भीमताल विधानसभा सीट को लेकर चर्चा इस बात की है कि वर्तमान विधायक राम सिंह कैड़ा निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगे या फिर कांग्रेस अथवा भाजपा में शामिल हो दोबारा अपनी किस्मत आजमाएंगे? सक्रिय जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुके कैड़ा को चुनावी टक्कर देने का मन बना रहे नेताओं में कांग्रेस के महेंद्र पाल और दान सिंह भण्डारी प्रमुख हैं तो भाजपा से गोविंद सिंह बिष्ट, डॉ. हरीश बिष्ट और मनोज शाह की दावेदारी है। इस बार बसपा और आम आदमी पार्टी भी यहां से मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही हैं। ऐसे में इस सीट का चुनावी रण खासा रोमांचक होना तय है
भीमताल उत्तराखण्ड के महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में से एक है। कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव वनवास में थे तो भीम ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय यहीं बिताया था। उस काल में भीम के धरती पर गदा से प्रहार किया था जिससे धरती से पानी की धार निकलकर झील में परिवर्तित हो गई। संभवतः इसी वजह इस स्थान का नाम भीमताल पड़ गया। राजनीतिक चेतना के हिसाब से यह क्षेत्र कभी पीछे नहीं रहा। पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का पैतृक स्थान धारी इसी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। उत्तराखण्ड राज्य बनने के पश्चात वर्तमान भीमताल विधानसभा का क्षेत्र धारी, नैनीताल और मुक्तेश्वर विधानसभा सीटों में बंट गया था। 2003 के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश से धारी और मुक्तेश्वर विधानसभा का सीट अस्तित्व खत्म हो गया तथा भीमताल विधानसभा सीट का अस्तित्व में आई। इस विधानसभा सीट का अधिकांश क्षेत्र दुरूह एवं दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों का है। ओखलकांडा जैसा पिछड़ा विकासखण्ड इसी विधानसभा सीट में आता है। अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली विधानसभा सीट विकास की राह से कोसों दूर है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे डुंगर सिंह बिष्ट जैसे नेताओं की स्थली इसी भीमताल विधानसभा सीट में स्थित है।
भीमताल विधानसभा सीट के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र फल उत्पादन और सब्जी उत्पादन की दिशा में अग्रणी है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं और सड़कों की सुविधाओं के अभाव के चलते काश्तकारों को अपनी उपजों का उचित दाम नहीं मिल पाता। हालांकि पिछले साढ़े चार वर्षों में विधायक राम सिंह कैड़ा की सक्रियता ने विकास के मामले में कुछ हद तक सुधार किया है। 2012 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के दान सिंह भण्डारी चुनाव जीते थे। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट की दावेदारी को नकारते हुए प्रत्याशी बनाया था। विधायक बनने के बाद दान सिंह भण्डारी अपने संगठन से हमेशा रुष्ट ही रहे जिसकी परिणति 2016 में हुई जब प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरताकाल में दान सिंह भण्डारी हरीश रावत सरकार के संकटमोचक बनकर उभरे। मामूली से बहुमत से शक्ति परीक्षण में विधानसभा में उतरी हरीश रावत सरकार को समर्थन दे उन्होंने राहत पहुंचाई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े मोहन पाल दूसरे नंबर पर रहे थे और कांग्रेस के राम सिंह कैड़ा तीसरे नंबर पर रहे थे। भीमताल विधानसभा सीट पर दलित मतदाता बड़ी संख्या में हैं जिसमें से एक बड़ा हिस्सा बसपा का प्रतिबद्ध वोटर माना जाता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भीमताल विधानसभा सीट से कांग्रेस ने दान सिंह भण्डारी को अपना प्रत्याशी बनाया जबकि कांग्रेस के अंदर ही टिकट के दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त थी जिनमें पूर्व सांसद महेंद्र पाल, हरीश बिष्ट, राम सिंह कैड़ा, जया बिष्ट, कृपाल मेहरा, राजेंद्र नेगी के नाम शामिल थे। राम सिंह कैड़ा ने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा। भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट को उम्मीदवार बनाया था। जबकि बहुजन समाज पार्टी से ताराचंद्र पाण्डेय उम्मीदवार थे। इस चुनाव में मोदी लहर को मात देते हुए निर्दलीय राम सिंह कैड़ा विजयी हुए।
2022 के विधानसभा चुनाव के नजदीक आते-आते भीमताल विधानसभा क्षेत्र में भी टिकट के दावेदार सक्रिय हो गये हैं। वर्तमान विधायक राम सिंह कैड़ा अपने कार्यकाल में हमेशा पूरे क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। राजनीति में अपना मुकाम स्वयं बनाने वाले कैड़ा 1999 में एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी के छात्र संघ अध्यक्ष रहे थे। पिछड़े विकासखण्ड ओखलकांडा से आने वाले राम सिंह कैड़ा की पत्नी कमलेश कैड़ा ओखलकांडा ब्लॉक की प्रमुख हैं। राम सिंह कैड़ा के चुनाव लड़ने पर कहीं कोई संशय नहीं है। कैड़ा ने तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने पर उनके लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की थी। इस बार भी उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावनाएं ज्यादा हैं।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में टिकट के लिए मारा-मारी ज्यादा है। भाजपा में कांग्रेस से आए कई प्रभावशाली नेता दावेदारों के लिए खासी चुनौती पेश करेंगे। धारी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे और 2009 से खण्डूड़ी और निशंक सरकार में मंत्री रहे गोविंद सिंह बिष्ट इस बार भी सशक्त दावेदारों में हैं। ब्लॉक अध्यक्ष से भाजपा संगठन में अपना राजनीतिक कैरियर शुरू करने वाले गोविंद सिंह बिष्ट मंडी समिति अध्यक्ष, नैनीताल भाजपा के जिलाध्यक्ष और प्रदेश मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस से भाजपा में गये अर्थशास्त्र में पीएचडी डॉ ़ हरीश सिंह बिष्ट भी टिकट के मजबूत दावेदारों में से हैं। वर्तमान में भीमताल के ब्लॉक प्रमुख हरीश बिष्ट छात्र राजनीति से निकले नेता हैं। 1982 में डीएसबी परिसर कुमाऊं विश्वविद्यालय में छात्र संघ उपाध्यक्ष तथा 1986 में छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी पत्नी गीता बिष्ट दो बार नैनीताल की ब्लॉक प्रमुख व इस बार दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य हैं। कांग्रेस की संस्कृति से राजनीति शुरू करने वाले हरीश बिष्ट अपनी दावेदारी मजबूती से रख रहे हैं। हरीश बिष्ट 2017 में कांग्रेस के मजबूत दावेदारों में से थे। हल्द्वानी मंडी समिति के सभापति और नैनीताल भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज शाह का नाम भी भारतीय जनता पार्टी के दावेदारों की सूची में शामिल है। सांगठनिक दृष्टि से एक वक्त नैनीताल और हल्द्वानी भाजपा में दो जिले थे। उस वक्त मनोज शाह नैनीताल और प्रदीप बिष्ट हल्द्वानी के जिलाध्यक्ष थे। लेकिन भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर सांगठनिक दृष्टि से बने अतिरिक्त जिलों को खत्म कर दिया गया था तब संगठन ने प्रदीप बिष्ट को नैनीताल जिले के अध्यक्ष पद पर तरजीह दी थी। रामगढ़ विकासखण्ड के रहने वाले मनोज शाह को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का करीबी माना जाता है।
भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मंडी परिषद के अध्यक्ष रहे गजराज बिष्ट भी भारतीय जनता पार्टी से गंभीर दावेदारों में एक हैं। गजराज बिष्ट एक समय कालाढूंगी विधानसभा सीट से टिकट के महत्वपूर्ण दावेदारों में से थे, लेकिन बंशीधर भगत के चलते वे टिकट नहीं पा सके। नाराजगी के चलते वे 2017 के विधानसभा चुनाव में भीतमताल विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गोविंद सिंह बिष्ट के चुनावों में सक्रिय रहे थे। भाजपा के ही पूर्व नेता जिन्हें पचंायत चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ कार्य करने पर भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था, लाखन सिंह नेगी हैं। वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य व रामगढ़ की ब्लॉक प्रमुख पुष्पा नेगी के पति लाखन सिंह खुद भी रामगढ़ के ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। 2019 में ब्लॉक प्रमुख चुनावों में उनकी पत्नी पुष्पा नेगी ने भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी को पराजित किया था। लाखन नेगी को इस बार पार्टी ने टिकट दिया तो ठीक वर्ना वे निर्दलीय लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के करीबी व नैनीताल जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी भी भाजपा दावेदारों की सूची में हैं। रामगढ़ क्षेत्र में अच्छा खासा रुतबा रखने वाले राजेंद्र सिंह नेगी लंबे समय से जिला सहकारी बैंक नैनीताल के अध्यक्ष हैं।
भाजपा से ही एक नाम उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया सलाहकार रहे रमेश भट्ट का भी है। भीमताल निवासी रमेश भट्ट के भाई मनोज भट्ट भाजपा की भीमताल मंडल इकाई के अध्यक्ष हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते वे टिकट के लिए पूरी तरह आश्वस्त थे। भाजपा की बदली आंतरिक राजनीति में टिकट के लिए वे कितना सफल हो पाते हैं, देखना होगा। भीमताल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े नेताओं की एक लंबी चौड़ी लिस्ट होने के बावजूद पार्टी की स्थिति दिनों दिन कमजोर होती जा रही है। लंबे समय तक पंचायतों और ब्लॉक, जिला पंचायतों में कांग्रेस का ही कब्जा रहा है, लेकिन आपसी कलह के चलते अब तक हुए भीमताल विधानसभा सीट के चुनावों 2012 और 2017 में कांग्रेस को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा है। आज कांग्रेस के कई प्रभावशाली नेता पाला बदल कर भाजपा में जा चुके हैं। लेकिन अंतर्कलह की स्थिति कमोबेश पुरानी ही है। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से विधायक रह चुके दान सिंह भण्डारी आज कांग्रेस के मजबूत दावेदारों में से हैं।
हालांकि 2017 का चुनाव वो हार गये थे और तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार दूसरे महत्वपूर्ण दावेदार धारी के पूर्व ब्लॉक प्रमुख कृपाल मेहरा हैं। दो बार नैनीताल लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र सिंह पाल कांग्रेस से दमदार दावेदारी के लिए ताल ठोक रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में महेंद्र सिंह पाल सशक्त दावेदार थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बना दिया था। इस बार भीमताल विधानसभा सीट पर सामाजिक अवसरों व त्यौहारों के जरिये उन्होंने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। उनके समर्थकों का कहना है कि महेंद्र सिंह पाल की दावेदारी पक्की है। शीघ्र ही वे क्षेत्र में राजनीतिक रूप से भी सक्रिय होंगे। महिला प्रत्याशी के नाम पर कांग्रेस के पास जया बिष्ट का चेहरा है जो लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं। बावजूद इसके कि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा 2017 के बाद यशपाल आर्य के साथ भाजपा में चला गया है, प्रत्याशी चयन में यहां कांग्रेस के लिए मुश्किलें कम नहीं हैं।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के इतर बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, उक्रांद भी यहां राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। बहुजन समाज पार्टी का यहां अच्छा खासा जनाधार रहा है। 2012 में बसपा प्रत्याशी मोहन पाल यहां दूसरे नम्बर पर रहे थे। 2017 में बसपा प्रत्याशी ताराचंद्र पाण्डे साढ़े आठ हजार वोट लाए थे। अब ये दोनों ही भारतीय जनता पार्टी में हैं। इस बार बसपा के जिलाध्यक्ष रहे भुवन चंद्र आर्य के यहां से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। जहां तक आम आदमी पार्टी का प्रश्न है, तो दो नाम उभर कर सामने आ रहे हैं जिनमें एक उत्तर प्रदेश के समय परिवहन मंत्री रहे सुरेश चंन्द्र आर्य और दूसरे युवा जिला पंचायत सदस्य सागर पांडे हैं।
कांग्रेस व भाजपा के बाद आप पार्टी में आए सुरेश चन्द्र आर्य की पत्नी बीना आर्य जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं, जबकि सागर पाण्डे आम आदमी पार्टी के नैनीताल जिला उपाध्यक्ष हैं।
भीमताल विधानसभा सीट कांग्रेस भाजपा सहित सभी दलों के लिए चुनौती है, खासकर तब जबकि हर राजनीतिक दल के लिए एक- एक सीट का महत्व है। बहुत कुछ यहां वर्तमान विधायक राम सिंह कैड़ा के रुख पर निर्भर करेगा कि वे निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगे या फिर किसी रजानीतिक दल का दामन संभालेंगे।
मेरी फिलहाल 99 प्रतिशत संभावना चुनाव
निर्दलीय ही लड़ने की है। एक प्रतिशत की गुंजाईश चुनाव आने तक की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि क्या किसी राजनीतिक दल से चुनाव लड़ना है।
राम सिंह कैडा, विधायक भीमताल
बिल्कुल भीमताल सीट से भाजपा के टिकट की मजबूती दावेदारी है। टिकट मिलेगा तो जीतकर भी दिखाएंगे।
डॉ. हरीश बिष्ट, ब्लॉक प्रमुख भीमताल
इस बार भी मेरी दावेदारी भाजपा से है। संगठन एवं सरकार का लंबा अनुभव मेरे पक्ष में है। बाकी तो पार्टी जो निर्णय लेगी मान्य होगा।
गोविंद सिंह बिष्ट, पूर्व मंत्री
भाजपा संगठन के लिए लंबे समय से काम किया है। जिलाध्यक्ष रह चुका हूं। संगठन का लंबा अनुभव है। वर्तमान में मंडी समिति का सभापति हूं। विधानसभा चुनाव में दावेदारी मजबूती से रखूंगा। लेकिन प्रत्याशी तय करना तो पार्टी का काम है।
मनोज शाह, भाजपा नेता
दो बार लोकसभा के लिए चुना गया हूं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मैंने अपनी दावेदारी रखी थी। इस बार भीमताल विधानसभा क्षेत्र से समय आने पर पार्टी फोरम में मजबूती से अपनी दावेदारी रखूंगा।
महेंद्र सिंह पाल, पूर्व सांसद
मैं फिलहाल आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में पार्टी को मजबूत करने का प्रयास कर रहा हूं। पार्टी तय करेगी कि भीमताल से विधानसभा चुनाव में कौन प्रत्याशी होगा। अगर मुझे टिकट मिला तो पूरे मनोयोग से चुनाव लड़ूंगा।
सागर पाण्डे, जिला उपाध्यक्ष आम आदमी पार्टी
फिलहाल तो भाजपा से निष्कासित हूं। अगर परिस्थितियां बनी तो भाजपा से टिकट मागूंगा। वैसे विधानसभा चुनाव अवश्य लडूंगा।
लाखन सिंह नेगी, पूर्व ब्लॉक प्रमुख रामगढ़
मेरी पहली पसंद कालाढूंगी विधानसभा सीट है, लेकिन अगर पार्टी चाहेगी तो भीमताल से लड़ने को तैयार हूं।
गजरात बिष्ट, पूर्व अध्यक्ष मंडी परिषद