिकारी की रिपोर्ट का हवाला भी दे रहा है जिसमें दोनों अधिकारियों ने जिला पंचायत को वित्तीय हानी नहीं होना करार दिया है।
नंदा राजजात यात्रा 2013 में होना था। लेकिन केदारनाथ सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भयंकर आपदा के कारण उस साल यात्रा नहीं हुई। यात्रा मार्ग की तैयारी जरूर अपने समय पर शुरू हो गई थी। इस मार्ग पर कुल 65 योजनाओं का निर्माण होना था। जिसमें जिला पंचायत विभाग चमोली को यात्रा मार्ग पर जन सुविधाएं, पैदल मार्ग दुरुस्त करने, जन पड़ाव जैसे 64 कार्यों को करवाना था। इन कार्यों के लिए शासन के आदेश पर शुरुआत में करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए स्वीकøत हुए थे। इस धनराशि की 70 फीसदी राशि यानी करीब दो करोड़ रुपए जिला पंचायत चमोली को तत्काल जारी कर दिया गया। इस विकास कार्य को सरकार ने किसी विशेष योजना के तहत नहीं रखा था। इसे पंचायतीराज विभाग के तत्कालीन निदेशक ज्योति नीरज खैरवाल ने मार्च 2014 में चमोली जिलाधिकारी एवं जिला पंचायत चमोली को लिखे अपने पत्र में स्पष्ट कर दिया था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि नंदा राजजात मद के कार्यों का भुगतान उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली 2008 के तहत होना है। क्योंकि उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली 2008 पंचायतीराज संस्थाओं पर भी लागू होता है। निदेशक के स्पष्ट निर्देश के बावजूद जिला पंचायत चमोली राजजात के योजनाओं में घपला करने से नहीं चूका।
दरअसल, राजजात यात्रा के लिए जिला पंचायत को मिले 64 कार्यों को ठेकेदारों से करवाया गया। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया को भी अपनाया गया। विभिन्न कार्यों के लिए टेंडर डाला गया। टेंडर को खोला भी गया। उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली, 2008 के मुताबिक टेंडर में सबसे न्यूनतम बोली लगाने वाले या न्यूनतम दर देने वाले को ही कार्य दिया जाता है। पर राजजात यात्रा के योजनाओं में ऐसा नहीं हुआ। वहां न्यूनतम बोली लगाने वाले को काम नहीं दिया गया, बल्कि अधिकतम बोली दाता का टेंडर स्वीकøत किया गया। हालांकि टेंडर समिति ने न्यूनतम दर वालों की निविदा को ही स्वीकøत करने की संस्तुति की थी। इसके
बावजूद तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष एवं वर्तमान कøषि मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी ने समिति की सिफारिश को नहीं माना। रजनी भंडारी ने अपने ओहदे का दुरुपयोग करते हुए सबसे अधिक बोली लगाने वाले ठेकेदारों को काम दे दिया। यह तत्कालीन सीडीओ चमोली की जांच आख्या में भी सही पाया गया। कहा जाता है कि उनके पति एवं कøषि मंत्री राजेंद्र भंडारी का राजनीतिक कद जिले में बड़ा है। इसलिए तब किसी अन्य ठेकेदार ने इसकी शिकायत नहीं की। लेकिन कुछ माह बाद पंचायत चुनाव हुआ और उसमें रजनी भंडारी अध्यक्ष नहीं बनीं, तब राजजात यात्रा के कार्यों में हुए घपले की शिकायत की गई। शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी चमोली ने जिले के मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई।
जांच कमेटी ने 12 फरवरी 2015 को अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी। इस जांच रिपोर्ट में राजनीति में दबदबा रखने वाले लोगों (खासकर कृषि मंत्री की पत्नी रजनी भंडारी) का नाम आने पर जिलाधिकारी ने कार्यवाही के लिए रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। शासन में जांच रिपोर्ट की फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग में घूमती रही। 4 जुलाई 2015 को पर्यटन विभाग के तत्कालीन अनुसचिव पर्यटन देवेंद्र सिंह ने अपनी टिप्पणी लिखते हुए, इसे पंचायतीराज विभाग का मामला बताते हुए, कार्यवा के लिए उक्त विभाग में भेजने की संस्तुति कर दी।
अनुसचिव देवेंद्र सिंह ने अपनी टिप्पणी में लिखा है, ‘नंदा राजजात यात्रा 2014 के लिए जिला पंचायत से संबंधित 65 कार्यों के लिए धनराशि पर्यटन विभाग से स्वीकøत हुई थी। उक्त धनराशि पर्यटन विभाग ने जिलाधिकारी चमोली को उपलब्ध कराया था। श्री नंदा राजजात यात्रा 2014 के सभी कार्यों का उत्तरदायित्व जिलाधिकारी चमोली को सौंपा गया था। राजजात यात्रा के लिए स्वीकøत कार्य जिला पंचायत चमोली द्वारा किए गए हैं। मुख्य विकास अधिकारी की जांच आख्या में बताया गया है कि टेंडर समिति द्वारा जिन निविदाओं को स्वीकøत करने की संस्तुति की गई है, उनको स्वीकार न करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष ने अधिक दरों वाले ठेकेदारों की निविदा स्वीकøत की। जिला पंचायत की निविदाएं स्वीकøत करने में उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली, 2008 का उल्लंघन हुआ है। मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली जांच समिति की संस्तुति में तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष चमोली को दोषी पाया गया है। जिला पंचायत का नियंत्रणाधीन विभाग पंचायतीराज विभाग है। इसलिए वित्तीय अनियमितता की जांच आख्या के संबंध में अगली कार्यवाही पंचायतीराज विभाग के स्तर पर किया जाना उचित होगा।’
पर्यटन विभाग के विभिन्न सचिवों से होते हुए यह जांच रिपोर्ट पंचायतीराज विभाग के पास भी पहुंची। यहां विडंबना यह है कि जांच रिपोर्ट में अनियमितता के लिए जिम्मेदार व्यक्ति का स्पष्ट जिक्र होने के बावजूद उन पर कार्रवाई नहीं हुई। रिपोर्ट एक टेबल से दूसरे टेबल पर घूमती रही। आखिर में जांच रिपोर्ट पंचायतीराज विभाग के पास भी पहुंची। सरकार पर कार्रवाई नहीं करने का दबाव था। क्योंकि मामला राजनीतिक शख्सियत से जुड़ा था। इस मामले में भी हार आम लोगों की ही हुई। भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने की उम्मीद लगाए बैठे आम लोगों को शासन ने झटका दिया। शासन ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पर कोई कार्रवाई नहीं की। शासन ने रजनी भंडारी पर कार्रवाई करने के बजाए उन्हें बचाने का प्रयास किया।
बताया जाता है कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ एक राजनीति खेल खेला गया। जिसमें शासन ने निर्णय लिया कि उक्त कार्य के लिए ठेकेदारों को उतनी धनराशि ही भुगतान किया जाए, जितना टेंडर में न्यूनतम बोली लगी थी। न्यूनतम बोली के दर से ठेकेदारों को कार्यों का भुगतान किया गया। लेकिन यहां सवाल उठता है कि ऐसे में उन व्यक्तियों के अधिकार का क्या, जिन्होंने टेंडर में सबसे कम बोली लगाई थी। जांच रिपोर्ट में आरोपी तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी पर कार्रवाई करने के बजाए उन्हें इनाम मिला। इनाम में उन्हें बदरी-केदार मंदिर समिति का उपाध्यक्ष बना दिया गया।
दो अधिकारियों ने माना नहीं हुई वित्तीय हानि
इस मामले में चमोली के तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसे उन्होंने तत्कालीन जिला अधिकारी विनोद कुमार सुमन को 10 अगस्त 2016 को भेजी। घिल्डियाल ने इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि जिला पंचायत चमोली के तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी की अध्यक्षता में एक जांच समिति द्वारा 12 फरवररी 2015 को तत्कालीन जिलाधिकारी को जांच सौंपी गई। यह जांच नंदा
राजजात यात्रा हेतु स्वीकृत कार्यों की निविदाओं में की गई वित्तीय अनियमितता की जांच के क्रम में की गई थी जिसमें उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली-2008 का उल्लंघन पाए जाने के दृष्टिगत न्यूनतम निविदा स्वीकार नहीं किए जाने के कारण जिला पंचायत चमोली को हुई शासकीय वित्तीय क्षति की धनराशि तथा उक्त हानि के संबंध में तथ्य रखे गए। इस जांच में जांच समिति द्वारा भुगतान के पूर्व की स्थिति को स्पष्ट करते हुए रिपोर्ट दी गई है। इसी के साथ ही घिल्डियाल अपनी रिपोर्ट में भुगतान के बाद की स्थिति स्पष्ट करते हैं जिसमें वह कहते हैं कि दिनांक 8 अगस्त 2016 को तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा नंदा राजजात यात्रा में कराए गए विकास कार्यों का भुगतान सबसे न्यूनतम दरों पर करने की स्वीकृति दी गई। जिसके चलते सभी कार्यों पर निविदा की सबसे न्यूनतम दरों के अनुसार ही भुगतान किया गया है। घिल्डियाल आगे कहते हैं कि यदि जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा निविदाओं में की गई स्वीकृति के आधार पर जिला पंचायत द्वारा भुगतान किया जाता तो जिला पंचायत को वित्तीय हानि होना संभव था। लेकिन जिलाधिकारी द्वारा सबसे न्यूनतम दरों पर भुगतान की स्वीकृति प्रदान किए जाने के फलस्वरूप जिला पंचायत को किसी प्रकार की वित्तीय हानि होने की पुष्टि नहीं होती है।
तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी मंगेश घिल्डियाल की यह रिपोर्ट चमोली के तत्कालीन जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन को सौंपी गई। सुमन ने 23 अगस्त 2016 को मुख्य विकास अधिकारी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पंचायती राज के अपर सचिव को पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी की जांच का उल्लेख करते हुए एक तरह से चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रही रजनी भंडारी को क्लीन चिट दी है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि मुख्य विकास अधिकारी चमोली से प्राप्त जांच समिति की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि जांच समिति द्वारा जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है वह भुगतान से पूर्व की स्थिति के आधार पर दी गई है। लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा सबसे न्यूनतम दरों पर भुगतान की स्वीकृति प्रदान किए जाने के कारण जिला पंचायत चमोली को किसी भी प्रकार की वित्तीय हानि होने की पुष्टि नहीं होती है।
बात अपनी-अपनी
नंदा राजजात जैसी धार्मिक और पवित्र यात्रा जिसमें श्रद्धालु दान देते हैं उसकी टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी और मिलीभगत हुई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए ही सरकार ने चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को पदच्युत किया है। नंदा राजजात जैसी धार्मिक और पवित्र यात्रा जिसमें श्रद्धालु दान देते हैं उसकी टेंडर प्रक्रिया में मिलीभगत से हेराफेरी और घपलेबाजी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पूरे प्रकरण की जांच के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए ही सरकार ने चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को उनके कार्यकाल के दौरान हुई अनियमितता के लिए उन्हें पद से हटाया है।
सतपाल महाराज, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री, उत्तराखण्ड
जब से महेंद्र भट्ट हमारी विधानसभा में हारे हैं तब से ही भाजपा उनके खिलाफ षड्यंत्र करने में लगी थी। इस मामले में एक जिलाधिकारी और एक सीडीओ ने जांच की थी जिसमें दोनों ही रिपोर्ट दे चुके हैं कि रजनी भंडारी के कार्यकाल में कोई वित्तीय अनियमितता नहीं हुई। हम पर कार्यवाही इसलिए हुई है कि हम कांग्रेस के लोग हैं। भाजपा चुन-चुनकर कांग्रेसियों के साथ षड्यंत्र करने में लगी है। हमसे पहले कांग्रेस के उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिल्जवाण के साथ भी ऐसा ही हुआ है। बिल्जवाण को भी आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया गया है।
राजेंद्र भंडारी, विधायक बद्रीनाथ