हरियाणा के महेंद्रगढ़ जनपद स्थित ग्राम सैद अलीपुर में जन्मे रामकिशन यादव उर्फ रामदेव और विवादों का चोली-दामन का साथ बना हुआ है। विवादों में रहना जैसे योग गुरु बाबा रामदेव का शगल बनता जा रहा है। नित नए विवादित बयान बाबा का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। जिसके चलते योग गुरु बाबा रामदेव अब ‘विवादों के बाबा’ बनकर रह गए हैं। बाबा रामदेव एवं उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को लेकर उनके गुरु स्वामी शंकरदेव की गुमशुदगी के साथ शुरू हुआ विवादों का अध्याय थमने का नाम नहीं ले रहा है। अपने शुरुआती दिनों में चाहे दिव्य योग ट्रस्ट के स्वामित्व वाली दिव्य योग फार्मेसी के कर्मचारियों का शोषण किए जाने का मामला हो या फिर फार्मेसी में निर्मित होने वाली औषधियों में वन्य जीवों के अंगों का प्रयोग किए जाने का आरोप, इस तरह के आरोपों से रामदेव अपनी ऊंची पहंुच होने के बावजूद पूरी तरह से किसी भी जांच में निर्दोष साबित नहीं हो सके हैं।
योगगुरु रामदेव ने एलोपैथिक डाॅक्टरों के खिलाफ बोलकर पहली बार विवाद खड़ा नहीं किया है, बल्कि अपने बड़बोलेपन के चलते वे पहले भी फंस चुके हैं। शंकराचार्य पर बयानबाजी कर उन्हें संत समाज से माफी तक मांगनी पड़ी। फर्जी पासपोर्ट मामले में उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को जेल जाना पड़ा। इस बीच बाबा के आचार्य गुरुकुलम् पर छत्तीसगढ़ की चार बच्चियों को बंधक बनाए जाने का गंभीर आरोप लगा है। इसके बावजूद बाबा बड़े दंभ से चुनौती दे रहे हैं कि उन्हें किसी के बाप गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं है
विवादों के बाबा बने रामदेव के गुरु शंकरदेव महाराज की रहस्यमयी गुमशुदगी आज भी रहस्य ही बनी हुई है। शुरुआती दिनों में बाबा रामदेव के दिव्ययोग ट्रस्ट में शामिल कई पदाधिकारी एवं सदस्य दिव्य योग ट्रस्ट के अन्तर्गत संचालित विभिन्न ईकाइयों में रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के परिवारजनों के बढ़ते वर्चस्व का आरोप लगाकर अपने आपको दिव्य योग ट्रस्ट से अलग कर चुके हैं। जिनमें मुख्य रूप से आचार्य कर्मवीर जैसे महायोगी संत सहित साधवी कमला माता जैसे नाम शामिल हैं। एलोपैथी चिकित्सकों के खिलाफ बयान देकर देश भर के चिकित्सकों के निशाने पर आए रामदेव का यह पहला विवादित बयान नहीं है। योग गुरु इससे पहले 2014 में राहुल गांधी पर यह बोलकर कि राहुल को लड़की नहीं मिल रही इसलिए उनकी शादी नहीं हो रही, अनावश्यक रूप से विवाद खड़ा किया। यही नहीं बाबा ने इससे आगे बयानबाजी करते हुए देशी-विदेशी लड़कियों के संबंध में बोलते हुए अनर्गल आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर टिप्पणी की थी। उस दौरान भी देश भर में कांग्रेस ने बाबा के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मुकदमे तक दर्ज कराए थे। बाबा यहीं नहीं रुके। बाबा ने तो आदिशंकराचार्य के दर्शन ब्रह्म सत्यम् जगत् मिथ्या तक को चुनौती देते हुए उसे लोगों को निकम्मा और काम चोर बनाने के लिए जिम्मेदार बताया। इससे देशभर में साधुओं ने बाबा के खिलाफ प्रदर्शन कर बाबा के पूतले फूंके। विरोध बढ़ता देख बाद में रामदेव को हरिद्वार में आयोजित संत सभा में इसके लिए लिखित माफी तक मांगनी पड़ी और आर्य समाजी होने के बावजूद बाबा को शंकराचार्य की मूर्ति पर जाकर मजबूरीवश ही सही माल्यार्पण तक करना पड़ा। यहीं नहीं बाबा के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को तो अपनी नागरिकता छिपाकर भारतीय पासपोर्ट हासिल करने के आरोप में सीबीआई द्वारा की गई जांच में जेल की हवा तक खानी पड़ी। इस दौरान बालकृष्ण पर दो-दो जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने तक के आरोप सामने आए। यही नहीं 2006-07 के दौरान हरिद्वार के डीजीसी रहे बीडी जोशी ने तत्कालीन पुलिस कप्तान अभिनव कुमार को सौंपी एक परम
गोपनीय रिपोर्ट में आचार्य बालकृष्ण के संबंध माओवादियों से होने की खुफिया जानकारी के चलते उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की सिफारिश तक की थी।
वर्तमान में ऐलोपैथिक चिकित्सा पद्धति पर बयान देकर विवादों में फंसे बाबा को देशभर के चिकित्सकों का विरोध झेलना पड़ रहा है। कभी कांग्रेसियों को समलैंगिक तो कभी पद्म पुरुस्कारों के लिए लाॅबिंग का आरोप लगाने वाले बाबा इससे पूर्व भी एलोपैथिक चिकित्सकों को टर-टर बोल उनका मजाक उड़ा चुके हैं। एलोपैथिक चिकित्सकों के खिलाफ बयान बाजी पर भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन भी बाबा को अपना बयान वापस लेने के लिए चेता चुके हैं। बावजूद इसके बाबा बयानबाजी से बाज आने को तैयार नहीं हैं। आईएमए से 25 सवाल पूछने संबंधित पत्र जारी करने वाले योग गुरु बाबा रामदेव इसी बीच अपनी गिरफ्तारी को लेकर यह बयान देेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं कि किसी के बाप में दम नहीं जो उनको गिरफ्तार कर सके। बाबा के इन्हीं विवादित बयानों से आहत आईएमए ने 1 जून को बाबा रामदेव के खिलाफ कार्यवाही किए जाने के संबंध में सरकार पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से देशभर में काला दिवस मनाया। इस मौके पर सरकारी और गैरसरकारी तमाम चिकित्सकों ने बांहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया है। एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति को लेकर विवादित पर विवादित बयान देते जा रहे रामदेव इसी दौरान एक नए विवाद में भी फंसकर रह गए हैं। एलोपैथिक चिकित्सकों पर दिए गए बयान के पश्चात, देश के प्रधानमंत्री पर दिए गए विवादित बयान से अभी बाबा का पीछा भी नहीं छूटा था कि बीते 27 मई को पतंजलि के अन्तर्गत संचालित गुरुकुलम् हरिद्वार स्थित वैदिक कन्या गुरुकुलम से छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के चार बच्चों को बंधक बनाए जाने के आरोप लगने के पश्चात बाबा का नाम एक नए विवाद में जुड़ गया। हालांकि छत्तीसगढ़़़ सरकार के हस्तक्षेप से चारों बच्चों को सकुशल हरिद्वार जिला प्रशासन के सहयोग से उनके पालकों को सुपुर्द कर दिया गया।
इस नये घटनाक्रम के अनुसार देवभोग ब्लाॅक के धौराकोट और छैलडोंगरी के रहने वाले 4 बच्चों को वैदिक कन्या गुरुकुलम् द्वारा वापस गृह ग्राम भेजने के लिए इंकार किया जा रहा था। परिजनों ने इन चारों बच्चों को पढ़ाई के लिए हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ संस्थान के पतंजलि गुरुकुलम् भेजा था। यहां की व्यवस्था से असंतुष्ट परिजनों ने बच्चों को वापस बुलाने की ठानी। जब बच्चों के अभिभावक उन्हें वापस लेने गए, तब उनसे 50 हजार प्रति बच्ची यानी कुल मिलाकर दो लाख रुपए की मांग की गई। इस प्रकार बाबा द्वारा संचालित गुरुकुलम् द्वारा बच्चों को छोड़ने की एवज में दो लाख रुपए की मांग से हड़बड़ाए बच्चों के अभिभावकों ने मामले की शिकायत छत्तीसगढ़़़ प्रशासन से की। जिसके बाद मामला छत्तीसगढ़़़ सरकार के संज्ञान में आने पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले छत्तीसगढ़़़ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर गरियाबंद कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर ने उत्तराखण्ड में पदस्थ अपने बैचमेट आईपीएस आशीष श्रीवास्तव के जरिए हरिद्वार के कलेक्टर से चर्चा कर मामले की जानकारी दी। इसके पश्चात गरियाबंद के जिलाधिकारी तथा उत्तराखण्ड के आईएएस एवं आईपीएस अधिकारियों सहित हरिद्वार जिला प्रशासन ने तत्काल ही वैदिक गुरुकुलम के प्रबंधन से बातचीत कर बच्चों को गुरुकुलम् से मुक्त कराते हुए परिजनों को सौंपा। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गरियाबंद एसपी भोजराज पटेल ने स्वयं भी उत्तराखण्ड में पदस्थ अपनी बैचमेट आईपीएस तृप्ति भट्टð के जरिए चर्चा कर हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक से आवश्यक कार्रवाई के लिए बात की। बच्चों के अभिभावक कौशल कुमार सिन्हा ने बताया कि 27 मई की रात 10.40 बजे चारों बच्चों को उन्हें सुपुर्द किया है। जिला प्रशासन की पहल से परिजन पूरी तरह संतुष्ट हैं। कौशल सिन्हा ने मुख्यमंत्राी भूपेश बघेल के संवेदनशील प्रयासों के लिए भी उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया है। साथ ही कलेक्टर निलेश क्षीरसागर और एसपी भोजराज पटेल को भी त्वरित कार्रवाई के लिए धन्यवाद दिया है।
हरिद्वार जिला प्रशासन तथा गरियाबंद जिला प्रशासन की कार्यवाही से गदगद नजर आ रही बंधक बनाई गई बच्चियों के परिवारजनों ने बच्चियों के मुक्त कराए जाने से पूर्व पत्र लिखकर गुरुकुलम् से बच्चियों को मुक्त कराने की मांग की थी। जिसमें उनके द्वारा बाबा के आचार्य कुलम् पर आरोप लगाते हुए बताया गया है कि उनसे बच्चों को घर भेजने की एवज में प्रति बच्चे 50 हजार रुपए कुल चार बच्चों की धनराशि दो लाख रुपए सिक्योरिटी मनी के रूप में मांगी जा रही थी। जिसके चलते हम अपने बच्चों को ले जाने में असमर्थ थे। सवाल उठ रहा है कि आखिर चार बच्चियों को सिक्योरिटी मनी के नाम पर बंधक बनाकर रखने वाले बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ के अन्तर्गत संचालित गुरुकुलम् के विरुद्ध आखिर कार्यवाही क्यों नहीं की गई? जबकि इस प्रकार बच्चों को बंधक बनाने पर कार्यवाही अमल में लाई जाती है। छत्तीसगढ़़़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भले ही सोशल मीडिया पर गरियाबंद के जिला प्रशासन की पीठ थपथपा रहे हों सवाल छत्तीसगढ़़़ सरकार पर भी उठ रहा है कि आखिर छत्तीसगढ़़़ सरकार ने बाबा रामदेव अथवा उनके सहयोगियों के विरुद्ध क्यों कार्यवाही नहीं की? बाबा के बड़बोलेपन कि ‘‘किसी के बाप में हिम्मत नहीं कोई उनको गिरफ्तार कर सके’’ छत्तीसगढ़़़ एवं उत्तराखण्ड सरकार पर बाबा का यह बयान भारी पड़ता नजर आ रहा है। देखने वाली बात होगी कि आखिर बाबा के खिलाफ कब और क्या कार्यवाही होती है?