ऊर्जा प्रदेश के नाम से स्थापित उत्तराखण्ड को नदियों का प्रदेश भी कहा जाता है। नदियों का उद्गम स्थल होने के बाद भी कई क्षेत्रों में लोग प्यासे और बूंद-बूंद पानी को मोहताज हैं। जल विद्युत परियोजनाओं की ओर से अभी भी पूरी उदासीनता बनी हुई है। नैनीताल जनपद के जमरानी बांध परियोजना का निर्माण अधर में था। इस बीच धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। सीएम ने भारत सरकार द्वारा राज्य के विकास हेतु जमरानी बांध परियोजना की स्वीकृति सहित विभिन्न बाहरी साहयतित परियोजनाओं एवं पूंजीगत परियोजनाओं हेतु विशेष सहायता योजनाओं के लिए व्यापक सहयोग प्रदान करने पर प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को चारधाम यात्रा, आदि कैलाश और लोहाघाट स्थित मायावती आश्रम के लिए आमंत्रित भी किया। प्रधानमंत्री के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इस बैठक के बाद धामी ने कहा है कि राज्य में दस छोटी बिजली परियोजनाओं के निर्माण की राह खुलने जा रही है। इससे प्रदेश की बाजार से बिजली खरीद पर निर्भरता कम होने के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। राज्य में 5 से 20 मेगावाट तक की कई छोटी बिजली परियोजनाएं सालों से लंबित हैं। ये सभी परियोजनाएं गैर विवादित हैं। ये 10 प्रोजेक्ट भिलंगना, बालगंगा, अलकनंदा, पिंडर, नंदाकिनी, कालीगंगा, दारमा गंगा, कल्प गंगा आदि पर प्रस्तावित हैं। इन परियोजनाओं के संचालन से दूर-दूर तक किसी भी तरह के नुकसान की संभावना नहीं है। इनकी मंजूरी के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ शपथ पत्र दिया जाना है।
इसके अलावा सीएम धामी ने कहा कि मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री को राज्य में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्टों की प्रगति की जानकारी दी। जोशीमठ के आपदा प्रभावितों के पुनर्वास पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्हें प्रभावितों के पुनर्वास, मुआवजा आवंटन के साथ ही जोशीमठ शहर के ट्रीटमेंट का प्लान बताया और इसके लिए 2 हजार 942 करोड़ के आर्थिक पैकेज देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 3 हजार 200 किमी सड़कें पीएमजीएसवाई के तहत बननी हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 25 हजार घर बनाने का लक्ष्य है। इनके लिए भी बजट मांगा है। उन्होंने प्रदेश को हर संभव मदद देने के लिए आश्वस्त किया।
एम्पावर्ड कमेटी दे चुकी है हरी झंडी उत्तराखण्ड की 10 बिजली परियोजनाएं ऐसी हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की एम्पावर्ड कमेटी हरी झंडी दे चुकी है। अब सुप्रीम कोर्ट की स्वीकृति का इंतजार है। इनमें 1352.3 मेगावाट के कुछ प्रोजेक्टों पर काम भी शुरू हो गया था, लेकिन बाद में काम रोकना पड़ा। वहीं, लता तपोवन, कोटलीभेल फर्स्ट ए, तमक लता, अलकनंदा, कोटलीभेल फर्स्ट बी, भ्यूंडर, खिराओगंगा, झलककोटी, उर्गम सैकेंड, झेलम तमक को मंजूरी का इंतजार है।
इस दौरान सीएम धामी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट कर देहरादून शहर एवं आस-पास के क्षेत्रों की पेयजल समस्या के समाधान के लिए सहायता मांगी। सौंग बांध पेयजल परियोजना के लिए 1774 करोड़ की धनराशि केंद्र सरकार से पूंजीगत मद में विशेष सहायता के अंतर्गत उपलब्ध कराने की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा कि इससे देहरादून की पेयजल समस्या का समाधान हो जाएगा। देहरादून नगर एवं इसके उपनगरीय क्षेत्रों में पेयजल की व्यवस्था मुख्य रूप से नलकूप से की जा रही है। इससे भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। जनसंख्या बढ़ने से पेयजल की मांग निरंतर बढ़ रही है। वर्तमान पेयजल आपूर्ति व्यवस्था से भविष्य की मांग पूरी होना संभव नहीं है। सतत पेयजल सुविधा के लिए गंगा की सहायक नदी सौंग नदी पर 2021 करोड़ लागत से बांध परियोजना प्रस्तावित है। परियोजना से 150 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति गुरुत्व के माध्यम से लगभग 10 लाख की जनसंख्या को की जा सकेगी।
परियोजना के निर्माण के बाद पेयजल के लिए नलकूपों पर निर्भरता लगभग समाप्त हो जाएगी। इससे भूजल स्तर बढ़ेगा। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी। भविष्य में नए नलकूपों एवं उन पर होने वाले संचालन व रखरखाव संबंधी व्यय में भी भारी कमी आएगी। परियोजना के अंतर्गत झील निर्माण से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार सृजित होंगे। स्थानीय नागरिकों की आय में भी वृद्धि होगी। झील बनने से पर्यावरण को लाभ मिलेगा, साथ ही जिले के 10 गांवों को 15 हजार आबादी को सौंग नदी में प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ से सुरक्षा प्राप्त हो सकेगी। यह परियोजना देहरादून शहर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे संबंधित सभी आवश्यक तकनीकी वन भूमि हस्तांतरण प्रथम चरण और अन्य आवश्यक स्वीकृतियां संबंधित मंत्रालयों से प्राप्त की जा चुकी हैं। परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन पर होने वाला 247 करोड़ का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
अपने दिल्ली दौरे में सीएम ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव से भी मुलाकात की। सीएम ने दून से सहारनपुर को मोहंड होते हुए रेलवे से जोड़ने के लिए टनल आधारित रेल लाइन की संभावनाओं को लेकर सर्वे कर परियोजना को स्वीकृत देने का आग्रह कर कहा, रेल लाइन बनने से दून से सहारनपुर तक ट्रेन का सफर कम होने से समय बचेगा। अभी तक दून से हरिद्वार, लक्सर, रुड़की होते हुए सहारनपुर ट्रेन से पहुंचते हैं, जिसमें साढ़े तीन घंटे का समय लगता है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में अपनाई जा रही टनल प्रणाली के समान ही दून से सहारनपुर को मोहंड होते हुए रेलवे लाइन का सर्वे कराया जाए। सीएम ने ऋषिकेश-उत्तरकाशी रेल लाइन परियोजना का शीघ्र परीक्षण कराकर निर्माण की स्वीकृति देने का अनुरोध किया। वहीं हरिद्वार से वाराणसी वंदे भारत रेल शुरू करने की मांग की। किच्छा- खटीमा नई रेल लाइन परियोजना पर खर्च होने वाले लागत राशि केंद्र सरकार की ओर से देने का आग्रह किया। सीएम ने कहा, पूर्णागिरी मेले के लिए नई दिल्ली, मथुरा, लखनऊ से टनकपुर के लिए ट्रेनों का संचालन किया जाए। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को बताया, दून से काठगोदाम के लिए जनशताब्दी एक मात्र ट्रेन है। नैनीताल में देश-दुनिया से पर्यटक आते हैं। इसे देखते हुए दिल्ली-रामनगर शताब्दी एक्सप्रेस चलाई जाए।