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Uttarakhand

नागराजा की नगरी में बदलाव सड़कें

उत्तराखण्ड को शिव की भूमि कहा गया है। यहीं कैलाश में शिव का वास है और गंगाद्वार हरिद्वार के कनखल में ससुराल। यही वजह है कि पिछले साल तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने प्राचीन मंदिरों को शिव सर्किट से जोड़ते हुए पर्यटन बढ़ाने पर जोर दिया। शिव सर्किट में गढ़वाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल डांडा नागराजा मंदिर भी है। दावा किया गया कि शिव सर्किट से जुड़े सभी धार्मिक स्थलों तक पहुंचने के लिए बेहतरीन कनेक्टिविटी बनाई जाएगी। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। डांडा नागराजा के इलाके में सड़कों की हालत खस्ता है। यह तब है जब यह क्षेत्र वीआईपी क्षेत्र कहा जाता है। पूर्व मुख्यमंत्रियों से लेकर कई मंत्रियों का यह क्षेत्र विकास के नाम पर सिर्फ घोषणाओं और वायदों तक सिमटकर रह गया है

उत्तराखण्ड का पौड़ी जिला प्रदेश की राजनीति में हमेशा से ही जागरूक रहा है। अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर पृथक उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद भी पोड़ी जिले का दमखम बना हुआ है। इसी पौड़ी जिले ने जहां प्रदेश को पांच-पांच मुख्यमंत्री दिए हैं तो वहीं हर सरकार में कई दिग्गज मंत्री भी इसी जिले से बने हैं। केद्र सरकार के साथ-साथ देश के कई अहम विभागों में भी पौड़ी के ही कई बड़े चेहरे लगातार अपनी सेवाएं देते रहे हैं। खास बात यह है कि केंद्र की मोदी सरकार बनने के बाद तो पोड़ी जिले के कई अधिकारियों को अहम पदों पर तैनाती मिली है। बावजूद इसके पौड़ी जिले के हालात बद से बद्तर ही बने हुए हैं। स्वास्थ्य, चिकित्सा और रोजगार के अलावा सड़कों की बदतर हालत जस की तस बनी हुई है। हालात यहां तक है कि जो सड़कें वर्षों पूर्व निर्मित की गई थीं उनका डामरीकरण तक नहीं हो पाया है। जिसके चलते आज वे सड़कें बुरी तरह से क्ष्तिग्रस्त हो रही हैं और इन टूटी-फूटी सड़कों पर ग्रामीण आवागमन करने को मजबूर हैं।

सड़कों की बदहाली के हालातां को देखें तो उत्तराखण्ड के सामाजिक और धार्मिक जीवन से जुड़े धार्मिक स्थल डांडा नागराजा मंदिर के लिए महज 4 किमी की सड़क आज तक डामरीकरण की राह देख रही है। यह मार्ग देवप्रयाग से घिंघोड़ा होते हुए पोड़ी को जाता है। इसी मार्ग से एक संपर्क मार्ग डांडा नागराजा मंदिर के दिए वर्षों पूर्व बनाया गया था लेकिन इसका डामरीकरण आज तक नहीं किया गया है। यह सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई जानी है। इसी मार्ग से कई गांवां को भी जोड़ा जाना प्रस्तावित है।

इसी घिंघोड़ा से एक पांच किमी का मार्ग जो कि नकोट गांव को जोड़ते हुए पौड़ी नगर के मार्ग से जोड़ा गया है। इन दोनां सड़कों का भी डामरीकरण नहीं हो पाया है। घिंघोड़ा से नकोट को जोड़ने वाली सड़क के हालात तो सबसे बुरे हो चुके हैं। मौजूदा हालात में यह सड़क आवागमन के योग्य भी नहीं है लेकिन ग्रामीण किसी तरह से इस सड़क पर दुपहिया वाहनां के जरिए आवागमन को मजबूर हैं। गौर करने वाली बात यह है कि नकोट गांव राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सलाहकार अनिल बलूनी का गांव है जिसमें कभी दर्जनां परिवारों की बसावट थी लेकिन बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी के चलते आज महज एक दर्जन के करीब परिवार ही गांव में रह रहे हैं। हालांकि इन दोनों सड़कों के निर्माण का श्रेय अनिल बलूनी को ही जाता है। उनके ही प्रयासों के चलते स्थानीय लोगों को ये सड़कें मुहैया हो पाई हैं।

देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का गांव घीड़ी भी इसी डांडा नागराजा क्षेत्र में आता है। वे भी अपने गांव में हर वर्ष आते हैं। साथ ही अपने परंपरागत देवी-देवताओं की जात भी देते हैं जिनमें डांडा नागराजा का मंदिर प्रमुख है। इसके अलावा इसी क्षेत्र से लगा हुआ खैरासेंण जो कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का मूल गांव है। स्वयं त्रिवेंद्र रावत अपने क्षेत्र के सितोनस्यूं में माता सीता का भव्य तीर्थ स्थल और इस क्षेत्र को धार्मिक ‘शिव सर्किट’ से जोड़ने की घोषणा भी कर चुके हैं लेकिन इस क्षेत्र के सड़कों की बदहाली के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया गया।

डांडा नागराज मंदिर को जाने वाली मुख्य सड़क

राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो पोड़ी ने उत्तराखण्ड को हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे बड़े चेहरे को राजनीति में बड़ा स्थान दिया है तो राज्य बनने के बाद बीसी खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, विजय बहुगुणा के अलावा त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया है। इसके अलावा धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, जैसे दिग्गज नेताओं की तूती हर सरकार में बोलती रही है। यहां तक कि राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खण्डूड़ी भी पौड़ी जिले के यमकेश्वर से विधायक पूर्व में निर्वाचित हुई थीं। बावजूद इसके इस वीआईपी और धार्मिक क्षेत्र में सड़कों की हालत जस की तस ही बनी हुई है।

देश और केंद्र सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था की बात करें तो थल सेना अध्यक्ष एवं प्रथम सीडीएस स्वर्गीय जनरल विपिन रावत भी पोड़ी के ही रहे हैं तो मौजूदा सीडीएस अनिल चौहान भी पौड़ी जिले के ही हैं। यहां तक कि रॉ चीफ अनिल धस्माना भी पोड़ी जिले के ही हैं। इसलिए पोड़ी जिला एक तरह से वीआईपी क्षेत्र बन चुका है। और डांडा नागराजा इस क्षेत्र में इन सभी का प्रमुख तीर्थ है। बावजूद इसके इस क्षेत्र के निवासियों को पक्की सड़कें नहीं मिल पा रही हैं।

सभी वीआईपीयों का तीर्थ स्थान है डांडा नागराजा
उत्तराखण्ड के आम जनमानस के सामाजिक और धार्मिक जीवन में जिस तरह से सनातन धर्म के देवी-देवताओं का स्थान है उसी तरह से इस प्रदेश के ग्राम देवताओं का स्थान अति महत्वपूर्ण है। माता दुर्गा के अलावा नाग और नरसिंह देवता इस राज्य के खासतौर पर गढ़वाल के समाजिक और धार्मिक जीवन से इस कदर जुड़े हैं कि प्रत्येक गांव में देवी दुर्गा के साथ-साथ नरसिंह और नागराजा के मंदिर हैं। इसमें नागराजा को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ है। प्रदेश में नागराजा के दो सबसे बड़े स्थान माने गए हैं जिसमें पोड़ी जिले के कोट ब्लॉक के कंडवालस्यूं पट्टी में डांडा नागराजा और टिहरी जिले के प्रताप नगर ब्लॉक के रैंका रमोली पट्टी क्षेत्र में सेम मुखेम माने जाते हैं। इनमें डांडा नागराजा को नागराजा का सबसे पहला स्थान माना जाता है।

पौराणिक मान्याता के अनुसार महाभारत युद्ध के पश्चात् भगवान कृष्ण हिमालय तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा में आए और जब वे इस स्थान पर पहुंचे तो वे इसकी पवित्रता से इनता मोहित हो गए कि उन्होंने इस धरती को अपने में पूरी तरह समाहित करने के लिए एक नाग का रूप बनाकर रेंगते हुए यात्रा की, जिससे वे इस धरती की पवित्रता को अपने भीतर समाहित कर सकें। तभी से उत्तराखण्ड में भगवान कृष्ण को नाग के स्वरूप में पूजे जाने की मान्यता प्रचलन में आई है जो आज तक चली आ रही है।

मान्यता है कि इसी क्षेत्र के एक पर्वत की चोटी पर भगवान कृष्ण ने नागरूप में बैठ कर ध्यान किया था। जिसे आज डांडा नागराजा के नाम से जाना जाता है। इसी स्थान पर भगवान कृष्ण का नाग स्वरूप में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। आज भी डांडा नागराजा का यह स्थान प्रदेशवासियों के लिए एक बड़े तीर्थ के तौर पर जाना जाता है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रां के प्रत्येक गांव का प्रत्येक परिवार जीवन में एक बार नागराजा की जात देने डांडा नागराजा मंदिर जरूर जाता है।

बात अपनी-अपनी

प्राथमिकता में रखा हुआ है। यह क्षेत्र वैसे भी हमारे बड़े नेताओं का क्षेत्र है तो इस पर ध्यान देना जरूरी है। मेरा प्रयास है कि मैं जल्द ही इस क्षेत्र की सड़कां का डामरीकरण करवा सकूं।
राजकुमार पोरी, स्थानीय विधायक पौड़ी

पौड़ी जिले के 7 डिविजनों में 500 किमी सड़कों का डामरीकरण होना है लेकिन राज्य की सभी सड़कां के लिए कुल बजट 500 करोड़ है लेकिन पौड़ी जिले के मेरे डिविजन की सड़कां के डामरीकरण के लिए ही 550 करोड़ रुपए चाहिए। जेसे-जेसे बजट आता है वैसे-वैसे प्राथमिकता के आधार पर डामरीकरण किया जाता है। सिर्फ यही क्षेत्र ही नहीं है अन्य सभी डिविजनां की सड़कों पर भी बजट आने के बाद ही काम होगा। अभी केवल 9 किमी सड़कां का डामरीकरण का काम चल रहा है जो दो वर्ष पूर्व स्वीकृत हुआ था। जैसे ही बजट आएगा काम शुरू हो जाएगा।
डीसी नौटियाल, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग पौड़ी

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