उत्तराखण्ड नवोदित राज्य में विकास के साथ साथ सभी क्षेत्रों में उनत्ति की संभावनाए बड़ी। पहाड़ी प्रदेश को अपने आप मे सक्षम कैसे किया जाय उसके तरीके अलग अलग सरकारों द्वारा अमल में लाये जाने लगे। एनडी तिवारी सरकार में उत्तराखण्ड में उद्योगों की बाढ़ आई जिससे एक हद तक रिवर्स पलायन होने लगा। उसी बीच बाहरी राज्यो में रह रहे प्रवासी उत्तराखण्डी अपना आशियाना देवभूमि के मुख्य शहरों में बनाने का सपना देखने लगा, शहर से आये शहर में बसने का सपना लेकर फिर भी पहाड़ के दर्द को महसूस नही कर पाए। जब उत्तराखण्ड के शहरों में रिवर्स हो रहे पहाड़ी मूल के वाशिन्दों ने प्लाट लेकर मकान बनाने शुरू किए तब देवभूमि में भूमाफियाओं की नींव पड़ी, प्रोपर्टी डीलर एक प्लाट के कई मालिक बना बैठे, सरकार ने इन जमीन माफियाओ पर रोकथाम के लिए एसआईटी तक गठित की ताकि प्रोपर्टी डीलर इनसे धोखा धड़ी न कर सकें अगर करते है तो जेल की सलाखों के पीछे जाने को तैयार रहे। अब क्या था प्रोपर्टी डीलर तो आदत से मजबूर थे उन्होंने शेड्यूल कास्ट की जमीनों को निशाना बना कर सस्ते मंदे मूल्यों पर गरीबो से जमीन खरीद कर खेल खेलने लगे, अब भूमाफियाओं ने अपने ही बीच शेड्यूल कास्ट मित्रों के नाम से जमीनें खरीदनी शुरू की और फिर सरकार से परमिशन लेकर बड़े डीलरों तक जमीन को परोसा जा रहा है।
इस पूरे मामले में गरीब जमीन स्वामी को सिर्फ मामूली पैसे देकर उसकी पुस्तैनी धरोहर छिनने का काम कर रहे भूमाफियाओं पर नैनीताल जिलाधिकारी सविन बंसल ने टेड़ी निगाह डाली तो विभाग में हड़कम्प मचना स्वभाविक था, फिर क्या था जिलाधिकारी महोदय ने जांच बैठा दी, जांच में सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कर साफ तौर पर कहा गया है कि क्या एससी जमीन बेचने के परमिशन लेने वाला व्यक्ति की सही में पुस्तैनी जमीन है या फिर खरीद फरोख्त कर रहा है। अगर कोई भी एक व्यक्ति के साथ साथ विभागीय अधिकारी भी संलिप्त नज़र आता है तो उसके खिलाफ जिलाधिकारी द्वारा सख़्त कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है।