[gtranslate]
Uttarakhand

भारी अंतर्कलह से जूझ रहे हैं भाजपा-कांग्रेस

कभी नारायण दत्त तिवारी को जीतकर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवा चुकी काशीपुर विधानसभा सीट पर इस बार का मुकाबला खासा रोमांचकारी होना तय है। पिछले 20 बरस से यहां के विधायक रहे अकाली दल के नेता हरभजन सिंह चीमा इस बार अट्टिाक उम्र के चलते मैदान में नहीं उतरने जा रहे। वे अपने पुत्र को टिकट दिलाने की पैरवी कर जरूर रहे हैं लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता बलराज पासी उनकी राह रोके हुए हैं। विकास के नाम पर काशीपुर के विट्टाायक चीमा का रिकॉर्ड निराशाजनक रहा है जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत के साथ यहां मैदान में है

एक समय काशीपुर विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजर रहा करती थी। क्योंकि यहां से पंडित नारायण दत्त तिवारी चुनाव लड़ा करते थे। तब यह सीट अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करती थी। काशीपुर वह सीट है, जिससे चुनाव जीतकर 1985 में नारायण दत्त तिवारी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। उनकी यह जीत इस सीट पर कांग्रेस की अब तक की अंतिम जीत साबित हुई। इसके बाद से आज तक कांग्रेस इस सीट पर एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है।

1974 से अब तक काशीपुर विधानसभा के चुनावों में मुकाबले रौचक होते रहे हैं। वर्ष 1974 में इस सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी ने बीकेडी के गनपत सिंह को हराया। तब तिवारी को 33384 मत मिले जबकि गनपत सिंह को मात्र 8576 मतों से संतोष करना पड़ा। इसके बाद 1977 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नारायण दत्त तिवारी ने जनता पार्टी के गोविंद सिंह को हराया। 1980 के चुनाव में कांग्रेस सत्येंद्र चन्द्र गुड़िया को यहां से टिकट दिया। उन्होंने जनता पार्टी के रविन्द्र प्रसाद को हराया। इसके बाद 1985 में कांग्रेस से एक बार फिर नारायण दत्त तिवारी मैदान में उतरे। तिवारी ने लोकदल के अनवर अहमद को भारी शिकस्त दी। 1987 के उपचुनाव में यहां बड़ा ही रोचक मुकाबला हुआ था। तब बाहुबली कहे जाने वाले अकबर अहमद डम्पी यहां से मैदान में उतरे तो कांग्रेस ने लखनऊ निवासी डॉ . अम्मार अहमद रिजवी को मैदान में उतार दिया। डम्पी ने 43213 वोट लेकर रिजवी को शिकस्त दी। इस चुनाव में रिजवी को 35062 मत मिले थे। 1989 में केसी सिंह बाबा पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे। तब उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया था। केसी सिंह बाबा ने कांग्रेस प्रत्याशी हरगोविंद प्रसाद को भारी शिकस्त दी। बाबा को इस चुनाव में 53386 मत जबकि हरगोविंद प्रसाद को 30400 मत मिले।

1991 में राम लहर के बीच हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राजीव कुमार अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारा। राजीव ने जनता दल के केसी सिंह बाबा को मात दी। 1993 में हुए चुनाव में राजीव ने पुनः केसी बाबा को चुनाव हराया। इस चुनाव में केसी सिंह बाबा कांग्रेस से मैदान में उतरे थे। 1996 में हुए चुनाव में केसी सिंह बाबा ने राजीव को हराकर यह सीट जीत ली। इस बार बाबा कांग्रेस से अलग हुई पार्टी तिवारी कांग्रेस से मैदान में उतरे थे। उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद इस सीट पर कभी कांग्रेस काबिज नहीं हो सकी। वर्ष 2002, 2007, 2012, 2017 में हुए चुनावों में यहां से लगातार भाजपा प्रत्याशी हरभजन सिंह चीमा विधायक हैं। वह अकाली दल के नेता हैं। लेकिन चुनाव भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के फूल पर ही लड़ते हैं। 2002 में हरभजन सिंह चीमा ने कांग्रेस के केसी सिंह बाबा को हराया। इसके बाद 2007 का चुनाव हुआ। जिसमें चीमा का मुकाबला समाजवादी पार्टी के मोहम्मद जुबेर से हुआ।

2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। 2012 में एक बार फिर भाजपा के टिकट पर चीमा की जीत हुई। 2017 के चुनाव में भी कांग्रेस के मनोज जोशी लड़े। तब चौथी बार लगातार चीमा की जीत हुई। अब 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर सबकी नजर है। कांग्रेस काशीपुर में हार को जीत में बदलने को आतुर दिख रही है। कांग्रेस से एक बार फिर मनोज जोशी का नाम चल रहा है। मनोज जोशी लगातार दो बार कांग्रेस के टिकट पर हार का स्वाद चख चुके हैं। हालांकि कांग्रेस में चर्चा यह भी है कि इस बार उन लोगों के टिकट कटेंगे जो लगातार दो बार हार चुके हैं। ऐसे में मनोज जोशी का तीसरी बार कांग्रेस से टिकट हो सकेगा या नहीं यह तो भविष्य तय करेगा। मनोज जोशी के अलावा कांग्रेस से मेयर पद का चुनाव लड़ चुकी मुक्ता सिंह पार्टी की प्रत्याशी हो सकती हैं। मेयर चुनाव में मुक्ता सिंह भाजपा की उषा चौधरी से 6000 वोटों से हारी थीं।

फिलहाल, कांग्रेस में वह भारी भरकम उम्मीदवार मानी जा रही है। जब से कांग्रेस की उत्तर प्रदेश महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी में 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देने की बात कही है तब से मुक्ता सिंह का नाम टिकट की दौड़ में प्रमुखता से आ गया है। इसके अलावा संदीप सहगल भी कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची में शामिल होने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हालांकि पिछले दिनों उनका एक ऑडियो वायरल हुआ था। जिसमें वह अपनी पार्टी की नेता मुक्ता सिंह को किसी भी कीमत में प्रत्याशी बर्दाश्त न करने की बात कहते नजर आए। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने उन्हें नोटिस थमा दिया है। एक सप्ताह के अंदर उन्हें जवाब देना है कि आखिर ऐसा विवादास्पद बयान उन्होंने क्यों दिया। जबकि इस मामले में संदीप सहगल का कहना है कि ऑडियो में वह नहीं है, बल्कि उनके नाम पर विपक्षी दल के नेताओं ने ऑडियो एडिट करके वायरल कर दी है।

वहीं आम आदमी पार्टी भी इस बार कांग्रेस-भाजपा को इस सीट पर शिकस्त देने की पूरी तैयारी कर रही है। आम आदमी पार्टी के टिकट पर दीपक बाली का चुनाव लड़ना तय है। दीपक बाली आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। वे उत्तराखण्ड में आम आदमी पार्टी के चुनाव कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। दीपक बाली को दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का करीबी बताया जाता है। लेकिन केजरीवाल से ज्यादा करीबी होने की चर्चाएं काशीपुर में यह है कि दीपक बाली उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री और गदरपुर के विधायक अरविंद पांडेय के करीबियों में हैं। इसके पीछे स्थानीय लोग कुंडेश्वरी चौकी कांड को याद दिलाते हैं। तब अरविंद पांडे के नेतृत्व में कुंडेश्वरी चौकी पर जनता और पुलिस के बीच खूब तनातनी हुई थी। यहां तक कि चौकी इंचार्ज की वर्दी तक फाड़ दी गई थी। इस मामले में अरविंद पांडे के साथ ही दीपक बाली भी नामजद किए गए थे। दीपक बाली को तब जेल भी जाना पड़ा था। इसके बाद ही दीपक बाली राजनीति में सक्रिय रूप से सामने आए थे। इससे पहले दीपक बाली को एक उद्योगपति के रूप में जाना जाता था।

पहले वह एक औद्योगिक समूह चलाते थे। उसे छोड़कर ही वह राजनीति की मुख्यधारा से जुड़े। दीपक बाली फिल्म निर्माता भी रहे हैं। आम आदमी पार्टी में जिस तरह से दीपक बाली को पद और कद के हिसाब से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है उससे यह संदेश गया है कि उत्तराखण्ड में वह आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं में शामिल हैं। भाजपा के टिकट पर लगातार चार बार जीत दर्ज करते आए हरभजन सिंह चीमा इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने अपनी तबीयत और उम्र का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लड़ने की बात कही है। लेकिन साथ ही उन्होंने अपने बेटे को राजनीति में आगे कर दिया है। पिछले दिनों जब हरभजन सिंह चीमा ने राजनीतिक सन्यास लिया तो उन्होंने अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा को मीडिया के सामने प्रस्तुत करते हुए कहा कि अब उनका बेटा उनके सपनों को आगे बढ़ाएगा।

मतलब साफ है कि इस बार हरभजन सिंह चीमा अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा पर दांव लगाने की तैयारी कर चुके हैं। लेकिन चीमा की इस तैयारी को पूर्व सांसद बलराज पासी पलीता लगाते हुए दिख रहे हैं। जिस तरह से बलराज पासी काशीपुर में सक्रिय हैं उससे चर्चा है कि भाजपा इस बार बलराज पासी को यहां से उम्मीदवार बना सकती है। बलराज पासी 1992 में हुए आम चुनाव समय चर्चा में आए थे। तब उन्होंने प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार नारायण दत्त तिवारी को नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय सीट से हरा दिया था। बलराज पासी इस जीत के बाद भाजपा का ब्रांड चेहरा बन गए थे। लेकिन इसके बाद वह राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं दिखाई दिए। 2019 में जब भगत सिंह कोश्यारी का नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से टिकट कटा तो पासी ने अपनी दमदार दावेदारी की। लेकिन भाजपा ने पासी को दरकिनार करके रानीखेत के पूर्व विधायक, कैबिनेट मंत्री रहे अजय भट्ट को टिकट दे दिया।

अजय भट्ट रानीखेत में जहां विधानसभा चुनाव हार चुके थे वहीं वह नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से संसदीय चुनाव जीत गए। बताया जाता है कि इस दौरान बलराज पासी को भाजपा ने बामुश्किल मनाया था। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जब पासी के बजाय अजय भट्ट को इस सीट से टिकट दिया तो 2022 में पासी को काशीपुर से विधानसभा चुनाव लड़ाने का वादा किया था। शायद यही वजह है कि अब पासी काशीपुर में पार्टी के टिकट पर मजबूती से दावेदारी कर रहे हैं। उनकी इस दावेदारी को गदरपुर के विधायक और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। पासी के साथ प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे काशीपुर के लोगों के बीच जा रहे हैं। दूसरी तरफ चर्चा यह है कि काशीपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए संघ परिवार ने पासी को हरी झंडी दे दी है।

काशीपुर की मेयर उषा चौधरी भी पार्टी की प्रबल दावेदारों में शामिल है। इसके अलावा भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे राम मेहरोत्रा भी टिकट पाने वालों की सूची में शामिल है। मेहरोत्रा फिलहाल प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य है तथा यह उत्तराखण्ड को-आपरेटिव यूनियन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। भाजपा के प्रदेश मंत्री आशीष गुप्ता तथा प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी खिलेंद्र सिंह भी टिकट दावेदारों की सूची में शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व विधायक राजीव अग्रवाल, गुरविंदर सिंह चंडोक तथा सीमा चौहान आदि कई नेता दावेदारी कर रहे हैं। उधर, यह भी चर्चा है कि भाजपा इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को काशीपुर से भी चुनाव मैदान में उतार सकती है। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की बात करें तो इस बात को लेकर काशीपुर में पार्टी का आंतरिक सर्वे भी चल रहा है। जिसमें यह देखा जा रहा है कि अगर पुष्कर सिंह धामी को यहां से टिकट मिलता है तो क्या स्थिति रहेगी तथा भाजपा के नेता कितना समर्थन या भितरघात कर सकते हैं।
समाजवादी पार्टी ने यहां से बलविंदर सिंह को टिकट दे दिया है। बलविंदर सिंह की छवि एक किसान नेता की मानी जाती है।

जबकि बहुजन समाज पार्टी ने यहां से अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बहुजन समाज पार्टी में विधानसभा प्रत्याशी के सबसे प्रबल दावेदार नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन रहे शमसुद्दीन हैं। इसके अलावा पूर्व में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके अशरफ एडवोकेट भी टिकट मांग रहे हैं। अब देखना यह होगा कि काशीपुर की जनता किसको 2022 में इस सीट से विधानसभा भेजती है।
काशीपुर में विकास की बात करें तो पिछले दो दशक से यहां विकास कार्य जहां के तहां हैं। काशीपुर निवासी राम मेहर सिंह कहते हैं कि ‘पिछले 20 सालों में हमारे विधानसभा क्षेत्र की जनता के साथ छल हुआ है। यहां के जनप्रतिनिधि ऐसा बड़ा काम नहीं कर पाए जिससे काशीपुर विकसित या विकासशील शहरों में शामिल हो सके।

वह कहते हैं कि पिछले 4 साल से शहर के बीचोबीच बनने वाला एक फ्लाईओवर तक विधायक हरभजन सिंह चीमा नहीं बनवा सके। जबकि इसकी आरओबी भी जारी हो चुकी थी। इसके अलावा शहर की यातायात व्यवस्था और यहां होने वाला जलभराव सबसे बड़ी समस्या है। शहर का सौंदर्यीकरण नहीं हुआ। जिससे लगता ही नहीं कि हम शहर में रह रहे हैं। आज शहर के हालात ऐसे हैं जैसे किसी दूरदराज के विकास से कोसों दूर शहर का हाल होता है। शहर के विकास के लिए सडके महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन यहां सड़के नहीं बनी। काशीपुर जिला न बन पाना भी इस शहर के लोगों का सबसे बड़ा दुर्भाग्य रहा है। स्थानीय विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कभी भी काशीपुर को जिला बनाने की पुरजोर पैरवी नहीं की।’

फिलहाल में बसपा का प्रदेश सचिव हूं। मेरे विधानसभा चुनाव लड़ने की बात चल रही है। लेकिन मेरे अलावा और भी कई लोग हैं जो इस लाइन में हैं। उनमें अशरफ एडवोकेट प्रमुख हैं, जिन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था। पार्टी का जो भी फैसला होगा वह हमें मंजूर होगा। वर्ष 2008-13 तक मैं काशीपुर का नगर पालिका चेयरमैन रहा हूं। तब मैंने कई विकास कार्य कराए जिसके लिए आज भी लोग हमारे कार्यकाल को याद करते हैं।
समसुद्दीन, पूर्व नगर पालिका चेयरमैन, काशीपुर

 

कांग्रेस पार्टी में जो भी नियम और शर्तें होंगे हम उसका स्वागत करेंगे। चाहे वह दो बार हार कर आगे से ना टिकट मिलने वाली बात हो या कोई और अन्य नियम। नियम सब पर लागू होंगे मुझ अकेले पर नहीं। जब कोई आईएएस का एग्जाम देता है तो पहले ग्रेजुएशन करता है। मैं भी चाहता हूं कि पार्टी में नए लोगों को आगे आना चाहिए। लेकिन मैं पार्टी के लिए सबसे ज्यादा मेहनत करता रहा हूं। जन संघर्ष करता रहा हूं। गांवों में संपर्क करता रहा हूं तथा ईमानदारी से पार्टी की नीतियों को आगे बढ़ाता रहा हूं। मैं उस फौज की तरह हूं जो हर वक्त लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहती है। अगर मुझे मेरी पार्टी एक बार फिर मौका देगी तो मैं जनता के बीच जाऊंगा।
मनोज जोशी, कांग्रेस नेता

 

फिलहाल मैं काशीपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूं। पहली बार मैं 1991 से लेकर 1998 तक नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से सांसद रहा। मैंने 4 संसदीय चुनाव लड़े हैं। प्रदेश का महामंत्री तथा उपाध्यक्ष रहा हूं। जब राज्य बना तो मैं उत्तराखण्ड युवा मोर्चा का सबसे पहला अध्यक्ष बना था। विधायक हरभजन सिंह चीमा अपने बेटे की पॉलिटिक्स में एंट्री कराकर उसे चुनाव लड़ाने की महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं। वह एक नॉन पॉलिटिकल आदमी हं। उनको जनता के ऊपर जबरदस्ती थोपना ठीक नहीं है। जनता के बीच जाकर ही चुनाव लड़ा जाता है, न कि किसी फैक्ट्री में बैठकर। हम पिछले 30 सालों से सामाजिक सरोकारों में शामिल हैं, इसलिए काशीपुर सीट पर हमारा दावा है। अगर कोई यह कह रहा है कि मंत्री अरविंद पांडे काशीपुर में हमारी सहायता कर रहे हैं तो यह गलत नहीं है। मंत्री जी से हमारी निकटता है। दूसरी बात कि वह पार्टी के नेता हैं।
बलराज पासी, पूर्व सांसद

मैंने 19 अक्टूबर 2020 को आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी। मैं राज्य आंदोलनकारी रहा। 17 दिन तक जेल में रहा। मैं मानता हूं कि मेरे उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे से करीबी संबंध रहे हैं। हम सब लोग एक प्रदेश में रहते हैं हमारे सब से संबंध हैं। मेरे संबंध विधायक हरभजन सिंह चीमा से भी है तो पूर्व में विधायक रहे स्व. सतेंद्र गुड़िया से भी रहे हैं। लेकिन कुछ लोग इसे राजनीतिक रूप दे रहे हैं। मैं यह भी कबूल करता हूं कि कुंडेश्वरी चौकी कांड में मुझ पर अरविंद पांडे के साथ मामला दर्ज हुआ था तथा इस मामले में मैं 2 दिन जेल में भी रहा। कुंडेश्वरी चौकी का इंचार्ज लोगों को परेशान करता था जिसका हम ने विरोध किया था। इस प्रदेश को अब तक बीजेपी और कांग्रेस मिलकर मूर्ख बनाते आए हैं। भाजपा में कांग्रेस के नेता मंत्री बने बैठे हैं। जनता इन दोनों से ही परेशान है। अब यहां का चुनाव जाति धर्म से ऊपर उठकर होगा। पहले सिद्ध करना होगा कि हम जनता के हित में काम करते हैं या नहीं। हमने इस मामले में दो उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। पहला यह कि मेन बाजार में इंदिरा गांधी नामक सरकारी स्कूल को गोद लिया है और उसका कायाकल्प किया है। पहले उस में 47 बच्चे थे, लेकिन अब ढाई सौ बच्चे हैं। मैंने इस स्कूल का माहौल बदल दिया है। इसके अलावा पिछले दिनों आए कोरोना काल में महामारी में हमने एलटी भट्ट सरकारी चिकित्सालय को 25 वार्ड में कन्वर्ट किया। यहां डॉक्टर नहीं थे। डॉक्टर रखें। टेक्नीशियन नहीं थे तो टेक्नीशियन रखे। इसके अलावा ऑक्सीजन को सुचारू कराया। इस तरह हमने 2 महीने तक इस हॉस्पिटल को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए चलाकर लोगों की सेवा की। इसके अलावा मेन चौराहे पर एनएच पर नाला बना हुआ है। वहां लोग गिर रहे थे। उस नाले को हमने कवर कराया। अपना ठेकेदार ले जाकर निर्माण कार्य कराया। बावजूद इसके एनएच ने हमें मुकदमे की धमकी दे डाली और नोटिस दे दिया। हमसे कहा गया कि आप ने अतिक्रमण कर लिया। अगर जनता के हित के लिए मुझे ऐसा कोई अतिक्रमण करना पड़े तो मैं बार-बार करूंगा।
दीपक बाली, अध्यक्ष चुनाव कैंपेन कमेटी आम आदमी पार्टी, उत्तराखण्ड

हमारी पार्टी के कुछ नेता ऐसे हैं जो हर विधानसभा चुनाव में एक विधानसभा में जाकर चुनाव लड़ने का दावा करते हैं। पहले भी वह नेता किच्छा में विधानसभा चुनाव लड़ने का दावा कर चुके हैं। यही नहीं बल्कि वह तो हर विधानसभा में घर भी ले लेते हैं। पिछले दिनों लोकसभा के चुनाव हुए थे तो उसमें भी वह हल्द्वानी में घर लेकर रहने लगे थे। काशीपुर का एक बड़ा मुद्दा यह भी है कि यहां बाहरी प्रत्याशी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके अलावा हमारी पार्टी में कोई पैराशूट प्रत्याशी नहीं आएगा। अगर आता भी है तो जनता उसको बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। हमारी पार्टी के विधायक हरभजन सिंह चीमा ने काशीपुर पर 20 साल विधायकी की। इस दौरान उनकी पार्टी अकाली दल रही लेकिन वह कमल के फूल पर चुनाव लड़ते रहे। अब उन्हें अपने पुत्र को चुनाव लड़ाने की चिंता है। वर्तमान में मेयर ऊषा चौधरी को टिकट का इश्यू नहीं बनाना चाहिए। मेरी अगर भाजपा में राजनीति की बात करें तो मैं 1977 में विद्यार्थी परिषद से जुड़ गया था और 1980 से मैं रेगुलर भाजपा के कार्यक्रमों से जुड़ा रहा हूं। तब हमारा प्रदेश उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। तब हमने काशीपुर में भाजपा का झंडा उठा लिया था, आज भी इसी झंडे के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे हैं। भाजपा से हमारा बचपन का रिश्ता रहा है। जब हम छोटे थे तभी काशीपुर में हमारे घर से संघ का कार्यालय चलता था। कुछ लोगों ने राजनीति को व्यापार बना लिया है। लेकिन हमारी सोच कभी ऐसी नहीं रही। कुछ लोग ऐसे भी हैं कि अगर उन्हें पार्टी टिकट नहीं देती है तो वह पार्टी को छोड़कर चले जाएंगे। लेकिन हम ऐसे नहीं हैं। हमें पार्टी टिकट दे या ना दे, हम पार्टी का साथ नहीं छोड़ सकते।
राम मेहरोत्रा, भाजपा नेता

2018 में मैंने मेयर का चुनाव लड़ा जिसमें मुझे 40,000 वोट मिले थे। मेयर चुनाव में भाजपा ने काउंटिंग में गड़बड़ी कराई थी जिससे मेरी हार हुई। नहीं तो मेरी जीत निश्चित थी। कांग्रेस से मेरी दावेदारी फिलहाल मजबूत है और यह भी बता दूं कि कांग्रेस काशीपुर से इस बार दो सौ परसेंट जीत रही है। आपको ऐसे लोगों से सवाल पूछना चाहिए जो महिलाओं के लिए अनर्गल बातें करते हैं और फिर ऑडियो-वीडियो वायरल करा देते हैं। महिलाओं के प्रति ऐसी दुर्भावना रखने वाले चाहे कोई भी हो वह जनता के हिमायती नहीं हो सकते। हम हर हाल में पार्टी के साथ हैं। यही नहीं बल्कि पार्टी किसी को भी टिकट देगी तो उसको ही चुनाव लड़ाएंगे। नगर निगम की मेयर के खिलाफ हम आए दिन धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं। काशीपुर नगर निगम ही एक ऐसा नगर निगम है जो पूरे प्रदेश में दो परसेंट दाखिल खारिज का एक्स्ट्रा पैसा लेता है। इसके खिलाफ हमने अपनी आवाज उठाई है।
मुक्ता सिंह, कांग्रेस नेता

मेरे बेटे त्रिलोक सिंह विधायक कार्यकाल के दौरान मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते रहे। 20 साल की सामाजिक गतिविधियों में वह सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। फिलहाल मैं तबीयत खराब रहने और उम्र का तकाजा होने की वजह से राजनीति से दूर हो रहा हूं। मेरा बेटा त्रिलोक सिंह भाजपा का सदस्य बन चुका है। बेटे ने पिछले दिनों बीजेपी भी ज्वाइन कर ली है। फिलहाल आने वाले दिनों में वही अब राजनीति का सितारा बनेगा। मैं चाहता हूं कि 2022 में मेरे बेटे को विधानसभा का टिकट मिले और वह मेरी तरह विधायक बनकर जन सेवा करें।
हरभजन सिंह चीमा, विधायक, काशीपुर

 

लोकतंत्र में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का सबका अधिकार है। मुझे भी इसका अधिकार है। मैं भी चुनाव लड़ सकती हूं। मैं पिछले 20 साल से काशीपुर की राजनीति में सक्रिय हूं। मैं चुनाव लड़कर काशीपुर की मेयर बनी हूं। जनता ने मुझ में कुछ विशेषता देखी होगी तभी मुझे काशीपुर का मेयर बनाया गया। मैं पार्टी की कैंडिडेट बन कर आगे भी जनमानस की सेवा करना चाहती हूं।
ऊषा चौधरी, मेयर, काशीपुर

 

 

भाजपा से लंबे समय से जुड़ा हुआ हूं। हर वर्ग और हर समाज से जुड़ाव रखता हूं। मुझे अगर पार्टी टिकट देती है तो मैं अवश्य जीत कर आऊंगा। मैं दो बार पार्टी का प्रदेश कोषाध्यक्ष रहा हूं। प्रदेश में जिला कार्यालय निर्माण समिति का प्रदेश संयोजक रहा हूं। प्रदेश में जिला कार्यालय बनाने में हमने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा लघु उद्योग प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष और अब प्रदेश में मंत्री हूं। मैं एक पढ़ा-लिखा उम्मीदवार हूं। मैंने इंजीनियरिंग की है। बीटेक और एमटेक किया है। पार्टी को मुझ जैसे पढ़े लिखे व्यक्ति को चुनाव लड़ने में वरीयता देनी चाहिए।
आशीष गुप्ता, भाजपा नेता

 

जब मैं इंटर क्लास में पढ़ता था तब से भाजपा की राजनीति कर रहा हूं। सबसे पहले मैं युवा मोर्चा का मंडल अध्यक्ष बना। उसके बाद मंडल अध्यक्ष बना, फिर जिले का मंत्री और बाद में ओबीसी मोर्चा का जिलाध्यक्ष बनाया गया। मुझे दो बार भाजपा का जिला अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त है। मुझे पार्टी ने सदस्यता प्रमुख बनाया। फिलहाल में प्रदेश उपाध्यक्ष हूं। पिछले 10 सालों से मैं लगातार कैंपेन चला रहा हूं। मैं बड़ी मीटिंग नहीं करता, रोज 8-10 परिवारों में जाकर बैठता हूं, उनकी समस्याएं सुनता हूं और उनका समाधान कराता हूं। बलराज पासी एक बाहरी नेता हैं। उनके साथ संगठन नहीं है। संगठन मेरे साथ है। रही बात उषा चौधरी की, उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है। मेरी कम्युनिटी के सात हजार वोट यहां पर है। वह मेरे अलावा किसी दूसरे को नहीं मिल पाएगा।
खिलेंद्र चौधरी, प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा

 

You may also like

MERA DDDD DDD DD