लंदन दौरे से उत्साहित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जल्द ही सिंगापुर के साथ ही दुबई और कनाडा में रोड शो आयोजित कर विदेशी पूंजी निवेश को उत्तराखण्ड में आमंत्रित करने जा रहे हैं। लंदन मे सरकार 12 हजार 500 करोड़ के निवेश एमओयू साईन करने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष ने भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय में हुए निवेश की नाकामी को आगे रख धामी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। गाजियाबाद की एक कंपनी का विदेशी धरती पर हुआ करार भी सवालों के घेरे में है
‘‘लदन की सपाट इंवेस्टमेंट पिच पर मीडिया के स्कोरर्स रनों का अंबार दिखा रहे थे। मगर इस दौरान उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री करण माहरा ने एक ऐसी गुगली डाली कि पीछे के स्टंप तो उखड़ ही गये, बल्ला भी हवा में तैरता नजर आ रहा है और रनों का जो अंबार दिखाया जा रहा था, वह ढेरी भी बिखर गई है। किसी सरकारी स्कोरर ने अभी उस गुगली का कोई जवाब उत्तराखण्ड के लोगों को नहीं दिया है। गुगली है कि गाजियाबाद की कंपनी से लंदन में एमओयू करने की क्या जरूरत थी? कांग्रेस के कुछ तेज गेंदबाज भी बॉलिंग एक्शन में हैं, उनके पास भी कुछ विशेष बॉलें हैं जिनमें एक बॉल है कि जिन कंपनियों से एमओयू दिखाया गया है, उन कंपनियों के एमओयू की राशि के लायक उतनी कीमत ही नहीं है, देखते हैं! लंदन की पिच के बाद सिंगापुर में सरकारी बल्ले और कांग्रेस के स्पिन व फास्ट बॉलर्स का मुकाबला! लंदन के स्टंप और बैट, दोनों हवा में उड़ गए हैं।’’
4 अक्टूबर को उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर यह कटाक्ष भरी पोस्ट लिखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लंदन दौरे को कठघरे में खड़ा कर दिया। इस पोस्ट में उन्होंने अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा की प्रशंसा करते हुए सीएम धामी के लंदन दौरे की किक्रेट के खेल से तुलना की। दरअसल एक अक्टूबर को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने देहरादून में एक प्रेस कांफ्रेंस की थी। जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ग्लोबल इंवेस्टर समिट के तहत लंदन दौरे को भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा 2018 में किए गए इंवेस्ट समिट की तरह बताते हुए सरकार का छलावा करार दिया। यही नहीं बल्कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम धामी द्वारा निवेश के नाम पर धोखा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि गाजियाबाद की एक कंपनी उषा ब्रेको का लंदन में एमओयू किया जाना सिद्ध करता है कि भाजपा सरकार निवेश के नाम पर झूठ का सहारा ले रही है।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 25 से 28 सितंबर तक यूके की 4 दिवसीय यात्रा पर गए। जहां उन्होंने लंदन में उत्तराखण्ड ग्लोबल इंवेस्टर्स समित 2023 में औद्योगिक समूहों के साथ बैठकें की तथा उन्हें कर उत्तराखण्ड में निवेश के लिए आमंत्रित किया। जिसके तहत लंदन में सरकार को शुरुआती चरण में ही बड़ी सफलता मिल गई और कुल 12 हजार 500 करोड़ के निवेश के एमओयू साईन किए गए। उत्तराखण्ड में निवेश करने के लिए कई कंपनियों ने रूचि दिखाई। जिससे प्रदेश सरकार काफी उत्साहित है। भाजपा मुख्यमंत्री के इस लंदन दौरे को बेहद सफल मान रही है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ विपक्ष मुख्यमंत्री के इस विदेशी निवेश की तुलना पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा 2018 में किए गए इंवस्टर्स समिट से करते हुए इसे सरकार का छलावा करार दे रहा है।
लंदन दौरे से धामी सरकार को हजारों करोड़ के निवेश के करार और सहमति मिलने से सरकार और राज्य की अफसर शाही खासी उत्साहित नजर आ रही हैं। हकीकत में देखें तो निवेश के नाम पर सिर्फ दावे ही होते रहे है। अगर कांग्रेस की पहली निर्वाचित तिवारी सरकार को छोड़ दिया जाए तो अभी तक किसी अन्य सरकार के कार्यकाल में उतना निवेश नहीं आया है जितना सरकारों ने निवेश के नाम पर दावा किया है। मौजूदा धामी सरकार द्वारा 19 हजार से भी ज्यादा निवेश जिसमें 12 हजार से भी ज्यादा निवेश अंतरराष्ट्रीय निवेश का दावा और एमओयू हस्ताक्षरित किए जाने की बात कही जा रही है। ऐसा नहीं है कि सीएम धामी द्वारा निवेश का यह दावा पहली बार किया गया है बल्कि ऐसे दावे हर राज्य सरकार के समय में भी किए जाते रहे हैं। जबकि हकीकत में निवेश के दावों से महज 10 फीसदी नहीं हो पाए हैं।
पूर्व में त्रिवेंद्र रावत सरकार ने 2018 में पहली बार इंवेस्टर समिट का भव्य और पूरे ताम-झाम के साथ आयोजन किया था। इसमें देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने भी शिरकत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस आयोजन में आए और उत्तराखण्ड को निवेश के लिए बेहतर माहौल और स्थान बता गए थे। इस समिट में 1 लाख 24 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्तावों पर एमओयू हस्ताक्षर किए गए थे। यह अपने आप में किसी राज्य के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि कही गई थी, साथ ही इतने बड़े पैमाने पर निवेश के एमओयू साइन होने से त्रिवेंद्र रावत की राजनीतिक ताकत में भी भारी इजाफा हुआ था। लेकिन सच्चाई यह है कि राज्य में अभी तक वह निवेश नहीं हो पाया है जिसका दावा त्रिवेंद्र रावत सरकार कर रही थी। गौर करने वाली बात यह है कि पूरे 4 वर्ष तक त्रिवेंद्र सरकार रही और इस दौरान 12 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश राज्य में नहीं हो पाया। जबकि पूर्व में कार्यरत लघु और अति लघु उद्योग बुरी तरह से प्रभावित होते रहे और 7 हजार अति लघु उद्योग बंद होते चले गए। इसका सबसे बड़ा कारण यह सामने आया कि राज्य सरकार और नौकरशाही का पूरा फोकस बड़े उद्योग और निवेशांे पर ही लगा रहा जिससे आर्थिकी की सबसे बड़ी कड़ी सूक्ष्म और लघु उद्योग सरकारी नीति के शिकार होते गए और आखिरकार एक के बाद एक बंद होते चले गए। कोरोना माहामारी के बाद तो लघु उद्योगों की एक तरह से कमर ही टूट गई जो कि आज भी जारी है।
धामी सरकार में जिन क्षेत्रों में जो एमओयू साइन किए गए हैं कमोवेश त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय में भी उन्हीं क्षेत्रांे में निवेश के एमओयू साइन हुए थे। पर्यटन, कौशल विकास और तकनीकी और शिक्षा के क्षेत्र में भी त्रिवेंद्र सरकार के समय में किए गए इंवेस्टर समिट में जमकर एमओयू साइन हुए थे। तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार में एनर्जी के क्षेत्र में 19 एमओयू जिसमें 31543 करोड़, फूड प्रोसेसिंग कृषि डेयरी क्षेत्र में 7654 करोड़ के 91 एमओयू, स्वास्थ्य के क्षेत्र में 18064 करोड़ के 7 एमओयू साइन हुए थे। इसी प्रकार से आईटी एवं कम्युनिकेशन के क्षेत्र में 5025 करोड़ का 1 एमओयू और अवस्थापना के क्षेत्र में 26909 करोड़ के 18 एमओयू, निर्माण के क्षेत्र में 11626 करोड़ के 233 और कौशल विकास और शिक्षा के क्षेत्र में 6091 करोड़ के 9 एमओयू तथा पर्यटन, हॉस्पिलिटी और फिल्म शूटिंग क्षेत्र में 14183 करोड़ के 119 तथा वेलनेश और आयुष के क्षेत्र में 3270 करोड़ के 22 एमओयू साइन हुए थे। कुल मिलाकर इन्वेस्टर समिट में 1 लाख 24 हजार 366 करोड़ के 601 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे।
स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस इंवेस्टर समिट को बेहद सफल बताया गया था और राज्य सरकार के कामकाज और राज्य में बेहतर निवेश का माहौल बनाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और उनकी सरकार की जमकर प्रशंसा की थी। एक बार तो यह लगा कि राज्य में किसी मुख्यमंत्री ने पहली बार इतने बड़े पैमाने पर देशभर के निवेशकांे को उत्तराखण्ड में निवेश करने के लिए तेैयार करने का काम किया। जिसे हर किसी ने पहाड़ी प्रदेश के विकास के लिए ‘मील का पत्थर’ बताया था। लेकिन इस समिट से राज्य का कितना फायदा हुआ यह उस समय सामने आ गया जब एमओयू साइन करने वाले औद्योगिक समूहांे द्वारा निवेश करने से पीछे हटने लगे।
हैरत की बात यह है कि जिस सरकार के कार्यकाल में पहली बार करोड़ों खर्च करके सबसे बड़ा इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया गया था उसी सरकार के इस आयोजन के महज दस माह के भीतर ही हजारों लघु उद्योग बंद हो गए। यह खुलासा भी राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैंकर्स समिति की बैठक में हुआ। जिसके अनुसार सितम्बर 2018 से लेकर जून 2019 तक कुल दस माह में ही सात हजार दो सौ चौवालीस लघु उद्योग पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। जबकि राज्य बनने के बाद लघु उद्योग लगतार बंद होते चले आ रहे हैं। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि मार्च 2019 से लेकर जून 2019 तक महज तीन माह में ही तीन हजार छह सौ बहत्तर लघु उद्योग प्रदेश में बंद हुए हैं। यह उसी दौरान हुआ जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत चालीस हजार करोड़ के निवेश होने की बात कह रहे थे और 14 हजार करोड़ के निवेश के कार्य प्रदेश में पूरे होने का दावा कर रहे थे। इससे इतना तो साफ हो गया है कि प्रदेश सरकार पूर्व स्थापित लघु उद्योगों को ही नहीं संभाल पाई।
इसी बैठक में इंडस्ट्रीज एसोसिएशन उत्तराखण्ड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने राज्य के सूक्ष्म और लघु उद्योगों का डाटा रखते हुए बताया था कि विगत दो वर्ष में ही 7244 उद्योग लगातार बंद होते जा रहे हैं। सितम्बर 2018 से राज्य में एमएसएमई श्रेणी के 53560 औद्योगिक ईकाइयां थी जो कि दिसंबर 2018 में घटकर 52750 ही रह गई। यानी महज चार माह में ही 810 औद्योगिक ईकाइयां बंद हो चुकी थी। लेकिन मार्च 2019 में 49988 औद्योगिक ईकाइयां ही रह गई। यानी जनवरी 2019 से लेकर मार्च 2019 तक के कुल तीन माह में ही 2762 औद्योगिक ईकाइयां पूरी तरह से बंद हो गई। इसी तरह से जून 2019 में 46316 ही औद्योगिक ईकाइयां रह गई। यानी अप्रैल 2019 से लेकर जून 2019 तक के कुल तीन माह में ही 3672 औद्योगिक ईकाइयां पूरी तरह से बंद हो गई। अब मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लंदन और दिल्ली में हुई इन्वेस्टर समिट में 19 हजार करोड़ के निवेश के एमओयू पर त्रिवेंद्र रावत सरकार में हुए करोड़ों के एमओयू की छाया का असर पड़ने की आशंका जताई जाने लगी है। कांग्रेस पार्टी ने इसे सरकार का छलावा बताते हुए सरकारी दावों पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने तो बकायदा प्रेस वार्ता करके सरकार पर निवेश के नाम पर धोखा करने का आरोप भी जड़ दिया है। उनका कहना हेै कि लंदन में एक कंपनी से एमओयू किया गया है जबकि उक्त कंपनी उत्तर प्रदेश के गजियाबाद की ही कंपनी है तो उस कंपनी से लंदन में एमओयू किस आधार पर साइन किया गया है? जो काम गाजियाबाद में हो सकता था उसके लिए लंदन क्यों जाना पड़ा? माहरा का यह भी कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार में भी निवेश के नाम पर बड़े-बड़े सपने दिखाते हुए दावे किए गए थे लेकिन राज्य में निवेश नहीं आया। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी अपने लंदन दौरों में करोड़ों का निवेश आने का दावा कर रहे हैं जो कि एक झूठ साबित होगा।
सरकार की सफलता
लंदन में सरकार को शुरुआती चरण 12 हजार 500 करोड़ के निवेश के एमओयू साइन करने के साथ ही बड़ी सफलता मिली है। इनमें रोपवे तकनीक के क्षेत्र में विख्यात कंपनी पोमा ग्रुप के साथ 2 हजार करोड़ के निवेश के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। पोमा कंपनी उत्तराखण्ड में रोपवे के निर्माण में तकनीकी सहयोग के लिए निवेश करेगी। गौर करने वाली बात यह है कि पोमा समूह पहले से ही उत्तराखण्ड में रोपवे निर्माण में तकनीकी सहयोग कर चुकी है जिसमें औली रोपवे शामिल है। साथ ही मसूरी-देहरादून रोपवे, यमनोत्री रोपवे परियोजना में तकनीकी सहयोग कर रही है, साथ ही हरिद्वार के अलावा अन्य कई स्थानों में रोपवे परियोजनाएं प्रस्तावित हैं जिसमें पोमा समूह का तकनीकी सहयोग मिलने से रोपवे परियोजना में तेजी आने की पूरी संभावनाएं हैं। इसके अलावा कयान जेट के साथ 4 हजार 5 सौ करोड़, उषा ब्रेको के साथ 1 हजार करोड़, और लंदन और बमिर्घंम में हुए रोड शो में कुल 2 हजार 750 करोड के कई कंपनियों के साथ एमओयू हस्ताक्षर किए गए हैं।
लंदन दौरे में सबसे बेहतर निवेश का एमओयू ब्रिटेन की आगर टेक्नोलॉजी कंपनी के साथ हुआ है जिसमें कंपनी उत्तराखण्ड में लिथियम आयन बैट्री के उत्पादन के लिए अपना प्लंाट लगाएगी। गौर करने वाली बात यह है कि जम्मू-कश्मीर में लिथियम का विशाल भंडार मिला है जिससे आने वाले समय में लिथियम बैट्री उद्योग में भारत एक बड़ा अग्रणी देश बन सकता है। उसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड में ब्रिटेन की कंपनी द्वारा लिथियम बैट्री के उत्पादन के लिए प्लांट लगाने का करार इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
पर्यटन के विकास और उसके प्रचार के क्षेत्र में ब्रिटेन की नामी कंपनी इज माई ट्रिप के साथ विश्वस्तरीय पर्यटन प्रमोशन ऑन लाइन ट्रेवल एग्रिगेटर में निवेश की सहमति बनने में कामयाबी हासिल हुई है। अमेरिका की विख्यात कंपनी केकेएन ग्रुप के साथ 48 सौ करोड़ के निवेश का करार किया गया। यह निवेश राज्य में शीतकालीन खेलों को बढ़ावा देने के लिए विंटर गेम्स डेस्टीनेशन को विकसित करने के लिए किया गया है इससे प्रदेश के मुनस्यारी में शीतकालीन खेलों के विस्तार और क्षेत्र को विकसित करना महत्वपूर्ण होगा। साथ ही फिरा बार्सिलोना कन्वेंशन संेटर और इवेन्ट मैनेजमेंट क्षेत्र में 1 हजार करोड़ के निवेश पर सहमति बनी है।