नगर निगम अल्मोड़ा के निवर्तमान अध्यक्ष प्रकाश जोशी से ‘दि संडे पोस्ट’ की बातचीत के मुख्य अंश
जब आप पहली बार सन् 1997 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में रहते अल्मोड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष बने तो आपके सामने क्या मुश्किलें आई?
नगर पालिका आर्थिक रूप से बहुत कमजोर थी जिसे मजबूत करके विकास को शुरू कर पालिका को पटरी पर लाना था, जिसमें मुझे सफलता भी मिली।
जब आप दूसरी बार 2013 से 2018 तक पालिका के अध्यक्ष बने तो आपका फोकस कहां रहा?
इस कार्यकाल में मेरा फोकस शहर की सफाई व्यवस्था पर रहा। तब गंदगी जगह-जगह बिखरी पड़ी रहती थी जिसे 2 करोड़ खर्च कर अंडर ग्राउंड डस्टबिन की सुविधा शुरू कराई। पहले कूड़ा बाहर ही पड़ा रहता था उस पर बंदर और कुत्ते गंदगी को चारों तरफ बिखेर देते थे। अंडरग्राउंड डस्टबिन बनने से इस पर कुछ हद तक नियंत्रण लग सका है। राज्य वित्त आयोग की संस्तुति पर एसपी ऑफिस के ऊपर रेन बसेरा का निर्माण कराया।
तीसरे कार्यकाल 2018 से 2023 तक आपकी शहर के लिए क्या विशेष उपलब्धि रही?
इस कार्यकाल में मैंने शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए पांच जगह पार्किंग का निर्माण कराया जिससे वाहन चालकों को बड़ी सुविधा मिली है। शहर का डेनेज सिस्टम निर्माण शुरू कराया। इसे 21 करोड़ से सिंचाईं विभाग कर रहा है। सफाई व्यवस्था को सुचारू करने के लिए गाड़ियां लगा दी हैं जो डोर टू डोर जाकर गंदगी को ले जाने का काम करती हैं। ये गाड़ियां रानीधारा, ढंगाधारा, पाण्डे खोला, तोगा खोल्टा बाजार, बेस अस्पताल तक घर-घर जाकर सफाई व्यवस्था को बनाए हुए हैं। पालिका में 57 कर्मचारी अनियमित थे जो नियमित कराए हैं। इसके बाद ही प्रदेश में अनियमित कर्मचारियों को नियमित कराने का रास्ता निकल सका और पूरे प्रदेश में 800 कर्मचारी पक्के किए गए। कर्मचारियों को वेतन देने के मामले में अब सिर्फ एक माह का बैक लगा है जिसका मार्च 2025 में समाधान हो जाएगा।
शहर में अतिक्रमण की भी समस्या है। इसे कैसे दूर करेंगे?
मैं शुरू से ही अतिक्रमण का विरोधी रहा हूं। बकायदा पब्लिक मीटिंग में भी अतिक्रमण को हटाने की घोषणा करता रहा हूं। हमने शहर में रानीधारा बाजार, धार की टोनी, सड़क के किनारे से नाली पर से नरसिंह बाड़ी और साईं मंदिर केे आगे से अतिक्रमण हटाकर इसे साबित भी किया है।
पहले अल्मोड़ा की तीन चीजें प्रसिद्ध थी माल, बाल और पटाल लेकिन पटाल हटाकर राजस्थानी स्टोन लगा दिया गया। आप पटाल के ऐतिहासिक मूल स्वरूप को बहाल करने के लिए क्या कर रहे है?
वर्ष 2002 की बात है जब प्रदेश के सीएम नित्यानंद के समक्ष पटालों का मुद्दा उठा था। पहले बरसात में पटाल जब पैर से दबती तो नीचे से पानी निकलकर कपड़ो को गंदा कर देता था। नित्यानंद जी ने पटालों का पुर्नरूद्धार कराने की घोषणा की थी। लेकिन हमारी ऐतिहासिक पटाल हटाकर राजस्थानी स्टोन लगा दिया गया। यह स्टोन भी कुछ दिन बाद लोगों के चलने से इतना घिस गया कि लोग फिसलने लगे इसके बाद उन पर लाईन खींचकर इस समस्या को कुछ हद तक ठीक किया गया। लेकिन हमारा सपना था कि ऐतिहासिक पटालें ही बाजार में लगे जिससे मूल स्वरूप हो। हमारी मांग पर तत्कालीन जिलाधिकारी वंदना ने पेयजल निगम को काम सौंपा। जिसमें नगर पालिका, विद्युत विभाग सहित 4 विभाग सम्मिलित हैं। यह कार्य 41 करोड़ 52 लाख का है। समस्या फिलहाल पटाल की आ रही है। जिसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा।
शहर में वाहनों के लिए पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या है। इसे दूर करने के लिए आपने क्या कार्य किया?
मेरे कार्यकाल में इस समस्या से निपटने के लिए शहर में कुल पांच पार्किंग बनाई गई हैं। पहाड़ों पर अल्मोड़ा पांच पार्किंग वाला पहला शहर बनेगा जिनमें जीजीआईसी की बगल में ही तीन बड़ी पार्किंग बनाई जा रही हं। एक पार्किंग ऐसी भी है जो पूर्व पालिका अध्यक्ष के कार्यकाल में नहीं बन पाई थी।
शहर में एक पार्किंग तो ऐसी बना दी है जिसके लिए रास्ता ही नहीं है?
आप सही कह रहे हैं यह भैरो मंदिर के पास वाली पार्किंग है। इसे पेयजल निगम के द्वारा बनाया गया है। इसमें विवाद पालिका की ही दुकानों के न हटने से है। पहले हमें यह यकीन था कि ये दुकानें हटा दी जाएंगी और पार्किंग के लिए रास्ता बन जाएगा, लेकिन दुकानदार कोर्ट में चले गए और पार्किंग का रास्ता विवाद में पड़ गया।
हरिप्रसाद टम्टा ट्टार्मशाला के न बनने का मुद्दा बहुत पुराना है। इस पर शिल्पकार समाज के लोग कई बार धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं।
जहां से पुराने कलेक्ट्रेट का रास्ता जाता है ठीक उसके सामने हमने इसका निर्माण शुरू करा दिया है। जिसमें रैन बसेरा भी है। इस धर्मशाला के लिए जगह बहुत समय पहले से ही आरक्षित थी। पूर्व में एक केंद्र के मंत्री इस जगह को लेकर यहां अपने मंत्रालय से सम्बंधित कार्य शुरू करना चाहते थे लेकिन हमने उन्हें स्पष्ट मना कर दिया और कहा कि पालिका की जमीन का लैंड यूज हम किसी भी हालत में नहीं बदलेंगे।