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Uttarakhand

बाहर से ज्यादा भीतर की चुनौतियां

गंगा तट पर बसे ऋषिकेश की राजनीति गंगा की लहरों की तरह हिलोरे लेती रही है। कभी भाजपा यहां कांग्रेस के गढ़ को भेदने में सफल रही, तो कभी कांग्रेस पुनः अपने गढ़ पर कब्जा कर गई। इस बार का घमासान भी इन दोनों पार्टियों के बीच ही दिखाई दे रहा है। लेकिन इसमें खास बात यह है कि बाहर से ज्यादा चुनौतियां पार्टियों को अंदर से हैं। कारण कि कांग्रेस-भाजपा में टिकट चाहने वालों की बड़ी तादात है। लिहाजा इन पार्टियों के आलाकमान के सामने भी अग्नि परीक्षा है कि वे कैसे अंदरूनी गुटबाजी को शांत कर टिकट वितरण करें। बहरहाल टिकटार्थियों ने अपने-अपने स्तर से दौड़ भाग शुरू कर दी है
पृथक उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद ऋषिकेश विधानसभा सीट का अस्तित्व सामने आया है, लेकिन सत्ता और सत्ता के रसूखदारांे की कर्मभूमि के तौर पर यह हमेशा से अपनी पहचान रखता है। अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर से ही यह क्षेत्र राजनीतिक तौर पर पूरी तरह से जागा हुआ रहा है। राज्य बनने के बाद यह वीआईपी क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है। जहां भाजपा, कांग्रेस, उक्रांद के अलावा निर्दलियों ने इस क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की है, वहीं इस क्षेत्र ने वामपंथियों को भी अपने गले लगाकर राजनीति की मुख्यधारा में बनाए रखा। सपा, बसपा, भी इस क्षेत्र में अपने पैर पसारने में कुछ हद तक सफल रहीं, लेकिन कालांतर में बदलते राजनीतिक समीकरणों के चलते ये दोनांे ही पार्टियां हाशिये पर इस कदर चली गई कि अब चुनावों में ही इनका नाम सुनाई देता है। किसी तीसरी बड़ी राजनीतिक शक्ति की चुनौती न होने के चलते अब यह क्षेत्र कांग्रेस और भाजपा के बीच सिमट कर रहा गया। भले ही इन दोनों राजनीतिक दलों का वर्चस्व इस क्षेत्र में रहा है, लेकिन यह भी दिलचस्प है कि हर चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनांे को ही अपने- अपने बागियों से कड़ी चुनौतियां मिलती रही हैं। इसके चलते एक तरह से निर्दलीय या बगावत करने वाले इस क्षेत्र में तीसरी ताकत के तौर पर अपना स्थान बनाए रखने में कामयाब रहे हैं।
पवित्र गंगा नदी के तट पर बसे ऋषिकेश नगर का नाम भगवान विष्णु के एक नाम हृषिकेश से ही विख्यात हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु इस क्षेत्र में ऋषिकेश के नाम से निवास करते हैं। जिस तरह से गंगा नदी इस क्षेत्र में अपना स्वरूप बदलती रहती है। इसी तरह से इस क्षेत्र की राजनीति में भी बदलाव होते रहे हैं। पूर्व में यह क्षेत्र हरिद्वार विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा रहा तो कभी मसूरी विधानसभा का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। संसदीय क्षेत्र में भी बदलाव हुए हैं। पहले यह हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा रहा तो कभी टिहरी लोकसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया। वर्तमान में यह हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में है।
अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय यह क्षेत्र कांग्रेस की राजनीति में घूमता रहा। कांग्रेस के किशोरी लाल सकलानी ने लंबे समय तक इस सीट पर कब्जा बनाए रखा। जनता दल के रणजीत सिंह वर्मा ने कांग्रेस को हराकर इस सीट पर उसका परम्परागत कब्जा होने का मिथक समाप्त किया। भाजपा के राजेंद्र शाह ने भी इस क्षेत्र पर लगातार तीन चुनाव जीता। राज्य बनने के बाद शूरवीर सिंह सजवाण ने फिर से इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया। 2007 के चुनाव से लेकर 2017 तक के तीन चुनावों में भाजपा के प्रेमचंद अग्रवाल इस सीट पर अपना कब्जा बनाए हुए हैं।
यह भी एक विडम्बना ही है कि राजनीतिक तौर पर यह क्षेत्र विख्यात रहा है तो जनप्रतिनिधियों की क्षेत्र के विकास के प्रति उदासीनता ही देखने को मिली है। विधायकांे के द्वारा अधिकतर उन कामांे के लिए अपनी ऊर्जा लगाई जाती रही है जो स्थानीय निकायों या ग्राम पंचयातांे ओैर प्रधानों के स्तर के काम हैं। गांवांे में गलियांे, सम्पर्क मार्गों, हैंडपम्प, नालियांे का निर्माण जैसे कामों को एक विधायक के काम के तौर पर तरजीह दी जाती रही है। कमोवेश हर विधायक के कार्यकाल में यही देखने को मिला है। जनता भी अपने विधायकों से इसी तरह के कामों को ही करवाने की मांग करती रही है।
ढाई लाख की आबादी और 1लाख 13 हजार मतदाताओं वाली ऋषिकेश विधानसभा सीट मुख्यतः शहरी और ग्रामीण इलाकों में विभाजित है। जहां एक मात्र नगर ऋषिकेश है जो कि अब नगर निगम बन चुका है और अब इसमें कई ग्रामीण क्षेत्रोें को जोड़ दिया गया है। सरकारी अनुदानों पर पलने वाली श्यामपुर न्याय पंचायत क्षेत्र है जहां आज भी विकास सतही तोैर पर दिखाई नहीं देता। अगर सड़कांे को ही विकास का पर्याय माना जाए तो तकरीबन पूरी विधानसभा सीट में सड़कों, गलियों का जाल तो बिछा दिया गया है, लेकिन रोजगार, शिक्षा, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य तथा पीने का पानी जनता को पूरी तरह से मयस्सर नहीं हो पा रहा है।
कभी ऋषिकेश को औद्योगिक क्षेत्र होने का गौरव हासिल था, लेकिन फिर एक के बाद एक उद्योग बंद होते चले गए। आईडीपील, स्टर्डिया
केमिकल्स और जेजी ग्लास, थापर ग्रुप जेैसे बड़े औद्योगिक संस्थान यहां थे जो कि अब पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। मात्र जेजी ग्लास अब चल रहा है लेकिन उसकी क्षमता भी बेहद कम हो चली है। इसके अलावा श्यामपुर में कई छोटे- बड़े कारखाने थे जिनमें दाल मिल, चावल मिलंे आदि थी। वे भी बंद हो चुकी हैं। छिद्रवाला औद्योगिक क्षेत्र जो कि राज्य बनने के बाद स्थापित हुआ वह भी समस्याओं से जूझ रहा है।
इस विधानसभा क्षेत्र में बेहद विरोधाभाष रहा है। जहां करोड़ों के विकास कार्यों और करोड़ों की वार्षिक आमदनी वाला नगर निगम का विकसित क्षेत्र है जिसमें प्रति 12 वर्ष में और प्रति छह वर्ष में अर्ध कुम्भ हरिद्वार में होता है। ऋषिकेश कुम्भ मेला क्षेत्र में शामिल हाने के चलते करोड़ों के काम नगर में होते रहते हैं, तो वहीं सरकारी अनुदानांे और जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा पर पलने वाली दर्जनांे ग्राम सभाएं हैं जिनकी आबादी लगातार बढ़ रही है लेकिन अनियोजित विकास का दुष्प्रभाव इन क्षेत्रों में विगत बीस वर्षों से जारी है।
अब आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। भाजपा जहां अपने कैडर वोट और सांगठनिक ताकत के साथ आज भी मोदी लहर के रथ पर सवार होकर अपनी नाव को पार लगाने के लिए जुट गई है, तो वहीं कांग्रेस भी एकजुटता और ‘15 सालों के कुशासन को हटाओ’ के नारे के साथ मैदान में उतर चुकी है। आम आदमी पार्टी और उक्रांद के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दल वामपंथी, सपा, बसपा, केवल अपनी उपस्थिति के लिए मैदान में उतरने की रणनीति बनाने में लग चुकी हैं।
सबसे पहले भाजपा की बात करें तो प्रेमचंद अग्रवाल इस क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक निर्वाचित होते रहे हैं। लेकिन जिस तरह की खबरंे आ रही हैं कि इस बार उनका टिकट खतरे में पड़ सकता है तो भाजपा में कई ऐसे बड़े नाम हैं जो चुनाव में अपनी दावेदारी कर सकते हैं। इनमें दायित्वधारियों और पदाधिकारियों के नाम प्रमुख हैं।
अनिता ममगांईः पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष के तौर पर अपनी राजनीति से भाजपा में एक बड़े चेहरे के तौर पर जानी जाती हैं। ऋषिकेश नगर निगम के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट दिया तो उन्होंने लगातार 15 सालों से नगर पालिका में अपना कब्जा रखने वाले दीप शर्मा को तकरीबन 10 हजार मतों से पराजित कर मेयर की कुर्सी पर कब्जा जमाया। भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री निंशक और त्रिवेंद्र रावत के अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट के साथ अनिता ममगांई के अच्छे राजनीतिक संबधों के चलते माना जा रहा है कि अगर बदलाव हुआ तो अनिता ममगांई भाजपा की सबसे बड़ा चेहरा हो सकती हैं। सूत्रों की मानें तो ऋषिकेश भाजपा में एक बड़ा गुट अनिता ममगाई को आने वाले चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने के पक्ष में खड़ा है। हैरत की बात यह है कि अनिता ममगांई को सबसे ज्यादा समर्थन विधायक और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के विरोधियों का भी मिल रहा है। दिलचस्प बात यह हेै कि भाजपा में कई अन्य चेहरे टिकट पाने की उम्मीद में हैं, लेकिन अगर प्रेमचंद अग्रवाल के इतर अनिता ममगांई को उम्मीदवारी मिलती है तो कई टिकट के चाहने वाले नेता ममगांई के पक्ष में खड़े होने की बात भी स्वीकार रहे हैं। यह भी खासा मजेदार है कि अगर दोनों ही नेताओं में टिकट को लेकर मारामारी होती है तो अनिता ममगांई का पक्ष ज्यादा भारी रहने की संभावनाएं हैं।
कुसुम कंडवालः वर्तमान में भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष कुसुम कंडवाल 2022 से भाजपा की राजनीति में शामिल हुईं। उत्तराखण्ड भाजपा में पार्लियामेंट बोर्ड सदस्य के साथ-साथ 2003 में भाजपा के बैनर पर पौड़ी जिला पंचायत सदस्य, 2008 में भाजपा महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष, 2007 में महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष, 2010 में भाजपा राष्ट्रीय महिला मोर्चा सदस्य तथा टिहरी और महानगर देहरादून का प्रभार भी कंडवाल के ही जिम्मे पार्टी ने सौंपा है। भाजपा संगठन और केंद्रीय नेताओं पर कंडवाल की अच्छी पकड़ मानी जाती है। राजनीतिक तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी को इनका गुरु माना जाता है। पिछली बार मेयर के टिकट के लिए इनकी मजबूत दावेदारी रही है, लेकिन तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के विरोध के चलते इनको टिकट से वंचित रहना पड़ा। पर्वतीय मूल और श्यामपुर ग्रामीण क्षेत्र में कंडवाल का खासा जनाधार बताया जाता है। इस बार ऋषिकेश भाजपा का एक बड़ा धड़ा कुसुम कंडवाल के पक्ष में है।
भगत राम कोठारीः त्रिवेंद्र रावत सरकार में गन्ना एवं चीनी उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद पर काम कर चुके राज्यमंत्री भगतराम कोठारी भले ही भाजपा में विगत चार वर्ष पूर्व शामिल हुए हैं, लेकिन अपनी कार्यशैली और पार्टी के कार्यक्रमों में मजबूती के साथ शिरकत करके कोठारी भाजपा में अपनी गहरी पैठ बनाने में सफल रहे हैं। पर्वतीय मूल के नेता होने के चलते विधायक के विरोधी गुट से इनको पूरा समर्थन मिल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के नजदीकी रहे तथा प्रदेश भाजपा संगठन में इनके समर्थकांे की कमी नहीं है। पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में दीप शर्मा को कड़ी टक्कर दे चुके हैं। इस बार ऋषिकेश से भाजपा में टिकट की दावेदारी में इनका नाम मजबूती से लिया जा रहा है।
कृष्ण कुमार सिंघलः छात्र राजनीति और राम जन्मभूमि आंदोलन से राजनीति में आए कृष्ण कुमार सिंघल का भाजपा और संघ से गहरा रिश्ता रहा है। संघ के अनेक कार्यक्रम का संचालन करने वाले तथा सरस्वती शिशु मंदिर और विद्या मंदिर विद्यालयों के व्यवस्थापक का कार्यभार भी सिंघल ने अनेक बार संचालित किया है। यही नहीं अनेक राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में अपनी भागीदारी रखने वाले कृष्ण कुमार सिंघल पूर्व में भाजपा के जिला महामंत्री और प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य भी रह चुके हैं। नगर पलिका ऋषिकेश में अध्यक्ष पद पर भाजपा के उम्मीदवार के तौेर पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि सिंघल विधानसभा, लोकसभा और नगर निगम के चुनावों में चुनाव संयोजक का कार्यभार भी बखूबी संभाल चुके हैं। त्रिवेंद्र रावत सरकार में गढ़वाल मंडल विकास निगम के उपाध्यक्ष के पद पर काम कर चुके हैं। विनम्र और सरल स्वभाव के चलते सिंघल की युवा नेता के तौर पर पहचान बनी हुई है। केंद्रीय भाजपा संगठन और संघ के बड़े नेताओं के साथ अपने मजबूत रिश्तों के चलते सिंघल 2022 के विधानसभा चुनाव में चौथे सबसे बड़े दावेदारों में माने जा रहे हैं।
अब कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस में एक अनार सौ बीमार का माहौल चल रहा है। हालांकि सबसे मजबूत और दमखम वाले दावेदारों में
राजनीतिक अनुभव वाले नेताओं की कोई कमी नहीं है। जहां एक ओर कई बार के विधायक और सरकार में मंत्री रह चुके नेता हैं तो वहीं प्रदेश कांग्रेस स्तर के नेता और ब्लॉक प्रमुख एवं निकाय चुनाव में अपना परचम लहराने वाले नेताओं की एक लंबी जमात है जो विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं।
शूरवीर सिंह सजवाणः कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधायक रहे सजवाण तिवारी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। ऋषिकेश सीट जिसे भाजपा ने अपना गढ़ बनाया उसी सीट को 2002 में शूरवीर सिंह सजवाण ने भारी मतांे से भाजपा से छीनकर कांग्रेस की झोली में डाला। अपने राजनीतिक कारणों से कांग्रेस में विरोधियों की लंबी जमात से घिरे सजवाण इस बार ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस केे सबसे बड़े दावेदार हैं। पहाड़ी व्यक्तित्व एवं प्रशासनिक क्षमता का लंबा अनुभव रखने वाले सजवाण को आज भी उनके कार्यकाल में बड़ी परियोजनाओं का ऋषिकेश में निर्माण करवाने के लिए जाना जाता है। सजवाण के प्रयासों से ही ऋषिकेश में एम्स का निर्माण हो पाया। नगर की सीवरेज लाईन का निर्माण, बाढ़ नियंत्रण परियोजनाएं एवं आस्थापथ योजना सजवाण के खाते में है। श्यामपुर न्याय पंचायत क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में सजवाण का आज भी मजबूत जनाधार है। विगत चार वर्षों से सजवाण की सक्रियता ऋषिकेश में तेजी से देखने को मिली है। कांग्रेस का एक बड़ा गुट सजवाण के पक्ष में है।
राजनीतिक जानकार भी यह मानते हैं कि विधायक प्रेमचंद अग्रवाल को कांग्रेस में अगर कोई टक्कर दे सकता हेै तो वह शूरवीर सिंह सजवाण ही हैं।
राजपाल खरोलाः उत्तराखण्ड के राहुल गांधी के तौर पर पहचान रखने वाले खरोला छात्र राजनीति से प्रदेश की राजनीति की मुख्यधारा में अपना स्थान बना चुके हैं। कांग्रेस में एक बड़ा युवा चेहरा इनको माना जाता है। ऋषिकेश से राजपाल खरोला 2012, 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि दोनों ही चुनावों में इनकी हार हुई है, लेकिन इनका मत प्रतिशत बढ़ा है। युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद पर कार्य कर चुके खरोला वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री के पद पर कार्यरत हैं। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों की सूची में इनका नाम भी था, लेकिन कांग्रेस के बदलते राजनीतिक समीकरणों के चलते इनका नाम काट दिया गया।
राहुल गांधी के नजदीकी माने जाने वाले खरोला इस बार भी 2022 के विधानसभा चुनाव में दूसरे सबसे बड़े दावेदार हैं। लेकिन लगातार दो विधानसभा चुनाव में हार के चलते माना जा रहा हैे कि ऋषिकेश से इनको टिकट मिलने में कांग्रेस की नीतियां आड़े आ सकती हैं। प्रदेश कांग्रेस में हरीश रावत के मजबूत समर्थक होने के चलते इनको टिकट बंटवारे में फायदा होने की संभावनाएं अवश्य हैं।
डॉ केएस राणा: श्यामपुर न्याय पंचायत क्षेत्र के सबसे मजबूत राजनेता के तौर पर केएस राणा की पहचान बरकरार है। 1988 से ग्राम प्रधान से अपनी राजनीतिक पारी आरंभ करने वाले राणा 1996 में क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए और 19 96 तथा 2003 में लगातार डोईवाला ब्लॉक प्रमुख रहे। वर्ष 2013 में जिला सहकारी बैंक देहरादून के अध्यक्ष पद पर रहे। प्रदेश कांग्रेस पंचायतीराज प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे 2005 में कांग्रेस प्रदेश सचिव एवं 2013 में प्रदेश कांग्रेस महासचिव के पद पर कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कार्यक्रम समन्वय समिति के सदस्य का दायितव संभाल रहे हैं। विधानसभा चुनाव में डॉ केएस राणा को सबसे बड़ा दावेदार माना जाता रहा है। लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के चलते इनको टिकट नहीं मिल पाया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में राणा तीसरे सबसे बड़े दावेदारों की सूची में शामिल हैं।
जयेंद्र रमोलाः ऋषिकेश क्षेत्र में कांग्रेस के सबसे युवा और जुझारू नेता के तौर पर जाने जाते हैं। छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में आए रमोला कांग्रेस के कई पदों पर कार्य कर चुके हैं। नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ चुके हैं। कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं में रमोला का बड़ा जनाधार है। विधायक प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ कांग्रेस में सबसे मुखर रहने वाले नेता के तौर पर रमोला ने अपनी राजनीतिक पहचान बनाई है। कोरोना महामारी के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कई राहत कार्यक्रम किए, साथ ही कांग्रेस में युवाओं को जोड़ने के अनेक कार्यक्रम चला चुके हैं। आज ऋषिकेश क्षेत्र में अनेक सामाजिक और गैर-राजनीतिक संगठनों में रमोला अपनी मजबूत पैठ बना चुके हैं। नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में जयेंद्र रमोला खासे लोकप्रिय नेता के तौर पर जाने जाते हैं। 2022 के विधानससभा चुनाव में रमोला कांग्रेस के चौथे सबसे बड़े दावेदारों में माने जा रहे हैं।
दीप शर्माः लगातार तीन बार नगर पालिका अध्यक्ष के पद पर अपना परचम लहराने वाले दीप शर्मा कांग्रेस के पांचवे बड़े दावेदारों में माने जा रहे हैं। छात्र संघ चुनाव में दो बार सचिव और युवा कांग्रेस के महासिच के पद रह चुके हैं। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान हाईजैक के आरोपांे में इन पर गंभीर धराओं मेंे मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। दीप शर्मा के बारे में यह भी खासा दिलचस्प है कि वह हर बार कांग्रेस से नगर पालिका अध्यक्ष के टिकट की दावेदारी करते रहे हैं। लेकिन उनको कभी कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय चुनाव में ताल ठोककर खड़े रहे और हर बार चुनाव जीते।
2017 के विधानसभा चुनाव में दीप शर्मा कांग्रेस से बागी होकर मैदान में उतरे और तकरीबन 17 हजार वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। इनके खड़े होने से कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इस बार फिर से दीप शर्मा की कांग्रेस में वापसी हुई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद की स्थिति में दीप शर्मा का राजनीतिक कदम क्या होगा। लेकिन कांग्रेस से इनकी दावेदारी को हल्के में नहीं लिया जा रहा है।
विजय सारस्वतः तिवारी सरकार में हिल्ट्रॉन के अध्यक्ष रहे विजय सारस्वत कांग्रेस के प्रदेश महासचिव पद पर हैं। अपने अलग राजनीतिक समीकरणांे और नीतियों के चलते सारस्वत कांग्रेस में बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं। इस बार सारस्वत भी कांग्रेस टिकट के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं।
आम आदमी पार्टी की बात करें तो आम आदमी पार्टी का ऋषिकेश में कोई खास जनाधार नहीं है लेकिन विगत पांच वर्षों से विजय पंवार आम आदमी पार्टी का झंडा उठाए हुए हैं। माना जाता है कि विजय पंवार आम आदमी के टिकट के दावेदार हैं। लेकिन जिस तरह से आप के नए-नए राजनीतिक समीकरण सामने आ रहे हैं उससे आम आदमी पार्टी के दावेदारों पर अभी कोई स्पष्ट माहौल देखने को नहीं मिल रहा है।
उक्रांद के दो-चार दावेदार बताए जा रहे हैं लेकिन अभी तक न तो उक्रांद चुनावी हलचल में दिखाई दे रहा है ओैर न ही उसके कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शांति प्रसाद थपलियाल को उक्रांद में शामिल करके चुनाव लड़वाया जा सकता है। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि उक्रांद के पूर्व अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार इस बार ऋषिकेश विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।
इस बार ऋषिकेश में तीसरा मंच द्वारा भी दावेदारी भी जताई जा रही है। यह मंच नगर के प्रबुद्ध सामाजिक क्षेत्र और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले लोगांे द्वारा बनाया गया है। सोशल मीडिया में इस मंच को बेहद चर्चा भी मिल रही है। माना जा रहा है कि यह मंच पूर्व नगर पालिका सभासद और सामाजिक सरोकार के लिए जाने- माने रवि जैन को विधानसभा चुनाव में उतारने की तेैयारी में है। रवि जैन नगर के विख्यात
सामाजिक सरोकारों में जुड़े रहे हेैं। कोरोना महामारी के दोैरान नगर के कई युवाओं को आपस में जोड़कर राहत का काम इस मंच ने किया है। रवि जैन प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी भी हैं और कई सामाजिक कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों के साथ सामाजिक कार्य करते रहे हैं। इस बार रवि जैन 2022 के चुनाव में अपनी दोवदारी कर रहे हैं।
मेयर के तौर पर मेरा कार्यकाल बेहद अच्छा रहा है। नगर के विकास के लिए कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है। अगर मुझे विधायक बनने का मौका मिलता है तो मैं क्षेत्र के विकास के लिए काम करूंगी। जनता के बीच काम करने वालों को कभी कोई कमी नहीं रहती। मैं पार्टी की अनुशासित सिपाही रही हूं और पार्टी ने जो मुझे जिम्मेदारी दी है, मैंने उसे बखूबी निभाया है। मैं अपनी दावेदारी कर रही हंू। मुझे दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री और दो-दो सांसदों का आशीर्वाद मिला है। मुझे उम्मीद है कि पार्टी मुझे विधानसभा जाने का मौका जरूर देगी।
अनिता ममगांई, मेयर ऋषिकेश
 लोकतंत्र में हर किसी को अधिकार है कि वह अपनी दावेदारी करे। वैसे अभी तो ऐसा कुछ नहीं है कि ऋषिकेश से भाजपा में कोई बदलाव हो, अगर ऐसा होता है, तो मैं निश्चित ही टिकट के लिए दावेदारी करूंगी। मेरा संगठन में काम करने का बेहद लम्बा अनुभव है। मैं कई जिलों की प्रभारी रही हूं। विधानसभाओं की प्रभारी के पद पर काम कर चुकी हूं। पार्टी ने मुझे जो-जो जिम्मेदारी दी है, मैंने उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पूरा किया है। अब यह तो पार्टी को तय करना है कि किसे टिकट मिले। जहां तक दावेदारी का सवाल है तो निश्चित ही मैं टिकट के लिए दावेदारी करूंगी। यह मेरी योग्यता और अधिकार है।
कुसुम कंडवाल, प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष
मैं कांग्रेस से भाजपा में आया तो मैंने भाजपा को पूरी तरह से आत्मसात किया। मैंने पार्टी के हर आदेश को सर्वोपरि माना। पार्टी के सभी कार्यक्रमों में जिसमें मुझे पार्टी ने जिम्मदारी दी है मैैंने जी-जान से काम किया। जब मेरी पत्नी को मेयर का टिकट नहीं दिया गया तो मैं पार्टी के अनुशासित सिपाही के तौर पर काम करता रहा। दीप शर्मा और कांग्रेस के जनाधार के बावजूद मेयर के चुनाव में ममगांई जी को विजयी बनवाया। अब हर किसी का अधिकार है कि वह राजनीति में आगे बढ़े तो मैं भी चाहता हूं कि मैं भी आगे बढंू। अगर पार्टी चाहेगी तो मुझे टिकट देगी, अगर नहीं चहेगी तो मैं जैसे पार्टी का समर्पित सिपाही के तौर पर काम करता रहा हूं वैसे ही काम करता रहूंगा। लेकिन मैं अपनी दावेदारी जरूर कर रहा हूं और इसका मुझे पूरा अधिकार है।
भगत राम कोठारी, भाजपा नेता
मैं संघ ओैर भाजपा के कई पदों पर काम कर चुका हूं। पार्टी में  युवावस्था से ही शामिल हो गया था। मेरा अनुभव और पार्टी के लिए किए गए कामों
की लम्बी फेहरिस्त है। मैं अपनी दावेदारी कर रहा हूं। बाकी तो पार्टी के संसदीय बोर्ड को तय करना है कि किसे टिकट मिले।
कृष्ण कुमार सिंघल, भाजपा नेता

मेरा एक लम्बा राजनीतिक जीवन रहा है। मैं कई बार विधायक निर्वाचित हुआ हूं। ऋषिकेश से भाजपा का खूंटा मैंने ही उखाड़ा था। इन 15 सालांे के

भाजपा के कुशासन को उखाड़ फेंकने के लिए कांग्रेस पूरी तरह से मजबूती के साथ चुनाव में उतरेगी। मेरा यह मानना है कि ऋषिकेश से भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए मैं सबसे मजबूत और अनुभवी दावेदार हूं। आज भी लोग मुझे कहते हैं कि इन 15 सलों में मेरा पांच साल का कार्यकाल भारी है। मैंने अपने कार्यकाल में ऋषिकेश के विकास के लिए कई योजनाएं-परियोजनाएं स्थापित की जो आज जनता को फायदा दे रही हैं। मुझे फिर से अवसर मिलेगा तो मैं इस क्षेत्र के विकास के लिए वैसे ही काम करूंगा जैसे पहले किया था। मुझे पूरा विश्वास है कि पार्टी मुझे उम्मीदवार बनाएगी और भाजपा को इस क्षेत्र से फिर से बाहर करने में मैं सफल रहूंगा।

शूरवीर सिंह सजवाण, पूर्व विधायक कांग्रेस
मैं चुनाव जरूर हारा हूं लेकिन मैं इस क्षेत्र की जनता से बाहर नहीं गया। उनके हर काम में शामिल रहा। विधायक और सरकार की नाकामियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के साथ मजबूती से जुड़ा रहा हूं। जनता की समस्याओं और विकास की मांगों पर उनके साथ लड़ा हूं। मैं अपनी दावेदारी पार्टी में कर चुका हूं और मुझे पूरा यकीन है कि मुझे एक बार फिर से पार्टी अवसर देगी।
राजपाल खरोला, युवा नेता कांग्रेस
मैं कांग्रेस का समर्पित कार्यकर्ता रहा हूं। पार्टी के हर कार्यक्रमों को मैंने पूरा किया है। विधायक के इन 15 सालों के भ्रष्टाचार में लिप्त कुशासन के
खिलाफ कांग्रेस पार्टी ओैर युवाओं को जोड़ने में मैंने कोई कमी नहीं की। कई नेता तो चुनाव देखते हुए बाहर निकल आते हैं, लेकिन हम तो कई वर्षों से जनता के साथ जुड़े रहे हैं। मैं जरूर कांग्रेस  टिकट के लिए दावेदारी कर रहा हूं।
जयेन्द्र रमोला, कांग्रेस नेता
कांग्रेस में न कोई मतभेद है और न ही गुटबाजी। मैं कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहा हूं, अगर मुझे टिकट मिलेगा तो मैं चुनाव लडूंगा। किसी अन्य को मिलता है तो दीप शर्मा कांग्रेस उम्मीदवार के साथ खड़ा रहेगा।
दीप शर्मा, कांग्रेस नेता
जी मैं जरूर चुनाव में उतरूंगा। मुझे नगर के कई सामाजिक संगठनों का आशीर्वाद है और वे चाहते हैं कि मैं इस बार विधानसभा का चुनाव लडूं। अगर जनता की मर्जी होगी तो मैं जरूर जीत हासिल करूंगा। भाजपा- कांग्रेस जैसे ताकतवर और साधन सम्पन्न राजनीतिक दलों के बीच हम कहीं नहीं हैं लेकिन हम जनता के दिलों में जरूर हैं।
रवि जैन, युवा नेता

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