भारतीय जनता पार्टी कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत को इस बार हल्द्वानी शिफ्ट कर सकती है, जबकि कांग्रेस के प्रकाश जोशी पहले ही चुनाव न लड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं। ऐसा यदि हुआ तो कालाढूंगी में इस बार का घमासान नए चेहरों के बीच होगा। देखना दिलचस्प होगा कि भगत की मौजूदगी में इस क्षेत्र से बढ़त बनाती रही भाजपा को कांग्रेस उनके मैदान में न रहने पर कितनी बड़ी चुनौती दे पाएगी। उक्रांद, आप, बसपा आदि पार्टियां भी क्षेत्र में सक्रिय हो चुकी हैं
उंत्तराखण्ड की सत्तर सदस्यीय विधानसभा में नैनीताल जिले से छह विधायक चुने जाते हैं। 1996 तक नैनीताल जिले में ऊधमसिंह नगर जनपद का संपूर्ण भाग आता था। 1996 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने नैनीताल को बांट कर उससे तराई क्षेत्र को अलग कर नए जनपद ऊधमसिंह नगर की स्थापना की थी। नैनीताल जनपद अब पर्वतीय क्षेत्र और मैदानी क्षेत्रों के मिले-जुले भौगोलिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है।
परिसीमन के बाद हल्द्वानी, लालकुआं, रामनगर विधानसभा सीट विशुद्ध रूप से मैदानी क्षेत्र हैं, जबकि नैनीताल और भीमताल विधानसभा क्षेत्र विशुद्ध पर्वतीय क्षेत्र में स्थित हैं। कालाढूंगी विधानसभा सीट का आधा भाग पर्वतीय है तथा शेष भाग मैदानी है।
2012 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई कालाढूंगी विधानसभा सीट पर कांग्रेस लगातार कमजोर रही है। इस कमजोरी का बड़ा कारण हर चुनाव में प्रत्याशी संग भीतरघात होना रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र को भारतीय जनता पार्टी या कहें वर्तमान कैबिनट मंत्री बंशीधर भगत का मजबूत गढ़ माना जाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही कांग्रेस, भाजपा, आप, बसपा, उत्तराखण्ड क्रांति दल सहित सभी राजनीतिक संगठनों के कार्यकर्ता कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में अपनी दावेदारी के लिए सक्रिय हो गये हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अंदर दावेदारों की मारामारी ज्यादा है। जहां तक भारतीय जनता पार्टी का प्रश्न है वहां दावेदारों की सूची ज्यादा लंबी है, लेकिन जब तक बंशीधर भगत मैदान में डटे हैं तो अन्य की दावेदारी पर वो ज्यादा भारी पड़ते हैं। कहा जाता है कि बंशीधर भगत का राजयोग उन्हें हर बार जिता देता है। इस बार भी वे कालाढूंगी से भाजपा के सशक्त दावेदार हैं। एक ग्राम प्रधान से अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले बंशीधर भगत ने प्रधान बनने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1991 से विधानसभा के लिए शुरू हुआ उनका सफर आज तक जारी है। उत्तराखण्ड राज्य बनने से पूर्व उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उन्होंने 1991, 1993 और 1996 में नैनीताल विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया। उत्तर प्रदेश में वे मंत्री भी रहे उत्तराखण्ड गठन के बाद वे अंतरिम सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालयों के कैबिनेट मंत्री बने। 2002 में वे हल्द्वानी से डॉ ़ इंदिरा हृदयेश से पराजित हुए। इस हार का बदला उन्होंने 2007 के चुनाव में कांग्रेस की कद्दावर नेता डॉ इंदिरा हृदयेश को भारी अंतर से पराजित कर लिया। 2012 में उन्होंने कालाढूंगी से राहुल गांधी के करीबी कहलाए जाने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी को साढ़े तीन हजार मतों से हराया, लेकिन उनकी इस जीत में कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़े महेश शर्मा का योगदान ज्यादा रहा जो बारह हजार मत बटोर ले गए जबकि भगत की जीत का अंतर महज साढ़े तीन हजार था। वर्तमान कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत की दावेदारी इस बार भी पुख्ता है, लेकिन किंतु- परंतु के मध्य कई अनिश्चय भी हैं जो पार्टी के अंदर उठ रहे हैं। सवाल है कि क्या भाजपा कालाढूंगी में भगत की चुनावी पारी को विराम देकर किसी नए चेहरे को आजमाएगी? चर्चा है कि निश्चित उम्र का हवाला देकर पार्टी उन्हें विराम देकर नया चेहरा उतार सकती है या फिर उन्हें हल्द्वानी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने का विकल्प दे सकती है। हालांकि ये राजनीतिक क्षेत्रों के महज कयास हैं। ऐसा नहीं है कि बंशीधर भगत के राजनीतिक विकल्प भाजपा के पास नहीं हैं या दावेदारों की कमी है, लेकिन बंशीधर भगत के राजनीतिक कद के चलते सब अपनी महत्वाकांक्षाओं को दबाए हैं। इस बार जिस नाम की सर्वाधिक चर्चा है वे हैं भाजपा के प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट जिन्हें विशेष रूप से हरियाणा से उत्तराखण्ड लाया गया है। वे हरियाणा में भाजपा के संगठन मंत्री थे। कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में छात्र संघ अध्यक्ष रहे सुरेश भट्ट ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। हरियाणा की खट्टर सरकार की जिस प्रकार दोबारा वापसी हुई उसे सुरेश भट्ट के सांगठनिक कौशल का परिणाम माना गया और शीर्ष नेतृत्व की नजर में उनका कद बढ़ा है। कमोवेश आज यही स्थिति उत्तराखण्ड में भी है। सुरेश भट्ट ने सल्ट विधानसभा चुनाव जिस नियोजित तरीके से लड़ाया और भाजपा प्रत्याशी महेश जीना की जीत का अंतर पांच हजार तक गया उससे सुरेश भट्ट की
सांगठनिक क्षमता सिद्ध हुई थी। अगर 2022 का विधानसभा चुनाव भाजपा के पक्ष में रहा तो सुरेश भट्ट मुख्यमंत्री पद की पसंद हो सकते हैं। भाजपा के प्रदेश प्रशिक्षण प्रमुख मनोज रावत भी इस बार अपनी पुख्ता दावेदारी के साथ भाजपा से टिकट की दौड़ में हैं। पार्टी कार्यों से इतर सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाले मनोज पाठक हमेशा क्षेत्र में जनता के बीच देखे जा सकते हैं। उन्होंने निजी तौर पर कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जन कल्याण समूहों के माध्यम से रोजगार खासकर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं जिनमें ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर साथ ही सिलाई, बुनाई मशीन वितरित कर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर करने का कार्य किया है। उनके ये केंद्र हर ग्रामसभा में कार्य कर रहे हैं। कोरोनाकाल में पूरे विधानसभा क्षेत्र में सेनिटाइजेशन का कार्य एवं लोगों को राशन उपलब्ध कराने तक उनकी सक्रिय भूमिका रही है। इस बीच एक नया नाम भाजपा में उभर कर आया है, वे हैं बंशीधर भगत के पुत्र विकास भगत। प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालते ही बंशीधर भगत ने उन्हें विधायक प्रतिनिधि नियुक्त कर अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। युवाओं में लोकप्रिय विकास भगत को पूरे विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय देखा जा सकता है। उनके साथ जुड़ी युवाओं की फौज ने कोरोनाकाल में सुदूर क्षेत्रों में काफी काम किया था। अगर बंशीधर भगत को अपने टिकट पर संशय लगा तो वे विकास भगत के लिए पार्टी का टिकट मांग सकते हैं। इसी प्रकार पार्टी के मीडिया प्रभारी रहे सुरेश तिवारी भी दावेदारों की सूची में शामिल हैं।

कांग्रेस पार्टी में इस बार नये समीकरण बने हैं। 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके महेश शर्मा आज प्रदेश महामंत्री हैं और कालाढूंगी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के मजबूत दावेदार हैं। 2012 और 2017 में कालाढूंगी से विधानसभा चुनाव लड़ चुके प्रकाश जोशी की फिलहाल चुनावी राजनीति से दूर रहने की घोषणा ने कई दावेदारों को सक्रिय कर दिया है। उनमें हल्द्वानी के ब्लॉक प्रमुख रह चुके एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी भोला दत्त भट्ट, कालाढूंगी नगर पंचायत के अध्यक्ष रह चुके दीप सती, संजय किरौला, भूपेंद्र भाई जी प्रमुख हैं। कालाढूंगी विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में महेश शर्मा कांग्रेस से सशक्त दावेदार थे, परंतु राहुल गांधी टीम के सदस्य और राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी अचानक एंट्री से पार्टी का टिकट पा गए। इससे नाराज होकर महेश शर्मा बगावत कर चुनाव लड़े और प्रकाश जोशी की हार का कारण बने। अगर कांग्रेस में बगावत नहीं होती तो यहां पार्टी की जीत सुनिश्चित थी। 2017 के चुनाव में 2012 की कहानी दोहराई गई। प्रकाश जोशी को कांग्रेस ने फिर प्रत्याशी बनाया। महेश शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़े। इस बार बाजी फिर बंशीधर भगत के हाथ लगी, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी की हार का अंतर बढ़कर बीस हजार से ज्यादा हो गया। महेश शर्मा ने भी अपने मतों की संख्या बढ़ाकर बीस हजार कर ली। महेश शर्मा की पत्नी कमलेश शर्मा नैनीताल जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं। प्रकाश जोशी की अप्रसन्नता के बावजूद इंदिरा हृदयेश ने उनकी कांग्रेस में पुनर्वापसी करवाई थी तथा प्रीतम टीम में वे प्रदेश महामंत्री बनाए गए थे। पिछले दो विधानसभा चुनावों में महेश शर्मा का प्रदर्शन उनकी दावेदारी मजबूत करता है। भले ही वेे निर्दलीय चुनाव लड़े हों। दूसरी ओर सवाल है कि प्रकाश जोशी और उनकी टीम महेश शर्मा की दावेदारी को कितना स्वीकार कर पाती है? हरीश रावत के करीबी हल्द्वानी के पूर्व प्रमुख रहे भोला दत्त भट्ट भी पूरे विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं और अपनी दावेदारी मजबूती से रखने जा रहे हैं। यहां पर देखना होगा कि कांग्रेस के दावेदार अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल कांग्रेस को मजबूत करने के लिए करते हैं या फिर पिछले इतिहास को दोहराने का प्रयास करते हैं। इस बार कांग्रेस के लिए राहत की बात यह भी है कि 2017 में बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े वरुण प्रताप सिंह भाकुनी अब कांग्रेस में हैं और प्रदेश किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं। आम आदमी पार्टी के संतोष कबड़वाल ने कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने बाकायदा अपना प्रचार भी शुरू कर दिया है। उक्रांद व बसपा के दावेदारों के नाम अभी सामने नहीं आए हैं।
कुल मिलाकर कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के दावेदारों में घमासान तय है और संभव है इन पार्टियों में नए चेहरे प्रत्याशी के रूप में देखने को मिलें।

महेश शर्मा, प्रदेश महामंत्री कांग्रेस
मैं चालीस वर्षों से कांग्रेस में सक्रिय हूं। मेरे पिता जी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं। कुमाऊं के सबसे बड़े विकासखण्ड हल्द्वानी का 2014 से 2019 तक
ब्लॉक प्रमुख रहा हूं। कांग्रेस के संगठन में लंबे समय तक कार्य किया है। कालाढूंगी विधानसभा सीट से मेरी दावेदारी निश्चित तौर पर है। पार्टी मुझे प्रत्याशी बताए या किसी और को भी आगामी विधानसभा में सब मिलकर कांग्रेस पार्टी की जीत के लिए काम करेंगे।

भोला दत्त भट्ट, पूर्व ब्लॉक प्रमुख हल्द्वानी

मनोज पाठक, भाजपा नेता

सुरेश भट्ट, प्रदेश महामंत्री भाजपा