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Uttarakhand

बदहाल सड़क ने खोली पोल

लोक निर्माण विभाग ने डुंगरीपंथ-छातीखाल- खेड़ाखाल मोटर मार्ग के सुधारीकरण और डामरीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च किये। लेकिन इस कार्य में भ्रष्टाचार की पोल दो माह बाद खुद ही खुल गई। डामरीकरण कई जगहों पर उखड़ गया है। पुस्ते धंस चुके हैं। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढ़े बन गए हैं। बदहाल सड़क हादसों को न्यौता दे रही है

उत्तराखण्ड लोक निर्माण विभाग और विवादों का गहरा रिश्ता माना जाता है। भ्रष्टाचार को लेकर तो यह विभाग अक्सर सुर्खियों में रहा है। अभी कुछ महीनों पहले सोशल मीडिया पर पौड़ी गढ़वाल जिले से संबंधित एक वीडियो वारयल हुआ था। वीडियो में लोनिवि के प्रांतीय खंड दुगड्डा के कांडी- रथुवाढाब-धुमाकोट मोटर मार्ग के एक हिस्से में घटिया निर्माण की जानकारी दी गई थी। यह वीडियो मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया। मुख्यमंत्री ने सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस की नीति के तहत तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मामले में दोनों इंजीनियरों को निलंबित कर उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई है। जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया था कि भ्रष्टाचार और लापरवाही को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार स्वच्छ, पारदर्शी एवं ईमानदार प्रशासन के लिए प्रतिबद्ध है। जिस स्तर पर भी कमी पाई जाएगी, वहां सख्त से सख्त एक्शन लिया जाएगा। लेकिन ऐसा ही एक और मामला भ्रष्टाचार का सामने आया है। गौरतलब है कि सरकारी धन का कैसे दुरुपयोग किया जाता है, इसकी बानगी श्रीनगर गढ़वाल से 10 किलोमीटर दूर डूंगरीपंथ- छातीखाल-खेड़ाखाल सड़क में देखने को मिली है।

सुधारीकरण के नाम पर डुंगरीपंथ-छातीखाल-खेड़ाखाल मोटर मार्ग पर लोक निर्माण विभाग श्रीनगर ने डामरीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च कर डाले। लेकिन मार्ग के सुधारीकरण की पोल दो माह के भीतर ही खुल गई है। मार्ग पर किया डामरीकरण कई स्थानों पर उखड़ गया है। साथ ही कई जगह सड़क बदहाल होने लगी है। पुस्ते धंसने से मार्ग खतरनाक हो गया है। जिससे इस सड़क पर सफर कर रहे लोगों के साथ कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। सात किमी लंबे डुंगरीपंथ-छातीखाल-खेड़ाखाल मोटर मार्ग पर लोनिवि ने हाल में एक करोड़ 32 लाखों रुपए की लागत से सुधारीकरण किया था। सड़क पर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए डामरीकरण किया गया है। सड़क पर मानकों के अनुसार डामर नहीं बिछाए जाने के कारण डामर उखड़ गया और जगह-जगह गड्ढे हो गए। लेकिन सड़क निर्माण और डामरीकरण में बरती गई अनियमितताओं के चलते दो माह में ही सड़क बदहाल होने लगी है। डामरीकरण कई स्थानों पर उखड़ने से सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। मार्ग कई जगह बदहाल हो गया है। पहाड़ी क्षेत्र के दुर्गम गांवों को सड़क से जोड़ने वाले मार्ग के पुस्ते जगह जगह धंस गए हैं। इससे मार्ग कई स्थानों पर टूटने के कगार पर है। कभी भी धंसे हुए पुस्ते टूटने से हादसों की आशंका बढ़ गई है।

लोगों का कहना है कि लंबी जद्दोजहद के बाद शासन से डामरीकरण के लिए बजट अवमुक्त हुआ। डामरीकरण से यातायात संचालन में सुविधा मिलने की उम्मीद थी लेकिन गुणवत्ताविहीन डामरीकरण से कुछ समय में ही सड़क की खस्ताहाल से लोगों की आशाओं पर पानी फिर गया है। अब तो कभी भी यहां पर कोई बड़ा हादसा हो सकता है। आप को बता दें कि भाजपा सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री डाॅ धन सिंह रावत ने दिसंबर 2016 में इसी सड़क के लिए लग्वालियों बगड़ में कांग्रेस सरकार को घेरते हुए कहा था कि इस डामरीकरण में पूरी तरह भ्रष्टाचार हुआ है और कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। लेकिन अब खुद भी इस विधानसभा क्षेत्र के विधायक और स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री भी हंै। अब देखना यह है कि क्षेत्रीय विधायक एवं राज्यमंत्री इन भ्रष्ट अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं। स्थानीय लोगों ने डामरीकरण के काम की जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि सरकारी धन का दुरुपयोग करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने सड़क पर दोबारा डामरीकरण की भी मांग की। कहा कि गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।

‘जय जवान, जय किसान’ के अध्यक्ष रविंद्र रावत ने कहा कि अगर इस सड़क कार्य को जल्दी नहीं किया गया तो क्षेत्र की जनता उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी। हालांकि लोनिवि के सहायक अभियंता मुकेश सकलानी ने कहा है कि डामरीकरण का कार्य मानकों के ही अनुसार हुआ है। यह रोड 9 टन में पास है, लेकिन डुंगरीपंथ और छातीखाल के बीच में एक क्रशर लगा है। जिसमें कि क्रशर में हर डंपर ओवर लोडिंग जाते हैं। उन डंपरों के चलने से ही सड़क की ये हालत हुई है। विभाग द्वारा उनको एक नोटिस भी दिया गया है, पर उनका कोई जवाब नहीं आया।

अब सवाल उठता है कि विभाग द्वारा इस सड़क पर ओवरलोडेड ट्रकों की आवाजाही को सड़क के क्षतिग्रस्त होने का कारण बताया जा रहा है तो क्या सड़क निर्माण के लिए करोड़ों रुपये मात्र सड़कों को शोपीस बनाए जाने के नाम पर बहाए जा रहे हैं। जब सड़कें एक बरसात भी नहीं झेल सकती विभाग द्वारा ओवरलोडेड ट्रकों को इस सड़क पर चलने पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई। और यह बताने में विभागीय अधिकारी असमर्थ हैं। वहीं सहायक अभियंता मुकेश सकलानी ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए यहां तक कह डाला कि खबर छपने के बाद ज्यादा से ज्यादा जांच ही की जाएगी उससे ज्यादा कुछ नहीं होगा। जवाबदेह अधिकारियों के इस तरह के बयान से तो यही लगता है कि उत्तराखण्ड में अधिकारी बेतहाशा बेलगाम हो चुके हैं और इस तरह के घटिया निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की सड़ांध साफ दिखाई देती है जिसका खामियाजा सिर्फ और सिर्फ जनता को ही भुगतना पड़ता है।

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