उत्तराखण्ड सरकार की गौ भक्ति बड़ी ही हास्यास्पद है। एक ओर सरकार गौ सेवा के नाम पर जमकर सरकारी खजाने से अनुदान की बंदरबांट कर रही है, तो दूसरी ओर बगैर किसी सरकारी सहायता के निराश्रित और बीमार गायों की सेवा करने वाले गौधामों को ध्वस्त कर कर देती है। यही नहीं गौधाम संचालकों का मनोबल तोड़ने के लिए ध्वस्तीकरण में आये खर्च को वसूलने के लिए कानूनी कार्यवाही भी कर रही है। जबकि राज्य सरकार ओैर खास तौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत गौ सेवा के नाम पर अपनी पहचान बनाने के लिए तमाम तरह की घोषणाएं कर चुके हैं जो आज तक पूरी ही नहीं हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल में राज्य की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने प्रदेश में 27 गौ सदनों को सरकार की ओर से अनुदान के तौर पर दो करोड़ रुपए में चैक बांटे। सरकार द्वारा कहा जा रहा है कि यह सब गौधाम प्रदेश में निराश्रित और बीमार गायों की सेवा करते रहे हैं। इनके प्रोत्साहन के लिए सरकार प्रति वर्ष अनुदान दे रही है। हैरत की बात यह है कि यही गौ भक्त राज्य सरकार और पशुपालन विभाग ऋषिकेश के एक गौधाम को ध्वस्त कर देता है। यही नहीं बिना किसी सरकारी मदद के 20 वर्षों से गौधाम का संचालन करने वाली संस्था ‘श्री गौ माता एवं सर्वजीव सेवा समिति’ को ध्वस्त करने में आये खर्च को बसूलने के लिए लाखों की प्रतिपूर्ति का नोटिस भी भेज दिया गया है। सरकार के इस दोहरे रवैये से प्रदेश के पशु प्रेमियों में खासा रोष देखने को मिल रहा है।
‘दि संडे पोस्ट’ ने ऋषिकेश में पिछले 20 वर्षों से बगैर किसी सरकारी सहायता से चलाए जा रहे गौधाम को ध्वस्त करने का समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसमें खुलासा किया गया था कि खुद को गौ सेवक के तौर पर प्रचारित करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के शासन में हाईकोर्ट के एक आदेश की आड़ में किस तरह एक साजिश के तहत गौधाम को ध्वस्त किया गया। ‘दि संडे पोस्ट’ ने इस बात की भी आशंका जताई थी कि गौधाम की भूमि को वेलनेस सेंटर की नीति के तहत किसी खास चहेते को दिये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
इस पूरे मामले में पशुपालन विभाग के ऋषिकेश स्थित पशुलोक प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में है। साथ ही पशुपालन मंत्री रेखा आर्य पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बताया जाता है कि समिति के द्वारा पशुपालन राज्य मंत्री रेखा आर्य को गौधाम से संबधित सभी दास्तावेज यहां तक कि कांग्रेस सरकार के समय में जारी शासनादेश, पशुलोक के द्वारा निराश्रित गौवंश के लिए चारे आदि की व्यवस्था तथा चिकित्सक की तैनाती के आदेश भी उपलब्ध कराए गए थे। उन्हें यह भी बताया गया कि राज्य की नाराण दत्त तिवारी के समय पशुलोक की अनुययोगी भूमि गौधाम के लिए दी गई थी। इसके बावजूद समिति की कोई सुनवाई नहीं की गई। समिति के संरक्षक डाॅक्टर दिनेश शर्मा के अनुसार पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने समिति की बात सुनने के बजाए अपने पति गिरधारी लाल साहू से इस बारे में बात करने को कहा। इससे साफ हो गया कि मंत्री जी हर हालत में गौधाम को ध्वस्त करना चाहती थीं और इसके लिए पशुलोक प्रशासन पर दबाब बनाया गया।
यह आरोप कहां तक सही है यह तो कहा नहीं जा सकता, लेकिनपशुलोक प्रशासन की भूमिका इस पूरे प्रकरण में की गई कार्यवाही से संदेह पैदा कर देती है। हास्यास्पद है कि पशुलोक प्रशासन ने आज जिस गौधाम को अवैध ठहराया है वह बीस साल तक उसके लिए वैध था। इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि श्री गौमाता एवं सर्वजीव सेवा समिति ऋषिकेश को गौधाम का संचालन करने के लिए पशुपालन विभाग ने न केवल अनुमति दी थी, बल्कि भूमि भी विभाग द्वारा दी गई थी। यहां तक कि बीमार और निराश्रित गौवंश के पशुओं की चिकित्सा सुश्रुवा के लिए पशुपालन विभाग के द्वारा एक नियमित चिकित्सक को भी तैनात किया गया था।
23 मई 2001 को केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केंद्र पशुलोक के तत्कालीन उपनिदेशक बीएम जोशी के द्वारा पशुलोक के सूकर विभाग श्यामपुर के चिकित्सा अधिकारी डाक्टर सुरजीत सिंह को गौधाम में रहने वाले गौ वंश के पशुओं की चिकित्सा सुश्रुवा के लिए तैनाती का आदेश जारी किया गया था। तैनाती आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि डाॅक्टर सुरजीत सिंह को विभागीय कार्य के अतिरिक्त गौधाम के पशुओं की भी चिकित्सा सेवा करनी होगी, लेकिन इसके लिए कोई अतिरिक्त वेतन या भत्ता नहीं दिया जायेगा।
इसके बाद नियमित तौर पर पशुलोक के चिकित्सकों के द्वारा समय-समय पर गौधाम में जा कर गौवंश के पशुओं की चिकित्सा सेवा की जाती रही है। इसका प्रमाण 4 अक्टूबर 2005 को तत्कालीन पशु चिकित्सक डाॅक्टर संजय चतुर्वेदी के द्वारा उप निदेशक पशुलोक को लिखे गए पत्र से स्पष्ट हो जाता है कि पशुलोक के द्वारा नियमित चिकित्सकों की सेवाएं गौधाम को दी जाती रही हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि वर्ष 2005 में राज्य में राज्य पशुकल्याण बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड में चिकित्सकों की भी तैनाती की गई थी। यह बोर्ड पशुलोक स्थित था। डाॅक्टर संजय चतुर्वेदी राज्य पशुकल्याण बोर्ड के तहत ही कार्यरत थे। एक तरह से राज्य पशुकल्याण बोर्ड पशुलोक पशुपालन विभाग के ऊपर एक कार्यकारी संस्था के तौर पर कार्यरत था। पिछले दिनों हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में ऋषिकेश के गौधाम को ध्वस्त तो कर दिया गया, लेकिन उसमें रहने वाली 57 गायों में से केवल 26 ही गाय पशुलोक में रखी गईं। बाकी कहां हैं, इसकी कोई जानकारी पशुलोक के पास नहीं है।
विधायक और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल गौधाम से हटाए गए गौवंश के पशुओं का निरीक्षण किया तो मामला सामने आया कि आधी गाय लापता हैं, जबकि पशुलोक प्रशासन का दावा था कि गौधाम को ध्वस्त करने के बाद सभी गायों को पशुलोक की डेयरी में रखा गया है। इसमें भी विरोधाभाष है। गौधाम संचालक समिति का कहना है कि गौधाम के ध्वस्त करते समय 70 गायें मौेजूद थी। लेकिन पशुलोक का कहना है कि उनको 59 गाय ही मिली। आज पशुलोक प्रशासन बता रहा है कि उनके पास महज 36 गायें ही मौजूद हैं और 23 गाये गंभीर बीमारी के चलते मर चुकी हैं
‘दि संडे पोस्ट’ ने ‘गौ सेवा का कड़वा सच’ समाचार लिखते समय गौधाम से हटाई गई गायों को पशुलोक के स्थल पर रखे जाने के फोटो लिए थे। उसमें दिसंबर-जनवरी के महीने की हाढ़ गलाने वाली कड़ाके की ठंड में गायों को खुले मैदान में पुख्ता प्रमाण पेश किए थे। आज 23 गायों के मारने की बात स्वयं पशुलोक प्रशासन मान रहा है, तो साफ है कि पशुलोक और पशुपालन विभाग की गंभीर लापरवाही के चलते गायों की मौतंे हुयी हैं। गौधाम संचालन कमेटी के सदस्य जेपी त्रिपाठी का कहना है कि गौधाम से 70 गायों को हटाया गया और 57 गायों को पशुलोक ने खुले मैदान में तारबाड़ के भीतर रखा था। 13 गायों को गौधाम से ले जाकर छोड़ दिया गया।
कड़ाके की ठंड में गायों को खुले मैदान में रखा गया जिससे गायों की मौत हुई हैं। जेपी त्रिपाठी का कहना है कि पशुलोक प्रशासन विधानसभा अध्यक्ष की फटकार के बाद झूठ कह रहा है कि 23 गायें मर चुकी हैं। आंशका जताई जा रही है कि पशुलोक प्रशासन के द्वारा जानबूझ कर 36 गायों को बाहर छोड़ दिया गया या भगा दिया गया है जिससे उनकी देखभाल न करनी पड़े। मामला सामने आने के बाद विभाग उनके मरने की बात कह रहा है। जेपी त्रिपाठी की बात काफी हद तक सच प्रतीत होती है, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष के निरीक्षण के दौरान पशुलोक प्रशासन 36 गायों के बारे में कुछ भी नहीं कह पा रहा था और अब 23 गायों के मरने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है।
बात अपनी-अपनी
गौधाम में पशुलोक के द्वारा टिन शैड बनाया गया है। यह टिन शैड हमने अपने पशुओं के लिए बनाया था। वह विभाग का था इसलिए तोड़ा नहीं गया है। समिति को हमने 15 लाख की प्रतिपूर्ति का नोटिस भेजा है। समिति ने अभी तक कोई जबाब नहीं दिया है। हमने गौधाम से 59 गायें ही प्राप्त की थी जिसमें से हमारे पास 36 गायें माजूद हैं। शेष गायें जो कि बहुत बीमार और दुर्घटना के कारण गंभीर हालत में थी, वे मर चुकी हैं। –राजेंद्र वर्मा, परियोजना निदेशक, केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केंद्र पशुलोक
पहले तो षड्यंत्र रचकर वर्षों से संचालित गौधाम ध्वस्त कर दिया गया और अब हमको 15 लाख का नोटिस भेजा गया है। हम कोर्ट में जा रहे हैं। पूर्व में हमारे पक्ष में आए फैसलों को न मानकर एकतरफा कार्यवाही से गौधाम ध्वस्त किया गया है। इसकी प्रतिपूर्ति हम पशुलोक और स्थानीय प्रशासन से वसूलने की मांग करने वाले हैं। हम सरकार से कोई अनुदान नहीं लेते हैं। पशुलेाक हमारे साथ सहयोग करता रहा है, लेकिन हमने आज तक सरकार से एक भी पैसा अनुदान में नहीं लिया है, जबकि सरकार दर्जनों गौ धामों को लाखों रुपये अनुदान दे रही है। –संजय शास्त्री, महासचिव, श्री गौमाता एवं सर्वजीव सेवा समिति
सरकार पूरी तरह से झूठ बोल रही है कि वह गौ सेवा के लिए काम कर रही है। आप देख रहे हैं कि किस तरह से पशुपालन राज्य मंत्री ने षड्यंत्र रचकर गौधाम को ध्वस्त किया है, क्योंकि गौधाम की भूमि में फाइव स्टार होटल बनाए जाने की चर्चा हमने सुनी है। इसीलिए ऐसा किया जा रहा है। हम सरकार और पशुलोक के सामने झुकने वाले नहीं हैं। हम इसके लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। इसीलिए हमें डराने के लिए 15 लाख का नोटिस भेजा गया है। –डाॅ दिनेश शर्मा, संरक्षक, श्री गौमाता एव सर्वजीव सेवा समिति