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Uttarakhand

पत्रकारिता पर प्रहार

आने वाले समय में पत्रकारिता करना सुरक्षा के लिहाज से आसान नहीं रह जाएगा। उत्तराखण्ड के कुमाऊं और गढ़वाल की दो घटनाओं को देखें तो यह लग रहा है कि अब देवभूमि में अभिव्यक्ति का दौर नहीं रहा। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अब कलम की आजादी के दिन दिव्य स्वप्न में बदलते दिखाई दे रहे हैं। सच की आवाज को बुलंद करना कठिन हो गया है। आपकी कभी भी किसी खबर को लेकर गिरफ्तारी हो सकती है, कभी भी आपके ऊपर एफआईआर दर्ज हो सकती है। हरिद्वार के पत्रकार नावेद अख्तर का कसूर सिर्फ यह था कि वह टिहरी जेल में मानवाधिकारों के हनन की सूचना पर खबर की कवरेज करने पहुंचा था। लेकिन उसी जेल के जेलर और बंदी रक्षक ने न केवल उस पर झूठे आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई बल्कि उसकी बर्बरतापूर्वक पिटाई भी की

देश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार का एक मामला हरिद्वार के पत्रकार नावेद अख्तर से जुड़ा है। जिस तरह से नावेद को टिहरी जेल में बुलाकर साजिशन जानलेवा हमला किया गया उससे जेल प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि नावेद की पिटाई प्रकरण में घिरे अनुराग मलिक को धामी सरकार ने तत्काल प्रभाव से टिहरी जेल से विदा तो कर दिया लेकिन इस पर भी सरकार घिरती नजर आ रही है। आरोपी जेलर अनुराग मलिक के स्थानांतरण के साथ ही उसको अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। पहले मलिक जिला जेल टिहरी में थे लेकिन अब उन्हें केंद्रीय कारागार सितारगंज के साथ ही संपूर्णानंद शिविर का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया है। प्रदेश में चर्चा-ए-आम है कि आखिर नावेद पिटाई प्रकरण में जेलर मलिक को धामी सरकार ने सितारगंज जेल स्थानांतरण करके डिमोशन किया या प्रमोशन?

उधर दूसरी तरफ इसके अलावा कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत द्वारा 22 अगस्त को भवाली में समाचार कवरेज कर रहे पत्रकारों के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया है। मामले की शुरुआत उस समय हुई जब भवाली के तिरछाखेत में अवैध निर्माण के छापे के दौरान पत्रकार रिपोर्टिंग करने पहुंचे थे। इस दौरान बिल्डर और कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत की तीखी नोकझोंक होने लगी। पत्रकारों ने इसका वीडियो बनाना शुरू कर दिया। यही बात कुमाऊं कमिश्नर को नागवार गुजरी। बताया जा रहा है कि उन्होंने कवरेज कर रहे पत्रकार को ऐसा करने पर न केवल फटकार लगाई बल्कि कैमरे पर भी हाथ मार दिया। नैनीताल जिले के पत्रकारों ने एकजुट होकर जोरदार विरोध दर्ज कराया है। पत्रकारों ने दो टूक कहा है कि अधिकारी यह तय नहीं कर सकते कि पत्रकार किस वक्त वीडियो बनाएं या फोटो खींचे। पत्रकारों का काम खबर कवर करने की सही तस्वीर जनता तक पहुंचाना है। पत्रकारों ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और राज्यपाल से करने का निर्णय लिया।

नावेद प्रकरण में बताया जा रहा है कि उसका उत्पीड़न करने वाले जेल अधीक्षक और बंदी रक्षकों के खिलाफ नावेद के परिजनों ने अगले दिन ही आरोपियों के विरुद्ध मुकदमे के लिए नई टिहरी कोतवाली पुलिस को तहरीर दी थी। लेकिन कहा जा रहा है कि जेल अधीक्षक की तहरीर पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर नावेद को जेल भेजने वाली टिहरी पुलिस नावेद के परिजनों की तहरीर पर घटना के एक सप्ताह बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं कर पाई है। घटनाक्रम के अनुसार विगत 25 अगस्त को जेल अधीक्षक एवं बंदी रक्षक कमल प्रजापति द्वारा जिस प्रकार खुद ही नावेद को फोन कर जेल में बुलाया गया और फिर अवैध रूप से बंधक बनाकर उसके साथ मारपीट की गई। यही नहीं बल्कि नावेद के खिलाफ ही सरकारी कार्य में बाधा डालने जैसे झूठे आरोप लगाकर पुलिस को सौंप दिया गया। जबकि टिहरी के तत्कालीन जेल अधीक्षक के खिलाफ अभी तक मुकदमा दर्ज न होने के साथ ही विभागीय जांच के आदेश न होने से शासन की कार्यवाही पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं?

डिमोशन या प्रमोशन : जेल अधीक्षक अनुराग मलिक

पत्रकार नावेद का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने टिहरी जेल के प्रशासनिक अधिकारियों की सूचना पर सोशल मीडिया में जेलर के कारनामों की पोल खोल दी थी। हालांकि 24 अगस्त को जब नावेद ने पोस्ट डाली तो उसमें उसने जेलर का नाम और पीड़ित बंदी का नाम नहीं खोला था। उसके बाद वह सच जानने टिहरी जा पंहुचा। जब नावेद ने जेलर को इस संबंध में फोन किया तो उन्होंने कुछ देर में बात करने को कहा। अपराहन 2.57 बजे जेल के एक बंदी रक्षक कमल प्रजापति द्वारा बाकायदा नावेद के मोबाइल पर फोन कर जेल में बुलाया गया था जिसकी
रिकॉर्डिंग सुरक्षित है। जिसके बाद अधीक्षक व बंदी रक्षकों द्वारा पत्रकार नावेद अख्तर के साथ मारपीट, गाली-गलौज, जानलेवा हमला किया गया था। जिसके बाद टिहरी पुलिस को गुमराह कर अधीक्षक व प्रभारी जेलर द्वारा नावेद के खिलाफ मुकदमा लिखवाया गया। मामला सामने आने के बाद खानपुर के विधायक उमेश कुमार द्वारा जेल अधीक्षक और बंदी रक्षकों के खिलाफ आवाज उठाई गई। जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए अधीक्षक अनुराग मलिक को टिहरी जिला कारागार से सितारगंज स्थित केंद्रीय कारागाह में ट्रांसफर कर दिया गया है। जिस प्रकार खानपुर विधायक उमेश कुमार ने नावेद के साथ जेल प्रशासन टिहरी जिला जेल द्वारा की गई बर्बरतापूर्ण कार्रवाई को लेकर आवाज उठाई उससे यह भी तय माना जा रहा कि जल्द ही आरोपी अधीक्षक और बंदी रक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू होने के साथ-साथ टिहरी पुलिस मुकदमा दर्ज कर सकती है। नावेद के साथ जेल के भीतर खेल प्रशासन द्वारा अवैध हिरासत में की गई क्रूरता पूर्वक कार्यवाही कर उल्टा नावेद के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमे की जांच टिहरी पुलिस कर रही है। अगर जांच निष्पक्ष होती है तो जेल प्रशासन के खिलाफ कार्यवाही होना तय है।

जेल में बुलाने का ऑडियो वायरल
टिहरी जिला जेल में समाचार संकलन के लिए पहुंचे पत्रकार नावेद अख्तर के साथ आखिर हुआ क्या था यह सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है। जेल अधीक्षक अनुराग मलिक व बंदी रक्षक दीपक प्रजापति द्वारा नावेद के साथ घटित घटना से पूर्व नावेद को जेल में बुलाए जाने के संबंध में दोनों के साथ की गई बातचीत और उसको जेल में बुलाए जाने को लेकर एक ऑडियो वायरल हो रहा है। वायरल ऑडियो की रिकॉर्डिंग से स्पष्ट है कि नावेद का ऐसा कोई आशय नहीं था जैसा उस पर आरोप लगाकर जेल भिजवाया गया है। बातचीत के दौरान नावेद जेल अधीक्षक और बंदी रक्षक कमल प्रजापति से ‘सर जी’, ‘सर जी’ जी करते हुए बात करता सुनाई दे रहे हैं। वायरल ऑडियो से यह साफ हो गया है कि सुनियोजित रूप से जेल अधीक्षक द्वारा नावेद को फोन करते हुए जेल में बुलाया गया और फिर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नावेद के साथ जो अमानवीय व्यवहार किया गया उसकी पुष्टि टिहरी पुलिस द्वारा कराए गए नावेद के चिकित्सीय परीक्षण से भी हो चुकी है। बावजूद इसके अभी तक भी जेल अधीक्षक अनुराग मलिक और बंदी रक्षक कमल प्रजापति तथा कुलदीप शर्मा के खिलाफ कोई कार्यवाही न होना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है?

नावेद को किसने पहुंचाई जेल में चोट?
नावेद के चेहरे पर गंभीर चोट और उसकी शर्ट पर खून के निशान बयां कर रहे हैं कि उनको जेल में बुरी तरह से पीटा गया है। नावेद के भाई जावेद का आरोप है कि उनके भाई को जेल में बुलाकर पीटा गया है। उनके अनुसार मेडिकल रिपोर्ट में सात जगह चोट के निशान आए हैं। नावेद का यह हाल जेल के भीतर ही किया गया है क्योंकि पुलिस ने कस्टडी में लेते ही कोतवाली ले जाने से पहले नावेद का डॉक्टरी मुआयना कराया है। जहां पहले से ही नावेद को चोट पहुंचाई गई थी। जिस समय नावेद को हिरासत में लिया गया उस समय नावेद इससे भी अधिक बुरी स्थिति में था। डॉक्टरी के आधार पर नावेद के परिजनों ने नई टिहरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए तहरीर दी थी लेकिन उस पर मामला दर्ज नहीं किया गया।

मुझे एक कैदी की मारपीट व चोटी काटने की सूचना मिली थी तो मैंने जेल अधीक्षक अनुराग मलिक को फोन किया। मलिक ने मुझे कहा ऐसी कोई घटना नहीं हुई आप यहां जेल में आकर देख लो। मैं उन पर विश्वास करके 24 अगस्त को जेल में गया तो मुझे काफी देर तक नहीं बुलाया गया। इस बीच पता नहीं क्या चलता रहा। जब मैं वहां से अपने घर के लिए चल दिया तो जेल से लगभग 2ः57 बजे फोन आया फिर मुझे वापस जेल पर बुलाया गया। जेल के अंदर बुलाकर ताला लगाकर पहले पानी पिलाया। पानी पिलाकर जेल अधीक्षक अनुराग मलिक गुस्सा होकर गाली- गलौच करने लगे कि तुम बड़ी जेल के खिलाफ खबरें छापते हो। वहां पर खड़े दो सिपाही कमल प्रजापति और कुलदीप शर्मा ने मुझे गिरेबान से पकड़ा और मेरे साथ हाथापाई, मारपीट शुरू कर दी। अधीक्षक ने भी मेरे साथ मारपीट की। तीनों ने मिलकर मुझे नीचे गिराकर फट्टे से मारा और मुंह पर थप्पड़ और घुसे मारें जिससे मेरी आंख पर काफी गंभीर चोट आई और रोशनी कम हो गई। उसी दौरान जेल अधीक्षक ने एक कांच का गिलास जो टूट गया था उसको उठाकर मुझे डराया और मारना चाह रहे थे। मुझे कहा कि तेरा पेट फाड़ दूंगा। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आपको उस कांच से बचाया और मुझे लगभग साढ़े 3 घंटे अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा। मेरी हालत गंभीर हो गई तो फिर अनुराग मलिक ने डर की वजह से पुलिस को बुलाकर मुझ पर झूठा केस दर्ज करवा दिया।
नावेद अख्तर, पीड़ित पत्रकार

बात अपनी-अपनी
तिरछाखेत में कार्रवाई के दौरान मैं तीन बार पत्रकारों को वीडियो बनाने से मना कर चुका था। फिर भी लगातार कार्रवाई का वीडियो बनाया जा रहा था। इस दौरान सूचना विभाग की टीम भी मौजूद थी। मैंने खुद कार्रवाई के बाद पत्रकारों को बाइट दी थी। अभद्रता जैसी कोई बात नहीं हुई। इस मामले को तूल देने से बचना चाहिए।
दीपक रावत, कुमाऊं कमिश्नर

टिहरी जेल मामले की जांच चल रही है। जल्द ही जांच आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कमल मोहन भंडारी, थाना अध्यक्ष टिहरी

टिहरी जेल के तत्कालीन अधीक्षक बहुत बदतमीज हैं। मेरा बड़ा भाई वहां जेल में था और वह व्रत रखता था। इस अधीक्षक ने उसके व्रत तुड़वाने के लिए क्या-क्या नहीं किया। पूरी जेल इस बात की गवाह है और पूरी जेल इससे परेशान है।
शगुन शर्मा, टिहरी जेल में बंद कैदी का भाई

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