देहरादून। कोरोना संकट के चलते केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइड लाइन का पालन किये जाने के लिए पूरे देश में एक समान कायदे कानून लागू हैं। अगर गाइड लाइन के नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही की जाती है। लेकिन उत्तराखण्ड में सत्ताधारी पार्टी भाजपा के प्रदेश संगठन और सरकार में सहयोगी नेताओं के लिए केंद्र की गाइड लाइन के कोई मायने नहीं हैं। ऐसा लगता है कि उनके लिए इस गाइड लाइन का पालन करना जरूरी नहीं है, जबकि विपक्ष और आम आदमी के खिलाफ जरा सा भी नियमों का पालन न किया जाये तो मुकदमा दर्ज कर दिया जा रहा है। आज हालात यहां तक हो चले हैं कि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं पर थोक के भाव में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत दर्जनों मकदमे दर्ज हो चुके हैं। यही नहीं कांग्रेस के नेताओं पर गाइड लाइन का उल्लंघन करने पर उनको जबरन होम क्वांरटीन तक किया जा रहा है, लेकिन भाजपा के लोगों पर यह सब नियम लागू नहीं हो रहे हैं।
उत्तराखण्ड प्रदेश भाजपा प्रभारी श्याम जाजू के लिए प्रदेश सरकार ओैर प्रशासन के द्वारा कोरोना गाइड लाइन का पालन न करने में इस कदर छूट दी गई है कि होम क्वांरटीन होने के बावजूद श्याम जाजू बड़े आराम से देहरादून से हरिद्वार चंडीघाट के दक्षिणेश्वर काली मंदिर में अनुष्ठान करने चले जाते हैं। यहीं नहीं अनुष्ठान में न तो किसी तरह से सामाजिक दूरी के नियम का पालन किया गया और न ही मास्क लगाने की जरूरत समझी गई। हैरानी की बात यह हे कि जिला प्रशासन श्याम जाजू द्वारा गाइड लाइन का उल्लंघन करने पर कोई कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है।
श्याम जाजू का मामला भी बड़ा दिलचस्प है। कोरोना संक्रमण से प्रभावित तीसरे सबसे बड़े प्रदेश दिल्ली से श्याम जाजू देहरादून आते हैं। प्रदेश में कोरोना संकट के चलते कई पाबंदिया लगाई गई हैं जिसमें कोरोना संक्रमित प्रदेश या शहर से उत्तराखण्ड आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 14 दिन ओैर हवाई यात्रा से आने वाले यात्री को केवल 7 दिनों का होम क्वांरटीन नियम का पालन करना जरूरी है। श्याम जाजू हवाई यात्रा से देहरादनू आये तो नियमानुसार उनको 7 दिनों का होम क्वांरटीन होना जरूरी था, लेकिन श्याम जाजू भाजपा के प्रदेश प्रभारी होने के चलते इस नियम का पालन करने में अपना अपमान समझते रहे।
श्याम जाजू के होम क्वांरटीन के मामले में स्वंय मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के द्वारा उनको सलाह दी गई कि उनको एक सप्ताह के लिये होम क्वांरटीन होना चाहिये। इस पर श्याम जाजू के बारे में कहा जाता है कि उनके द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह का पालन किया गया औेर बताया गया कि श्याम जाजू 7 दिनों के लिये होम कवांरटीन में चले गये।
हैरानी तब हुई कि अगले ही दिन श्याम जाजू हरिद्वार के दक्षिणेश्वर काली मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान करने पहुंच जाते हैं। इस अनुष्ठान में उनके द्वारा गाइड लाइन का पालन न करने पर जब मीडिया ने पूछा तो श्याम जाजू का कहना था कि उनके द्वारा सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द कर दिये गये हैं और वे अपने व्यक्तिगत कार्यक्रम में ही हरिद्वार आये हैं।
ऐसा नहीं है कि प्रदेश में पहली बार भाजपा के नेताओं ने कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन किया हो। जब से देश में कोरोना महामारी फैली है तब से लेकर आज तक प्रदेश में अनेक बार भाजपा नेताओं ने नियमों की भारी अनदेखी की है। सार्वजनिक स्थानों में जनता से संवाद करना कार्यकर्ताओं की भीड़ में सोशल डेस्टेंस निमय का पालन नहीं करना और सार्वजनिक स्थानों या सरकारी बैठकों या कार्यकर्ताओं के साथ की गई बैठकों में मास्क नहीं लगाना भाजपा के नेताओ के लिये एक आम बात बन चुकी है।
हैरानी की बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी के दो गज की दूरी और फेस मास्क लगाकर कोरोना से बचान की अपील तक को भाजपा के नेताओं ने शायद ही कभी गंभीरता से लिया होगा। स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत कोरोना संकट के शुरूआती दौर में एक बिल्डर के कार्यक्रम में उद्घाटन के लिये जा पहुंचे और वहां जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमां की भारी अनदेखी देखी गई वह भी अपने आप यह साफ करता हे कि प्रदेश में सरकार और बड़े लोगों के लिये नियमों का पालन होना न होना कोई बड़ी बात नहीं है।
इसी तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता के अंतिम संस्कार में भी प्रदेश सरकार के कई नुंमाइदे और भाजपा के नेता शामिल हुये जबकि इसके लिये भी सीमित संख्या होने और शोसल डिस्टेंसिंग नियम का पालन होना जरूरी कर दिया गया था। बावजूद इसके अंतिम संस्कार में नियमों से कई गुना ज्यादा भीड़ हो गई थी।
कोरोना संकट से बचाव के लिये जारी गइड लाइन के उल्लंघन का सबसे बड़ा मामला भी प्रदेश भाजपा कार्यालय में देखने को मिल चुका है। भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी के चलते देहरादून प्रदेश भाजपा कार्यालय को केटेनमेंट घेषित कर दिया गया था बकायदा इसके लिये कार्यलय के बाहर एक पर्चा तक चिपका दिया गया था। लेकिन भाजपा के नेता और कर्यकर्ता लगातार प्रदेश कार्यालय में सामान्य तरह से आते- जाते रहे। केवल नाम के लिये ही कंटेनमेंट बनाया गया था, जबकि हकीकत में इसका पालन नहीं किया गया।
केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के अपने व्यक्तिगत आवास में कोरोना पॉजिटिव मिलने पर उक्त आवास को सील कर दिया गया लेकिन सतपाल महाराज अपने पूरे परिवार के साथ सरकारी आवास में शिप्ट हो गये। जबकि सतपाल महाराज के आवास में दिल्ली आदि प्रदेश से कई लोग आते जा रहे लेकिन सतपाल महाराज जो कि स्वयं प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, पर करोना संकट के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप तक लगे। यहां तक कि सतपाल महाराज सचिवालय में केबिनैट बैठक में भी शामिल हुए। जबकि उनकी कोरेना जांच की रिपार्ट तक नहीं आई थी। जांच में सतपाल महाराज और उनका परिवार कोरोना पॉजिटिव पाया गया साथ ही कई लोग भी करोना से संक्रमित पाये गये। सतपाल महाराज के एक कर्मचारी जो की उनकी नर्सरी में कार्यकरता था उसकी मौत भी कोरोना के उपचार से स्वस्थ होने के बाद हो गई थी। राज्य मंत्री धनसिंह रावत पर भी बैठकों में मास्क न पहनने का आरोप भी कई बार लगा चुका है।
भाजपा सगठन के नेताओं और स्वयं उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत पर भी कई बार कोरोना गाइड लाइन के उल्लंघन का आरोप लगता रहा है। कार्यकर्ताओं की बैठक और आम जनता की भीड़ में सीधे संवाद करने का आरोप भी भगत पर कई बार लग चुका है।
प्रदेश भाजपा कार्यलय में एक बार फिर से कोरोना से बचाव के लिये अपनाये जाने वाले नियमों की धज्जियां जमकर उड़ाई गई । 12 जुलाई को रुडकी नगर निगम के मेयर गौरव गोयल के साथ 12 निर्दलीय पार्षदां के भाजपा में शामिल होने पर देहरादून स्थित प्रदेश भाजपा कार्यलय में भाजपा के द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। परंतु इस कार्यक्रम में नियमों का पालन नहीं किया गया। जबकि इस कार्यक्रम मे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और संगठन के कई बडे़ नेता और सरकार में शामिल कई बड़े पदाधिकारी भी मौजूद थे। लेकिन इस कार्यक्रम में जमकर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई और मास्क तक हटा कर फोटो सेशन तक किया गया। हैरानी की बात यह हे कि भजापा के बड़े नेताओं के द्वारा कार्यकर्ताओं को इसके लिये बार- बार अपील तक की गई, लेकिन इसका कोई प्रभाव न तो नेताओं पर पड़ा और न ही कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं की बातें सुनी।
इस तरह से नियमों की अनदेखी और गाइड लाइन का उल्लंघन करने से शायद भाजपा के नेताओं का मानना हे कि भाजपा औेर उनके कार्यकर्ता के साथ ही संगठन के नेता कोरोना महामारी से पूरी तरह से मुक्त हैं। एक तरह से भाजपा कोरोना प्रूफ हो चुकी है और कोरोना केवल आम आदमी या फिर विपक्ष के नेताओं को ही हो सकता है। सत्ता में काबिज भाजपा की सरकार और संगठन को कोरोना छू भी नहीं सकता।
एक तरफ भाजपा नेता कोरोना की गाइड लाइन का उल्लंघन कर रहे हैं वहीं विपक्षी कांग्रेस के नेताओं पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह औेर कई बड़े नेताओं के खिलाफ प्रशासन द्वारा मुकदमे दर्ज कर दिये गये हैं। यहां तक कि कोरोना संकट के शुरूआती दौर में ही जब प्रदेश में महज दो ही आईएएस अधिकारियों के कोरोना मामले सामने आये थे तब कांग्रेसी नेता सूर्यकांत धस्माना कोरोना बार्ड में जानकारी लेने पहुंच गये थे, लेकिन प्रशासन के द्वारा उनको महज वार्ड में जाने पर ही एक माह के होम क्वांरटीन की सजा कर दी गई। पूरे एक माह तक धस्माना अपने ही घर में एक तरह से कैद होकर रह गये।
बात अपने-अपने
भाजपा और भाजपा सरकार एक षड्यंत्र के तहत कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम में मुकदमे दर्ज करवा रही है। लेकिन भाजपा नेताओं के लिये कोई नियम का पालन करना जरूरी नहीं है। भाजपा के नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस कोरोना मित्र है, जबकि भाजपा इस कदर कोरोना के नियमों को तोड़ रहे हैं जैसे कि कोरोना उनका दोस्त हो और उनका दोस्त हो और उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। स्वंय मख्यमंत्री के सामने ही प्रदेश भाजपा कार्यलय में जिस तरह से सभी नियमो को तोड़ा गया यह बताने के लिये बहुत बड़ा प्रमाण है कि भाजपा के लिये कोई नियम इस प्रदेश में नहीं है। नियम और कायदे तो सिर्फ आम आदमी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिये बनाये गये हैं।
आर पी रतूड़ी, पूर्व प्रवक्ता कांग्रेस उत्तराखण्ड