‘जीता हूं मैं गैरों से, मगर अपनों से हारा हूं।
इसे किस्मत कहूं अपनी या किस्मत का ही मारा हूं’।
कुछ ऐसा ही आजकल उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोच रहे होंगे। उनकी इस सोच के पीछे एक कारण भी है। वह यह कि जब से हरीश रावत विधानसभा का चुनाव हारे हैं तब से उनके अपने ही उन पर सियासी वार करने पर लगे हैं। जबकि सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के नेता उनसे मिल रहे हैं। आशीर्वाद ले रहे हैं। हालांकि इसे शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है। लेकिन इसके राजनीतिक मायने भी ढूंढे जा रहे हैं। लोग भाजपा के हरदा प्रेम को लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं।
भाजपा का हरदा प्रेम आजकल सियासी चर्चा का विषय बना हुआ है कि भाजपा के नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से उनके आवास पर आकर क्यों मिल रहे हैं। यह पहली बार हुआ है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विपक्ष के बड़े नेता के घर पर गए। उनका आशीर्वाद लिया। उस समय हरीश रावत ही नहीं बल्कि कांग्रेस का हर नेता गदगद हो रहा था। गदगद इसलिए भी की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हरीश रावत के घर ऐसे समय पर गए हैं जब उनके अपने ही जो उनके कभी हनुमान कहे जाते थे, उन पर टिकट बेचने तक के गंभीर आरोप लगा रहे हैं।
ऐसे में भाजपा के नवनियुक्त मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि कई अन्य नेता भी उनके घर आकर हौसला अफजाई कर रहे हैं। 26 मार्च को सबसे पहले पुष्कर सिंह धामी हरीश रावत के ओल्ड मसूरी स्थित आवास पर मुलाकात करने पहुंचे। इसके बाद 28 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी और 29 मार्च को दो और विधायक शैला रानी रावत और सरिता आर्य पहंचीं। दोनों ही फिलहाल भाजपा के टिकट पर विधायक बनी हैं। यह दोनों कभी कांग्रेस में हुआ करती थी। विधानसभा के सत्र शुरू होने से पहले दोनों महिलाओं का रावत के घर जाना और इससे पहले ऋतु खंडूड़ी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का रावत के निवास पर आना सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। लोग इसे लेकर तरह-तरह की उपमा दे रहे हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रहे और चकराता से विधानसभा चुनाव जीते प्रीतम सिंह देहरादून में पार्टी के सभी हारे प्रत्याशियों से जाकर मिल रहे हैं। लेकिन उन्होंने एक बार भी हरीश रावत के घर जाकर उनसे मिलना उचित नहीं समझा है।